कल परसों टीवी में देखा कि पुणे रेलवे स्टेशन पर खड़ा एक युवक कह रहा है कि वह शहर में स्वाईन-फ्लू के केस बढ़ने की वजह से पांच सात दिन के लिय...
कल परसों टीवी में देखा कि पुणे रेलवे स्टेशन पर खड़ा एक युवक कह रहा है कि वह शहर में स्वाईन-फ्लू के केस बढ़ने की वजह से पांच सात दिन के लिये शहर छोड़ कर बाहर जा रहा है।
अगर किसी स्कूल में स्वाईन-फ्लू के बहुत से केस हो गये हैं और उसे कुछ दिन के लिये बंद किया गया है तो बात समझ में आती है। लेकिन अब तो बहुत से समाचार आने लगे हैं कि स्कूल, कालेज पांच-सात दिनों के लिये बंद किये जा रहे हैं।
मुझे तो कईं बार लगता है कि लोगों में यह भ्रम भी है कि जैसे वॉयरल कंजक्टिवाईटिस (Viral Conjunctivitis) -आंखे आ जाना- पांच, सात दस दिन उस बीमारी का प्रकोप रहता है, उन दिनों एहतियात बरत लेने से, किसी से हाथ न मिलाने से, बार-बार हाथ धोते रहने से लोग अपनी आंखों को बचाए रखने की चेष्टा कर लेते हैं, लोग समझ रहे हैं कि इस स्वाईन-फ्लू से भी ऐसे ही सस्ते में ही पल्ला छूट जायेग!
पांच-सात दिन अपने शहर को छोड़ कर किसी दूसरी जगह के लिये निकल जाना केवल इसलिये कि कुछ दिनों में स्वाईन-फ्लू की महांमारी छू-मंतर हो जायेगी, यह केवल भ्रम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी जब यह बीमारी अब महांमारी घोषित हो चुकी है, अब यह इतनी आसानी से कहीं जाने वाली नहीं है । बस, अब तो यही प्रार्थना होनी चाहिये कि कैसे भी हो बस किसी तरह से इस स्वाईन-फ्लू से बचाव का टीका दो-तीन महीने में मार्कीट में आ जाये जिस के दाम आमजन की पहुंच में हों।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी जब यह बीमारी अब महांमारी घोषित हो चुकी है, अब यह इतनी आसानी से कहीं जाने वाली नहीं है । बस, अब तो यही प्रार्थना होनी चाहिये कि कैसे भी हो बस किसी तरह से इस स्वाईन-फ्लू से बचाव का टीका दो-तीन महीने में मार्कीट में आ जाये जिस के दाम आमजन की पहुंच में हों।
वैसे स्वाईन–फ्लू से बचाव के टीके पर काम तो ज़ोरों-शोरों से चल रहा है। विदेश में तो क्लीनिक-ट्रायल भी शुरू हो गये हैं। इस समय इस काम के लिये सारे संसार की अपार शुभकामनायों की ज़रूरत है।
चलिये, स्वाईन-फ्लू के बारे में कुछ इधर उधर की बातें करते हैं।
कुछ दिन पहले मैं टीवी में देख रहा था कि एक स्वयं-सेवी संस्था का एक प्रतिनिधि कुछ स्कूली बच्चों को इक्ट्ठा कर के मास्क बांट रहा था। With due regards to NGOs who are genuinely doing their job, मुझे कुछ पब्लिसिटी के लिये भूखे-प्यासे अवसरवादी लोगों का ध्यान आ गया जिन्हें ज़रूरतमंद लोगों को कंबल बांटते हुये अपने फोटो समाचार-पत्रों के स्थानीय परिशिष्ट में देखने की लत सी पड़ चुकी है। और अब तो यह काम सस्ते में हो रहा है -केवल मास्क ही तो बांटने हैं!
हाथ-धोने का सलीका-
अगर आप नोटिस करें तो पायेंगे कि हम हाथ धोने के काम को कितना लाइटली लेते हैं। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि छींकने, खांसने के बाद या वैसे भी जब हाथ धोने हों, तो इन्हें 15 से 20 सैकंड तक धोना चाहिये। मुझे लगता है कि साबुन कोई भी हो चलता है। अब अगर साबुन के बारे में भी हम लोगों को नसीहत पिलाने लग गये तो बस!
अगर आप नोटिस करें तो पायेंगे कि हम हाथ धोने के काम को कितना लाइटली लेते हैं। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि छींकने, खांसने के बाद या वैसे भी जब हाथ धोने हों, तो इन्हें 15 से 20 सैकंड तक धोना चाहिये। मुझे लगता है कि साबुन कोई भी हो चलता है। अब अगर साबुन के बारे में भी हम लोगों को नसीहत पिलाने लग गये तो बस!
संक्रमित व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई वॉयरस का हश्र-
सब से पहले तो यह जानना ज़रूरी है कि इंफ्लूऐंज़ा वॉयरस किसी संक्रमित व्यक्ति के द्वारा जो खांसने या छींकने में छोड़ी जाती है और जो विभिन्न कारणों की वजह से किसी भी सतह पर जैसे कि टेबल, किताबें, टैलीफोन, की-बोर्ड, दरवाज़े की नॉब ...आदि आदि .....यानि कुछ भी जो हमें अपने आस पास दिखता है- जो वॉयरस इन सतहों (Environmental Surfaces) पर आकर पसर जाती हैं वे अगले दो से लेकर आठ घंटे तक किसी दूसरे इंसान को इन्फैक्ट (संक्रमित) करने की सक्षमता रखती हैं।
सब से पहले तो यह जानना ज़रूरी है कि इंफ्लूऐंज़ा वॉयरस किसी संक्रमित व्यक्ति के द्वारा जो खांसने या छींकने में छोड़ी जाती है और जो विभिन्न कारणों की वजह से किसी भी सतह पर जैसे कि टेबल, किताबें, टैलीफोन, की-बोर्ड, दरवाज़े की नॉब ...आदि आदि .....यानि कुछ भी जो हमें अपने आस पास दिखता है- जो वॉयरस इन सतहों (Environmental Surfaces) पर आकर पसर जाती हैं वे अगले दो से लेकर आठ घंटे तक किसी दूसरे इंसान को इन्फैक्ट (संक्रमित) करने की सक्षमता रखती हैं।
यही बात है जो यह समझना आसान करती है कि बार बार ढिंढोरा तो पीटा जा रहा है कि बंधुओ, खांसने, छींकने का सलीका सीख लो, तो फिर यह बार बार हाथ धोने की बात कहां से आ धमकी, चलो मान भी लिया कि संक्रमित व्यक्ति तो बार बार हाथ धो लेने की ज़हमत उठा भी ले, लेकिन जिस आदमी को कोई तकलीफ़ नहीं है, वह कोई पड़े इस बार बार हाथ-धुलाई के चक्कर में।
दरअसल जब इस तरह की बीमारी महांमारी का रूप धारण कर लेती है तो फिर जगह जगह पर इस वायरस के पसरे होने का अंदेशा तो होता ही है और ऐसी वस्तुओं को, इन सतहों को हम सब लोग सारा दिन छूते ही रहते हैं लेकिन अगर वही अंगुली से हम नाक में लेकर जा रहे हैं तो इस का मतलब है कि हम वॉयरस को सीधा अपने शरीर में ट्रांसफर होने का बढ़िया सा अवसर प्रदान कर रहे हैं।
Sometimes people may become infected by touching something—such as a surface or object—with flu viruses on it and then touching their mouth or nose.
संक्रमित आदमी द्वारा कब तक बीमारी फैलती रहती है?
जिस व्यक्ति को स्वाईन-फ्लू होता है , उस में जब तक इस के लक्षण पाये जाते हैं वह तब तक इसे आगे फैलाने में सक्षम होता है ---और संभवतः बीमारी शुरू होने से लेकर अगले सात दिनों तक यह बीमारी बांटने का सिलसिला चलता ही रहता है। लेकिन स्वाईन-फ्लू से ग्रस्त बच्चे तो बीमारी और भी लंबे समय तक फैला सकते हैं।
जिस व्यक्ति को स्वाईन-फ्लू होता है , उस में जब तक इस के लक्षण पाये जाते हैं वह तब तक इसे आगे फैलाने में सक्षम होता है ---और संभवतः बीमारी शुरू होने से लेकर अगले सात दिनों तक यह बीमारी बांटने का सिलसिला चलता ही रहता है। लेकिन स्वाईन-फ्लू से ग्रस्त बच्चे तो बीमारी और भी लंबे समय तक फैला सकते हैं।
इसलिये हमें खास ध्यान रखना चाहिये कि स्कूल चाहे जितनी भी छुट्टियां घोषित करें या ना करें, अगर हमें लगता है कि बच्चे को फ्लू जैसे लक्षण हैं तो कम से कम आज के हालात में तो उसे कुछ दिनों के लिये घर पर ही रखना चाहिये। और इन हालात में तो स्कूलों को भी कोई समझौता नहीं करना चाहिये ---जिस किसी बच्चे को भी फ्लू जैसे लक्षण लगें, उसे ठीक होने तक स्कूल आने के लिये मना कर देना ही मुनासिब होगा। बेहतर तो यही होगा कि ऐसे बच्चों को अभिभावक ही कुछ दिन स्कूल न भेजें।
एक सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Filhaal to Swine Flu ke sach ka saamna imaandari se karne ki jarurat hai. Mahatwapurn post, aabhar.
ReplyDeletesaarthak baat......
ReplyDeleteसही लिखा है आपने |
ReplyDeleteसफाई और सेहत यही दो मूल मंत्र हैं इस महामारी से बचने के | मास्क-वास्क से कुछ नहीं होने वाला |
अत्यन्त सुंदर! श्री कृष्ण जनमाष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सही पोस्ट सही समय पर .शुक्रिया
ReplyDeleteअस्पतालों में लगी भीड़ ये कैसे समझ सकती है कि आज स्वाइन फ़्लू न होने का सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी अगले दिन फ़्लू नहीं हो सकता क्या ?
ReplyDeleteसमयानुकूल एक बढिया पोस्ट्!!
ReplyDeleteआभार्!