ज्योतिष का खेल : हेड या टेल !

ज्योतिष , विज्ञान और अन्धविश्वास पर चर्चा के कई दौर चल रहे हैं। इनकी प्रासंगिकता और सार्थकता पर चिर काल से जारी यह बहस ...


ज्योतिष , विज्ञान और अन्धविश्वास पर चर्चा के कई दौर चल रहे हैं। इनकी प्रासंगिकता और सार्थकता पर चिर काल से जारी यह बहस किसी निर्णायक पड़ाव पर कब पहुँचेगी कहा नहीं जा सकता। ज्योतिष और विज्ञान द्वारा एक - दुसरे को आजमाने की कशमकश भी सदा से चलती आ रही है। पिछले दिनों विज्ञान जर्नल 'Current science' ( Vol। 96, no. 5, 10 March, 2009) के पन्ने पलटते हुए एक लेख पर आँखें अटक गयीं, और इस पोस्ट के लिए प्रेरित किया।


इस पोस्ट का उद्देश्य विज्ञान द्वारा ज्योतिष की सार्थकता को आजमाने के एक प्रयोग की चर्चा करना है। संभव है किसी अन्य वेबसाइट या ब्लॉग जैसे माध्यमों पर भी इस प्रयोग की चर्चा की गई हो, मगर इस ब्लॉग का जो पाठक वर्ग और प्रभाव क्षेत्र है, वहां तक भी इस प्रयोग की चर्चा पहुँचाने का प्रयास इस पोस्ट के माध्यम से कर रहा हूँ।

श्री जयंत वि. नार्लीकर इस देश के एक सुप्रसिद्ध खगोल विज्ञानी हैं। ज्योतिष के एक विज्ञान होने के प्रश्न का उत्तर तलाशने के लिए उन्होंने अपनी टीम के साथ एक प्रयोग आयोजित किया। अक्सर ज्योतिषियों द्वारा कुंडली के आधार पर किसी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता के निर्धारण के दावे किये जाते रहे हैं। उन्होंने इस दावे को ही वैज्ञानिक कसौटी पर कसने का निर्णय लिया।

इस प्रयोग के लिए विभिन्न विद्यालयों के 200 बच्चों का चयन किया गया, जो दो विभिन्न वर्ग के थे । पहला वर्ग (A) उन 100 बच्चों का था जिन्हें मेधावी या मानसिक रूप से मजबूत बच्चों की श्रेणी में रखा जा सकता है. इसकी पुष्टि विद्यालय के रिकॉर्ड तथा शिक्षकों द्वारा भी की गई थी। दूसरा ग्रुप उन 100 बच्चों का था जिन्हें मंदबुद्धि बच्चों की श्रेणी में लिया जा सकता है - इन्हें ऐसे बच्चों के लिए विशेष रूप से संचालित विद्यालयों से चुना गया था। इन बच्चों के अभिभावकों से इनके जन्म संबंधी विस्तृत प्रमाणिक जानकारियां संकलित कर ली गयीं, जिनके आधार पर इनकी जन्मकुण्डलियाँ (Birth Chart ) प्राप्त की जातीं। इस श्रमसाध्य कार्य के सञ्चालन में 'अंधश्रद्धा निवारण समिती, सतारा ' के स्वयसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसके बाद एक विशेष सोफ्टवेयर की सहायता से इनकी जन्मकुण्डलियाँ तैयार करवाई गयीं।

उपलब्ध डाटा की कोडिंग कर दी गई, ताकि प्रयोगकर्ता तथा प्रयोग में शामिल होने वाले प्रतिभागी सभी इनके मूल स्रोत से अनभिज्ञ रहे; साथ ही संकलित डाटा तथा इनके संकेतों (Codes) को सांख्यिकी विभाग, पुणे वि. वि. के निरीक्षण में सौंप दिया गया।

विज्ञान की सार्थकता उसकी कुछ न्यूनतम अवधारणाओं पर खरा उतरने में ही है, और इस के लिए उस का कुछ परीक्षणों से गुजरना अपरिहार्य है। इसीलिए ज्योतिष को विज्ञान बताने का दावा करनेवाले ज्योतिषियों को भी ऐसे परीक्षणों के लिए सहर्ष प्रस्तुत रहना चाहिए था।

इसी उद्देश्य से प्रेस कांफ्रेंस आदि सूचना माध्यमों से ज्योतिष की प्रैक्टिस कर रहे व्यक्तियों को इस प्रयोग में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया। इस प्रयोग की क्रियाविधी भी स्पष्ट की गई, जिस में हर प्रतिभागी को 200 केसों में से याद्रिक्षिक रूप से चयनित 40 केस दिए जाने थे और प्रतिभागियों को उन्हें अपने ज्योतिषीय अध्ययन के द्वारा 'A' या 'B' वर्ग में विभाजित करना था। ज्योतिषीय संस्थानों को भी इस प्रयोग से जुड़ने हेतु आमंत्रित किया गया।

प्रयोग की उद्घोषणा के बाद ज्योतिषीयों की प्रतिक्रिया मिश्रित थी। जहाँ कुछ इसे चुनौती के रूप में लेने को तैयार थे, कुछ इसमें अपनी सुविधानुसार अतिरिक्त शर्तें जुडवाने को इच्छुक थे; वहीँ कुछ ज्योतिषी तो इस प्रयोग के बहिष्कार तक के पक्ष में थे।

हालाँकि कुछ प्रतिष्ठित ज्योतिषियों ने इस प्रयोग से स्वयं को दूर ही रखा, किन्तु अंततः 51 ज्योतिषियों ने प्रयोग में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की और उन्हें निर्धारित सेट्स भेज दिए गए। इनमें से भी मात्र 27 ने ही प्रत्युत्तर भेजे। उनमें से भी सिर्फ एक ही ज्योतिषी ऐसे थे जिन्होंने 40 में 24 हल निकलने का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (!) किया। सभी प्रतिभागियों की औसत सफलता 17.25 थी जो कि एक सिक्के के इतने ही हेड -टेल की संभावित से भी कम थी। अन्य सांख्यिकीय आंकडों के परिप्रेक्ष्य में भी यह सफलता दर मानक दर से कम ही थी।

इस प्रयोग के निष्कर्ष के रूप में यही तथ्य उभर कर आया कि इस तरह के ज्योतिषीय अनुमान सिक्कों की उछाल से ज्यादा विश्वसनीय नहीं हैं।

प्रयोग की सफलता - असफलता , दावे-प्रतिदावे अपनी जगह, मगर यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि ज्योतिषियों के अन्य पूर्वानुमानों को भी अंधश्रद्धा न रखते हुए वैज्ञानिक और तार्किक कसौटी पर यथासंभव कसा जाना चाहिए; यह इसकी विश्वसनीयता के हित में भी है। विज्ञानजगत द्वारा ज्योतिष की वैज्ञानिकता पर उठाये जाने वाले सवालों का प्रत्युत्तर वैज्ञानिक पद्धति से देने के लिए ज्योतिष के कर्णधारों को भी आगे आना चाहिए और विज्ञान व आस्था के मध्य झूलती आम जनता की शंका का समाधान किया जाना चाहिए।
अभिषेक मिश्र
 
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COMMENTS

BLOGGER: 45
  1. एसे ही किसी अध्ययन कि बात मेंने अपनी पिछली टिप्पणी पर की थी... ज्योतिष को प्रायिकता के आधार पर जांचा जाय संभावनाओ के शास्त्र के रुप में..

    वैसे 17.25 से मुझॆ एक और ख्याल आया.. ज्योतिष जो कहे उसके न होने की संभावना ज्यादा है.. मतलब वो जो कहते है उसका उल्टा कहे तो उसके होने कि संभावना ८२.७५ हुई..not bad..:)

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  2. बात खरी है मगर मरता क्या ना करता वाली बात है।ज्योतिष्य के फ़ेर मे पड़ने वाले अक्सर हर तरफ़ से हार कर या निराश लोग होते है जो एक चांस लेने का रिस्क लेते हैं।ठीक उसी तरह जैसे असाध्य रोगी को उसके परिजन इस डाक्टर से उस डाक्टर और अंत मे मुम्बई,दिल्ली या अपने शहर से बडे शहर ले जाते हैं।और एक बात ये है कि इसकी माऊथ पब्लिसिटी भूत-प्रेत के किस्सो से भी ज्यादा तेज होती है।वे साढे सत्रह % लोग अगर इसका प्रचार शुरू कर दे तो आप समझ सकते है उसका स्थापित होना कितना आसान है।

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  3. shayad kabhi na khatam honewali charcha hai,magar bahut hi achha lekh,ab vishwas karna ya na karna ye apne apne anubhav par nirbhar hai.

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  4. इस प्रयोग के निष्कर्ष के रूप में यही तथ्य उभर कर आया कि इस तरह के ज्योतिषीय अनुमान सिक्कों की उछाल से ज्यादा विश्वसनीय नहीं हैं।...
    ज्योतिष पर यकीन करनें वालों के लिए आपका यह निष्कर्ष सनसनीखेज है,लेकिन यह वैज्ञानिक द्वारा प्रमाणित हैं इस लिए इसे मानना तो पडेगा ही .

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  5. अब इस प्रकार की बहस में मुझे नहीं उलझना .. ज्‍योतिष के खेल को हेड और टेल साबित कर लिया गया .. इसके लिए वैज्ञानिकों को बहुत बहुत बधाई !!

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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    2. Anonymous जी ....वशिष्ठ ने राज्याभिषेक का अच्छा मुहूर्त समय निकाला था.... न कि राम का निश्चय ही राज्याभिषेक होगा का .. जो घटनाएं तत्पश्चात हुईं वे राम के भाग्येश के कारण हुईं ...
      --- यही अंतर है सामान्य समझ एवं ज्योतिष के तात्विक समझ में ....हेड या टेल तो सभी वैज्ञानिक-खोजों व तथ्यों में भी रहती है...आज की मौसम विभाग की पूर्व-सूचनाओं को ही आप देख रहे हैं प्रतिदिन कितनी सच निकलती हैं .... इसी प्रकार ज्योतिष भी है ...
      -----वह ज्योतिष तो स्थापित विद्या है ही आप क्या स्थापित करेंगे....
      --अतः...सत्य यही है कि ..मनुष्य को अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिए ...भाग्य पर नहीं ... जो निश्चित है ..जिसे आप बदल नहीं सकते उसे जानकार करना भी क्या ...

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  6. इसे कहते हैं दूध का दूध और पानी का पानी।

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    1. है किसी की हिम्मत जो दूध व पानी को अलग करके दिखाए...

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  7. बुरा मत मानिएगा-

    इसे मैं कहूंगा --- ज्‍योतिष ब्‍लॉ ब्‍लॉ ब्‍लॉ...

    जिन्‍हें टांग पूंछ ही पता नहीं है वे चर्चा किए जा रहे हैं।

    वाह, लगे रहिए। कुछ कमेंट और पोस्‍ट का मसाला मिलता रहेगा।


    बिना मांगे एक सलाह देता हूं। थोड़ा बहुत ज्‍योतिष पढ़ लीजिए। पहला काम तो यह होगा कि आपके दिमाग की कुंठा निकल जाएगी। बाकी बातें उसके बाद ही करते हैं। :)

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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  8. खैर जो भी हो ज्योतिष विद्या का तो पुरे संसार में बोलबाला है !! सच हो या तुक्का मनुष्य इस पर विस्वास करते हैं |

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  9. वैज्ञानिक टीम ने प्रशंसनीय कार्य किया है -क्या अब भी हम फलित पर विश्वास करते रहेगें ?

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  10. इस प्रयोग का बडा महत्व है ,इसका महत्व ज्योतिष के लिये तो उतना नही है जितना ज्योतिषियो के लिये है । अगर ऎसा ही रहा तो ज्योतिष का भविष्य अन्धकार मे है , यह अत्य्ंत शर्मनाक है कि ज्योतिषी लोग कोइ भी चुनौती स्वीकार नही करते ऎसे तो वह अपने ही पैर पर कुल्हाडी मार रहे है ,अपनी ही विद्या का अनादर कर रहे है , अगर वे डर रहे है तो सीधा सा मतलब है कि उनका ज्योतिष इक छलावा है और वे ढोंगी । इस प्रयोग का परिणाम क्या हुआ यह महत्वपूर्ण नही है , विज्ञांन भी पहले बहुत हारा है आज भी हारता है पर हर हार से सबक लेता है और आगे बढता है , वैज्ञानिक डरते नही है क्युंकि उन्हे झूठ को सच नही बनाना है , सच से सच को निकालना है , अगर ज्योतिषी सच के साथ खडा होगा तो उसका भी भला होगा और ज्योतिष भी आगे बढेगा । इतिहास बताता है कि बौद्ध धर्म जैसा संतुलित , कर्म कांड विहीन , शुद्ध धर्म पहले ना था ( यद्यपि ये सनातन धर्म से ही उद्द्त है )लेकिन आज हमे पता है कि इसकी निषेधात्मकता और इसके अनुयायियो की इसीप्रकार की भीरुता ने इसकी क्या दशा कर दी...ज्योतिष भी उसी राह पर है ।

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  11. यह लेख और इसके निष्कर्ष मेरे स्वयं के नहीं, बल्कि मेरा प्रयास सिर्फ इस विषय से जुड़े एक प्रयोग से अधिकाधिक लोगों को अवगत कराना और इस चर्चा को आगे बढ़ाना था.

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  12. इसे कहते हैं दूध का दूध और पानी का पानी।

    @जाकिर जी, यहाँ तो दूध भी आपका है ओर पानी भी। जितना चाहे मिलाते रहिए ओर घर बैठे अपने मनमाफिक नतीजे निकालते रहिए।

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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    2. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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  13. मैं तो कहूँगा, कि हम में से कोई एक बार ज्योतिष पढ़ क्यों नहीं लेता

    और खुद ही क्यों चेक नहीं कर लेता

    वैसे इसमें चेक करने जैसी अब कोई बात रह तो नहीं गयी।

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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  14. इस से सम्बन्धित आलेख मैने संगीता जी के ब्लाग पर भी पढा था और उनका ये सवाल वाज़िब था कि जितना बजट विग्यान पर खर्छ हुआ है क्या उतना ज्योतिश पर ्रीसर्च् के लिये हुआ है प्रतिस्पर्धा तो दो समान घट्कों मे ही होनी चाहिये एक विश्य को केवल पोन्गा पब्डितों के आसरे छोड रखा है और दूसरे पर अरबों खर्बों रुपये खर्च कर उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों पर है इस लिये पहले ज्योतिश को भी रिसर्च के घेरे मे लाया जाये तब प्रतिस्पर्धा की बात की जाये दूसरा भारत के वेद उपनिष्द का लोहा दुनिया मानती है इस लिये ये ज्योतिश गलत नहीं हो सकता मगर गलत हाथों मे पड कर इसका स्वरूप जरूर बिगड गया है ऐसे संसथानो और सरकार को चाहिये कि ज्योति्श और साईस को बराबर स्तर पर लाने के लिये प्रयास करे तो स्थिती अपने आप सामने आ जायेगी दुख है कि हमारे रिशी मुनियों दुआरा किया गया श्रम कुछ गलत लोगों के हाथों बरबाद हो रहा है जो हमारी संस्कृिति को नष्ट कर देना चाहते हैं आभार्

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  15. @सिद्धार्थ जी ,
    विज्ञान और इसकी पद्धति के विरोध का अपना एक दुखद इतिहास रहा है -कई विद्वानों को विषपान करना पड़ा -सत्य की रक्षा के खातिर शूली पर चढ़ जाना हुआ -फलित ज्योतिष में आज भी सूर्य एक ग्रह है -इसने अपने स्वरुप में बदलाव नहीं किये जबकि दुनिया कहाँ की कहाँ पहुच गयी -यह आज भी राहू और केतु को पाले हुए है -ग्रहण के मूहूर्त देखती हैं !

    मैं उन लोगों को अपराधी मानता हूँ जो सच्चाई को जानते हुए भी लोगों को गुमराह करते हैं -फलित के नाम पर अपना पेट पालते हैं ! फलित ज्योतिष को प्राचीन भारत में भी बहुत हेय दृष्टि से देखा जाता था ! विज्ञान ही नहीं दर्शन शास्त्र भी इसे नीही नजरो से देखता है ! प्राचीन भारत में निसंदेह गणित और ज्योतिष का अतुलनीय विकास हुआ -हमने दशमलव पद्धति और शून्य का आविष्कार किया मगर एक अप्रिय परिणति के रूप में फलित ज्योतिष का विकास हुआ और राजाओं ने युद्ध आदि की आशंकाओं ,हार जीत के अनुमानों के लिए राज ज्योतिषियों को नियुक्त किया -राजाश्रय पाकर यह अविद्या फैलती गयी और आज यह आलम है की इसने कितने ही लोगों को भाग्यवादी बनाकर दिशाहीन कर रखा है !
    प्रश्नों के सटीक उत्तर के लिए जरूरी है की वे भी सही हों -आप के प्रश्न अतने अस्पष्ट की उनका उत्तर देना संभव ही ही नहीं है !
    यह सही है की विज्ञान में अंतिम सत्य कुछ नहीं होता -यहाँ गुरुडम नहीं है -मगर इसके निष्कर्षों की काट भी इसी की दी हुयी पद्धति से की जा सकती है -नार्लीकर और उनकी टीम ने फलित को बकवास घोषित किया है तो एक पद्धति को अपना आकार जिसे दुनियाभर में मान्यता मिली हुयी है ! आप को उसका खंडन करना है तो उसी तरीके से अध्ययन करके अपनी निष्पत्ति से अवगत कराएँ -हम इंतज़ार करेगें !

    अगर आप लोग इतने भोले हैं की अभी भी यही समझते हैं की फलित एक विज्ञान है तो क्या कहा जा सकता सिवाय इसके की वह परम सत्य आप लोगों को सदबुद्धि दे जिससे मानवता को और हानि न उठानी पड़े !

    साईंस ब्लागर असोशिएशन विज्ञान संचार के साथ ही अंधविश्वासों के मूलोछेदन के लिए कटिबद्ध है और बिना डिगे अहर्निश अपना काम करता रहेगा ! फलित ज्योतिष के बारह खानों का खेल बच्चों को बताईये -राशियों और ग्रहों को उन खानों में बैठाने की अंकगणित वे बड़े वे बड़े चाव से समझेंगें ! कुण्डली पी सी की की बोर्ड पर चंद उँगलियों के फिराने से जब मिल जा रही है तो उके लिए मानव का महान ब्रेन क्यों बर्बाद किया जाय ?

    मैं पूरी विनम्रता और आपके प्रति सम्मान के साथ कहता हूँ की यदि और कुछ सेवा न कर सकें तो कम से कम मानवता को गुमराह तो मत ही करें !

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

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    2. "यह सही है की विज्ञान में अंतिम सत्य कुछ नहीं होता -यहाँ गुरुडम नहीं है" ...
      ------ये आपसे किसने कह दिया अरविन्द जी....तमाम गुरु लोग अपने शिष्यों के विचार, शोध अपने नाम कर लेते हैं ...तमाम शोध बाद में झूठे व असत्य एवं भ्रामक और जानबूझ कर बनाए हुए निकले हैं....
      --- बोस का आविष्कार मारकोनी के नाम ..क्या ये गुरुडम नहीं ...
      ---- अंतिम सत्य तो कुछ होता ही नहीं है सिवाय वेदान्त के ब्रह्म के ..वहाँ भी है..नेति ..नेति..

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  16. ज्योतिष को इस तरह विज्ञान की कसौटी पर परखना एक अच्छा प्रयास है. इस तरह से ज्योतिष की सार्थकता का अनुमान एक हद तक हो जाएगा.लेकिन २७ या ५१ ज्योतिषियों (जिनके ज्योतिष ज्ञान के स्तर का कोई उल्लेख इस पोस्ट में नहीं है) का सेम्पल परीक्षण कर किसी निष्कर्ष पर पहुँचना उचित नहीं.मौसम विज्ञानियों की भविष्यवाणियाँ प्रायः गलत निकलती हैं. क्या मौसम विज्ञान को भी गलत माना जाए.

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  17. Science Has Proof Without Any Certainty
    Creationists Have Certaintity With Any Proof
    Ashley Montaque

    Faith Is An Act Of A Finite Who IS Grasped By Infinite
    Paul Tillich

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  18. आदर्णीय नार्लीकर जी ने जब यह निष्कर्श निकाल लिया था तो पूरी तरह से जोर शोर से जनता में ,विश्व में फ़ैलाया क्यों नहीं गया? इतने वर्षों बाद भी आज भारत नहीं सारे विश्व भर में ज्योतिष का बोल बाला है, क्यों???
    इसका सीधा अर्थ है कि किसी ने उस प्रयोग को कोई खास मान्यता नहीं दी। वस्तुत इस प्रयोग का कोई अर्थ ही नहीं है,जाने वे कौन ज्योतिेषी थे,ओर कम्पुटर कौन सा सही गणना कर सकता है, रोज रोज तो मौसम विग्यानी फ़ेल होते है ।
    वही करें जो सिदधार्थ व योगेश ने कहा।

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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  19. Swami Vivekanand once said, "Even if there are 1000 false immitations, there would be some truth somewhere...".

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  20. भारत से अन्यथा क्या किसी विदेशी वैग्यानिक ने,विदेश में, ये प्रयोग किये हैं तो उन्हें भी ढूढ कर लायाजाय, देखें किसमे कितना है दम??

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  21. I am also agreed with Dr. shyam gupta. I have 4 computer generated kundali of mine by two different versions of two best selling software having different calculations.

    Also it is written that "famous" astrologers kept themselves apart. Still one of the astrologer gave 24 right answers out of 40. I wonder what would be the result if top-notch astrologers were part of that experiment.

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    1. सादर निवेदन है कि इसी ज्योतिष कि आधार पर ब्रह्मर्षी वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का मुहुर्त निकाला था 'राज्याभिषेक" तो हुआ नही बाकी क्या क्या हुआ इस पर तो आप विश्वाश करते ही होंगे।

      प्रत्येक ज्योतिषी के लिये एक खुला आफ़र है लगभग 70,00,000 रुपये का जेन्स रैण्डि डाट काम पर जाइये और जीत लाइये और फ़लित ज्योतिष की को स्थापित कर दीजिये।

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  22. Opposing culprits who do unscrupulous job by fooling people is a noble work.

    Opposing the discipline by trying to prove it wrong is waste of time and nothing else.

    Has not anyone herd about some doctors fooling people and trying to take benefit?

    Whats is the solution in that case? Oppose medical science?

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  23. ओर अरविन्द मिस्रा जी, मानवता ओर सन्सार ने जितनी हानि विग्यान के कारण उठाई है उतनी ज्योतिष के कारण नहीं, जपान की त्राषदी,आज पोल्ल्युसन, आसमान में छेद,मानवता की हानि, पर्यावरणप्रदूषण,समस्याऎ विग्यान की हैं न कि ज्योतिष की।
    क्या वे अपराधी नहीं है जो आज सूर्य ग्रहण देखने -दिखाने के लिये धन्धेबाजी पर उतर आये हैं, विमान कम्पनी, टी वी, सरकार,टिकट खरीदने वाले जो देश का धन बर्वाद कर रहे हैं,शौक के लिये???
    हमारे देश में तो कोई शूली पर नहीं चढा,क्योंकि सब कुछ विग्यान से ही सन्चालित होता था ,ये सब घटनायॆं अग्यानी देशों की हैं। जो अब विग्यान को समझ पाये हैं।
    आप को इतिहास का पूरा ग्यान नहीं है, यदि प्राचीन भारत में फ़लित ज्योतिष को बुरा मानते तो चक्रवर्ती राजा महराजा लोग नक्षत्र शालायें नही बनवाते, अपितु यह एक समुचित शास्त्र था।
    पी सी भी मानव के महान ब्रेन से ही बनता है, यूं ही नहीं,क्या आप नहीं जानते? यदि ज्योतिष बेकार है तो कम्प्युतर में डालने की क्या आवश्यकता है?बस्तुतः आप लोग ज्योतिष व ज्योतिषियों के काले पक्ष ( अन्य विधाओं की तरह)को प्रकाश में न लाकर ,ना जानकारी की वज़ह से जनता को गुमराह कर रहे हैं।

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  24. Dr. shyam gupta
    .मैं आप जैसा वेल रेड नहीं -कृपा करभारत रत्न डॉ . पी वी काणे की पुस्तक धर्मशास्त्र का इतिहास -चतुर्थ भाग का पृष्ठ संख्या २६९(प्रथम संकरण १९७३ ) हिन्दी समिति लखनऊ देखें -यह पुस्तक आपको लखनऊ के हिन्दी संस्थान में मिल जायेगी और आपके संग्रह में होनी ही चाहिए !
    " हमने यह देख लिया है की किस प्रकार आकाश निरीक्षक एवं गणक हेय दृष्टि से देखे जाने लगे थे और धन के लिए फलित ज्योतिष कहने वाले ब्राह्मण अयोग्य ठहरा दिए गए थे ! "
    और भी बहुत कुछ लिखा है काणे ने मगर यह आप पर छोड़ रहा हूँ की आप सरीखे लोग जिन्होंने भारतीय ज्ञान के साथ बहुत अत्याचार कर रखा है और उसकी ऐसी की तैसी किये बैठे हैं अपने अध्ययन को दुरुस्त करें !

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  25. "Seek first to understand and, Then to be understood"

    Habit 5 out of "7 habits of highly effective people"

    I pledge everyone to follow this habit if at all they are serious about solving this issue. I know it's difficult but in my opinion it's the only way.

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  26. कोइ "ज्योतिष" शब्द का सही सही अर्थ बता सकता है ?

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    1. ज्योति:+इष्= ज्योति की इच्छा

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  27. Sach ko sweekaarna mushkil hota hai, chahe ve waigyanik hon, chahe Jyotishi & chahe unke samarthak. Par Satya to Satya hi hota hai.

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    1. और सत्य हैं क्या ???

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  28. १९७३ में लिखा गया --हमने यह देख्लिया है---काणे ने कब देखा ,किस काल का वर्णन वो कर रहे हैं? अन्ग्रेगी काल, गुलामी काल का?,भारतीय शास्त्रों के बर्वादी के काल का ,कुप्रचार के काल का,या सोची समझी चाल के साथ भारत के विरुद्ध प्रचार के काल का ---कब समझें गे आप लोग??
    और ये टिप्पणियां आप छाप ही नहीं रहे ,( पिछली ३ टिप्पणिंयां ?????) कैसा अन्ध्विश्वास (या विश्वास् )मिटा रहे हैं?यह?

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  29. Gupta ji, Aapko baar baar bataya gaya hai ki Tippadiyon me koi modration nahi laga hai, jo bhi dikkata hai, wo network ki hai.

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  30. This is for the people who they are in confusion and discussing about Astrology whether it is fact or bogus.
    -----------------------------------------------The effects Of stars are ultimate truth and absolute. Rules for calculating those effects are compromised and belief . Truth and absolute can't be neglected and compromises can't become absolute and true. So ultimately there is only one truth that is truth can not be doubted and the things are already compromised should not be discussed because both will never lead to any conclusion. Apart from this fact the astrological rules had been discussed several times already in the last five thousand years but never reached On any certain conclusion and always remained the matter of belief. There were never any firm denial of planetary effects too.
    However why wasting time and energy in discussing something known and cleare. Many of the peoples claim astrology is false but never denied the planetary effects and those who believed astrology were always unable to explain the basic mechanism behind astrological rules.
    So it is better to accept the both facts that is one can't be denied because it is truth and another never become truth because it is compromised.
    I think it is better to leave the decision on individual belief until unless both are unable to prove their claim instead of talking only against without any Prof.
    One Who claims astrology as bogus must prove the subject that planets have no any effects on humanity and those who believes astrology is perfect, they must try to find the real mechanism behind astrological rules.
    I personally believe in astrology and already working to find the mechanism behind planetary effects on human. Some of my findings may help others who are willing to re-defining this universal laws of nature.
    http://tinyurl.com/vastro
    Regards.

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  31. ----सही कहा अच्छा कहा प्रसून जी.. जब सूर्य का प्रभाव सारे जहां पर पडता है( विज्ञान भी मानता है ) तो सूर्य से भी बड़े बड़े नक्षत्रों-तारों( विज्ञान भी मानता है) का प्रभाव क्यों नहीं पडेगा ...

    वैदिक ..कथन--सूर्य:जगतस्थु आत्माः---में सूर्य का अर्थ सभी तारामंडल से है...

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- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. 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Pandey,1,Dr. shyam gupta,1,Dr.G.D.Pradeep,9,Drug resistance,1,earth,28,Earthquake,5,Einstein,1,energy,1,Equinox,1,eve donation,1,Experiments,1,Facebook Causes Eating Disorders,1,faith healing and science,1,fastest computer,1,fibonacci,1,Film colourization Technique,1,Food Poisoning,1,formers societe,1,gauraiya,1,Genetics Laboratory,1,Ghagh,1,gigsflops,1,God And Science,1,golden number,2,golden ratio,2,guest article,9,guinea pig,1,Have eggs to stay alert at work,1,Health,70,Health and Food,14,Health and Fruits,1,Heart Attack,1,Heel Stone,1,Hindi Children's Science Fiction,1,HIV Aids,1,Human Induced Seismicity,1,Hydrogen Power,1,hyzine,1,hyzinomania,1,identification technology,2,IIT,2,Illusion,2,immortality,2,indian astronomy,1,influenza A (H1N1) virus,1,Innovative Physics,1,ins arihant,1,Instant Hip Hain Relief,1,International Conference,1,International Year of Biodiversity,1,invention,5,inventions,30,ISC,2,Izhar Asar,1,Jafar Al Sadiq,1,Jansatta,1,japan tsunami nature culture,1,Kshaya 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