कुछ दिन पहले सूचना मिली कि शहर में फलां-फलां जगह पर जर्मनी से एक मशीन ला कर स्थापित की गई है जो कि बहुत से रोगों से निजात दिला देगी। कुछ द...
कुछ दिन पहले सूचना मिली कि शहर में फलां-फलां जगह पर जर्मनी से एक मशीन ला कर स्थापित की गई है जो कि बहुत से रोगों से निजात दिला देगी। कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि जिस के यहां यह जर्मनी वाली मशीन स्थापित की गई है उस ने कुछ दिन के लिये फीस के लिये छूट दे रखी है—लोग रोज़ाना जा कर सिंकवाई करवाये जा रहे हैं। दो चार दिन पहले रोहतक गया तो वहां पर भी इस जर्मनी वाली मशीन के इश्तिहार जगह जगह लगे हुये थे।
सोच रहा हूं कि क्या इस मशीन से सचमुच ही सब कुछ ठीक हो जायेगा---तो जवाब संतोषजनक मिलता नहीं। लगता है कि पब्लिक को बस उल्लू बनाया जा रहा है –अब रोज़ाना इस इलाज के हर मरीज़ से तीस रूपये लिये जा रहे हैं। इस से कुछ भी तो होने वाला नहीं है। आज मैं अपने एक मरीज़ को कह रहा था कि यार, इस तीस रूपये के तो यार तेरा परिवार फल खा सकता है --- वैसे आम आदमी की क्या कम सिंकाई हो रही है जो मशीन से भी यह काम करवाने की भी ज़रूरत आन पड़ी है, और यह काम तो घर पर भी किया जा सकता है। और जहां तक बड़ी उम्र के साथ और बढ़े हुये वजन की बदौलत घुटने चलते नहीं, जोड़ जाम हो गये हैं, चाल टेढ़ी हो गई है तो उस में यह कमबख्त मशीनें क्या कर लेंगी ----कुछ नहीं कर पायेंगी ---- केवल झूठी आस देती रहेंगी ----कब तक ? ----जब तक जनमानस रोज़ाना तीस रूपये इन जगहों पर जा कर पूजते रहेंगे!
अकसर यह भी सोचता हूं कि हम लोग बहुत ज़्यादा भटक चुके हैं ---इस के बहुत से कारण है। जिस तरह से आज कल टीवी पर हाई-फाई विशेषज्ञों द्वारा राशि फल सुनाया जाता है वह भी अच्छा खासा रोचक प्रोग्राम हो गया है ---- इस काम को भी प्रोड्यूसरों ने अच्छा खासा रोचक बना दिया है। इसे पेश करने वाले लोगों के हाव-भाव, उन के गले में मालाओं की वैरायिटी, डिज़ाइनर कपड़े और बेहद उतावलापन देखते बनता है।
कुछ प्रोग्रामों पर तो तरह तरह के तावीज़, यंत्र-तंत्र धारण करने की गुज़ारिश की जाती है और इन को पेश करने का ढंग भी इतना लुभावना होता है कि आदमी इन को पहनने के लिये मचल ही जाये क्योंकि इस के फायदे बताने वाली बहन जी की बातों में जादू ही कुछ इस किस्म का है कि क्या कहने !!
याद आ रहा है कि अपने पिता जी की अस्थि-विसर्जन के लिये जब हम लोग हरिद्वार गये तो वहां पर हम ने भी 1500 रूपये में एक रूद्राक्ष खरीद कर यही सोचा था कि यार, यह रूद्राक्ष हमें इतनी आसानी से आखिर मिल कैसे गया ---क्योंकि उस बेचने वाले की बातों में बात ही कुछ ऐसी थी कि यह रूद्राक्ष तो बस केवल एक ही बचा है। सरासर हम लोगों को बेवकूफ़ बनाया गया था।
दोस्तो, मैं भी जगह जगह इतनी बार धोखा खा चुका हूं ---- इतनी बार बेवकूफ़ बन चुका हूं कि अपनी सारी फ्रस्ट्रेशन निकालने का केवल एक ही रास्ता ढूंढ निकाला है कि जनमानस को खूब सचेत किया जाये ----सुना है कि हर आदमी के लिये ऊपर वाले ने कोई न कोई काम बनाया हुआ है --- मेरे लिये तो मुझे लगता है कि जनमानस को जागरूक करना ही मेरे हिस्से आया है। और मुझे पूरा विश्वास है कि यह काम मैं आप सब के आशीर्वाद से अच्छे खासे ढंग से कर लेता हूं।
कईं बार रात को डेढ़-दो बजे आप टी वी लगा कर देखिये --- स्थानीय चैनलों पर प्रादेशिक भाषाओं में विदेशी महिलायें जो फर्राटेदार पंजाबी अथवा हिंदी( सब डब किया हुआ ) बोलती दिखती हैं, वह देश कर कोई भी हैरान हुये बिना रह ही नहीं सकता। वह इतनी तेज़ी तेज़ी से बोल रही होती हैं कि सुनने वाले को लगता है कि अगले कुछ ही घंटों में वह उसे उस की फालतू चर्बी से निजात दिलवा कर एकदम छरहरा कर देंगी ----सब अजीबो गरीब विज्ञापन इसी समय भी दिखते हैं ---किसी विज्ञापन में वक्ष सुडौल करने की रणनीति समझाई जाती है, कहीं पर पेट को बिल्कुल अंदर धंसाने के गुर सिखाये जा रहे होते हैं ---- और यह विज्ञापन इतने कामुक अंदाज़ में पेश किये जाते हैं कि लोग बार बार इन्हें देख कर भी थकते नहीं---- और लोहे को गर्म देख कर तुरंत मेम घोषणा करती है कि अगर तू भी इतना ही बलिष्ठ एवं सुडौल बनता चाहता है तो तुरंत फोन उठा के अपना सौदा बुक करवा ले, और दो हज़ार की छूट वाली स्कीम केवल पहले एक सौ फोन करने वाले दर्शकों के लिये ही है।
मन तो मुसद्दी का भी कर रहा है कि एक मशीन मंगवा कर विलायती कसरत कर ही ली जाये, लेकिन पास ही चटाई पर बेपरवाह घोड़े बेच कर सो रहे सारे परिवार जनों की अंदर धंसी हुई आंखें और गाल देख कर वह डर जाता है ---तुरंत बती बुझा कर वह भी सोने की कोशिश तो करने लगता है लेकिन उस विज्ञापन वाली मेम की मीठी-मीठी (लेकिन महंगी बातें) उसे ढंग से सोने ही नहीं देतीं।
सुबह अखबार वाले की साईकिल की घंटी सुन कर जैसे ही वह दरवाजे की तरफ लपकता है तो अखबार से पहले उस के हाथ में एक पैम्फलेट लगता है ---- जिस पर यह लिखा हुआ है ----
खानदानी ज्योतिषी – ज्योतिष रत्न बहुत सारे सम्मान पत्रों से सम्मानित –विश्वविख्यात ज्योतिषी से आप भी नौकरी, विदेश यात्रा, प्रेम विवाह, शिक्षा, शादी, प्रमोशन, निःसंतान, कोर्ट कचहरी, तलाक, मांगलिक, कालसर्प योग, पितृ-दोष, किया-कराया, शारीरिक कष्ट, वास्तु दोष, ग्रह कलेश आदि समस्त समस्याओं के विधि पूर्वक समाधान हेतु मिलें।
(सोचने से नहीं मिलने से कष्ट दूर होता है)
100 प्रतिशत समाधान की गारंटी निश्चित समय में।
इस इश्तिहार के नीचे तीन सूचनायें भी लिखी हुई हैं ---
तांत्रिक, मौलवी और बंगाली बाबाओं से विश्वास खो चुके व्यक्ति एक बार अवश्य मिलें। फीस श्रद्धानुसार।
जब कहीं न हो काम तो हमसे लें तुरंत समाधान।
नोट – किसी माता बहिन के सन्तान न होती हो या होकर खत्म हो जाती हो तो एक बार अवश्य मिलें।
विशेष प्रावधान – हमारी पूजा का असर तुरन्त होता है।
इस विज्ञापन से चकराये हुये सिर को डेढ़ प्याली कड़क चाय से दुरूस्त करने के बाद जैसे ही वह अपने चहेते पेपर का पन्ना पलटता है तो उसे सेहत से संबंधित विज्ञापनों में इतना अपनापन नज़र आता है कि वह राजनीति दंगल की किसी भी खबर को पढ़ने की बजाह वह वाला विज्ञापन बार बार पढ़ता है जिस में उसे यह आस दिखती है कि उस दवाई के इस्तेमाल से उस की ठिगनी ही रह गई प्यारी बिटिया का कद झट से बढ़ जायेगा, उसे वह विज्ञापन भी बहुत लुभाता है जिस में बताया गया है कि फलां फलां दवाई के इस्तेमाल से उस के स्कूल में पढ़ रहे बेटे की यादाश्त बढ़ सकती है, विज्ञापन तो वह वाला भी काट कर रख के छिपा लेता है जिस में पुरानी से पुरानी कमज़ोरी को दूर करने का वायदा दिलाया गया होता है लेकिन अफसोस ये सब सरासर झूठे, बेबुनियाद, धोखा देने वाले विज्ञापन भला ऐसे कद बढ़ता है, यादाश्त बढ़ती है या यौवन लौट कर आता है क्या !!
वह असमंज की स्थिति में है ---- बस जैसे तैसे अपने पड़ोस के नीम हकीम के पास अपने परिवार को लेकर पहुंच जाता है। वह उन सब की तकलीफ़ों के लिये एक ही समाधान बताता है कि ताकत के टीके पांच पांच लगवा लो --- सब ठीक हो जायोगे। वह भी कर लिया --- लेकिन कुछ हुआ नहीं ---- लेकिन एक बात ज़रूर हो गई ----उस नीम हकीम के यहां टीके लगवाने से उसके लड़के को हैपेटाइटिस बी (Hepatitis B- खतरनाक पीलिया) हो गया ---- बैठे बिठाये आफ़त हो गई।
उसे लेकर जब बड़े शहर गया तो पांच हज़ार तो टैस्ट पर ही लग गये और उन टैस्टों से यह पता चला कि इस तकलीफ़ के लिये कुछ कर ही नहीं सकते। सब कुछ ऊपर वाले पर ही छोड़ना होगा।
यह जो आपने बातें सुनीं ये आज घर घर में हो रही हैं दोस्तो, जनमानस में स्वास्थ्य जागरूकता की इतनी ज़्यादा कमी है (विभिन्न कारणों की वजह से) कि क्या कहें और ऊपर से आम आदमी को अपने जाल में फंसाने वाले व्यवसायी हर समय घात लगाये बैठे हैं कि कब इस की तबीयत ढीली हो और कब हम इस का खून चूस कर इस की हालत और भी पतली करें साला जी कर तो दिखाये! बहुत जी लिया है बेटा तूने ....................................
मैं अकसर सोचता हूं कि क्या केवल स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने से ही बस लोगों की सेहत ठीक हो जायेगी. मुझे तो नहीं ऐसा लगता ---- क्योंकि हम लोगों की हर तकलीफ़ के कईं कईं पहलू हैं। लेकिन मुझे तो अपना काम करना है ----- जागरूकता की अलख जगानी है।
क्योंकि यह मेरा चिट्ठा है इसलिये मैं इमानदारी से कुछ भी लिख सकता हूं -----यह स्वास्थ्य जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना ही मेरा मिशन है --- सर्विस कर रहा हूं लेकिन वह भी सोचता हूं कि एक तरह से भविष्य की सैक्यूरिटि के लिये भी कर रहा हूं वरना विचार तो यही बनता है कि किसी ऐसी संस्था के साथ जुड़ जाऊं जिस के साथ मिल कर इस जागरूकता को आगे बढाऊं, सुबह से शाम तक गांव गांव जा कर लोगों से मिलूं, उन की जीवनशैली के बारे में उन से खूब बातें करूं, तंबाकू-शराब, अन्य नशों का सफाया करने में अपना योगदान दूं , और उन्हें प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति अपनाने के लिये प्रेरित करूं. लेकिन यह क्या आज की पोस्ट तो एक अच्छा खासा भाषण ही हो गया लगता है।
एक बात जो मैं मुझे लगता है कि पत्थरों पर खुदवा देनी चाहिये वह यह है कि ताकत किसी टीके में, कैप्सूल में या टेबलेट में नहीं होती ताकत है तो सीधे सादे हिंदोस्तानी खाने में, बाकी सब वायदे झूठे हैं, फरेब हैं, झूठी आशा है , सरासर किसी को गुमराह करने के धंधे हैं जी हां, कुछ लोग इस प्रोफैशन को भी धंधे की तरह ही चला रहे हैं।
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अकसर यह भी सोचता हूं कि हम लोग बहुत ज़्यादा भटक चुके हैं ---इस के बहुत से कारण है। जिस तरह से आज कल टीवी पर हाई-फाई विशेषज्ञों द्वारा राशि फल सुनाया जाता है वह भी अच्छा खासा रोचक प्रोग्राम हो गया है ---- इस काम को भी प्रोड्यूसरों ने अच्छा खासा रोचक बना दिया है। इसे पेश करने वाले लोगों के हाव-भाव, उन के गले में मालाओं की वैरायिटी, डिज़ाइनर कपड़े और बेहद उतावलापन देखते बनता है।
कुछ प्रोग्रामों पर तो तरह तरह के तावीज़, यंत्र-तंत्र धारण करने की गुज़ारिश की जाती है और इन को पेश करने का ढंग भी इतना लुभावना होता है कि आदमी इन को पहनने के लिये मचल ही जाये क्योंकि इस के फायदे बताने वाली बहन जी की बातों में जादू ही कुछ इस किस्म का है कि क्या कहने !!
याद आ रहा है कि अपने पिता जी की अस्थि-विसर्जन के लिये जब हम लोग हरिद्वार गये तो वहां पर हम ने भी 1500 रूपये में एक रूद्राक्ष खरीद कर यही सोचा था कि यार, यह रूद्राक्ष हमें इतनी आसानी से आखिर मिल कैसे गया ---क्योंकि उस बेचने वाले की बातों में बात ही कुछ ऐसी थी कि यह रूद्राक्ष तो बस केवल एक ही बचा है। सरासर हम लोगों को बेवकूफ़ बनाया गया था।
दोस्तो, मैं भी जगह जगह इतनी बार धोखा खा चुका हूं ---- इतनी बार बेवकूफ़ बन चुका हूं कि अपनी सारी फ्रस्ट्रेशन निकालने का केवल एक ही रास्ता ढूंढ निकाला है कि जनमानस को खूब सचेत किया जाये ----सुना है कि हर आदमी के लिये ऊपर वाले ने कोई न कोई काम बनाया हुआ है --- मेरे लिये तो मुझे लगता है कि जनमानस को जागरूक करना ही मेरे हिस्से आया है। और मुझे पूरा विश्वास है कि यह काम मैं आप सब के आशीर्वाद से अच्छे खासे ढंग से कर लेता हूं।
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सुबह अखबार वाले की साईकिल की घंटी सुन कर जैसे ही वह दरवाजे की तरफ लपकता है तो अखबार से पहले उस के हाथ में एक पैम्फलेट लगता है ---- जिस पर यह लिखा हुआ है ----
खानदानी ज्योतिषी – ज्योतिष रत्न बहुत सारे सम्मान पत्रों से सम्मानित –विश्वविख्यात ज्योतिषी से आप भी नौकरी, विदेश यात्रा, प्रेम विवाह, शिक्षा, शादी, प्रमोशन, निःसंतान, कोर्ट कचहरी, तलाक, मांगलिक, कालसर्प योग, पितृ-दोष, किया-कराया, शारीरिक कष्ट, वास्तु दोष, ग्रह कलेश आदि समस्त समस्याओं के विधि पूर्वक समाधान हेतु मिलें।
(सोचने से नहीं मिलने से कष्ट दूर होता है)
100 प्रतिशत समाधान की गारंटी निश्चित समय में।
इस इश्तिहार के नीचे तीन सूचनायें भी लिखी हुई हैं ---
तांत्रिक, मौलवी और बंगाली बाबाओं से विश्वास खो चुके व्यक्ति एक बार अवश्य मिलें। फीस श्रद्धानुसार।
जब कहीं न हो काम तो हमसे लें तुरंत समाधान।
नोट – किसी माता बहिन के सन्तान न होती हो या होकर खत्म हो जाती हो तो एक बार अवश्य मिलें।
विशेष प्रावधान – हमारी पूजा का असर तुरन्त होता है।
इस विज्ञापन से चकराये हुये सिर को डेढ़ प्याली कड़क चाय से दुरूस्त करने के बाद जैसे ही वह अपने चहेते पेपर का पन्ना पलटता है तो उसे सेहत से संबंधित विज्ञापनों में इतना अपनापन नज़र आता है कि वह राजनीति दंगल की किसी भी खबर को पढ़ने की बजाह वह वाला विज्ञापन बार बार पढ़ता है जिस में उसे यह आस दिखती है कि उस दवाई के इस्तेमाल से उस की ठिगनी ही रह गई प्यारी बिटिया का कद झट से बढ़ जायेगा, उसे वह विज्ञापन भी बहुत लुभाता है जिस में बताया गया है कि फलां फलां दवाई के इस्तेमाल से उस के स्कूल में पढ़ रहे बेटे की यादाश्त बढ़ सकती है, विज्ञापन तो वह वाला भी काट कर रख के छिपा लेता है जिस में पुरानी से पुरानी कमज़ोरी को दूर करने का वायदा दिलाया गया होता है लेकिन अफसोस ये सब सरासर झूठे, बेबुनियाद, धोखा देने वाले विज्ञापन भला ऐसे कद बढ़ता है, यादाश्त बढ़ती है या यौवन लौट कर आता है क्या !!
वह असमंज की स्थिति में है ---- बस जैसे तैसे अपने पड़ोस के नीम हकीम के पास अपने परिवार को लेकर पहुंच जाता है। वह उन सब की तकलीफ़ों के लिये एक ही समाधान बताता है कि ताकत के टीके पांच पांच लगवा लो --- सब ठीक हो जायोगे। वह भी कर लिया --- लेकिन कुछ हुआ नहीं ---- लेकिन एक बात ज़रूर हो गई ----उस नीम हकीम के यहां टीके लगवाने से उसके लड़के को हैपेटाइटिस बी (Hepatitis B- खतरनाक पीलिया) हो गया ---- बैठे बिठाये आफ़त हो गई।
उसे लेकर जब बड़े शहर गया तो पांच हज़ार तो टैस्ट पर ही लग गये और उन टैस्टों से यह पता चला कि इस तकलीफ़ के लिये कुछ कर ही नहीं सकते। सब कुछ ऊपर वाले पर ही छोड़ना होगा।
यह जो आपने बातें सुनीं ये आज घर घर में हो रही हैं दोस्तो, जनमानस में स्वास्थ्य जागरूकता की इतनी ज़्यादा कमी है (विभिन्न कारणों की वजह से) कि क्या कहें और ऊपर से आम आदमी को अपने जाल में फंसाने वाले व्यवसायी हर समय घात लगाये बैठे हैं कि कब इस की तबीयत ढीली हो और कब हम इस का खून चूस कर इस की हालत और भी पतली करें साला जी कर तो दिखाये! बहुत जी लिया है बेटा तूने ....................................
मैं अकसर सोचता हूं कि क्या केवल स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने से ही बस लोगों की सेहत ठीक हो जायेगी. मुझे तो नहीं ऐसा लगता ---- क्योंकि हम लोगों की हर तकलीफ़ के कईं कईं पहलू हैं। लेकिन मुझे तो अपना काम करना है ----- जागरूकता की अलख जगानी है।
क्योंकि यह मेरा चिट्ठा है इसलिये मैं इमानदारी से कुछ भी लिख सकता हूं -----यह स्वास्थ्य जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना ही मेरा मिशन है --- सर्विस कर रहा हूं लेकिन वह भी सोचता हूं कि एक तरह से भविष्य की सैक्यूरिटि के लिये भी कर रहा हूं वरना विचार तो यही बनता है कि किसी ऐसी संस्था के साथ जुड़ जाऊं जिस के साथ मिल कर इस जागरूकता को आगे बढाऊं, सुबह से शाम तक गांव गांव जा कर लोगों से मिलूं, उन की जीवनशैली के बारे में उन से खूब बातें करूं, तंबाकू-शराब, अन्य नशों का सफाया करने में अपना योगदान दूं , और उन्हें प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति अपनाने के लिये प्रेरित करूं. लेकिन यह क्या आज की पोस्ट तो एक अच्छा खासा भाषण ही हो गया लगता है।
एक बात जो मैं मुझे लगता है कि पत्थरों पर खुदवा देनी चाहिये वह यह है कि ताकत किसी टीके में, कैप्सूल में या टेबलेट में नहीं होती ताकत है तो सीधे सादे हिंदोस्तानी खाने में, बाकी सब वायदे झूठे हैं, फरेब हैं, झूठी आशा है , सरासर किसी को गुमराह करने के धंधे हैं जी हां, कुछ लोग इस प्रोफैशन को भी धंधे की तरह ही चला रहे हैं।
वाह आज ही दो उत्कृष्ट आलेख -विद्वता की डबल डोज ! आम जन को ऐसे धोखे भरे विज्ञापनो को दूर से ही नमस्कार कहना चाहिए ! शुक्रिया डॉ चोपडा !
ReplyDeleteआज ऐसे ही लेखन की दरकार है। समझ नहीं पा रहा कि आपका किन शब्दों में शुक्रियादा करूं।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जागरूक करने वाला लिखा है आपने ...शुक्रिया
ReplyDeleteप्रवीण जी, साइंस ब्लॉगर असोसिएशन परिवार में आपका सक्रिय रूप में आपका हार्दिक स्वागत है। आपने मन की बातों को मन से लिखा है, आभार एवं बधाई।
ReplyDeleteआज ऐसी ही अलग की आवश्यकता है। प्रेरक आलेख के लिए बधाई।
ReplyDeleteमैं अकसर सोचता हूं कि क्या केवल स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने से ही बस लोगों की सेहत ठीक हो जायेगी ------ मुझे तो नहीं ऐसा लगता ---- क्योंकि हम लोगों की हर तकलीफ़ के कईं कईं पहलू हैं। लेकिन मुझे तो अपना काम करना है ----- जागरूकता की अलख जगानी है।
ReplyDelete" sach khaa aapne....bhut naik vichar hain aapke, or aaj ke daur mey behd jrurat bhi hai iase jaagruk lekho ki..aabhar aapka aagah krtne ke liye.."
Regards
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteपेशा किसी व्यक्ति को ऊँचा नहीं बनाता है .ये व्यक्ति है जो किसी पेशे को ऊँचा बनाता है....पिछले तीन साल में डोनेशन के कॉलेज की भारी भीड़ देखकर मई खुद हैरान होता हूँ की की इतने इंजिनियर ओर डॉ खपेगे कहाँ ?उन कालेजो से निकले बच्चो को न एक्स्पोसर होता है ओर न सीखने की ललक ..इस इश्तेहारी जमाने में अब हर चीज बिकाऊ है .बाबा रामदेव ने अब अपनी दवाई का करोडो का प्रोजेक्ट लगाया है ,कॉलेज डाल रहे है ...अपोलो से लेकर दुसरे बड़े हॉस्पिटल पैकेज देते है....अखबार में एड देते है ..दिल्ली के दंत चिक्तासको ने अपने कई एजेंट हवाई अड्डो पर छोडे हुए है ....
ReplyDeleteफेयर एंड लवली का करोडो का रिवेन्यु है .अब मन की भी फेयार्नीस क्रीम आ गयी है चूँकि शाह रुख खान लगते है इसलिए बिक्री भी खूब है ...शहनाज वैसे ही करोडो की एम्पायर कड़ी कर चुकी है ....तो अब सारा खेल शोशेबाजी ओर विज्ञापन का है .
पर फिर भी भला लगता है की दंत चिक्त्सिक होते हुए भी आप स्वास्थ्य के दुसरे पह्ल्युओ पर जानकारी रखते है क्यूंकि आम तौर पर उनके सिमित ज्ञान के कारण वे मेडिकल फिल्ड की काम जानकारी रखते है .
हर ब्रांच में लेटेस्ट अनुसन्धान होते है .उदारहण के तौर पर दस साल पहले मैंने कॉलेज छोडा तो उसके बाद आँख में नये आये लेजर के विषय में मेरी जानकारी सिमित होगी क्यूंकि मुझे जो भी जानकारी होगी वो विभ्गीय आदान प्रदान या रेफरेंस के तहत या उस विभाग के अपने दोस्तों द्वारा ही होगी .....अपनी ब्रांच के लेटेस्ट तकनीक मुझे पता हो सकती है पर दूसरो की होने की काम संभावना रहती है..सूचना क्रांति के इस दौर में भी मैंने ढेरो लोगो को अपने दुसरे कुलीग को कई बातो से अनभिग पाया है ....
खैर आजकल वैसे ढेरो बाते नेट पर उपलब्ध है ...जैसे की चिकन पोक्स पर ही मै देख रहा था ...पूरी तो नहीं होगी पर फिर भी ७० प्रतिशत ओर सौभग्य से हिंदी में उपलब्ध है .....आप क्यों नहीं दांतों की जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराये विडियो के साथ .जैसा की मेरी सीनियर बेजी करती है अपनी फिल्ड के लेकर उन्होंने बहुत कुछ नेट पर उपलब्ध कराया है
Mai bhi Dr. Anuraag ji ki baato se puri tarah sahmat hau...
ReplyDeleteप्रेरणाप्रद आलेख है, वास्तव में वर्तमान समय में ऐसे ही लेखन की आवश्यकता है, तभी समाज में कुछ बदलाव आ सकता है।
ReplyDeleteहर क्षेत्र में धोखे हैं, चक्रव्यूह हैं। उन्हें तोडा जाना चाहिए।
ReplyDeleteइस तरह के प्रचार पर अमल करने से पहले विवेक की तराजू पर जरूर तौल लें. विज्ञापनंकर्ता काफी सोच समझ कर जनता को फंसाने के लिए व्यूह रचना करते हैं. ज्यादा जागरूक आदमी इन चोंचलों में नहीं फंस पाता.
ReplyDeleteएक शिक्षाप्रद लेख के लिए धन्यवाद. जनता को गुमराह करने के लिए गलत विज्ञापनों की तो जैसे बाढ़ आ गई है. टीवी पर दो विज्ञापन आ रहे हैं जिनमें सच शायद ही हो, डेटोल और लाइजोल, इंडियन मेडिकल असोसिअशन द्वारा प्रमाणित. जानकारी हासिल कर रहा हूँ. शीघ्र ही इसपर लिखूंगा अपने ब्लाग पर.
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