जिम हेकलर एक 47 वर्षीय व्यापारी हैं. दो बरस पहले उन्हें एक हिप सर्जरी करवानी पड़ी लेकिन नतीजे अच्छे नहीं रहे. दो बरस बाद भी टांग में नीच...
जिम हेकलर एक 47 वर्षीय व्यापारी हैं. दो बरस पहले उन्हें एक हिप सर्जरी करवानी पड़ी लेकिन नतीजे अच्छे नहीं रहे. दो बरस बाद भी टांग में नीचे की और दर्द की लहर इलेक्ट्रिक करेंट सी दौड़ती है. कितने ही डॉक्टरों के पास गए हेकलर सबने उन्हें दर्द से राहत पहुंचाने के लिए दर्द नाशी नारकोटिक्स दवाएं दीं.(ऐसी दवाएं जो ओपायड से व्युत्पन्न होतीं है (Opioid Painkillers) अपने असर में मार्फीन की तरह काम करती है, दर्द और चेतना दोनों का हरण कर रोगी को सुला देतीं हैं -लेकिन इन दवाओं की लत पड़ जाती है और कालान्तर में शरीर इनकी और बड़ी खुराक मांगने लगता है).
हेकलर इनके दीर्घावधि सेवन से खुश नहीं थे. आजिज़ आकर इन दवाओं से वह स्पोर्ट्स मेडिसन के माहिर डॉ. वाड की शरण में चले आये. डॉ वाड हॉस्पिटल फॉर स्पेशल सर्जरी मन-हट्टन में काम करतें हैं. वाड ने हेकलर को पहले इन दवाओं से जल्द से जल्द पिंड छुडा के अपना वजन कम करने, योग अभ्यास नित करने, बेक एक्सर-साइज़ करते रहने, साइकिल चलाने, अकसर आइस उपचार करते रहने, मच्छी का तेल लेते रहने की सलाह दी. अलावा इसके ग्लुको-समीन तथा कोन्द्रोइतिन सम्पूरण (Glucosamine and Chondroitin Supplements) तजवीज़ किया. हेकलर इन उपायों को आजमाते हुए अपना वजन 240 से 208 पोंड पर ले आयें हैं. उनका दर्द कम हुआ है लेकिन पूरी तरह गया ज़रूर नहीं है लेकिन बर्दाश्त की उस सीमा में है जहां उनको अब narcotic painkillers लेने की ज़रुरत नहीं पड़ती है.
हेकलर के तजुर्बे ने इस बहस को एक बार फिर गरमा दिया है कि क्या दीर्घावधि इन दर्दनाशी दवाओं का सेवन उचित है? इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिसन की एक रिपोर्ट के अनुसार फिलवक्त 116 मिलियन (11 करोड़ साठ लाख अमरीकी) पुराने लौट आये दर्द से (Chronic Pain) से ग्रस्त हैं.
कहाँ तक वाजिब है नारकोटिक पेनकिलर की एक गोली रोजाना लेना?
स्नायुविक तंत्र तथा रीढ़ के रोगों के कई (Neurologist) माहिर इसे विवाद का बिंदु मानते हैं. इन्हीं में शामिल हैं यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिलवानिया स्कूल ऑफ़ मेडिसन के न्यूरोलोजिस्ट डॉ. टी फर्रार. आप पेन के माहिर हैं.
एक तरफ डॉ. वाड जैसे माहिर हैं जो Percocet and OxyContin जैसे Opioid Pain killers अपने मरीजों को देने से बचते हैं. ले देके 5% मरीजों को ही जो क्रोनिक पैन से ग्रस्त रहते हैं वाड इन्हें लेने की सलाह देतें हैं.
लेकिन कई और माहिर लोवर बेक पैन के लिए इनका इस्तेमाल निरापद मानतें हैं. डॉ फर्रार के अनुसार क्रोनिक पैन से ग्रस्त उनके 75% मरीज़ इनका सालों साल सेवन करते हैं. किसी और डॉ. के इलाज़ से उन्हें दर्द में राहत नहीं मिलती तब वह मेरे पास आते हैं.
डॉ वाड इन दवाओं से परहेजी क़ी दो वजहें बतलाते हैं.
(01) इन दवाओं की आदत हो जाती है.(According to the new Institute of Medicine report, studies show about 3% of chronic pain patients who regularly take opioids develop abuse or addiction, and 12% develop "aberrant drug-related behavior.").ज़ाहिर हैं इनका खतनाक तरीके से गलत इस्तेमाल होने लगता है. व्यवहार भी ऐसे में असर ग्रस्त होने लगता है इन मरीजों का. अवांच्छित असामान्य व्यवहार की गुंजाइश पैदा हो जाती है.
(02) मरीज़ दवा के प्रति अ-संवेदन शील हो जातें हैं इसीलिए उन्हें उसी दर्द से राहत के लिए ज्यादा फिर और भी ज्यादा मात्रा (खुराक) उसी दवा की लेनी पड़ती है. अपना असर खोने लगती है दवा. खुराक का ही हिस्सा बन जाती है. निष्प्रभावी हो जाती है.
बेशक कुछ मरीज़ ऐसे भी हैं जिनका जीवन सामान्य इन्हीं दवाओं के भरोसे चल रहा है. इन्हें हटा लेने के नतीजे विपरीत निकलतें हैं इनके मामले में. असल बात है दर्द की वजह का रेखांकन. मसलन किसी के दांत में दर्द है. दांत खोखले हो गएँ हैं तो दर्द नाशी लेना खुद को धोखे में रखना है. दर्द नाशी आपको भुलावे में ही रखेगा दर्द तो तब जाएगा जब आप केविटी भरवा लोगे. कई माहिर कहतें हैं लोग सालों साल दर्द नाशी खाते रहते हैं बस इस बिना पर क़ि उनकी कमर या फिर पेट में दर्द रहता है लेकिन क्यों रहता है इसका कोई इल्म उन्हें नहीं रहता. डॉ का फ़र्ज़ है जैसे ही कारण का रेखांकन हो मरीज़ को नारकोटिक्स से हटा देना चाहिए. इलाज़ उस वजह का होना है. दर्द तो उसका एक लक्षण मात्र है.
नारकोटिक पैन-किलर लेना ही है तो कुछ नुक्ते इनके अवांछित प्रभावों यथा कब्ज, मिचली आना तथा कन्फ्यूज़न से बचाव के लिए समझने होंगें. इन्हें भी नारकोटिक्स के संग साथ या वैकल्पिक चिकित्सा के बतौर आजमायें:
01 व्यायाम: माहिरों से सीख लेके बताई गई कसरतें करें, दीर्घावधि में इन कसरतों से दर्द में राहत मिलेगी. सोचने में तर्क बुद्धि को लग सकता है दर्द है तो भला एक्सर-साइज़ कैसे करें.
02. वैकल्पिक मेडिसिन
कुछ माहिर दर्द से राहत के लिए वैकल्पिक चिकित्सा का परामर्श देतीं हैं. जैसे अक्यूपंचर आदि!
03. पर्याप्त नींद
डॉ वाड के अनुसार गहरी नींद न ले पाने की स्थिति में दर्द का एहसास बढ़ जाता है. इसलिए रेपिड आई मूवमेंट स्टेज की नींद, जिसमे सपने आते हैं लेने से दर्द का एहसास कमतर होता है. मान लीजिए आपकी ऊंगली में एक कट लगा है अगर आप ठीक से गहरी नींद सोये हैं तब दर्द के 1-10 के स्केल पर दर्द का एहसास 4 के स्तर का होगा. लेकिन ठीक से न सो पाने की स्थिति में यही एहसास बढ़के 7 के स्तर और तीव्रता पर आ जाता है.
4. परिपूरक पोषण
Glucosamine and Chondroitin, मछली का तेल तथा विटामिन बी भी कई किस्म के दर्द से राहत दिलवाते हैं. यही कहना है डॉ. वाड का. ये बातें अध्ययनों से भी पुष्ट हुईं हैं.
5. गर्म शीत
आइस और हीट उपचार भी बेक पैन में सहायक सिद्ध हुआ है.
हेकलर इनके दीर्घावधि सेवन से खुश नहीं थे. आजिज़ आकर इन दवाओं से वह स्पोर्ट्स मेडिसन के माहिर डॉ. वाड की शरण में चले आये. डॉ वाड हॉस्पिटल फॉर स्पेशल सर्जरी मन-हट्टन में काम करतें हैं. वाड ने हेकलर को पहले इन दवाओं से जल्द से जल्द पिंड छुडा के अपना वजन कम करने, योग अभ्यास नित करने, बेक एक्सर-साइज़ करते रहने, साइकिल चलाने, अकसर आइस उपचार करते रहने, मच्छी का तेल लेते रहने की सलाह दी. अलावा इसके ग्लुको-समीन तथा कोन्द्रोइतिन सम्पूरण (Glucosamine and Chondroitin Supplements) तजवीज़ किया. हेकलर इन उपायों को आजमाते हुए अपना वजन 240 से 208 पोंड पर ले आयें हैं. उनका दर्द कम हुआ है लेकिन पूरी तरह गया ज़रूर नहीं है लेकिन बर्दाश्त की उस सीमा में है जहां उनको अब narcotic painkillers लेने की ज़रुरत नहीं पड़ती है.
हेकलर के तजुर्बे ने इस बहस को एक बार फिर गरमा दिया है कि क्या दीर्घावधि इन दर्दनाशी दवाओं का सेवन उचित है? इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिसन की एक रिपोर्ट के अनुसार फिलवक्त 116 मिलियन (11 करोड़ साठ लाख अमरीकी) पुराने लौट आये दर्द से (Chronic Pain) से ग्रस्त हैं.
कहाँ तक वाजिब है नारकोटिक पेनकिलर की एक गोली रोजाना लेना?
स्नायुविक तंत्र तथा रीढ़ के रोगों के कई (Neurologist) माहिर इसे विवाद का बिंदु मानते हैं. इन्हीं में शामिल हैं यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिलवानिया स्कूल ऑफ़ मेडिसन के न्यूरोलोजिस्ट डॉ. टी फर्रार. आप पेन के माहिर हैं.
एक तरफ डॉ. वाड जैसे माहिर हैं जो Percocet and OxyContin जैसे Opioid Pain killers अपने मरीजों को देने से बचते हैं. ले देके 5% मरीजों को ही जो क्रोनिक पैन से ग्रस्त रहते हैं वाड इन्हें लेने की सलाह देतें हैं.
लेकिन कई और माहिर लोवर बेक पैन के लिए इनका इस्तेमाल निरापद मानतें हैं. डॉ फर्रार के अनुसार क्रोनिक पैन से ग्रस्त उनके 75% मरीज़ इनका सालों साल सेवन करते हैं. किसी और डॉ. के इलाज़ से उन्हें दर्द में राहत नहीं मिलती तब वह मेरे पास आते हैं.
डॉ वाड इन दवाओं से परहेजी क़ी दो वजहें बतलाते हैं.
(01) इन दवाओं की आदत हो जाती है.(According to the new Institute of Medicine report, studies show about 3% of chronic pain patients who regularly take opioids develop abuse or addiction, and 12% develop "aberrant drug-related behavior.").ज़ाहिर हैं इनका खतनाक तरीके से गलत इस्तेमाल होने लगता है. व्यवहार भी ऐसे में असर ग्रस्त होने लगता है इन मरीजों का. अवांच्छित असामान्य व्यवहार की गुंजाइश पैदा हो जाती है.
(02) मरीज़ दवा के प्रति अ-संवेदन शील हो जातें हैं इसीलिए उन्हें उसी दर्द से राहत के लिए ज्यादा फिर और भी ज्यादा मात्रा (खुराक) उसी दवा की लेनी पड़ती है. अपना असर खोने लगती है दवा. खुराक का ही हिस्सा बन जाती है. निष्प्रभावी हो जाती है.
बेशक कुछ मरीज़ ऐसे भी हैं जिनका जीवन सामान्य इन्हीं दवाओं के भरोसे चल रहा है. इन्हें हटा लेने के नतीजे विपरीत निकलतें हैं इनके मामले में. असल बात है दर्द की वजह का रेखांकन. मसलन किसी के दांत में दर्द है. दांत खोखले हो गएँ हैं तो दर्द नाशी लेना खुद को धोखे में रखना है. दर्द नाशी आपको भुलावे में ही रखेगा दर्द तो तब जाएगा जब आप केविटी भरवा लोगे. कई माहिर कहतें हैं लोग सालों साल दर्द नाशी खाते रहते हैं बस इस बिना पर क़ि उनकी कमर या फिर पेट में दर्द रहता है लेकिन क्यों रहता है इसका कोई इल्म उन्हें नहीं रहता. डॉ का फ़र्ज़ है जैसे ही कारण का रेखांकन हो मरीज़ को नारकोटिक्स से हटा देना चाहिए. इलाज़ उस वजह का होना है. दर्द तो उसका एक लक्षण मात्र है.
नारकोटिक पैन-किलर लेना ही है तो कुछ नुक्ते इनके अवांछित प्रभावों यथा कब्ज, मिचली आना तथा कन्फ्यूज़न से बचाव के लिए समझने होंगें. इन्हें भी नारकोटिक्स के संग साथ या वैकल्पिक चिकित्सा के बतौर आजमायें:
01 व्यायाम: माहिरों से सीख लेके बताई गई कसरतें करें, दीर्घावधि में इन कसरतों से दर्द में राहत मिलेगी. सोचने में तर्क बुद्धि को लग सकता है दर्द है तो भला एक्सर-साइज़ कैसे करें.
02. वैकल्पिक मेडिसिन
कुछ माहिर दर्द से राहत के लिए वैकल्पिक चिकित्सा का परामर्श देतीं हैं. जैसे अक्यूपंचर आदि!
03. पर्याप्त नींद
डॉ वाड के अनुसार गहरी नींद न ले पाने की स्थिति में दर्द का एहसास बढ़ जाता है. इसलिए रेपिड आई मूवमेंट स्टेज की नींद, जिसमे सपने आते हैं लेने से दर्द का एहसास कमतर होता है. मान लीजिए आपकी ऊंगली में एक कट लगा है अगर आप ठीक से गहरी नींद सोये हैं तब दर्द के 1-10 के स्केल पर दर्द का एहसास 4 के स्तर का होगा. लेकिन ठीक से न सो पाने की स्थिति में यही एहसास बढ़के 7 के स्तर और तीव्रता पर आ जाता है.
4. परिपूरक पोषण
Glucosamine and Chondroitin, मछली का तेल तथा विटामिन बी भी कई किस्म के दर्द से राहत दिलवाते हैं. यही कहना है डॉ. वाड का. ये बातें अध्ययनों से भी पुष्ट हुईं हैं.
5. गर्म शीत
आइस और हीट उपचार भी बेक पैन में सहायक सिद्ध हुआ है.
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वैकल्पिक चिकित्सा के संबंध में जागरुकता बढ़नी चाहिए.
ReplyDeleteकुछ लोग तो जरा से दर्द में भी कॉम्बीफ्लेम जैदी घातक दवा ले लेते हैं। जागरूकता ही इस प्रवृत्ति को रोक सकती है।
ReplyDeleteइस इस सार्थक आलेख के लिए बधाई।
दर्द के लिए दवा तो लेनी ही पड़ती है मगर निदान भी तो होना चाहिए!
ReplyDeleteनार्कोटिक दवाओं का उपयोग केवल और केवल अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अत्यन्त आवश्यक होने पर ही दिया जाना चाहिए। मुझे पिछले दिनों एक वरिष्ठ और नामी चिकित्सक व्यर्थ ही ऐसी दवा दे चुके हैं, केवल दर्द निवारण के लिए जब कि मैं उस दर्द को सहन कर सकता था।
ReplyDeleteवास्तव में डाक्टर इन दवाओं को इस लिए देते हैं कि मरीज को तुरंत राहत महसूस हो और वह चिकित्सक का मुरीद हो जाए। एक तरह से चिकित्सक इन दवाओं को अपने सेल्स प्रमोशन के लिए प्रयोग करते हैं। इस तरह औषध उपयोग की सलाह देना अपराधिक कृत्य घोषित होना चाहिए। कुछ चिकित्सकों को इस में कारावास की सजा भी मिलना चाहिए। उस के बिना यह अपराध रुकेगा नहीं।
दर्द निवारण के लिए नारकोटिक ड्रग्स का उपयोग उन्हीं मरीजों के लिए किया जाना चाहिए जिनके सर्वाइव करने के लक्षण न हों।
ReplyDeleteबहुत ही उपयोगी पोस्ट ।
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कल 08/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!