हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान की उपयोगिता • डॉ. प्रशांत आर्य हमारे चारों और विज्ञान है. हम सोचदुनिया रहे हैं, भोजन कर रहे हैं, ...
हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान की उपयोगिता
• डॉ. प्रशांत आर्य
हमारे चारों और विज्ञान है. हम सोचदुनिया रहे हैं, भोजन कर रहे हैं, दौड़ रहे हैं या साँस ले रहे हैं; इन सभी जैविक क्रियाओं के पीछे कहीं न कहीं विज्ञान के सिद्धांत कार्य कर रहे हैं. मानव सभ्यता के विकास में 'विज्ञान' का उद्भव मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
विज्ञान ने मनुष्यों को तमाम रोग-व्याधियों से मुक्ति दी है और असंख्य दैनिक सुविधाओं से लैश भी किया है. विज्ञान को मनुष्य का वफादार नौकर की संज्ञा दिया जा सकता है जो जीवन भर हमारे आदेशों का पालन करता रहता है.
वहीं दूसरी तरफ यदि विज्ञान रूपी शक्ति का हम दुरुपयोग करें तो यह क्षण भर में विनाश का मंजर भी ला सकता है. परमाणु की शक्ति जहाँ एक तरफ लाखों घरों में बिजली का उजाला फैला सकती है, वहीँ दूसरी और परमाणु बम बनने पर जीवन में अँधेरा भी ला सकती है.
विज्ञान ने हमारे जीवन के हर एक क्षेत्र में आमूल-चुल परिवर्तन लाये हैं और यह सब विज्ञान के सिद्धांतों के उपयोग से बने उन उपकरणों के कारण संभव हुआ है जिन्होंने हमारे जीवन को सरल बनाया है. आज जहाँ भी अपनी नजर दौड़ाएंगे तो यही पाएंगे कि विज्ञान के सिद्धांतों के हमारे जीवन के हर क्षेत्र में व्यावहारिक उपयोग पर आज समूची दुनिया निर्भर हो चुकी है.
वर्तमान समय में हम चाहते हुए भी विज्ञान को अपने जीवन से निकल नहीं सकते. यदि विज्ञान के बिना दुनिया की कल्पना करें तो हमें एक गहरा शून्य ही दिखाई देता है. एक सामान्य उदाहरण के माध्यम से इस बात को साबित किया जा सकता है. कल्पना कीजिये कि अब तक एडिसन ने विद्युत् बल्ब का अविष्कार न किया होता तो शायद पूरी दुनिया अँधेरे में डूबी रहती. हियरिंग ऐड के आविष्कार ने बहरों को सुनने में मदद की है और कृत्रिम अंगों के उपयोग से अपंग व्यक्ति भी चलने-फिरने लायक बन गए हैं. यहाँ विज्ञान वरदान के सामान साबित हुआ है.
हम यहाँ पर विज्ञान के कुछ सिद्धांतों की चर्चा करेंगे जिनके व्यावहारिक उपयोग से बने उपकरणों और मशीनों ने हमारे जीवन को आरामदायक तथा सुविधासंपन्न बना दिया है.
सबसे पहले हम गुरुत्वाकर्षण बल की बात करते हैं. पृथ्वी अपने भीतर मौजूद इस बल से सभी पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करती है जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर हम मनुष्यों सहित सभी जीव और अन्य पदार्थ स्थिर बने रहते हैं. यदि यह गुरुत्वाकर्षण बल न होता जैसा कि अंतरिक्ष में यह बल
नगण्य होता है, तो पृथ्वी पर कोई भी वस्तु नहीं टिकती और हम सभी हवा में तैर रहे होते. इस बल की
वैज्ञानिक व्याख्या सबसे पहले आईजक न्यूटन ने दी थी जब बगीचे में एक पेड़ के नीचे बैठे हुए उन्होंने
देखा कि पेड़ से सेब के टूटने पर वह जमीन पर ही गिरता है. वह सोच में पद गए कि सेब जमीन पर ही क्यों गिरा ? यह हवा में तैरने क्यों नहीं लगा ? मन में उठे इन सवालों के जवाब न्यूटन ढूंढने लगे और गुरुत्वाकर्षण बल का अपना महत्वपूर्ण वैज्ञानिक निष्कर्ष दुनिया के सामने रखा.
सूर्य के प्रकाश में असीम उर्जा छिपी होती है. उर्जा काम करने की शक्ति प्रदान करती है. हरे पौधे सूर्य के प्रकाश, वातावरण में मौजूद कार्बन डाई आक्साइड, हरी पत्तियों में स्थित क्लोरोफिल और जड़ों से मिले जल के संयोग से प्रकश संश्लेषण नामक एक रासायनिक क्रिया पत्तियों के अन्दर करते हैं. इस रासायनिक क्रिया के परिणामस्वरूप जीवनदायी आक्सीजन गैस और कार्बोहाईड्रेट के रूप में भोजन का निर्माण होता है. इस क्रिया में सूर्य के प्रकाश उर्जा का महत्वपूर्ण स्थान होता है. यदि सूर्य का प्रकाश न हो तो पौधों में प्रकश संश्लेषण नामक क्रिया के नहीं होने से हमें तमाम प्रकार की हरी सब्जियां और अन्य खाद्यान्न नहीं मिल सकेगा. इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रकाश उर्जा हमारे जीवन को सुचारू रूप से गतिशील बनाने में बेहद मददगार होता है.
माना जाता है कि प्राचीन मिश्र में भवन निर्माता लीवर कि मदद से 100 तन से भी अधिक वजन को ऊपर उठा लेते थे. जब दो परस्पर जुड़े हुए सिरों के बीच में अधिक दूरी हो और एक सिरे पर अधिक वजन रख दें तथा विपरीत सिरे से थोडा बल लगाने पर ही दूसरे सिरे वाला आसानी से ऊपर उठ जाता है. इस प्रकार के उपकरण को लीवर कहते हैं.
लकड़ी, कोयले या तेल के दहन से रासायनिक उर्जा उत्पन्न होती है और इस उर्जा के उपयोग पर हमारे अनेक उद्योग निर्भर हैं. विद्युत उर्जा को उष्मीय उर्जा में परिवर्तित करके इसका उपयोग हम सर्दियों में हीटर, ब्लोवर, गीजर या एयर कंडिशनिंग मशीन में करते हैं.
जब उर्जा अनुप्रस्थ तरंगों के रूप में किसी स्रोत से निकलकर लक्ष्य पदार्थ तक पहुंचकर उसमें कम्पन्न उत्पन्न करती है तो उसे ध्वनि उर्जा कहते हैं. विज्ञान के इस ध्वनि उर्जा के कारण हम टीवी, रडियो आदि अनेक इलेक्ट्रोनिक उपकरणों से निकल रही उर्जा को ध्वनि के रूप में अपने कानों द्वारा सुन पाने में समर्थ होते हैं.
आज के जीवन में जितने भी उपकरणों का हम प्रयोग कर रहे हैं जैसे वाशिंग मशीन, मिक्सर, स्कूटर, कार आदि ये सभी यांत्रिक उर्जा से संचालित होते हैं. किसी उपकरण की गति के कारण जो उर्जा उत्पन्न होती है उसे वैज्ञानिक शब्दों में यांत्रिक उर्जा कहते हैं. यह यांत्रिक उर्जा किसी पदार्थ को दूसरे पदार्थ पर एक बल उत्पन्न करने में समर्थ बनती है. इस बल के कारण दूसरा पदार्थ अपनी
स्थिति बदल देता है और विभिन्न उपकरणों में इससे अनेक उद्देश्य पूरे होते हैं.
सूर्य की गर्मी से समुद्र और वायुमंडल में गर्मी उत्पन्न होती है. वायुमंडल के इस उष्मन के परिणामस्वरूप पवन उर्जा उत्पन्न होती है. पृथ्वी में चारों और वायु की गति से जो उर्जा बनती है उसे ही वास्तविक अर्थों में पवन उर्जा कहते हैं. यह उर्जा हम मनुष्यों और प्रकृति के अन्य जीवधारियों में जीवद्रव्य के निर्माण और श्वसन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
सूर्य के प्रकश कि उर्जा हम तक विकिरणों के माध्यम से पहुँचती है. इस उर्जा को सौर उर्जा कहते हैं. इस उर्जा का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है. सूर्य कि उर्जा के बिना पृथ्वी पर जीवन कि कल्पना ही नहीं कि जा सकती है. पेड़-पौधों कि वृद्धि और विकास के आलावा सौर उर्जा को संचित करके सौर कुकर, सौर बिजली तथा अन्य सौर उर्जा चालित उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है. सौर उर्जा पर्यावरण-प्रेम युक्ति है और इससे प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है.
परमाणु के नाभिक से उत्पन्न उर्जा को नाभिकीय उर्जा कहते हैं. नाभिकीय विखंडन, नाभिकीय संलयन या रदिओधर्मि क्षय से मिली अपर उर्जा के उपयोग से बिजली उत्पन्न कि जाती है. यह उर्जा उद्योगों को नयी दिशा देने में समर्थ है. प्राचीन कल के जीवन और तब पाए जाने वाले जीवों के स्वरूप के बारे में हम उन पत्थरों कि उम्र कि गाड़ना रेडियोकार्बन डेटिंग विधि से करते हैं. जीवाश्मों के अध्ययन की मदद से हम पृथ्वी पर जीवों के विकास कि रूप-रेखा बनाने में सक्षम हुए हैं.
हमारे रोजमर्रा के जीवन में बिजली के आविष्कार को विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार माना जा सकता है क्योंकि इसके द्वारा न सिर्फ हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाने वाले अनेक उपकरणों का संचालन यही विद्युत उर्जा करती है. जीवन-रक्षा और अनेक रोगों के उपचार के लिए विज्ञान ने एक्स-रे, सिटी स्कैन, स्फिग्मोमैनोमीटर, स्टेथोस्कैप जैसे अनेक उपकरणों का आविष्कार किया है. इनके महत्त्व अर्थात विज्ञान के महत्त्व को हम नकार नहीं सकते.
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ReplyDeleteसुन्दर.अच्छी रचना.रुचिकर प्रस्तुति .; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ
ReplyDeleteकभी इधर भी पधारिये ,
इतना महत्वपूर्ण है !!!
ReplyDelete(मैं तो डर ही गया )
लगभग सभी प्रकार से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा और उसके प्रयोग की एक अच्छी प्रस्तुती !
ReplyDeletebahut badiya hain aapka articals. prasad from Ap. karimnagaer
ReplyDeletesir yeh aapka articals bahut badiya hain. prasad karimnagar. Ap.
ReplyDeleteExcellent
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