क्‍या यह श्रृष्टि का अंत है? IS THE END HERE?

Is the end here? Yes, end is here. This question arises from the people of each community. From years and years we have been listening abou...

Is the end here? Yes, end is here. This question arises from the people of each community. From years and years we have been listening about the 4 periods:
1.Satyug
2.Tretayug
3.Duaparyug
4.Kalyug

According to the religious people it is said that the present period is Kalyug. Where every one is indulged in its own dealings here no one thinks of other one feeling here the people have forgotten their self-respect.
It is said that there is a cycle of 5000 years in which the 4 periods or yug come one by one and when the period kalyug comes the whole of the world got destroyed and again a cycle of 5000 years come. According to the Maya religion which was in Mexico, North-America many years ago predicted that this present is going to complete in 2012 0n the day of Makar Sakranti, yes its true this heart breaking truth was found by an Archeologist in the Maya religious book.

When we sit alone and start thinking about universe or from where we come or how all these things originated we got lost in the sea of questions and theories which are given by the various Scientists about the origin of man. We are sometimes confused also. Our present scientists believe that after some time this earth will not be suitable for the mankind to live so the man to protect mankind has to move some other planet like earth. Is it true, I think so NO because the destroyers of the mankind are the man only we are the only one who are destroying ourselves.

There are certain proofs of that the man is becoming god he can create anything for ex –we have got success in cloning, man can destroy anything ex-each country is having devastating nuclear weapons. Certain projects have been running to stop the hurricanes in America but they are not successful but they have been successful in changing the direction of it. According to the project “Popeye”America used various chemicals to change the road into a mud in the Vietnam War.

Later it was banned by the UNO on 10 December by31/72 rule. Not only this much America had got success in creating artificial storms now at this case they are trying to play with nature and trying to become god. And we all know when the nature become angry the results become devastating; the current examples are the Tsunamis waves in 2004. Above examples shows that the man can have the nature in his hands so he is one of the god and the man is that type of god which is selfish and just think of his own benefits and doesn’t care of others so no longer now we will be the only destroyers of our own mankind with the destructive ideas of man like atom bomb, mixing harmful products in food products to raise his own benefits this all proves that this period is kalyug where every where is evilness every person is a kind of “Ravan” and we know Kalyug is the last period of one cycle so friends the END IS HERE ONLY.

Ayush Mittal

COMMENTS

BLOGGER: 21
  1. वैदिक विज्ञान के अनुसार--मानव की अति-सुखाभिलाषा से नए-नए तत्वों (अपः -तत्वों ---यथा प्लास्टिक) का निर्माण, अति-भौतिकता (सिर्फ़ पञ्च भूत रत) पूर्ण जीवन पद्धति, विलासिता, प्रदूषण, असत-अकर्म,अनाचार से (तत्व, भावना, अहं व ऊर्जा सभी के) सदाचार को भूलने से --देव -प्रकृति, धरती, अन्तरिक्ष, आकाश --त्रस्त होजाते हैं, उस कालरात्रि के आने पर, तब ब्रह्म पुनः संकल्प करता है कि अब में पुनः एक हो जाऊँ।और इस इच्छा के निमिष मात्र में ही लय क्रम प्रारंभ हो जाता है। सब कण, पदार्थ, ऊर्जा के हर रूप, काल व गति ---मूल द्रव्य में --महाविष्णु के नाभि केन्द्र में ---सघन पिंड में---अग्नि देव की दाडों में ( क्रिया शील ऊर्जा में )---अपः तत्व में ---मूल ऊर्जा (आदि माया)---महाकाश में ----हिरन्यगर्भ में ----अव्यक्त ब्रह्म में विलय हो जाता है ।
    ---इस प्रकार प्रलय ,स्रष्टि के अन्त का मानक बनता है,यही आजकल स्थिति बनरही है जैसा आप्के लेख में वर्णित है। परन्तु यह निश्चित नहीं कि यह वही ’कलयुग’ है अन्तिम, क्योंकि चतुर्युगी के भी कई-कई चक्र होते हैं, एक मन्वन्तर मे, कई मन्वन्तरों का एक कल्प होता है। वस्तुतः कल्प के बाद प्रलय या श्रिष्टि का अन्त होता है। ---किसे पता ,यह कल्प का अन्तिम कलयुग है या नहीं, कयास लगाते रहिये।

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  3. स्रष्टि के अन्त व प्रलय का विस्त्रत वर्णन व कारण , इससे पहली पोस्ट "स्रष्टि व जीवन भाग -४" में पढें।

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  4. यह पोस्ट साइंस ब्लागर्स ऐसोसिएशन के ब्लाग पर क्या कर रही है?

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  5. चलिए विनाश में ही नयी सृष्टि के बीज भी छुपे होते हैं.

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  6. A little bit immature post . It is publisher responsibility to check the matter relevancy to science . Irrelevant post should not publish in Science blog

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  7. विज्ञान हम्‍म

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  8. श्याम जी ने स्पष्ट कर दिया है बहुत कुछ ।

    दिनेश जी की बात पर ध्यान दिया जाय ।

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  9. माया सभ्यता की भविष्यवाणी और भय तथा धर्म के कारोबारियों की व्यावसायिक नीतियों ने इस प्रश्न पर चर्चा को प्रासंगिक तो बना ही दिया है, जिसपर विज्ञान जगत को तार्किक हस्तक्षेप करना ही चाहिए (वैज्ञानिक आधार पर). हाँ, आयुष जी से आग्रह करूँगा कि अपनी बात रखने के लिए यथासंभव हिंदी माध्यम का प्रयोग करें, क्योंकि यह हिंदी ब्लौगिंग है, और पाठकों की सुविधा के लिए भी यह ज्यादा उचित होगा.

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  10. अब साईंसदान भी चैनल वालों की तरह से डराने लगे...:)

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  11. क्या हम, कुछ वैज्ञानिकों को इस ब्लाग के साथ नहीं जोड़ सकते। ताकी वो इस पोस्ट पर वैज्ञानिक नज़रिये से टिप्पणि कर सकें

    जहां तक मेरी जानकारी है, मैने कहीं पर सुना था कि युधिष्ठिर का ज़माना आज से करीब 6000 साल पहले का था। जो हमें carbon-dating technique से पता चला था। क्या हमारे पास कोई वैज्ञानिक सोच है, जो इन चार युगों को explain कर सके।

    इस तरह की बातें तो बहुत सुनी हैं के कुछ लोगों ने 21-12-2012 तारीख पहले ही predict कर ली थी। मुझे नहीं लगता कि इस तारीख को कुछ होगा।

    आप सब अपनी राय रखिये, क्या भविष्य को इस तरह से predict किया जा सकता है?

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  12. कुछ सुधी पाठकों ने इस पोस्ट के कंटेंट और इस ब्लॉग पर उसके औचित्य का सटीक बिंदु उठाया है -आशीष अभी अभी ईंटेर की परीक्षा दिए हैं -हम उन्हें मौके दे सकते हैं की भविष्य में थोडा मेहनत कर पोस्ट तैयार कर लिया करेंं ! इन दिनों मुझे खुद ही लग रहा है की यह ब्लॉग मेरे सामर्थ्य से बाहर हो चुका है -ऐसी ऐसी बातें बताईं जा रही हैं की भारत को अब विश्व विजय से कोई रोक नहीं सकता -बहरहाल यह साईंस ब्लॉगर असोसियेशन प्राच्य संस्कृति की गोद में पल बढ़ रहा है तो यह तो बर्दाश्त करना होगा -प्लीज बीयर विथ मी !

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  13. आशीष जी को मौका ज़रूर दिया जाना चाहिए लेकिन पोस्ट यदि हिंदी में भी होती तो बेहतर होता. सृष्टि के अंत की बातें हर सभ्यता और संस्कृति में बहुतायत में मिलती हैं और उन्हें केवल अटकलबाजी मानना पर्याप्त होगा. ब्रम्हांड १३ अरब सालों से और पृथ्वी ५०० करोड़ सालों से अस्तित्व में है और इस विराट टाइमलाइन को देखें तो निकट भविष्य में इसे कोई खतरा नहीं है. दुनिया के ख़त्म होने की बातें बहुत से लोगों में घातक विचारों को जन्म देती हैं और उन्हें सार्वजनिक करना ठीक न होगा.

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  14. Yeah! gradually we are moving towards destruction & reason we are. sometimes I think we all knows the reason and also knows the cure but no one want to initiate and improve oneself.

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  15. रवि, धन्य्वाद.वास्तव में हम हर बात मे युक्ति युक्त न सोच्कर , अति रन्ज़ित होजाते हैं ओर तर्कयुक्तता क्षीण होजाती है। फ़िर हमारी द्रष्टि एकान्गी होजाती है और पक्षपात पूर्ण ।
    सही कहा, यदि श्रष्टि का अन्त होता है तो कोई क्या कर लेगा,या करने को बचेगा ,और नहीं होता है तो क्या? यह प्रश्न ही व्यर्थ की कवायद है, टी वी वालों का क्या है,उन्हें तो दिन भर निकालना ही है, धन्धेपानी का सवाल जो है। अब माइकल जेक्सन की आत्मा का पोस्ट-मार्टम करते रहेंगे।

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  16. heloo to all the readers,,,
    it seems that most of the reader have objection on my article and its content and even some of them say that it is not realted to science.. i would like to say one thing to them that everything in this universe from sleeping to talking is realted with science that is like a basic instinct you cant escape........
    regarding the content of the article it is 100% true precisely taken from a very reliable source.the article is not a way to make people fear but it is there to make them realize the truth nothing is jingle out there...

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  17. everybody just criticized the article instead of it none tried to get the main reason for witting it. it was written to show that how the mankind is killing himself only by their own hands i just wanted to realize the truth and no wanted to make somebody fear.
    special theories are not accepted easily even when the great mind NEWTON proposed the the theory of a solar system which was rejected by the christian community worldwide and his work was condemned but after years everyone realized it was the truth

    if still some one wants to have a discussion on it they may contact on my email id i would love to answer any type of question

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  18. शायद मेरी बात बहुतों को अच्छी न लगे पर आप किसे कलियुग और सतयुग कह सकते हैं क्या सत्य युग मैं कभी सुख था??
    राम राज्य मैं कोन सुखी था बताइये !! प्रजा को अपने प्रिय राजा का वियोग सहना पडा १४ वर्ष !! वियोग से पहले आंतकवादी रावण ने कभी सुखी रहने नहीं दिया ऋषियों पर अत्याचार !! वनवास जा कर राम को चैन नहीं !! सीता माता को दुस्ट ने kidnap किया!! फिर किस विधि से रावण को मारा विभीषण की सहायता से !! अगर रावण वध ही करना था तो सीधा सीधी चढाई कर देते!! फिर सीता माता !!! बेचारी उस जमाने मैं भी अत्याचार का शिकार हुई एक छोटे से धोबी के कहने पर फिर वनवास !! क्या सतयुग मैं यही विश्वास था पति पत्नी के रिश्तों मैं !! आज अगर ऐसी कोई kidnap की घटना हो भी जाती है तो डॉक्टरी सहायता से पवित्रता देखि जा सकती है !! कलियुग कोनसा था !! हाँ अगर पोलुशन, और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई,और बढ़ती जनसंख्या को कलियुग का नाम दे रहें है तो फिर सही है!!

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  19. आयूष बहस के लिये आमन्त्रित कर रहे हैं आर्ट्कल में आपका अपना क्या है? आप्ने तो एक समाचार को ही सुनाया है,वह भी कब की विनष्ट इन्का सभ्यता का।इसे सत्य कहने का कोई भी आधार नहीं है यह बात विग्यान की बजाय धार्मिक विश्वास के अनुसार है ,न कि विग्यान सम्मत, बहस किस पर किया जाय?
    वे अभी इन्टर भी पास नहीं उनके कन्सेप्ट अभी बन रहे हैं। उनकी पोस्ट को समाचार ही समझा जाय।और एक ज़िग्यासु छात्र का सुरुचिपूर्ण भाव।
    हां,श्रष्टि, प्रलय, जीवन के बारे में आगे जानना चाहते है-आधुनिक विग्यान सम्मत व अन्य मत, तो मेरे ब्लोग --The world of my thoughts...shyam smriti(http://shyamthot.blogspot.com ) पर आयें। ज़ाकिर जी तो वाक-आउट कर गये, उन्हें इस पोस्ट में भारतीयता की गन्ध आने लगी थी, और भारत का विग्यान से क्या लेना-देना।

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  20. I read this article completely regarding the resemblance of latest and earlier technologies, it's remarkable article.

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- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. N. Pandey,1,Dr. shyam gupta,1,Dr.G.D.Pradeep,9,Drug resistance,1,earth,28,Earthquake,5,Einstein,1,energy,1,Equinox,1,eve donation,1,Experiments,1,Facebook Causes Eating Disorders,1,faith healing and science,1,fastest computer,1,fibonacci,1,Film colourization Technique,1,Food Poisoning,1,formers societe,1,gauraiya,1,Genetics Laboratory,1,Ghagh,1,gigsflops,1,God And Science,1,golden number,2,golden ratio,2,guest article,9,guinea pig,1,Have eggs to stay alert at work,1,Health,70,Health and Food,14,Health and Fruits,1,Heart Attack,1,Heel Stone,1,Hindi Children's Science Fiction,1,HIV Aids,1,Human Induced Seismicity,1,Hydrogen Power,1,hyzine,1,hyzinomania,1,identification technology,2,IIT,2,Illusion,2,immortality,2,indian astronomy,1,influenza A (H1N1) virus,1,Innovative Physics,1,ins arihant,1,Instant Hip Hain Relief,1,International Conference,1,International Year of Biodiversity,1,invention,5,inventions,30,ISC,2,Izhar Asar,1,Jafar Al Sadiq,1,Jansatta,1,japan tsunami nature culture,1,Kshaya 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क्‍या यह श्रृष्टि का अंत है? IS THE END HERE?
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