IBM द्वारा विकसित ब्रेन लाइक चिप 'टू्ू नार्थ ब्रेन', की कहानी, जिसके द्वारा कम्प्यूटर अब इंसानी दिमाग को चुनौती देने के करीब पहुंच गया है।
दोस्तों कंप्यूटर की दुनिया भी कितनी दिलचस्प है, जब से ये मुआ बना है तब से किसी को चैन से सोने ही नहीं देता और न ही आने वाले समय में सोने देगा, चाहे वी इसको ऑपरेट करने वाले मुझ जैसे आम लोग हों या फिर इसके विशेषज्ञ वैज्ञानिक, क्योंकि जब से ये बना है तब से हर क्षेत्र में इसके बढ़ते उपयोग के कारण हर दिन नयी नयी रिसर्च जन्म लेती है, जिनका सिलसिला आने वाले कई सालो तक भी खत्म होने वाला नहीं है।
यहाँ हर रोज नये नये "आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया" कंप्यूटर वैज्ञानिकों के दिमाग पर दस्तक देते हैं और ये वैज्ञानिक भी रिसर्च के बड़े शौक़ीन होते हैं। इनको एक बार कोई आईडिया आ जाये तो आईडिया पर रिसर्च को पूरा करके ही दम लेते हैे, भले ही कितना समय क्यों न लग जाए। इनमें धैर्य भी बहुत गजब का होता है, टूटने ही नहीं देते इसको।
यहाँ हर रोज नये नये "आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया" कंप्यूटर वैज्ञानिकों के दिमाग पर दस्तक देते हैं और ये वैज्ञानिक भी रिसर्च के बड़े शौक़ीन होते हैं। इनको एक बार कोई आईडिया आ जाये तो आईडिया पर रिसर्च को पूरा करके ही दम लेते हैे, भले ही कितना समय क्यों न लग जाए। इनमें धैर्य भी बहुत गजब का होता है, टूटने ही नहीं देते इसको।
कंप्यूटर के प्रयोग को इतना आम और दिलचस्प बनाने में दो ही चीजो का विशेष योगदान है। एक तो है हार्डवेयर, आज के समय में कंप्यूटर के प्रयोग से सम्बंधित नये नये हार्डवेयर विकसित हो रहे हैं। चाहे वो हाई स्पीड प्रोसेसर हों या फिर बढ़ती मेमोरी की रैम, चिप या हार्ड डिस्क या फिर अन्य चिप जो मदरबोर्ड से चिपकी रहती हैं, ऐसे चिपकी रहती हैं जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ का साथ नहीं छोड़ता। सच में ये मदरबोर्ड माँ है इनकी जो इतनी सारी चिपों का ध्यान रखती है और तकनिकी भाषा में हम इन चिपों को रेजिस्टर्स, ट्रांस्जिस्टर्स आदि भी कह सकते हैं।
दूसरा जो बड़ा योगदान है, वह है अनेक प्रकार की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का, जिसमें कंप्यूटर के प्रयोग के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किये जाते हैं चाहे वो सिस्टम सॉफ्टवेयर हो या फिर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर। वही आज के समय में चिप प्रोग्रामिंग का भी बड़ा महत्त्व जिसकी वजह से बड़े बड़े काम के लिए बनाये गए सॉफ्टवेयर को महज एक छोटी सी चिप में प्रोग्राम्ड कर दिया जाता है, जिसका सबसे आसान उदाहरण हम मोबाइल फ़ोन का ले सकते हैं, जिसमे एक छोटी सी चिप में इतने सारे फंक्शन्स की प्रोग्रामिंग लोड रहती है।
दूसरा जो बड़ा योगदान है, वह है अनेक प्रकार की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का, जिसमें कंप्यूटर के प्रयोग के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किये जाते हैं चाहे वो सिस्टम सॉफ्टवेयर हो या फिर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर। वही आज के समय में चिप प्रोग्रामिंग का भी बड़ा महत्त्व जिसकी वजह से बड़े बड़े काम के लिए बनाये गए सॉफ्टवेयर को महज एक छोटी सी चिप में प्रोग्राम्ड कर दिया जाता है, जिसका सबसे आसान उदाहरण हम मोबाइल फ़ोन का ले सकते हैं, जिसमे एक छोटी सी चिप में इतने सारे फंक्शन्स की प्रोग्रामिंग लोड रहती है।
खैर आइये अब कुछ नयी बात कर लेते हैं, बात दरअसल ये है कि हम सब जानते है कि कंप्यूटर और इंसान के दिमाग में सबसे बड़ा फर्क ये है की कंप्यूटर इंसानी दिमाग की तरह सोच नहीं सकता, चीजों को खुद से पहचान नहीं सकता, भावनाओं को पहचानने की क्षमता नहीं होती, इसलिए ही शायद इंसान के दिमाग को सबसे बड़ा कंप्यूटर कहा जाता है जो आसानी से नयी चीजों को सीख लेता है, विषय वस्तुओ की पहचान कर लेता है, आवाज को पहचान लेता है और किसी भी निर्णय या एक्शन लेने के लिए तुरंत जवाब देता है।
मगर अब क्या कहें अब तो लगता है कि कंप्यूटर और इंसान के बीच ये फर्क भी ज्यादा वर्षों तक रहने वाला नहीं है। ये वैज्ञानिक चैन से नहीं बैठने वाले, ले आये, न्यूरल नेटवर्क और सॉफ्ट कंप्यूटिंग के क्षेत्र को जिसकी मदद से अब ये कंप्यूटर को इंसान के दिमाग के तुल्य बनाने में लगे हैं। न्यूरॉन्स को आधार बनाकर नयी नयी खोजे हो रही हैं। इसका एक उदाहरण आई.बी.एम कंपनी दवरा बनायी गयी ये चिप है जिसका नाम "ट्रू नार्थ" है। इस चिप का आकार महज एक पोस्ट स्टाम्प के बराबर है, मगर काम में किसी भारी भरकम सुपर कंप्यूटर से कम नहीं है। इस चिप को मानव दिमाग की संरचना के अध्ययन से बनाया गया है ताकि ये इंसानी दिमाग की तरह सोच सके, हमारे वातावरण में मौजूद चीजों को पहचान सके।
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इस चिप में 5.4 अरब ट्रांज़िस्टर्स हैं जिनकी वजह से ये काफी कम इलेक्ट्रिक ऊर्जा लेती है। इस चिप में 10 लाख प्रोग्रामेबल न्यूरॉन्स है (यहाँ हम न्यूरॉन्स को मानव दिमाग के सन्दर्भ में कोशिकाएं कह सकते हैं ) और 25.6 करोड़ या 256 मिलियन सिनेप्स (Synapse, जिसको हम मानव दिमाग के संदर्भ में सूत्रयुग्मन कह सकते हैं, ये एक जंक्सन की तरह हैं जहां पर दो न्यूरॉन मिलते हैं )। मानव दिमाग में लगभग 100 बिलियन न्यूरॉन्स और 100 से 150 ट्रिलियन सिनेप्स होते हैं। इन न्यूरॉन्स और सिनेप्स की वजह से ही हम किसी चीज को पहचान पाते हैं, कोई निर्णय ले पाते हैं और किसी क्रिया के प्रति रेस्पोंस कर पाते हैं। इस तरह से ये चिप एक छोटे आकार के मानव दिमाग की तरह है।
इस चिप को आई,बी.एम .कंपनी ने DARPA SyNAPSE प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के टीम के हेड डॉक्टर धर्मेन्द्र मोधा हैं। इस चिप के संदर्भ में इनका कहना है की हमने कोई मानव दिमाग नहीं बनाया है, बल्कि हमने एक ऐसी चिप को बनाया है जो मानव दिमाग से प्रेरित है और उसके जैसे कुछ कार्य करने में सक्षम है। इस चिप का प्रयोग पब्लिक सुरक्षा, ट्रांसपोर्टेशन, मेडिकल (होम हेल्थ मॉनिटरिंग), विजन असिस्टेंट आदि के लिए किया जा सकता है।
दोस्तों यहाँ इस पोस्ट में इस चिप के बारे में जानकारी के लिए एक वीडियो अटैच किया जा रहा है जिसको यूटुब से लिया गया आप इसको देख सकते हैं. कैसा होगा आने वाला समय, डर लगता है "कंप्यूटर कहीं इंसान, न बन जाए संभालो यारो।"
Reference - http://www.research.ibm.com/articles/brain-chip.shtml
मनोज कुमार युवा एवं उत्साही लेखक हैं तथा 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' के सक्रिय सदस्य के रूप में जाने जाते हैं।
आप जून 2009 से ब्लॉग जगत में सक्रिय हैं और नियमित रूप से अपने ब्लॉग 'डायनमिक' के द्वारा विज्ञान संचार को मुखर बना रहे हैं।
इसके अलावा आपके लेख हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका 'साइंटिफिक वर्ल्ड' में भी पढ़े जा सकते हैं।
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लेखक परिचय:
मनोज कुमार युवा एवं उत्साही लेखक हैं तथा 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' के सक्रिय सदस्य के रूप में जाने जाते हैं। आप जून 2009 से ब्लॉग जगत में सक्रिय हैं और नियमित रूप से अपने ब्लॉग 'डायनमिक' के द्वारा विज्ञान संचार को मुखर बना रहे हैं।
इसके अलावा आपके लेख हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका 'साइंटिफिक वर्ल्ड' में भी पढ़े जा सकते हैं।


कृृत्रिम बुद्धि का इंसानी दिमाग तक की यात्रा का पहला कदम है यह। इस जानकारी को यहां पर साझा करने के लिए शुक्रिया!
ReplyDeleteIntresting matter.
ReplyDeleteपहले इंसान तो इंसान बन जाए.....
ReplyDeleteपरमात्मा है वे सारी सृष्टिका सृजनकिया है हमे तो सिर्फ यह ध्यान करना है। अब परमात्मा क्या कर रहे है वह तो परमात्माहि जाने जैसे श्री मद्भगवद्गीता मे एक श्लोक है- अच्युत कर मति ईश्वरा:- शरीर यद्वा महापनौति ईश्वरमेंही चित्त को बनाये रखना यही ज्ञानहै।
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