बच्चों के मन से गणित का भय दूर करने के आसान उपाय।
गणित को लेकर बच्चों में अनावश्यक हव्वा खड़ा किया जाता है। यदि उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखते हुए उससे परिचित कराया जाए, तो वे बिना किसी डर के उसे सीखते हैं। यह आप
पिछली कड़ी में पढ़ चुके हैं। अब पढ़ें आगे:
शून्य की अवधारणा एवं स्थान मान:
एक
से लेकर नौ तक की संख्या के बारे में समझ विकसित होने के बाद ही बच्चों को
शून्य के बारे में बताया जाए। इसके लिए बिस्किट, टॉफी या फिर पेड़ की छोटी
सी टहनी या किसी भी वस्तु का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए पांच
टाफियों से इस खेल को शुरू करते हैं। मान लेते हैं कि राजीव के पास पांच टाफियां हैं। उसने एक टॉफी खा ली, तो उसके बाद कितनी टाफियां बचीं? फिर
उसने एक टॉफी अपने भाई और एक टॉफी अपनी बहन को दे दी, तो उसके बाद कितनी
टाफियां बचीं? उसके बाद अगर उसने एक टॉफी और खा ली और एक टॉफी रास्ते में
कहीं गिर गयी, तो उसके पास कितनी टाफियां बचीं? यह पूछने पर बच्चे जवाब
देंगे कि कुछ नहीं बची। अब ऐसे में बच्चों से ही सवाल पूछें कि जब कुछ नहीं
बचा, तो इसको कैसे लिखेंगे? यह सुनकर बच्चे सोच में पड़ जाएंगे। तब उन्हें
बताएं कि ‘कुछ नहीं’ को कहते हैं ‘जीरो’। जैसे मुर्गी का अंडा होता है न,
वैसे ही होता है जीरो, जिसका मतलब ‘कुछ नहीं’ होता है।
इसके
बाद बच्चों को बताएं कि भले ही शून्य का मान कुछ नहीं होता है, लेकिन अगर
यह किसी भी संख्या के बाद में जुड़ जाता है, तो उसका मान दस गुना बढ़ जाता
है। जैसे कि एक के साथ जीरो लगा दो तो दस बन जाता है दस और दो के साथ जीरो
लगा दो तो बीस की संख्या बन जाती है। फिर बच्चों को बताएं कि दस की संख्या
कैसे-कैसे बनती है। यानी कि पांच और पांच मिला दो, दो और आठ मिला दो, तीन
और सात मिला दो या फिर चार और छ: मिला दो, तो दस की संख्या बन जाती है।
दस
की अवधारणा को बताने का सबसे व्यवहारिक तरीका सींक/माचिस की तीली एवं उसके
बंडल के उपयोग का है। इसके लिए एक आकार की ढ़ेर सारी सींकें इकट्ठी कर लें
और उनके दस-दस सींकों के कई बंडल बना लें। कुछ सींकें खुली भी रखें। उसके
बाद उनके द्वारा गतिविधि करवाएं।
इसकी शुरूआत जोड़ से कर
सकते हैं। मान लेते हैं कि हम सात और पांच का जोड़ बच्चों को समझाना चाहते
हैं। इसके लिए पांच और सात तीलियां अलग-अलग लें और बच्चों को उन्हें
मिलाकर जोड़ने के लिए कहें। बच्चे उन्हें जोड़ कर बताएंगे- बारह। अब बारह
में से दस सींकों को जोड़ कर एक बंडल बना लें और दो खुली सीकों को अलग कर
लें।
अब बच्चों को यह बताएं कि ये जो खुली वाली सींक
हैं, इन्हें ‘इकाई’ भी कहते हैं। और चूंकि बंडल में दस तीलियां हैं, इसलिए
इसे ‘दहाई’ भी कहते हैं। दहाई देखने में भले ही एक है, लेकिन चूंकि इसमें
दस सींक आपस में बंधी हुई हैं, इसलिए इसका मान दस है। उसके बाद बच्चों को
बारह लिख कर दिखाएं और उसमें उसे इकाई और दहाई को बताएं कि इकाई दाईं ओर
लिखी जाती है और दहाई बाईं ओर। इसी तरह बड़ी संख्याओं के जोड़ भी सीकों के
द्वारा बताएं, जिनमें दहाई की संख्या दो या तीन आए, जिससे बच्चों में दहाई
और स्थान मान की समझ अच्छे से विकसित हो सके।
स्थान मान
की समझ को विकसित करने के लिए अन्य मजेदार खेल भी खिलाए जा सकते हैं। जैसे
एक से लेकर नौ नंबर तक के कार्ड बनाएं और उन्हें नौ बच्चों को देकर उन्हें
एक जगह एकत्रित करें। उसके बाद उन्हें बताएं कि अब मैं कोई संख्या बोलूंगा
और आप लोगों को अपने कार्ड के साथ उस संख्या को प्रदर्शित करना होगा। जैसे
कि मैं कहूंगा बारह, तो दो नंबर वाले कार्ड को दाईं ओर और एक नंबर कार्ड
वाले बच्चे को बाईं ओर खड़े होना होगा। हो सकता है कि इस खेल के दौरान
बच्चे विपरीत जगहों पर खड़े हो जाएं, ऐसे में उन्हें बताना होगा कि अगर एक
के स्थान पर दो की संख्या रख दी जाएगी, तो यह संख्या बारह के स्थान पर
इक्कीस बन जाएगी। इक्कीस में दो का मान बीस है, और उसके लिए दस-दस सींकों
के दो बंडलों की जरूरत पड़ेगी।
गुणा की अवधारणा:
बच्चों
में गुणा की अवधारणा विकसित करने के लिए भी कंचों अथवा सींकों की मदद ली
जा सकती है। बच्चों के एक समूह को आठ कंचे देकर उनसे कहें कि दो-दो कंचों
के चार ढ़ेर बनाएं। जब वे ऐसा कर लें, तो उनसे कहें कि इन सभी को एक साथ
गिनें। बच्चे उन्हें गिन कर बताएगें- आठ। इसी तरह अलग-अलग संख्याओं के ढ़ेर
के साथ बच्चों से कई बार इसका अभ्यास करवाएं, जब बच्चे इस कार्य को
सहजतापूर्वक करने लगें, तो उन्हें बताएं कि कि इसे ऐसे भी लिखा जाता है,
2X4 अथवा 3X5 । इसी के साथ उन्हें गुणा के चिन्ह के बारे में भी बताएं और
अलग-अलग संख्याएं लिखवा कर अभ्यास करवाएं। इसके बाद बच्चों को यह बताएं कि
2X4 का मतलब है दो को चार बार लिख कर जोड़ना। जैसे: 2X4= 2+2+2+2 =8
इसी के साथ आप बच्चों को यह भी बता सकते हैं कि इसी तरह से पहाड़े (टेबल) भी बनाए जाते हैं:
दो एकम दो, 2X1= 2
दो दूनी चार, 2X2= 2+2 = 4
दो तियां छ:, 2X3= 2+2+2 = 6
दो चौको आठ, 2X4= 2+2+2+2 = 8
दो पंचे दस, 2X5= 2+2+2+2+2 = 10
इसी
प्रकार विभिन्न संख्याओं के उदाहरण के साथ बच्चों में गुणा की अवधारणा
अच्छी तरीके से विकसित की जा सकती है। एक बार जब वे दो की संख्या के इस खेल
को समझ जाएंगे, तो इसे अन्य संख्याओं के साथ भी अच्छे से करने लगेंगे।
भाग की अवधारणा:
भाग
की अवधारणा समझाने के लिए कंचों एवं चॉक का सहारा लें। सबसे पहले बच्चों
को 10 कंचे दें और फिर उन्हें चॉक के द्वारा दो घेरे बनाने के लिए कहें।
घेरे बनाने के बाद उनसे कहें कि वे अपने कंचों के ढ़ेर में से एक-एक कंचा
उठाएं और उन्हें इन घेरों में समान रूप से रखें। जब वे यह काम कर लें, तो
उनसे पूछें कि पहले हमारे पास कितने कंचे थे? हमने इन कंचों को कितने
ढ़ेरों में बांटा? अब हर ढ़ेर में कितने कंचे हैं?
जब
बच्चे इसे ठीक तरह से बता दें, तो उन्हें बताएं कि इससे यह पता चलता है कि
हम दस कंचों को को दो बराबर-बराबर भागों को बांटें, तो हर भाग के हिस्से
में पांच कंचे आते हैं। बांटने की यह काम ‘भाग करना’ भी कहलाता है। अगर
आपसे कोई कहे कि दस को दो भाग में बांटों, तो इसका मतलब है कि दस में दो का
भाग दो।
बच्चों के साथ अलग-अलग संख्याओं के द्वारा इस
क्रिया को कई बार करवाएं, जिससे वे भाग देने का मतलब आसानी से समझ जाएं। जब
वे इस काम में एकदम निपुण हो जाएं, तब उन्हें बताएं कि इसे कॉपी में किस
तरह से लिखते हैं और भाग के लिए कौन सा निशान प्रयोग किया जाता है।
सम/विषम संख्याएं:
बच्चों में सम और विषय संख्याओं की समझ पैदा करने के लिए एक बेहद रोचक खेल है- ‘ऊना की पूरा’।
इसे दो बच्चों अथवा दो टीमों के साथ खेला जा सकता है। इसमें एक बच्चा अपने
हाथ में कुछ कंकर लेकर अपने साथी से पूछता है- ऊना कि पूरा? अगर सामने
वाला बच्चा ‘पूरा’ कहता है, तो वह बच्चा मुट्ठी खोलकर उसमें बंद कंकर जमीन
पर रख देता है और उनमें से दो-दो की ढ़ेरियां बनाता है। अगर सारे कंकर
दो-दो की ढ़ेरियों में बंट जाते हैं, तो इसका मतलब है कि पूरा, नहीं तो
ऊना। पूरा होने पर उन कंकरों को सामने वाला बच्चा जीत जाता है। वह उन
कंकरों को ले लेता है और खुद इस खेल को दोहराता है। लेकिन अगर ‘ऊना’ होता
है, तो पहले से चाल चल रहा बच्चा जीत जाता है और वह दोबारा इस चाल को चलता
है।
जब बच्चे इस खेल के अभ्यस्त हो जाएं और दो-दो की
ढ़ेरियां लगाने में माहिर हो जाएं, तब उन्हें बताएं कि ‘पूरा’ को ‘सम
संख्या’ और ‘ऊना’ को ‘विषम संख्या’ भी कहते हैं। सम का मतलब है जो संख्या
दो से कट जाए अर्थात जिसके दो-दो के पूरे ढ़ेर लगाए जा सकें। जबकि विषम
संख्या का मतलब है कि जिसके दो-दो के पूरे ढ़ेर न लग पाएं, अर्थात वह दो से
पूरी तरह से न कट पाए।
निष्कर्ष:
गणित
एक अमूर्त विषय है। उसके शिक्षण की सभी समस्याएँ, अभ्यास व मूल्यांकन
पद्धतियां यांत्रिक हैं। उनमें दुहराव की भरमार है तथा गणना पर ज्यादा ज़ोर
दिया गया है। इसमें स्थानिक चिंतन जैसे गणितीय क्षेत्रों को उतना स्थान
नहीं दिया गया है, जितना दिया जा सकता था। यही कारण है कि बच्चे इसे देख कर
घबरा जाते हैं और भय खाने लगते हैं।
लेकिन यदि प्रत्येक
बच्चे के साथ इस विश्वास के आधार पर काम किया जाए कि उसमें स्कूली गणित का
गूढ़ दर्शन समझाने के बजाय विभिन्न गतिविधियों के द्वारा उसे गणित के
रहस्यों से परिचित कराया जाए और उसकी प्रत्येक समस्या अथवा प्रणाली को समाज
से जोड़ते हुए पहले भौतिक वस्तुओं, तत्पश्चात चित्रों और उसके बाद अंकों
के द्वारा हल किया जाए, तो बच्चे उसके भीतर छिपी प्रणाली से आसानी से
परिचित हो जाते हैं और गणित के अभ्यस्त हो जाते हैं।
लेकिन
इन गतिविधियों को करते समय अध्यापक को पर्याप्त धैर्य से काम लेना चाहिए
और साथ ही उसे यह विश्वास भी होना चाहिए कि प्रत्येक बच्चा गणित सीख सकता
है। ऊपर बताई गयी गतिविधियां कुछ उदाहरण भर हैं। अध्यापक इनके अलावा भी
गतिविधियां बना सकते हैं तथा अन्य प्रक्रियाओं के लिए भी नई गतिविधियों का
सृजन कर सकते हैं। ऐसा करते हुए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर
समस्या के समाधान के अनेक तरीके हैं, बस जरूरत है उन्हें जानने और समझने
की। अगर उन्हें अच्छे से समझ लिया जाए और बच्चों तक सही ढ़ंग से पहुंचा
दिया जाए, तो फिर कोई कारण नहीं बनता कि प्रत्येक बच्चा गणित से प्यार न
करने लगे।
keywords: Maths Tricks for Kids in hindi, Math Tricks That Make, Mathematical Magic Trick in hindi, Math tricks for kids in hindi, fun math tricks for kids in hindi, amazing math tricks for kids in hindi, math tricks with solution in hindi, mental maths in hindi, multiplication mental math in hindi, mental math practice in hindi, math shortcuts in hindi, mental arithmetic practice in hindi
अत्यंत उपयोगी आलेख। आभार।
Deletevery informative
Deleteबच्चो को सिखाने के के लिए उपयोगी ट्रिक्स !
Deleteगणित को रोचक बनाने के बढ़िया उपाय। मुझे समझ नहीं आया कि गणित से डर कैसा ?
DeleteMujhe kisi ne is terah bataya hota to aaj meri maths theek hoti
DeleteGood trick's well done
DeleteGood thinks well done
DeleteGood thinks well done
Deleteबहुत सुन्दर ।सरहानीय ।प्रयास के लिए साधुवाद !
Deleteगणित को सिखाने का तरीका आना चाहिए, बच्चे सबसे अधिक गणित को पसंद करते हैं.
Delete