Carbohydrates can be pretty puzzling, especially when you are first diagnosed with diabetes. Here is a look at the latest on this impo...
Carbohydrates can be pretty puzzling, especially when you are first diagnosed with diabetes. Here is a look at the latest on this important neutrient.
खासा कन्फ्यूज़न रहता है आम जन में मधुमेह में मीठी चीज़ों के सेवन को लेकर. इस भ्रम को फैलाने में तौल घटाने वाले जनप्रिय कोर्सिज का जितना हाथ है उतना ही कई स्वयमन्युक्त गुरुओं का भी है. कुछ डॉ. भी इसमें शरीक हैं. देखते हैं, आधुनिक शोध के आईने में खंगालते हैं, नवीन तथ्यों को. एक भ्रम यह भी फैलाया गया है कि अमरीकी अपनी खुराक में शक्कर ज्यादा लेतें हैं.
तथ्य
अमरीकी खुराक से प्राप्त कुल केलोरियों का तकरीबन 50% कार्बोहाइड्रेट से लेते रहें हैं. सालों से यह सिलसिला यहीं ठहरा हुआ है. क्या है आइये देखें अनुदेश The Institute of Medicine and the Dietary Guidelines for Americans के? क्या कहती है खुराकी अनुदेश ज़ारी करने वाली सलाहकार समिति?
अमरीकियों को ऐसी खुराक लेनी चाहिए जो कुल केलोरियों का 45-65% अंश कार्बोहाइड्रेट से लेती हो. अध्ययनों से पुष्ट हुआ है जिन लोगों की खुराक में शामिल कुल केलोरीज़ का पचास या इससे ज्यादा अंश कार्बोहाइड्रेट से आ रहा है वह अपनी स्वास्थ्य प्रद तौल कद काठी के अनुरूप बनाए रहते हैं.
मधुमेही का खानपान भी इससे ज्यादा भिन्न नहीं है. वह भी अपनी खुराक का तकरीबन 45 % अंश कार्बोहाइड्रेट से लेतें हैं. (सन्दर्भ के लिए देखें- Diabetic Living Fall 2012/ DiabeticLivingOnline.com
Research Recap
हमारे खाना खाने के बाद उस खाद्य से प्राप्त कार्बोहाइड्रेट ही खून में शक्कर के स्तर को बढाने का काम सबसे ज्यादा अंजाम देते हैं. इसलिए आम आदमी का यह सोचना वाजिब लगता है कि शक्कर को कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट (कार्ब्स) खुराक में कम किए जाएं.. लेकिन शोध बताते हैं मामला उतना सीधा नहीं है पेचीदा है-
For starters ,if you have got insulin at the ready (from the pancreas or injection) you will be able to use the glucose from the carbohydrate you eat and control after meal glucose levels. Over the years ,research in people with diabetes(PWDs)-type 1 and 2 -has tested the effects of diets ranging from very low to moderate to high in carbohydrate.
ताज़ा सन्दर्भ इस बाबत मुहैया करवाता है अमरीकी मधुमेह संघ (ADA-American Diabates Association). गत दस बरसों का शोध कार्य संघ ने खंगाला है. तरतीबवार इसका पुनरआकलन किया है.
पता चला PWD ऐसा खानपान अपना सकते हैं, ऐसी खुराकी योजना अपने लिए बना सकतें हैं जिसमें कमतर कार्ब्स (30-40%) से लेकर उच्चतर 65% तक भी हो सकता है. और बावजूद इसके
इनका A1C सुधरा. सुधरता है दिल के लिए जोखिम कम होते हैं. कम हुए हैं. इस अध्ययन में शरीक रहें हैं Madelyn Wheeler, RD. आप मुख्य प्रणेता रहें हैं इस अध्ययन के. -ADA's review of Macroneutrients, Food Groups and Eating Patterns in the Management of Diabetes (Diabetes Care, February 2012).
गांठ बाँधने लायक बात
असल बात यह है कार्ब्स के अलावा और बाकी क्या है आपकी खुराक में.
(1) स्वास्थ्यकर या गैर स्वास्थ्यकर चिकनाई (Healthy or not-so-healthy fat)
(2)क्या ईटिंग प्लान से आपकी तौल में कमी आई.
खासा कन्फ्यूज़न रहता है आम जन में मधुमेह में मीठी चीज़ों के सेवन को लेकर. इस भ्रम को फैलाने में तौल घटाने वाले जनप्रिय कोर्सिज का जितना हाथ है उतना ही कई स्वयमन्युक्त गुरुओं का भी है. कुछ डॉ. भी इसमें शरीक हैं. देखते हैं, आधुनिक शोध के आईने में खंगालते हैं, नवीन तथ्यों को. एक भ्रम यह भी फैलाया गया है कि अमरीकी अपनी खुराक में शक्कर ज्यादा लेतें हैं.
तथ्य
अमरीकी खुराक से प्राप्त कुल केलोरियों का तकरीबन 50% कार्बोहाइड्रेट से लेते रहें हैं. सालों से यह सिलसिला यहीं ठहरा हुआ है. क्या है आइये देखें अनुदेश The Institute of Medicine and the Dietary Guidelines for Americans के? क्या कहती है खुराकी अनुदेश ज़ारी करने वाली सलाहकार समिति?
अमरीकियों को ऐसी खुराक लेनी चाहिए जो कुल केलोरियों का 45-65% अंश कार्बोहाइड्रेट से लेती हो. अध्ययनों से पुष्ट हुआ है जिन लोगों की खुराक में शामिल कुल केलोरीज़ का पचास या इससे ज्यादा अंश कार्बोहाइड्रेट से आ रहा है वह अपनी स्वास्थ्य प्रद तौल कद काठी के अनुरूप बनाए रहते हैं.
मधुमेही का खानपान भी इससे ज्यादा भिन्न नहीं है. वह भी अपनी खुराक का तकरीबन 45 % अंश कार्बोहाइड्रेट से लेतें हैं. (सन्दर्भ के लिए देखें- Diabetic Living Fall 2012/ DiabeticLivingOnline.com
Research Recap
हमारे खाना खाने के बाद उस खाद्य से प्राप्त कार्बोहाइड्रेट ही खून में शक्कर के स्तर को बढाने का काम सबसे ज्यादा अंजाम देते हैं. इसलिए आम आदमी का यह सोचना वाजिब लगता है कि शक्कर को कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट (कार्ब्स) खुराक में कम किए जाएं.. लेकिन शोध बताते हैं मामला उतना सीधा नहीं है पेचीदा है-
For starters ,if you have got insulin at the ready (from the pancreas or injection) you will be able to use the glucose from the carbohydrate you eat and control after meal glucose levels. Over the years ,research in people with diabetes(PWDs)-type 1 and 2 -has tested the effects of diets ranging from very low to moderate to high in carbohydrate.
ताज़ा सन्दर्भ इस बाबत मुहैया करवाता है अमरीकी मधुमेह संघ (ADA-American Diabates Association). गत दस बरसों का शोध कार्य संघ ने खंगाला है. तरतीबवार इसका पुनरआकलन किया है.
पता चला PWD ऐसा खानपान अपना सकते हैं, ऐसी खुराकी योजना अपने लिए बना सकतें हैं जिसमें कमतर कार्ब्स (30-40%) से लेकर उच्चतर 65% तक भी हो सकता है. और बावजूद इसके
इनका A1C सुधरा. सुधरता है दिल के लिए जोखिम कम होते हैं. कम हुए हैं. इस अध्ययन में शरीक रहें हैं Madelyn Wheeler, RD. आप मुख्य प्रणेता रहें हैं इस अध्ययन के. -ADA's review of Macroneutrients, Food Groups and Eating Patterns in the Management of Diabetes (Diabetes Care, February 2012).
गांठ बाँधने लायक बात
असल बात यह है कार्ब्स के अलावा और बाकी क्या है आपकी खुराक में.
(1) स्वास्थ्यकर या गैर स्वास्थ्यकर चिकनाई (Healthy or not-so-healthy fat)
(2)क्या ईटिंग प्लान से आपकी तौल में कमी आई.
Is there research that shows any benefit for a PWD type 2 follow a very-low-carb-diet?
क्या किसी भी शोध की खडकी से आजतक यह तथ्य छनकर बाहर आया है कि टाइप-2 मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति को 'लो कार्ब' खुराक फायदा पहुंचाती है? सवाल का सीधा दो टूक ज़वाब है "नहीं".
यूं यह एकदम से तार्किक लगता है कि रोग निदान से मधुमेह की पुष्टि होने के फ़ौरन बाद कार्ब्स एक दम से कम कर देने में ही भलाई है ताकि खून में बढ़ी हुई शक्कर को नीचे लाया जा सके. लेकिन शोध इस की पुष्टि नहीं करती. अलबता एक चीज़ है जो पुष्ट हुई है तौल में चंद पोंड्स की कमी कर लेना खून में शक्कर के स्तर को जादुई तरीके से कम करता है. बस कुल अपने वजन का 5 % घटा लीजिए.
अगर वजन में यह कमी रोग निदान के रूप में टाइप -2 की पुष्टि के फ़ौरन बाद या इससे ठीक पहले के चरण में (prediabetes) कर ली जाती है तब इंसुलिन रेजिस्टेंस में कमी आती है. जिससे इस हालात में भी शरीर (अग्नाशय) जितना इंसुलिन तैयार कर पा रहा है उसका भरपूर और बेहतर इस्तेमाल होता है. व्यायाम के अलावा चुस्त रहन सहन, फिजिकल एक्टिविटी का भी ऐसा ही सकारात्मक प्रभाव देखा जाता है.
उपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteinformative!
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