पृथ्वी का  संभावित अंत अगले 5000 वर्षों में
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पृथ्वी का संभावित अंत अगले 5000 वर्षों में

सोचिए कि यदि 50 वर्षों में इलेक्ट्रानिक्स इतनी उन्नति पर है तो अगले 50 वर्षों में हम कहाँ होंगे? यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कहा जाना चाहिए, ...

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सोचिए कि यदि 50 वर्षों में इलेक्ट्रानिक्स इतनी उन्नति पर है तो अगले 50 वर्षों में हम कहाँ होंगे? यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कहा जाना चाहिए, जैसा वैज्ञानिक कल्पना कर रहे हैं कि माइक्रोप्रोसेसर बेसड डिवाइसेज़ हमारा रहन-सहन, शिक्षा और विकास की गति को निरंतर बढ़ाती जायेंगी। हम आज माइक्रोप्रोसेसर को इस तरह से प्रोग्राम कर रहे हैं कि हम उसे समझ सकें और वह हमारे आदेशानुसार सभी कार्य सम्पन्न कर सकें। जी हाँ रोबॉट का दिमाग़ एक माइक्रोप्रोसेसर ही है जिसे सामान्यत: आप कम्पयूटर ही समझते अथवा जानते हैं।

पर ऐसा नहीं कि हम सर्व-शक्तिमान प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। प्रकृति ने हमें जन्मा है और हमसे जुड़े सभी अधिकार उसके पास ही सुरक्षित हैं। जिस गति से अपने लाभ के लिए हम प्रकृतिक स्रोतों का दोहन कर रहे हैं और अपने विकास का झूठा और दिखावटी दम भर रहे हैं। प्रकृति हमसे चार हाथ आगे अपने अपमान का बदला लेने के लिए तत्परता से और मूक होकर कार्य कर रही है।

जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ प्राकृतिक चक्रों की। उस उथल-पुथल की जिसने कभी पृथ्वी को पानी में डबो दिया और कभी हिम की परतों में समस्त जीव-मण्डल को जीवाश्म बनाकर रख दिया। जाने कितनी बार ऐसा हुआ और इस सौर मण्डल के अंत तक जाने ऐसा कितनी बार होता रहेगा?

पहले चित्र में लाल रंग का क्षेत्र कोरे के चारों ओर घूमता हुआ मैग्मा है और नीली रेखाएँ उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र दर्शाता है। दूसरे चित्र में चुम्बकीय और भौगोलिक अक्ष दर्शाये गये हैं। 

आज तक पृथ्वी के अंत की बहुत सी धारणाएँ प्रस्तुत की गयीं हैं लेकिन सत्य का ज्ञान तो सिर्फ़ अंत ही करा पायेगा। पृथ्वी के अंत में सबसे बड़ा हाथ रहेगा पृथ्वी के अपने चुम्बकीय क्षेत्र का जो पृथ्वी के मध्य भाग में उपस्थित कोर के चारों ओर चक्कर काटते मैग्मा के कारण उत्पन्न होता है। वैसे तो 16,00,000 वर्षों में यह मैग्मा अपने घूर्णन की दिशा बदल देता है लेकिन पृथ्वी के अंदरूनी ढाँचों में बदलाव या अन्य किन्हीं के कारणों से ऐसा नहीं हो पाया है और 26,00,000 वर्षों से सभी अधिक समय बीत चुका है। मुझे तो यह सोचकर भी घबराहट हो जाती है कि कहीं अगला पल पृथ्वी का अंत तो नहीं। आपको ज़रा और सचेत कर दूँ कि वैज्ञानिकों ने परीक्षण शुरु कर दिये हैं और निष्कर्ष काफ़ी भयजनक है। 

कहा जा रहा है कि अगले 5,000 वर्षों के अंदर ही पृथ्वी का अंत हो जायेगा। अब आप शायद यह समझ रहे हों कि मैं बड़बोला बन रहा हूँ लेकिन आपको आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि कोर के चारों ओर घूमते हुए गर्म लावे 'मैग्मा' ने अपनी दिशा बदलनी शुरु कर दी है और यह लगभग 16 अंश घूम चुका है। जैसे जैसे यह घूमता जायेगा पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र क्षीण (कमज़ोर) होता जायेगा और पृथ्वी पर पर चार क्षीण चुम्बकीय ध्रुव बन जायेंगे जिससे पराबैंगनी किरणें पृथ्वी तक आसानी से आने लगेंगी। इसका एक कारण यह भी होगा कि चुम्बकीय क्षेत्र का यह परिवर्तन ओज़ोन की परत को प्रभाव मुक्त कर देगा। इससे तरह-तरह की बीमारियाँ फैलेंगे जिनमें त्वचा सम्बंधित रोग प्रमुख रहेंगे। अब जिनकी त्वचा का रंग गहरा है या काला है उन पर इसका सबसे कम प्रभाव पड़ेगा। इस क्षीण होते चुम्बकीय क्षेत्र का असर प्रारम्भ हो चुका है और अब ज़रूरत है सजग और सचेत रहने की क्योंकि भूकम्प और ध्रुवों पर बर्फ़ पिघलने की प्रक्रिया किसी भी क्षण प्रारम्भ हो सकती है। आज-अभी या 5000 वर्षों के बीच किसी भी पल, सो सावधान बुद्धिजीवियों!

अंतत: जब मैग्मा पूरी तरह से अपने घूमने की दिशा को बदल देगा तो आज का उत्तर ध्रुव दक्षिण ध्रुव हो जायेगा और इसी प्रकार से दक्षिण ध्रुव उत्तर ध्रुव हो जायेगा। ध्रुव बदलाव की यह प्रक्रिया बहुत ही विनाशकारी है। आज वैज्ञानिक इस सत्य से मुँह नहीं फेर पा रहे हैं इसीलिए चाँद और मंगल पर आवास की कल्पना करने लगे हैं।
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  1. दिल जोरों से धडक रहा है विनय भई,
    आपने ये बात हमें क्यों बताई?

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  2. इसलिए की अपने सभी काम जल्दी निपटा लें क्योंकि हमें मार्स कालोनियों में जाना है, जो रॉकेट में पहले चढ़ेगा वही तो पहुँचेगा!

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  3. अरे अभी बहुत दिन है तब तक अपना काम निपट जाएगा :-)

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  4. अभिषेकजी सही ही कह रहे हैं तब तक हम निपट जाएंगे

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  5. जीवन की क्षणभंगुरता का यूं भी क्या भरोसा.

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  6. यह खबर तो चिंता का विषय है.
    ध्रुवों की स्थिति /दिशा बदल जायेगी..यह सोच कर ही विश्वास नहीं होता.
    वैज्ञानिक भी कुछ न कुछ राह निकालेंगे.इस जानकारी के लिए विनय जी धन्यवाद

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  7. कीर्ति वैद्य4/29/09, 5:27 PM

    यह तो वास्तव में चिंता को बढाने वाला समाचार है।

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  8. वही होगा, जो मंजूरे खुदा होगा।

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  9. मुझे तो आपके चित्र में पृथ्वी बहुत खूबसूरत लग रही है, इसे बचाइये । धन्यवाद

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  10. अच्छी जानकारी दी आपने .

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  11. यह तो होना है ही है एक दिन -पर विनय भाई अभी से काहें दुबले होने लगें ! ड्रिंक ईट एंड बी मेरी !

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  12. पृथ्वी के अंत की यह थीसिस ज्यादा तर्क सम्मत लगती है | वर्तमान में पानी की किल्लत देख कर यही लगता है कि शायद जलमही हो कर प्रलय न हो |

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  13. अब तो लगता है कि आज रात भर नींद नहीं आएगी..))

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  14. बहुत बहुत धन्यवाद आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए!
    सच में आज तो इलेक्ट्रानिक्स का ज़माना हो गया है और आपने बहुत ही ख़ूबसूरत रूप से विस्तार किया है ! बहुत सारी जानकारी हासिल हुई! आप एक महान लेखक है और आपसे बहुत कुछ सिखने को मिलता है! यूँ ही लिखते रहिये और हमें बहुत सारी ज्ञान प्राप्त होगी !

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  15. बहुत कुछ झेलना है हमारी आगे आनेवाली पीढि़यों को।

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  16. बाबा बृहस्पति बहुत पहले कह गए,
    जो पैदा हुआ है सो मरेगा।
    अब सूरज,पृथ्वी, पृथ्वीवासी प्राणी और मानव सब पैदा हुए हैं, सब का अंत होगा। यह बात बहुत पहले से पता है। इस लिए डर की कोई बात नहीं है। बड़े चलो और चुनौतियों का मुकाबला करो।

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  17. हम तो पचास साल में ही ख़त्म होने वाले हैं. पेड़ पौधों और जंगलों का विनाश हम खुद ही किये दे रहे हैं. फिर हवा की कमी हमारा खत्म कर देगी. या हो सकता है तब तक हवा सिलिंडरों में भरकर बेचीं जाने लगे.

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  18. बेहद शोध परक एवं महत्वपूर्ण सूचना

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  19. bahut achchhaa prayaas ,gyaan anant hai.---badhaaee.
    dr shyam gupta

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  20. आपकी बात तो ठीक है सर. लेकिन एक बात का ख़्याल रखना पड़ेगा. ये नेता, नौकरशाह और मुनाफ़ाखोर व्यापारी मंगल पर भी अगर गए तो वह भी इनका भार बर्दाश्त नहीं कर सकेगा. फिर पृथ्वी के बाद मंगल भी नष्ट हो जाएगा. असल में मैग्मा अपनी दिशा ही तब बदलता है जब वह पापियों का बोझ सह नहीं पाता.

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  21. आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए बहुत-बहुत आभार, आपके और भी रोचक बहुत-कुछ लाने का प्रयास करूँगा।

    धन्यवाद!

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  22. सोच रहा हूं विनय जी कि इसे अखबार में छापूं या नहीं। लोग सोचेंगे कि blog ke alava क्या अखबार वाले फिर कुछ नई चिंता दे ही देते हैं अरे भाई मरना होगा तो मर जाएंगे। पांच हजार साल तक तो कमसे कम पचास बार इस धरती पर किसी न किसी रूप में आते ही रहेंगे। अब आप पुर्नजन्म के बारे में बाताएं कि ये होता है या नहीं। कहां कहां इस पर शोध चल रहे हैं। जरा वैज्ञानिक नजरिये से।
    रवींद्र स्वप्निल प्रजापति

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  23. kripya aap apna dimag na lagayen kal kya hoga ye bhagwan k alawa koi nahi jan sakta. ye vaigyanik to thik se mausam ki jankari bhi nahi de pate

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Name

- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. N. Pandey,1,Dr. shyam gupta,1,Dr.G.D.Pradeep,9,Drug resistance,1,earth,28,Earthquake,5,Einstein,1,energy,1,Equinox,1,eve donation,1,Experiments,1,Facebook Causes Eating Disorders,1,faith healing and science,1,fastest computer,1,fibonacci,1,Film colourization Technique,1,Food Poisoning,1,formers societe,1,gauraiya,1,Genetics Laboratory,1,Ghagh,1,gigsflops,1,God And Science,1,golden number,2,golden ratio,2,guest article,9,guinea pig,1,Have eggs to stay alert at work,1,Health,70,Health and Food,14,Health and Fruits,1,Heart Attack,1,Heel Stone,1,Hindi Children's Science Fiction,1,HIV Aids,1,Human Induced Seismicity,1,Hydrogen Power,1,hyzine,1,hyzinomania,1,identification technology,2,IIT,2,Illusion,2,immortality,2,indian astronomy,1,influenza A (H1N1) virus,1,Innovative Physics,1,ins arihant,1,Instant Hip Hain Relief,1,International Conference,1,International Year of Biodiversity,1,invention,5,inventions,30,ISC,2,Izhar Asar,1,Jafar Al Sadiq,1,Jansatta,1,japan tsunami nature culture,1,Kshaya 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Science Bloggers' Association: पृथ्वी का संभावित अंत अगले 5000 वर्षों में
पृथ्वी का संभावित अंत अगले 5000 वर्षों में
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