आई, साईबोर्ग: नैतिकता के ढ़ाँचे की धज्जियाँ उड़ाती परिकल्‍पना (I, cyborg : Kevin Warwick)

" आई , साई बोर्ग " (I, cyborg) नाम है उस किताब का जो संक्षिप रूप है - साइबरनेटिक आर्गेनिज्म (Cybernetic Organism) का ,...

"आई, साईबोर्ग" (I, cyborg) नाम है उस किताब का जो संक्षिप रूप है -साइबरनेटिक आर्गेनिज्म (Cybernetic Organism) का, यानी एक ऐसी प्रणाली, ऐसा निकाय जो एक साथ इंसान भी हो और आंशिक तौर पर मशीन भी. इसके लेखक केविन वार्विक्क (Kevin Warwick) अपने आपको साईबोर्ग बनने के लिए किस प्रकार और किस विध वोलंटियर करतें हैं, निडर होकर प्रस्तुत करते हैं, किताब में उसका विस्मयकारी ब्योरा (विवरण) है. किताब में उनके व्यक्तिगत जीवन सेहत और सीरत के कई पक्ष उजागर होतें हैं

यह कथा है उनके विज्ञानिक उद्मम और समर्पण भाव की, जिसमे वह निर्मम होकर अपने बिल्कुल अपनों का भी कच्चा चिठ्ठा खोलतें हैं. दुनिया भर के विज्ञानिक, आलमी विज्ञान जगत किताब को पढ़कर नैतिकता और नीतिशाश्त्र सम्बन्धी सवाल उठाने लगें हैं

आख़िर वार्विक्क ने ऐसा क्या कर दिया जो आज पूरा विज्ञान जगत आलोडित है? ख़ुद अपने जीवन को साईबोर्ग बनने की ललक में उन्होंने क्यों दाव पर लगा दिया? क्या उनके लिए साईबोर्ग बनना सबसे एहम सवाल था? ,और था, तो क्यों?

आख़िर मानवीय शरीर का दर्जा बढ़ाने, अपग्रेड करने की नौबत क्यों आन पड़ी?

दरअसल वार्विक्क ऐसा मानतें हैं- मानवीय शरीर की देखने चीज़ों को पर्सीव करने की, त्रि-आयामी दर्शन की भी एक उपरी सीमा है. उसके मन की किवाड़ आँखें हैं, और आँख की अपनी सीमा है, अति सूक्ष्म दूरबीनें उस ऊपरी सीमा का और रिफ्लेक्तिंग टेलीस्कोपों (परावर्तक दूरबीनें) से भी बढ़कर रेडियो दूरबीनें जो सुदूर अन्तरिक्ष से आने वाले पल्सार्स, इतर रेडियो स्रोतों को पकड निष्कर्ष निकालती हैं सृष्टि में मौजूद सुदूर पिंडों का आदमी को और भी बौना साबित करतीं हैं

अभिव्यक्ति की भी अपनी सीमा है, मानवीय अभिव्यक्ति की और भी ज्यादा क्योंकि उसका माध्यम भाषा बनती है (भारत जैसे मुल्कों में उसकी हदबंदी सर्वग्रासी राजनीति भी करती है आपातकाल इसका साक्षी है, और अब रामलीला मैदान भी)

वार्विक्क सवाल उठातें हैं- क्या हम प्रोद्योगिकी की मदद से मानवीय क्षमताओं को और भी बढ़ा सकतें हैं? ज़वाब भी ख़ुद ही प्रस्तुत करतें हैं ख़ुद को गिनी पिग की तरह विज्ञान और ज्ञान की बेहतरी के लियें, वोलान्तिअर करके आज़माइशो के लिए परोस कर, प्रस्तुत करके

बकौल उनके संभावनाएं मौजूद हैं- इसके लिए मशीन-इंटेलिजेंस (कृत्रिम-बुद्धि) का अतिरिक्त दोहन करना होगा ताकि मशीनें पार-एन्द्रिक संवेदनों, भाव बोध, सहज बोध और दूर बोध को भांप सकें, कयास लगा सकें .और इस सबके लिए केवल विचार केन्द्रीय बल, एक विधायक तत्व की भूमिका निभाये

डेली न्‍यूज एक्टिविस्‍ट मे प्रकाशित पोस्‍ट
इधर रिमोट का स्थान दिमाग में फिट किया गया एक चिप लेने लगा है, फालिज ग्रस्त लोग इससे अपने रोजमर्रा के काम कर सकतें हैं. कल यह आमफ़हम (आम चलन में) भी हो सकता है, ऐसा वार्विक्क मानतें हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने ख़ुद अपने से कर दी है, अपने केन्द्रीय स्नायुविक तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) में सैकडों इलेक्ट्रोड्स (सर्जिकल इम्प्लान्ट्स) फिट करवाकर

आपको साइबर-नेतिक्स (संतान्त्रिकी) का पितामह इसीलियें माना जाता है. संतान्त्रिकी वह विज्ञान है जो हमारे दिमाग और केन्द्रीय स्नायुविक तंत्र में होने वाले सम्प्रेषण (क्मुनिकेश्न्स नेटवर्क) की तुलना मशीन एवं अन्य यांत्रिक प्रणालियों में संपन्न संचार से करता है

ख़ुद वार्विक्क दुनिया के पहले साईबोर्ग (मशीनीकृत इंसान या फ़िर इंसानी मशीन हैं).वैसे कितने ही लोग जो जीवन शैली रोग ग्रस्त हैं आज टेक्नोलाजिकल इम्प्लांट लगाए देह व्यापार को चला रहें हैं. किसी ने इंसुलिन पम्प फिट करवा रखा है, किसी ने पेस मेकर तो किसी ने नकली दिल, किसी ने निकोटिन चिप, आप चाहें तो इन्हें भी आंशिक साईबोर्ग तो मान समझ ही सकतें हैं

हो सकता है कल मशीनें आदमी की काबलियत को चुनोती देने लगें. अति-बौद्धिक मशीनें हमारे बीच जाएँ और अपना कुनबा बढ़ाने लगें? अपना ही प्रतिरूप गढ़ने संवारने लगें? कल सारे फैसले मशीनी मानव करने लगें. ये पूरी कायनात रोबोट चलाने लगें? विज्ञानी इसी आशंका से ग्रस्त हैं. हमारा मानना है "अभी तो और भी रातें सफर में आएँगी, चरागे शब मेरे महबूब संभाल के रख"


प्रस्तुति: वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई)  
सन्दर्भ सामिग्री: केविन वार्विक्क,"आई साईबोर्ग" गूगल सर्च
मैं प्रमाणित करता हूँ कि प्रस्तुति मौलिक है, सन्दर्भ सामग्री स्रोत से जुटाई गई है, अनुवाद मात्र नहीं है। -वीरेंद्र शर्मा, 43309, Silver Wood Dr., Canton (MI)48-188

COMMENTS

BLOGGER: 15
  1. Aam jivan mein Dharm, Raajniti, Saampradayikta jaisi tamaam chizon ke baad yeh takniki ghalmel bhi sahi. Ise bhi dekhenge.
    Ek vicharniya post hetu aabhaar.

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  2. वीरेन्‍द्र जी, साईबोर्ग के विभिन्‍न पक्षों को आपने बहुत ही सटीक ढंग से व्‍याख्‍यायित किया है। बधाई स्‍वीकारें।

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  3. सायिबर्नेटिक्स और साईबोर्ग पर महत्वपूर्ण जानकारी ,,साथ ही कृति परिचय भी !

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  4. महत्वपूर्ण जानकारी और नईं भी आभार

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  5. इन दिनों एक कोंग्रेसी साईबोर्ग भी मंच पर है जिसमे स्त्री और पुरुष हारमोन सम पर आ गए हैं .यह व्यक्ति वर्ण -विपर्य से ग्रस्त हो गया है .योग को भोग और भोग को योग समझ रहा है .कह रहा है योग एकान्तिक क्रिया है .भाई साहब योग सामूहिक ही होता है योग की कक्षाएं अब अन्यत्र भी नियमित लगती हैं .प्रबंधकों को ख़ास तौर पर इसका प्रशिक्षण दिया जाता है ।
    इस परम पूज्य कोंग्रेसी चारण का नाम बतलाइए ।
    आप सभी लोगों का साधुवाद उत्साह वर्धन के लिए .इति.

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  6. रोचक पोस्ट !

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  7. वीरुभाई, वर्तमान में पश्चिम देशों में हुए अनुसन्धान की स्थिति उजागर करने के लिए धन्यवाद्!

    सत्य है, प्राचीन भारत ही महान था!
    यहाँ प्राचीन काल में जितना मानव और मानव जीवन के सत्य के ऊपर अनुसंधान योगियों ने किया, प्राचीन 'हिन्दू' मान्यतानुसार विषैले कलियुग के केवल २५ से ०% कार्य-क्षमता वाले अज्ञानियों के लिए दुर्भाग्यवश वो सब सांकेतिक भाषा में लिखा गया और आज भी उपलब्ध है - विष्णु पुराण, शिव पुराण, राम लीला, कृष्ण लीला आदि के रूप में और अन्य कई मनोरंजक कहानियों के रूप में भी...
    और आज लगभग घोर कलियुग, अथवा कलयुग यानि मशीनी युग में, (जब मानव छोटा हो गया है ? यानी ४ वर्षीय बालक भी वो करता दीखता है जो 'हमारे' समय में २० वर्षीय करता था !), किसी के पास टाइम ही नहीं है उन्हें लाइनों के बीच में पढने के लिए, उनका सत्व निकालने के लिए और जानने के लिए कि स्वयं प्रत्येक मानव शरीर एक मशीन ही जाना गया है, नव (९) ग्रहों (महाशिव) के सार से बना - जिसमें हमारी पृथ्वी ही शिव हैं और चन्द्रमा उनकी अर्धांगिनी ' हिमालय-पुत्री' पार्वती जो दोनों पृथ्वी के कोख से ही उत्पन्न हुए! और, राहू-केतू शक्तियां जिन्हें हम आज अल्ट्रा वाइओलैट और इन्फ्रा रेड नाम से जानते हैं... हम काल के प्रभाव से उनकी द्योतक मूर्तियों को मंदिरों में पानी डाल लेने भर से प्रसन्न हो जाते हैं, अथवा गंगा में डुबकी लगा कर भी, जीवन में कम से कम एक बार ही :)
    मानव शरीर की कार्य-क्षम्यता बढाने के लिए मन्त्र, यंत्र अथवा तंत्र सुझाये गए थे...जिनके उपयोग से किसी काल विशेष में योगी पानी में चल सकते थे,,, एक स्थान से गायब हो किसी भी अन्य स्थान में, ब्रह्माण्ड में कहीं भी, चुटकी बजाते ही पहुँच जाते थे :)...अदि आदि...

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  8. Mera 'Prachin' Bharat Mahan
    Uprokt tathyon se purnatah sahmat. Bekaar hi Baba Ramdev ne Engineering, Medical aadi vishayon ko Hindi maadhyam se padhvane ki maang ki. Aasha hai unke netritv ya 'Margdarshan' mein banane vali bhavi Sarkar ya shayad koi navin 'Tantr' in anupayogi vishyon ko chor sirf Vaidik vishayon ko hi pathyakram mein rakh Bharat ko punah 'Vishvguru' banva kar hi dam le. Ishvar se prarthna hai ki Vo is mahaan din ko apni aankhon se dekhna mumkin karaye.
    "Hum intahaar karenge Qayamat tak,
    Khuda kare ki Qayamat ho aur vo 'punya' din aaye.''
    Magar beech mein ye Qayamat ka daur kafi bhari padega.

    Hasyaspad aur Majaak bana rakha hai Bharat ko ......

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  9. अब भी क्‍या हम कि‍न्‍हीं मशीनी मानवों से कम हैं। सुबह उठने से लेकर रात को थककर सो जाने तक सारे काम यांत्रि‍क हैं। बेहोशी का साम्राज्‍य छाया हुआ है। दीन दुनि‍यां के ढर्रों पर बच्‍चा पैदा होता है, ढर्रों पर ढालने के लि‍ये स्‍कूल भेजा जाता है, शादी बच्‍चे बच्‍चों की परवरि‍श सब नि‍यत ढर्रे पर। कोई अदभुत खुजली हुई तो कि‍सी खुदा की तलाश में गीता-कुरान या बाईबि‍ल जैसी कि‍सी कि‍ताब में वर्णित ढर्रों पर चलकर एक भ्रम बुनता है और बुढ़ापा अशक्‍तता दस्‍तक दे देती है। हो सकता है साइबोर्ग इस मशीनीकरण से नि‍जात दि‍लाने में सहायक हो।

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  10. ----मानव स्वयं ही सर्वश्रेष्ठ मशीन है....ईश्वर का बनाया हुआ रोबोट...बाकी सब तो मानव के बनाए रोबोट होंगे जो उससे अधिक बुद्धिमान नहीं हो सकते....जानकारी का खजाना रखने वाले व अलादीन के जिन्न की भांति हुक्म पर चलने वाले ही हो सकते हैं.....डर की कोइ बात नहीं है....

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  11. वीरेन्‍द्र जी, साईबोर्ग के विभिन्‍न पक्षों की आपने बहुत ही अच्छी तरह से विवेचना की है... आभार

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  12. कामयाबी के लिए न्यूनतम प्रति -रोध मार्ग नहीं हैं .मेहनत और निरंतर स्वाध्याय चाहिए .बधाई

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  13. वीरुभायी को तहेदिल से बधाई -मैं कहता था न ई मनई पूरा पक्के दाने का है :)

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  14. इतिहासकार भूत में कुछ सदियों पहले तक ही जा पाते हैं, जबकि हमारा सौर-मंडल की अनुमानित आयु साढ़े चार अरब वर्ष है, इस कारण पुराण आदि लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं यदि कोई 'सत्य' अथवा 'परम सत्य' जानने का इच्छुक हो...
    यदि किसी को पता न हो, उनकी सूचना हेतु, प्राचीन भारत में गंगा-यमुना घाटी किसी काल विशेष में अत्यंत प्रगतिशील सभ्यता, सर्व-गुण संपन्न 'सिद्धों', का निवास स्थान था और अनुमान लगाया जा सकता है कि वो संस्कृत भाषा बोलते थे, वे 'इंदु' के कारण आज भी 'हिन्दू' कहलाये जाते हैं जबकि अज्ञानतावश सनातन धर्म हिन्दू धर्म... क्यूंकि उनकी गणना का आधार, ब्रह्माण्ड और जीव की उत्पत्ति को ध्यान में रख, सूर्य के चक्र के भीतर ही चन्द्रमा का चक्र था... चन्द्रमा को उन्होंने सांकेतिक भाषा में अमृत 'त्रिनेत्र-धारी शिव' के मस्तक में दर्शा, अनंत प्राणियों के आधार, पृथ्वी अथवा वसुधा से ही उत्पन्न उसके उपग्रह चन्द्रमा को, सती (शक्ति अथवा 'अग्नि' यानि ऊर्जा) के ही स्वरुप, शक्ति-रूप 'हिमालय-पुत्री' पार्वती को उच्च स्थान दिया... और जैसे हाल में ही डार्विन ने भी जीवों की उत्पत्ति पर अनुसंधान करते जाना गया, उसी श्रंखला में उनसे बहुत पहले योगियों ने मानव को ब्रह्माण्ड का प्रतिरूप, और द्वैतवाद जनित 'माया' को ध्यान में रख, अनंत शून्य का 'प्रतिबिम्ब' जाना... और तब प्रकृति की विविधता दर्शाते यूरोप निवासी उत्पत्ति की निम्नतम सीढ़ी पर ही था...
    शनि ग्रह, के मित्र विषैले वातावरण वाले शुक्र ग्रह को आठ दिशाओं में से पश्चिम दिशा का राजा जाना (मानव जीवन में भौतिक सुखों से सम्बंधित कार्तिकेय, सार मानव कंठ में, राक्षश जो माता-पिता को अज्ञानियों से दूर रखे)... और शनि ग्रह को उत्पत्ति को ध्यान में रख 'सूर्य-पुत्र' दर्शा, उसके सार को मानव शरीर में स्नायु तंत्र के रूप में सूर्य (सार पेट में, 'जठराग्नि') द्वारा प्राप्त जीवनदायी शक्ति और सूचना को मेरुदंड में विभिन्न स्तर पर स्थित सौर-मंडल के आठ चक्रों में उपरी अथवा निचली दिशां में ले जाना उसका निर्धारित कार्य... आदि आदि...

    अनंत ब्रह्मा के एक दिन में काल-चक्र को १०० से ७५% मानव क्षमता वाले सतयुग से २५ से ०% मानव क्षमता वाले कलियुग तक एक महायुग के १०८० बार ऊपर से नीचे जाना उन्होंने दर्शाया और घोर कलियुग की पहचान कि मानव छोटा हो जाएग (जिस कारण कलियुगी पंडित माया के कारण भ्रम में हैं और कहते हैं अभी बहुत समय शेष है :)

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  15. Highly impressed with the write up and its presentation,

    M M Gore

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Name

- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. N. Pandey,1,Dr. shyam gupta,1,Dr.G.D.Pradeep,9,Drug resistance,1,earth,28,Earthquake,5,Einstein,1,energy,1,Equinox,1,eve donation,1,Experiments,1,Facebook Causes Eating Disorders,1,faith healing and science,1,fastest computer,1,fibonacci,1,Film colourization Technique,1,Food Poisoning,1,formers societe,1,gauraiya,1,Genetics Laboratory,1,Ghagh,1,gigsflops,1,God And Science,1,golden number,2,golden ratio,2,guest article,9,guinea pig,1,Have eggs to stay alert at work,1,Health,70,Health and Food,14,Health and Fruits,1,Heart Attack,1,Heel Stone,1,Hindi Children's Science Fiction,1,HIV Aids,1,Human Induced Seismicity,1,Hydrogen Power,1,hyzine,1,hyzinomania,1,identification technology,2,IIT,2,Illusion,2,immortality,2,indian astronomy,1,influenza A (H1N1) virus,1,Innovative Physics,1,ins arihant,1,Instant Hip Hain Relief,1,International Conference,1,International Year of Biodiversity,1,invention,5,inventions,30,ISC,2,Izhar Asar,1,Jafar Al Sadiq,1,Jansatta,1,japan tsunami nature culture,1,Kshaya 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Science Bloggers' Association: आई, साईबोर्ग: नैतिकता के ढ़ाँचे की धज्जियाँ उड़ाती परिकल्‍पना (I, cyborg : Kevin Warwick)
आई, साईबोर्ग: नैतिकता के ढ़ाँचे की धज्जियाँ उड़ाती परिकल्‍पना (I, cyborg : Kevin Warwick)
http://bks3.books.google.com/books?id=6Ya1yGJOapMC&printsec=frontcover&img=1&zoom=1
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiyUgSy5FSAIXXaaYkrktEIqN0VqWCrjeeh9drBk5vVk-l81buThlw4hFhYj3FW_NxGK_Rep6ixjag9ChBqk-9uNovM-3T0rt1euNsgB9q7wR-wtDDAr_e_ou0ZZUvzp6_i4QtMSDD8VXA/s72-c/science-blogger.jpg
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https://blog.scientificworld.in/2011/06/i-cyborg-kevin-warwick.html
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