अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) और उनकी उपलब्धियां।
अलबर्ट आइन्स्टीन (Albert Einstein)
अगर कोई इतिहास के सर्वाधिक जीनिअस व्यक्ति (Genius Person) के बारे में प्रश्न करता है तो लगभग सभी के दिमाग में अलबर्ट आइन्स्टीन का नाम कौंध जाता है. उसके विश्वप्रसिद्ध सापेक्षकता के सिद्धांत (Theory of Relativity) और क्वांटम भौतिकी (Quantum Physics) में उसकी खोजों ने लोगों के देखने का नजरिया ही बदल दिया.
जी हाँ, भौतिक जगत के इस शहंशाह का जन्म आज ही के दिन यानि 14 मार्च 1879 को हुआ था. आइन्स्टीन ने पहली बार प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या प्लांक के क्वांटम परिकल्पना के आधार पर की, जिसके अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे छोटे बंडलों के रूप में चलता है. यह क्वांटम भौतिकी की शुरुआत थी. इस कार्य के लिए आइन्स्टीन को 1921 का भौतिकी का नोबेल पुरूस्कार दिया गया. आइन्स्टीन ने पहली बार अपने विश्व प्रसिद्ध फार्मूले E=mc2 द्बारा बताया कि पदार्थ तथा ऊर्जा को परस्पर बदलना संभव है.
सन 1905 आइन्स्टीन के लिए और भौतिक जगत के लिए भाग्यशाली सिद्ध हुआ. जब आइन्स्टीन के पांच रिसर्च पेपर जर्मनी के भौतिकी जर्नल में प्रकाशित हुए, इन रिसर्च पेपरों ने भौतिक जगत में तहलका मचा दिया.
पहला पत्र प्रकाश विद्युत प्रभाव की प्लांक सिद्धांत के आधार पर व्याख्या करता था. इससे पहले प्रकाश किरणों के बारे में माना जाता था की वह तरंगों के रूप में चलता है. लेकिन इस सिद्धांत के बाद प्रकाश की द्वैत प्रकृति सामने आई. पता चला की प्रकाश तरंग और कण दोनों की तरह व्यवहार करता है. 1921 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार उसे इसी कार्य के लिए मिला.
दूसरा पत्र ब्राउनियन गति पर आधारित था. जिसमें अणुओं की मुक्त गति की व्याख्या की गई थी. इस व्याख्या से पदार्थ के आणविक व परमाण्विक मॉडल को बल मिला. इस पत्र में आइन्स्टीन ने प्रोबेबिलिटी थ्योरी (Probability Theory) का समावेश किया, जिसने क्वांटम भौतिकी को दृढ गणितीय आधार दिया. आगे इस विषय को आइन्स्टीन ने भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस (Satyendra Nath Bose) के साथ डेवेलप किया और बोस आइन्स्टीन सांख्यकी (Bose Einstein Statistics) की स्थापना की. साथ ही अणुओं तथा मूल कणों के व्यवहार से संबधित दूसरी शाखाएं भी इससे डेवेलप हुईं जिनमें फर्मी डिराक सांख्यकी प्रमुख है.
तीसरा पत्र पदार्थ व ऊर्जा का मशहूर सम्बन्ध E=mc2 था. पहली बार यह रहस्योद्घाटन हुआ कि पदार्थ को ऊर्जा में बदला जा सकता है. यहीं से दुनिया परमाणु ऊर्जा से परिचित हुई.
चौथे पत्र में सापेक्षकता के विशेष सिद्धांत (Special Theory of Relativity) को ज़ाहिर किया गया था. यह एक कठिन थ्योरी है. आम भाषा में कहा जाए तो ब्रह्माण्ड के सारे घटक एक दूसरे के सापेक्ष गति में हैं. जब हम कोई पिंड, स्टार इत्यादि देखते हैं तो उसकी द्रष्टव्य स्थिति उसकी स्पीड, दूरी और समय (Space-Time) पर निर्भर करती है. मान लिया कोई तारा हमारी पृथ्वी से पांच सौ प्रकाश वर्ष दूर है. इसका मतलब हुआ की हम उसकी पांच सौ वर्ष पहले की स्थिति देख रहे हैं. वर्तमान में तो वह कहीं और होगा. और अगर उसकी स्पीड बहुत तेज़ है तो उसका आकार भी उसकी रुकी अवस्था के आकार से भिन्न दिखाई देगा.
इस थ्योरी से कई चमत्कारी निष्कर्ष निकले. जैसे कि कोई पदार्थ प्रकाश के वेग से या उससे अधिक वेग से नहीं चल सकता. साथ ही अत्यधिक वेग से चलने पर वस्तुओं का द्रव्यमान बढ़ जाता है जबकि लम्बाई घट जाती है. इस थ्योरी ने निर्वात में युनिवर्सल माध्यम ईथर की परिकल्पना को निरस्त कर दिया.
इन पेपर्स के प्रकाशन के दस वर्ष बाद 1915 में आइन्स्टीन ने एक और आश्चर्यजनक थ्योरी दी जनरल थ्योरी आफ रिलेटिविटी (General Theory of Relativity - सापेक्षकता का व्यापक सिद्धांत). इसमें उसने सापेक्षकता में गुरुत्वाकर्षण को भी शामिल किया, उसने बताया की प्रकाश के पथ पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव पड़ता है. नतीजे में जो सीधा आकाश हम देखते हैं असलिअत में वह वक्र (Curve) होता है. या यूं कहा जाए कि एक सीधा आकाश हम वक्र रूप में देखते हैं. और व्यापक बनाते हुए उसने कहा कि गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) स्पेस-टाइम का घुमाव (Distortion) होता है, जो मैटर की वजह से पैदा होता है. और यह घुमाव (Distortion) दूसरे पदार्थों की गति पर प्रभाव डालता है.
कुछ सिद्धांतों पर आइन्स्टीन का समकालीन वैज्ञानिकों के साथ विवाद भी हुआ. जिनमें क्वांटम भौतिकी के क्षेत्र में नील्स बोर (Neals Bore) द्बारा प्रस्तुत सिद्धांत प्रमुख है. इसमें बताया गया कि एलेक्ट्रोन नाभिक के परितः किसी कक्षा में कुछ प्रोबबिलिटी (Probability) के साथ चक्कर लगाता है. इसपर आइन्स्टीन ने कहा कि ईश्वर पांसे नहीं फेंकता.
आइन्स्टीन की धार्मिक आस्था विवादास्पद है. कुछ लोग उसे आस्तिक मानते हैं तो कुछ नास्तिक. लेकिन इतना तय है की वह किसी धर्म विशेष के अनुसार ईश्वर या गॉड को नहीं मानता था. उसके कथन के अनुसार दुनिया किसी ऐसी शक्ति ने बनाई है जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते.
आइन्स्टीन ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष यूनिफाइड फील्ड थ्योरी (Unified Field Theory) पर कार्य करते हुए गुजारे, जो उसकी मृत्यु के बाद भी अधूरी रही. इस थ्योरी में प्रकृति के चार मूल बलों गुरुत्वाकर्षण, विद्युतचुम्बकीय, तीव्र तथा क्षीण नाभिकीय बलों का संयुक्तीकरण करना था. आज भी इस थ्योरी पर कार्य जारी है.
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अलबर्ट आइन्स्टीन के जन्मदिन पर शुभकामनाये और उनकी जीवनी और उपलब्धियों से अवगत करने का आभार
ReplyDeleteRegards
आंइस्टीन का राजनैतिक रुझान, उनका परमाणु बम पर कुछ दृष्टिकोण...
ReplyDeleteसचमुच मानवता ऋणी है इस महान वैज्ञानिक की मगर गूगल बाबा आज तो एस्ट्रोनामर जिओवानी स्कियापरेली को ही हाईलाईट कर रहा है -इन पर भी कुछ लिखें अगर फुरसत मिले तो !
ReplyDeleteअगर कोई इतिहास के सर्वाधिक जीनिअस व्यक्ति के बारे में प्रश्न करता है तो लगभग सभी के दिमाग में अलबर्ट आइन्स्टीन का नाम कौंध जाता है ... बिल्कुल सही कहा ... उनके जन्मदिन पर अच्छा आलेख है ... उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी अच्छी लगी।
ReplyDeleteआज वह कार्टून याद आ रहा है जिस में अंतरिक्ष यान का एक यात्री दूसरे को पृथ्वी दिखाते हुए कह रहा है कि यह वह ग्रह है जहाँ आइंस्टाईन पैदा हुआ था।
ReplyDeleteआभार आइंस्टाईन का जन्म दिन याद दिलाने के लिए एवं जानकारी के लिए.
ReplyDeleteअलबर्ट आइन्स्टीन के जन्मदिन पर शुभकामनाये उनके जीवन के बारे में अच्छी जानकारी दी है आपने ..शुक्रिया
ReplyDeleteआज इनका जन्मदिन था याद दिलाने के लिए शुक्रिया। पर अनजाने ही हमने भी आज इनको याद किया अपने ब्लोग पर। इतनी जानकारी देने के लिए शुक्रिया। उनका लिखा इक कथन है जो अपनी ओर खींचता है। कि
ReplyDeleteमैं तो प्रतिदिन यही अनुभव करता हूँ कि मेरे भीतरी और बाहरी जीवन के निर्माण में कितने अगणित व्यक्तियों के श्रम और कृपा का हाथ रहा हैं और इस अनूभूति से उददीत मेरा अंतक:करण कितना छटपटाता है कि मैं कम से कम इतना तो दुनिया को दे संकू जितना मैंने उससे अभी तक लिया है। - आंइस्टीन
और सच में उन्होने दुनिया को बहुत कुछ दिया।
sach bahut achhi jankari rahi,janam din ki shubkamnaye unki yaad mein.
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण जानकारी दी उनके शोध के बारे में आपने.
ReplyDeleteजानकारी का आभार
ReplyDeleteapne unke jeevan ke baare mai kafi detail jankari uplabdha karayi hai...
ReplyDeleteभौतिकी के मेरे इष्ट वैज्ञानिक की जीवनी प्रकाशित करने के लिये आभार !!
ReplyDeleteसस्नेह -- शास्त्री
-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.
महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
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ReplyDeletelog on kare aur
bhagoriyaa ke drushyo se avgat ho le
अलबर्ट आइन्स्टीन के जन्मदिन पर अच्छी जानकारी दी है .शुक्रिया जीशान जी.
ReplyDelete[माननीय रजनीश जी मेरा article भी ११ तारीख से ड्राफ्ट में है..कब प्रकाशित करेंगे?]
जीशान जी, आपका यह प्रयास ब्लॅग जगत में मील का पत्थर साबित होगा।
ReplyDeleteExcellent article please
ReplyDeleteExcellent article .Keep it up please
ReplyDeleteVery nice article or main ye chahata hu ki albert einstien is dharti par dubara janm le
ReplyDeleteVery nice or main yeh chahata hu ki god ALBERT EINSTIEN ko dubara is dharti par bheje
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice or main yeh chahata hu ki god ALBERT EINSTIEN ko dubara is dharti par bheje
ReplyDeleteeinstein was the great scientist in the word.I am try to become such as einstein.
ReplyDeleteI will follow him.
thanks.
Einstein was the great scientist of world. I will to try to become such as Einstein. I will follow him
ReplyDeletethanks.
Very very fantastic information for 1 million thank you bhi kam paar jayega sir. I am very porud of you.
ReplyDeleteअलबर्ट अइन्सटाइन एक बहुत अच्झे गणितज्ञ थे। जिन्होने E=mc
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