मातृत्व किसी भी स्त्री का सबसे महत्वपूर्ण और आत्मीय सपना होता है। मां बनकर ही हर औरत अपने स्त्रीत्व की सम्पूर्णता का अहसास करती ...
मातृत्व किसी भी स्त्री का सबसे महत्वपूर्ण और आत्मीय सपना होता है। मां बनकर ही हर औरत अपने स्त्रीत्व की सम्पूर्णता का अहसास करती है। मातृत्व की पहली सीढ़ी है- गर्भावस्था। गर्भावस्था में भावी माता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इस स्थिति में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतना न केवल मां के लिए घातक है, बल्कि भावी संतान के सर्वांगीण विकास को भी यह प्रभावित करता है। गर्भावस्था में मां की शारीरिक और मानसिक स्थिति का सीधा प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। प्रत्येक गर्भवती स्त्री को गर्भकाल के दौरान स्वस्थ, प्रसन्न और मानसिक रूप से सहज, संतुष्ट रचना चाहिए और सामान्य स्वास्थ्य व स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए।
गर्भावस्था के लक्षण
सबसे पहले हमें गर्भावस्था के लक्षणों को जानना चाहिए। एक स्वस्थ स्त्री को समय पर मासिक धर्म नहीं आना इस बात का प्रथम लक्षण है कि वह गर्भवती हो गयी है। इस बात की जानकारी इसलिए आवश्यक होती है, क्योंकि इससे बच्चे के जन्म की तिथि का लगभग ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है। अंतिम मासिक धर्म की तिथि में 270 दिन और 10 अतिरिक्त दिन जोड़कर बच्चे के जन्म की तारीख ज्ञात की जा सकती है। मासिक धर्म सही समय पर नहीं आने पर इस मामले में डॉक्टर की राय ली जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गर्भ धारण किया है अथवा नहीं? गत मासिक धर्म के छ: सप्ताह बाद मूत्र की जांच से गर्भ होने या न होने के सम्बंध में पता चल जाता है।
गर्भावस्था की जांच
गर्भ-धारण सुनिश्चित हो जाने पर स्त्री तथा उसके गर्भस्थ शिशु की स्वास्थ्य सम्बंधी नियमित जांच करवाते रहना आवश्यक है। इस जांच के दौरान गर्भवती शिशु की प्राकृतिक बढ़त का पता लगाया जाता है। यदि डॉक्टर किसी विशेष जांच का परामर्श दे, तो वह भी करवानी चाहिए, ताकि जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य सामान्य बना रहे और प्रसव ठीक प्रकार से हो सके।
गर्भावस्था के प्रारम्भिक तीन महीनों में गर्भवती स्त्री को अपनी डॉक्टर से रक्त व मूत्र की जांच, रक्तचाप, वजन आदि की जांच आवश्यक रूप से करवाते रहना चाहिए। समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श करते रहने से मधुमेह व रक्तचाप की जांच होती रहती है, जो अत्यंत आवश्यक है।
गर्भावस्था की सावधानियां
गर्भावस्था में लम्बा सफर, अत्यधिक कठोर परिश्रम व आवश्यकता से अधिक शारीरिक श्रम और तैरना आदि को टालना चाहिए। वैसे यह बात प्रत्येक स्त्री की शारीरिक अवस्था पर अधिक निर्भर करती है। अत: इस मामले में अपने डॉक्टर से परामर्श का पालन करना उचित रहता है।
गर्भावस्था में चुस्त और फैशनेबल वस्त्रों से परहेज करें। इस समय आपके शरीर की सुंदरता उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती, जितना कि उसका संतुलित विकास महत्वपूर्ण होता है। अत: ऐसे वस्त्र न पहनें, जिनसे आपके शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़े। बेहतर तो यह होगा कि आप ढ़ीले-ढ़ाले वस्त्र पहनें। वस्त्र सूती होना अधिक अच्छा है।
गर्भावस्था में साफ-सफाई
शारीरिक स्वच्छता की उपेक्षा मत कीजिए। जब साधारण स्थिति में भी आप साफ-सुथरी रहकर ताजगी का अनुभव करती हैं, तो गर्भावस्था, जो अपने आप में एक आलस की स्थिति है, सफाई की उपेक्षा करके आपको और अधिक आलस और सुस्ती अनुभव होगी। गर्भावस्था के बढ़ने के साथ कमर के निचले हिस्से की त्वचा की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। उदर तथा वक्ष-स्थल पर उभरी गहरी लकीरों की नियमित रूप से सफाई करते रहना चाहिए।
शारीरिक श्रम अवश्य करें, लेकिन उतना ही, जितने में आप थकान महसूस न करें। यदि काम करते-करते थकान का अनुभव होने लगे, तो कुछ देर विश्राम कर लीजिए। भारी वस्तु उठाना या तेज़ दौड़ना गर्भावस्ता में उचित नहीं।
गर्भावस्था और आहार
गर्भावस्था में आहार का अत्यंत महत्व होता है, क्योंकि मां द्वारा लिए गये आहार से ही गर्भस्थ शिशु का पोषण होता है। अत: यह ध्यान रखने योग्य बात है कि गर्भावस्था में माता को संतुलित और आवश्यक व पोषक तत्वों से युक्त आहार इस अवस्था में गर्भवती स्त्री के लिए भोजन की आवश्यकताएं कुछ बढ़ जाती हैं। उसे भूख काफी लगने लगती है। संतुलित आहार के लिए भोजन में अनाज, दालें, दूध, पत्तेदार और अन्य हरी सब्जियां, दही, फल, घी आदि होने चाहिए। भोजन में लौह तत्व, विटामिन और कैल्शियम का समुचित समावेश होना चाहिए। गर्भावस्था में अधिक चाय-कॉफी पीना और तेज मिर्च-मसालेदार भोजन करना सेहत के लिए हानिकारक है। पानी भी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
गर्भावस्था और व्यायाम
गर्भावस्था में अंगों को पुष्ट करने के लिए संतुलित भोजन के साथ-साथ सुबह-शाम घूमना और हल्का-फुल्का व्यायाम करना भी लाभदायक है। इससे भोजन जल्दी पच जाता है और शरीर में रक्त संचार ठीक बना रहता है। इसके लिए सबसे अच्छा रास्ता यही है कि आप अपने डॉक्टर से बात कर लें और जो व्यायाम वह बताएं, उन्हें ही करें। गलत और अत्यधिक व्यायाम के कारण गर्भस्थ शिशु को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भावस्था और सेक्स
मनुष्य के जीवन में सेक्स एक आवश्यक क्रिया है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। स्त्री का उदर बढ़ने के कारण गर्भकाल अवधि बढ़ने पर सेक्स में समस्या आने लगती है। इसलिए इस दौरान सेक्स करने पर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है।क्योंकि इस दौरान जरा सी असावधानी बरतने पर गर्भस्थ शिशु को हानि हो सकती है और स्त्री की भी परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए उचित यही है कि इस सम्बंध में अपने डॉक्टर से सलाह ले लें और उसके निर्देशों का पालन करें।
गर्भवस्था की समस्याएं
गर्भकाल में कब्ज होना एक आम शिकायत है। इसका सही उपाय यह है कि गर्भवती महिला काफी मात्रा में हरी सब्जियां, फल आदि खाए तथा पानी व फलों का रस पर्याप्त मात्रा में सेवन करे। कब्ज से मुक्ति के लिए किसी भी स्थिति में जुलाब न लें, इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
गर्भावस्था में वजन बढ़ना सामान्य बात है। गर्भवती महिला का वजन प्रति माह लगभग एक किलोग्राम के हिसाब से गर्भावस्था के अंत तक तथा गर्भावस्था के अंत तक 10-11 किलोग्राम तक बढ़ना चाहिए। वजन में इससे अधिक वृद्धि ठीक नहीं होती। क्योंकि इससे कई परेशानियां पैदा हो सकती हैं। गर्भावस्था में प्रति माह नियमित रूप से वजन कराते रहना चाहिए तथा उसका रिकॉर्ड रखना चाहिए। वजन में अधिक वृद्धि होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
गर्भावस्था में स्त्री रक्ताल्पना या एनीमिया से ग्रस्त हो सकती है। खून की कमी से गर्भस्थ शिशु पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। अत- खून की कमी से बचने के लिए गर्भवती स्त्री को लौह तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे पत्तेदार सब्जियां, दूध, दाल आदि का भरपूर सेवन करना चाहिए। इसके अलावा चिकित्सक की सलाह से लौह तथा फोलिक एसिड की गोलियां भी ली जा सकती हैं।
कभी-कभी हाथ-पैर और चेहरे पर सूजन आने लगती है। चूडि़यां और अंगूठी तंग पड़ने लगती हैं। ऐसी सूरत में गर्भवती स्त्री को एक दो घंटे आराम करना चाहिए। आवश्यक हो तो डॉक्टर से सलाह लें। गर्भावस्था की पीड़ा को हर स्त्री सहर्ष बर्दाश्त करती है, क्योंकि उसके बाद उसे मातृत्व का असीम सुख मिलता है। इन हिदायतों का पालन करके गर्भावस्था की तकलीफों को आप कम कर सकती हैं।
-अनीता जैन
(उजाला मासिक, दिसम्बर 2010 से साभार)
aapka ye paryass bahut srahaniya he
ReplyDeleteaabhar
jakir bahi achchhi jankari hai
ReplyDeleteham maa to nahi banenge...lekin ek upyogi aalekh:)
ReplyDeleteउपयोगी आलेख.
ReplyDeleteमहत्त्वपूर्ण जानकारी.
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी,आभार.
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी,आभार.
महत्त्वपूर्ण जानकारी.
ReplyDeleteसब जानते हैं ये बातें, अनावश्यक आलेख है ब्लोग का दुरुपयोग....जो गांव की औरतें नहीं जानती वे ब्लोग भी नहीं पढ सकतीं...
ReplyDeletethis is very informative....thnx....anita ji
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