पैराशूट के बारे में सोचते ही क्लोरोमिंट का विज्ञापन याद आ जाता है ...और वह देखते हो सोच शुरु हो जाती है कि आखिर यह अनूठा अविष्कार किसने सोच...
पैराशूट के बारे में सोचते ही क्लोरोमिंट का विज्ञापन याद आ जाता है ...और वह देखते हो सोच शुरु हो जाती है कि आखिर यह अनूठा अविष्कार किसने सोचा होगा ....आज इसके बिना वायुसेना का कोई भी विमान चालक पेराशूट के बिना विमान में सवार नहीं होता है पर यात्री विमानों में यान चालकों के लिए पैराशूट का उपयोग करना मना है|
कहते हैं सबसे पहला पैराशूट इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ल्युनार्दो दसी ने आज से लगभग ५०० पूर्व बनाया था ..बहुत से लोगों ने इस में सुधार किये और कई नए डिजाइन के पैराशूट बनाए | १७८३ में एक फ्रांसीसी डाक्टर स्वास्तिन लनारमां ने लकडी के ढाँचे पर कपडा डाल कर पैराशूट बनाया और इसके द्वारा एक ऊँची ईमारत से छलांग लगाई जिसको देख कर लोग हैरान रह गए |
सन १७९७ में एक अन्य फ्रांसीसी आंद्रे गार्निरन ने हवा में उड़ते हुए गुबारे पर से पैराशूट के द्वारा छलांग लगाने का प्रदर्शन किया | यह कारनामा पैरिस के हजारों लोगो ने देखा .जब गार्निरन का गुब्बारा ३००० फुट की ऊंचाई पर पहुंचा तो वह रस्सी काट दी गयी जिस से पैराशूट गुब्बारे के साथ बंधा हुआ था| रस्सी के कटते ही पैराशूट तेजी से धरती की और आया यह भयानक दृश्य देख कर बहुत से कमजोर लोग के स्त्री पुरुष बेहोश हो गए | लोगों का विचार था कि गार्निरन का पैराशूट नीचे गिर जाएगा और उसकी हड्डी पसली एक हो जायेगी ,,पर जैसे ही पैराशूट में हवा भरी वह धीरे धीरे धीमी गति से नीचे उतर आया |
२४ जुलाई १८३७ को राबर्ट काकिंग ने लन्दन के बॉक्स हाल गार्डन में पैराशूट की उडान का प्रदर्शन किया | उसने पैराशूट को एक गुबारे के नीचे बाँधा और गुब्बारे को गैस के द्वारा हवा में उड़ा दिया .वह स्वयं पैराशूट की टोकरी में खडा था लोग ख़ुशी से तालियाँ बजा रहे थे | पांच हजार फुट की ऊंचाई पर पहुँच कर उसने पैराशूट को गुब्बारे से अलग कर दिया | दुर्भाग्य से पैराशूट का लकडी का ढांचा हवा के दबाब से टूट गया और राबर्ट धरती पर गिर कर मर गया|
पर मनुष्य हार कहाँ मनाता है .,एक आविष्कार फ़ेल हो जाए तो दूसरे की खोज में लगा जाता है | वह अपनी हर असफलता से सफलता की सीढ़ी तलाश करता है | इस दुर्धटना के १५ महीने बाद ही एक ने अंग्रेज हेम्टन ने एक हल्का फुल्का पैराशूट बनाया और उसकेद्वारा हवा में उड़ा और फिर एक उड़ते गुब्बारे से सफलता पूर्वक नीचे उतर आया |
लकडी के ढाँचे पर कपडा डाल कर बनाए जाते थे | फान टासल ने सूती कपडे की एक छतरी बनायी फान टासल का यह पैराशूट बहुत लोकप्रिय हुआ .| .कुछ समय के बाद सूती कपडे की बजाय रेशमी कपडे का इस्तेमाल किया जाने लगा | जिस से यह अधिक मजबूत और अधिक हल्का हो गया |
अमेरिका का एक सैनिक केप्टन एलबर्ट बेरी पहला व्यक्ति था | जिसने पैराशूट के द्वारा विमान से छलांग लगाई | उसका विमान ५५ मील प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ रहा था| यह घटना १९१२ की है उन दिनों विमान का नया नया आविष्कार हुआ था और उसकी गति बहुत कम हुआ करती थी|
पैराशूट के द्वारा अभी तक धरती पर उतरना एक खेल ही समझ जाता था लोगों के दिमाग में अब तक यह विचार नहीं आया था कि इस से यान चालकों को भी मुसीबत के वक़्त बचाया जा सकता है |१९१४ में प्रथम महायुद्ध शुरू हुआ तो उस में बमवर्षा के लिए विमानों का भी इस्तेमाल किया गया |प्रथम महायुद्ध के २१ वर्ष बाद जब दूसरा महायुद्ध हुआ तो इस में विमान चालकों ने पैराशूट का उपयोग किया और इस प्रकार हजारों विमान चालक मौत के मुहं में जाने से बच गए |
अब पैराशूट नायलोन के बनाए जाते हैं| यह बहुत हलके फुल्के और मजबूत होते हैं अब इनमे कई तरह के काम लिए जाते हैं | युद्ध के अन्तराल में पैराशूट द्वारा शत्रु के प्रदेश में सेना उतारी जाती है इसको छाता सेना कहते हैं .| .इसके अतिरिक्त आवश्यकता के समय गोला बारूद और खाने पीने के समान भी पैराशूट से सेना के मोर्चो में गिराए जाते हैं |
तेज गति से चलने वाले विमानों को हवाई अड्डे में रोकने के लिए भी पैराशूट का उपयोग किए जाता है |..जब इस प्रकार का कोई विमान धरती पर उतरता है तो पीछे का पैराशूट खुल जाता है और उस में हवा भर जाती है | जिस से विमान की गति काम हो जाती है तब उसको ब्रेक लगा कर आसानी से रोका जा सकता है | अन्तरिक्ष यात्री जिस केप्सूल में बैठ कर धरती पर उतारते हैं उसमें भी पैराशूट लगा होता है | यदि यह न हो तो कैप्सूल धरती पर गिर कर टुकड़े टुकड़े ही हो जाये |
कहते हैं सबसे पहला पैराशूट इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ल्युनार्दो दसी ने आज से लगभग ५०० पूर्व बनाया था ..बहुत से लोगों ने इस में सुधार किये और कई नए डिजाइन के पैराशूट बनाए | १७८३ में एक फ्रांसीसी डाक्टर स्वास्तिन लनारमां ने लकडी के ढाँचे पर कपडा डाल कर पैराशूट बनाया और इसके द्वारा एक ऊँची ईमारत से छलांग लगाई जिसको देख कर लोग हैरान रह गए |
सन १७९७ में एक अन्य फ्रांसीसी आंद्रे गार्निरन ने हवा में उड़ते हुए गुबारे पर से पैराशूट के द्वारा छलांग लगाने का प्रदर्शन किया | यह कारनामा पैरिस के हजारों लोगो ने देखा .जब गार्निरन का गुब्बारा ३००० फुट की ऊंचाई पर पहुंचा तो वह रस्सी काट दी गयी जिस से पैराशूट गुब्बारे के साथ बंधा हुआ था| रस्सी के कटते ही पैराशूट तेजी से धरती की और आया यह भयानक दृश्य देख कर बहुत से कमजोर लोग के स्त्री पुरुष बेहोश हो गए | लोगों का विचार था कि गार्निरन का पैराशूट नीचे गिर जाएगा और उसकी हड्डी पसली एक हो जायेगी ,,पर जैसे ही पैराशूट में हवा भरी वह धीरे धीरे धीमी गति से नीचे उतर आया |
२४ जुलाई १८३७ को राबर्ट काकिंग ने लन्दन के बॉक्स हाल गार्डन में पैराशूट की उडान का प्रदर्शन किया | उसने पैराशूट को एक गुबारे के नीचे बाँधा और गुब्बारे को गैस के द्वारा हवा में उड़ा दिया .वह स्वयं पैराशूट की टोकरी में खडा था लोग ख़ुशी से तालियाँ बजा रहे थे | पांच हजार फुट की ऊंचाई पर पहुँच कर उसने पैराशूट को गुब्बारे से अलग कर दिया | दुर्भाग्य से पैराशूट का लकडी का ढांचा हवा के दबाब से टूट गया और राबर्ट धरती पर गिर कर मर गया|
पर मनुष्य हार कहाँ मनाता है .,एक आविष्कार फ़ेल हो जाए तो दूसरे की खोज में लगा जाता है | वह अपनी हर असफलता से सफलता की सीढ़ी तलाश करता है | इस दुर्धटना के १५ महीने बाद ही एक ने अंग्रेज हेम्टन ने एक हल्का फुल्का पैराशूट बनाया और उसकेद्वारा हवा में उड़ा और फिर एक उड़ते गुब्बारे से सफलता पूर्वक नीचे उतर आया |
लकडी के ढाँचे पर कपडा डाल कर बनाए जाते थे | फान टासल ने सूती कपडे की एक छतरी बनायी फान टासल का यह पैराशूट बहुत लोकप्रिय हुआ .| .कुछ समय के बाद सूती कपडे की बजाय रेशमी कपडे का इस्तेमाल किया जाने लगा | जिस से यह अधिक मजबूत और अधिक हल्का हो गया |
अमेरिका का एक सैनिक केप्टन एलबर्ट बेरी पहला व्यक्ति था | जिसने पैराशूट के द्वारा विमान से छलांग लगाई | उसका विमान ५५ मील प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ रहा था| यह घटना १९१२ की है उन दिनों विमान का नया नया आविष्कार हुआ था और उसकी गति बहुत कम हुआ करती थी|
पैराशूट के द्वारा अभी तक धरती पर उतरना एक खेल ही समझ जाता था लोगों के दिमाग में अब तक यह विचार नहीं आया था कि इस से यान चालकों को भी मुसीबत के वक़्त बचाया जा सकता है |१९१४ में प्रथम महायुद्ध शुरू हुआ तो उस में बमवर्षा के लिए विमानों का भी इस्तेमाल किया गया |प्रथम महायुद्ध के २१ वर्ष बाद जब दूसरा महायुद्ध हुआ तो इस में विमान चालकों ने पैराशूट का उपयोग किया और इस प्रकार हजारों विमान चालक मौत के मुहं में जाने से बच गए |
अब पैराशूट नायलोन के बनाए जाते हैं| यह बहुत हलके फुल्के और मजबूत होते हैं अब इनमे कई तरह के काम लिए जाते हैं | युद्ध के अन्तराल में पैराशूट द्वारा शत्रु के प्रदेश में सेना उतारी जाती है इसको छाता सेना कहते हैं .| .इसके अतिरिक्त आवश्यकता के समय गोला बारूद और खाने पीने के समान भी पैराशूट से सेना के मोर्चो में गिराए जाते हैं |
तेज गति से चलने वाले विमानों को हवाई अड्डे में रोकने के लिए भी पैराशूट का उपयोग किए जाता है |..जब इस प्रकार का कोई विमान धरती पर उतरता है तो पीछे का पैराशूट खुल जाता है और उस में हवा भर जाती है | जिस से विमान की गति काम हो जाती है तब उसको ब्रेक लगा कर आसानी से रोका जा सकता है | अन्तरिक्ष यात्री जिस केप्सूल में बैठ कर धरती पर उतारते हैं उसमें भी पैराशूट लगा होता है | यदि यह न हो तो कैप्सूल धरती पर गिर कर टुकड़े टुकड़े ही हो जाये |
रंजना जी, पैराशूट के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने। अभार।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
लियोनार्दो डा विंची से शुरू कर पैराशूट पर भरपूर जानकारी !
ReplyDeleteअच्छी जानकारी.
ReplyDeleteपैराशूट की रोचक कहानी के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteपैराशूट के बारे में बहुत रोचक जानकारी मिली .. उत्तम आलेख !!
ReplyDeleteकाफी रुचिकर जानकारी । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपके पोस्ट के दौरान बहुत ही अच्छी जानकारी मिली पाराशूट के बारे में! धन्यवाद!
ReplyDeleteपैराशूट के बारे में यह तो रोचक जानकारी है.
ReplyDeleteरंजना जी, पैराशूट के बारे में ज्ञानवर्धन के लिए आभार........
ReplyDeleteबहुत रोचक रही पैराच्यूट के बारे में यह जानकारी।
ReplyDeletePairashute ki is unchai tak pahunchne ke piche chupe itihas ki mahatwapurn jaankari di aapne.
ReplyDeleteरंजना जी, बधाई हो। आपकी यह पोस्ट आज अमार उजाला में प्रकाशित हुई है।
ReplyDeleteरंजना जी, बधाई हो। आपकी यह पोस्ट आज अमार उजाला में प्रकाशित हुई है।
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