इधर के वर्षों में यह आश्चर्यजनक रूप से देखने में आया है कि कुछ महिलाएँ अपनी फिगर के लिए बच्चों को स्तनपान (Breastfeeding) कराने से परहे...
इधर के वर्षों में यह आश्चर्यजनक रूप से देखने में आया है कि कुछ महिलाएँ अपनी फिगर के लिए बच्चों को स्तनपान (Breastfeeding) कराने से परहेज करने लगी हैं। ऐसे में सवाल यही है कि क्या वास्तव में महिलाओं के लिए मातृत्व के मायने बदल रहे हैं? 'स्तनपान सप्ताह' (Breastfeeding week) के दौरान इस लेख को पढ़ने के बाद मैंने यह लेख लिखने का मन बनाया था। खेदवश अब यह आपके सामने प्रस्तुत है।
हम सभी इस बात से वाकिफ़ है कि माँ का दूध अमृत समान होता है! पहली बार मॉं बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्यकता होती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्त हो जाते हैं. शिशुओं को जन्म से छ: माह तक केवल माँ का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है. और इसीलिए स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के मक़सद से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है.
स्तनपान की आवश्यकता, क्यूँ?
थोड़ा कठिन शब्दों में जानें तो कुछ यूँ समझिये कि माँ के दूध, ख़ासकर शिशु जन्म के बाद के दूध को सामान्य दूध नहीं कह सकते बल्कि यह तो शिशु के लिए अमृत से भी बढ़कर होता है. वैज्ञानिक भाषा में इसे कोलोस्ट्रम (Colostrum) कहते हैं. कोलोस्ट्रम यानी वह गाढ़ा, पीला दूध जो शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों (एक सप्ताह से कम) में उत्पन्न होता है. शिशु के पैदा होने के तुरंत बाद उसको माँ के इसी दूध को पीने की सलाह दी जाती है. वही सामान्य तौर पर स्तनपान भी बहुत ज़रूरी है क्यूंकि कोलोस्ट्रम तो एक सप्ताह के अन्दर ही ख़त्म हो जाता है लेकिन माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन (lactoferrin) नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्व को बांध लेता है और लौह तत्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते हैं.
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माँ के दूध में रोगाणुनाशक एलिमेंट्स भी होते हैं. बच्चा इस तरह माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है. कुछ लोग गाय के दूध को माँ के दूध से भी बढ़कर मानते हैं और माँ के दूध से पहले उसे देते हैं जो कि ग़लत परम्परा है क्यूंकि गाय के दूध को पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लीवर का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। माँ के दूध में जरूरी पोषक तत्व, एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट मौज़ूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं इसलिए सिर्फ़ माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए बेहतर ही नहीं, जीवनदायक भी होता है.
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माँ के दूध में रोगाणुनाशक एलिमेंट्स भी होते हैं. बच्चा इस तरह माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है. कुछ लोग गाय के दूध को माँ के दूध से भी बढ़कर मानते हैं और माँ के दूध से पहले उसे देते हैं जो कि ग़लत परम्परा है क्यूंकि गाय के दूध को पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लीवर का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। माँ के दूध में जरूरी पोषक तत्व, एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट मौज़ूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं इसलिए सिर्फ़ माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए बेहतर ही नहीं, जीवनदायक भी होता है.
कोलोस्ट्रम क्या होता है?
माँ के प्रथम दूध को कोलोस्ट्रम (colostrum) कहते हैं यानी वह गाढ़ा, पीला दूध जो शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों (एक सप्ताह से कम) में उत्पन्न होता है, उसमें विटामिन, एन्टीबॉडी, अन्य पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं. एक शब्द में इसे 'अमृत' कह सकते हैं.
स्तनपान कैसे कराया जाए?
स्तनपान के लिए कोई भी स्थिति, जो सुविधाजनक हो, अपनायी जा सकती है. अगर बच्चा स्तनपान नहीं कर पा रहा हो तो एक कप और चम्मच की सहायता से स्तन से निकला हुआ दूध पिलायें. कम जन्म भार के और समय पूर्व उत्पन्न बच्चे भी स्तनपान कर सकते हैं. बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को दस्त (Loose motion) रोग होने का खतरा बहुत अधिक होता है अतः बच्चों को बोतल से दूध कभी नहीं पिलायें. जब बच्चा 6 माह का हो गया हो तो उसे माँ के दूध के साथ- साथ अन्य पूरक आहर की भी आवश्यकता होती हैं. अगर बच्चा बीमार हो तो भी स्तनपान एवं पूरक आहार जारी रखना चाहिए स्तनपान एवं पूरक आहार से बच्चे के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होता है.
आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सिर्फ़ 23% माताएँ ही शिशु के जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान करा पाती हैं। वहीं उत्तरप्रदेश में यह आँकड़ा सिर्फ़ 7.2% है। जो कि भारतीय राज्यों में शिशु स्तनपान के अनुपात में 28 वें स्थान पर आता है। जो महिलायें शिशु को जन्म के पहले एक घंटे में स्तनपान शुरू करा देती हैं उनके पास शिशुओं को पहले 6 महीने तक सफलतापूर्वक और पूर्णतः स्तनपान कराने के व्यापक अवसर बढ़ जाते हैं। पहले 6 महीनों तक पूर्णतः स्तनपान कराने से शिशु स्वस्थ रहता है और पूर्ण क्षमता के साथ उसके विकास को भी सुनिश्चित करता है.
स्तनपान के लाभ
सबसे पहले अप ये जान लें कि माँ के दूध के टक्कर में न तो कोई जानवर (यहाँ तक कि गाय भी) का दूध है और न ही कोई कृत्रिम (artificial) दूध है. लाभ के मद्देनज़र कुछ चीज़ें यूँ समझ लीजिये कि माँ का दूध आसानी से पच जाता है जिससे शिशु को पेट सम्बन्धी गड़बड़ियां नहीं होती है. स्तनपान से शिशु की दिमाग़ी ताक़त भी बढ़ती है क्योंकि स्तनपान करानेवाली माँ और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मज़बूत होता है वहीँ स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रेगनेंसी (Pregnency) के समय या स्तनपान के दौरान माँ का जो भी खान-पान रहता है वह बाद में बच्चे के लिए भी पसंदीदा बन जाता है वहीँ दुसरी तरफ़ स्तनपान से बच्चे का आई. क्यू. अच्छी तरह विकसित होता है,
कृत्रिम दूध और माँ के दूध में फ़र्क़
माँ के दूध में अनेक गुणधर्म हैं, जिनका अनुकरण करना नामुमकिन है। कृत्रिम दूध में माँ के दूध के जैसी सामग्री कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फेट और विटामिन इत्यादि डाल दिए जाते हैं, किंतु इनकी मात्रा नियत रहती है। माँ के दूध में इनकी मात्रा बदलती रहती है। कभी माँ का दूध गाढा रहता है तो कभी पतला, कभी दूध कम होता है तो कभी अधिक, जन्म के तुरंत बाद और जन्म के कुछ हफ्तों बाद या महीनों बाद बदला रहता है। इससे दूध में उपस्थित सामग्री की मात्रा बदलती रहती है, और यह प्रकृति का बनाया गया नियम है कि माँ का दूध में बच्चे की उम्र के साथ बदलाव (adjust) होते रहते हैं। भौतिक गुणवत्ता के अलावा, माँ के दूध में अनेक जैविक गुण होते हैं, जो कि कृत्रिम दूध में नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए माँ के दूध देने से माँ-बच्चे के बीच लगाव, माँ से बच्चे के रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा मिलना और अन्य। इसके बावज़ूद जिन माँ को अपना दूध नहीं हो पाता है, उनके लिए फ़िर यही जानवर या कृत्रिम दूध का सहारा होता है.
-सलीम ख़ान
sarthak jankari
ReplyDeletechir parichir shailee men gyanwardhak aur sudharatmak lekh
ReplyDeleteभाई वाह क्या बात है यहाँ भी झण्डे गाड़ रखे हैं हैट्स ऑफ़ यू
ReplyDeleteati-sundar
ReplyDeleteमाँ के दूध के टक्कर में न तो कोई जानवर (यहाँ तक कि गाय भी) का दूध है और न ही कोई कृत्रिम दूध है
ReplyDeletetum kuchh kar lo tumhari chhavi sudharne wali nahin
ReplyDeleteघबराओ नहीं. एक बार फ़िर अच्छे लेख के लिए आतंकवाद ...सॉरी जुबान फिसल गयी ...साधूवाद
ReplyDeleteसलीम भाई हर प्रकार की लेखन कला मे निपुण है
ReplyDeleteजानकारी के लिए शुक्रिया
http://sciencemodelsinhindi.blogspot.com/2010/08/flood-rescue.html
अच्छी जानकारी के लिए आभार ।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने पर आज कल की माताये फिगर ना खराब हो इसके चक्कर मे ज्यादा रहती हॆ...
ReplyDeleteआपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
ReplyDelete--
इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html
मास्टर जी आपका शुक्रिया !!!
ReplyDeleteपाठकों, विज्ञान के प्रति मेरी रूचि, कहीं न कहीं उस न पूरी हो सकी इच्छा की वजह से भी है ! मैंने विज्ञान संकाय से इंटरमीडीयट करते वक़्त एक सपना था कि आगे चल कर डाक्टर बनूँ, लेकिन मेरी उस वक़्त आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं बी. एससी. कर सकूँ क्यूंकि मुझे खुद कमा कर पढ़ना था. मैं उस वक़्त एक पी सी ओ में काम करता था. एडमिशन में लाले आये तो जनाब ज़फ़रयाब जिलानी (बाबरी मस्जिद एक्शन कमेठी वाले) के डिग्री कॉलेज में उनसे रिक्वेस्ट करके दाखिल लिया ! और सांध्य कालीन क्लासेस में बी कॉम कम्प्लीट करने लगा.
ReplyDeleteवैसे एक बात बता दूं सन 1994 में मैंने एक मेंढक की चीरफाड़ की थी और बाद में सिल कर उसे तलब में दाल दिया लेकिन फिर बाद में उसे उठा लाया और अल्युमिनियम के पुराने जग में पानी और नमक डाल के उसे ज़िंदा (!) ही उबाल दिया और फिर उसका गोश्त निकाल कर सिर्फ अस्थियाँ अपने पास रख लीं जो कि आज भी मेरे पैत्रिक निवास पीलीभीत में रखी हुईं हैं...
Badhiya hai.
ReplyDeleteओहो तो ये राज़ है आपके विज्ञान प्रेम का, अल्लाह आपको दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्क़ी दे
ReplyDeleteबिल्कुल सही है, स्तन पान महिलाओं के लिये व बच्चे दोनों के लिये सार्थक है।
ReplyDelete---पर भैया जी आज ये बात विदेशी /अमेरिकी लोगों ने कहना शुरू करदिया है इसीलिये हम/ आप/तुम भी कहने लगे हैं। नहीं तो आज से ४० साल पहले जब अमेरिका ने पाउडर मिल्क बनाना [प्रारम्भ किया था तब सारे डाक्टरों/ मेडीकल विभाग( आफ़कोर्स एलोपेथिक)/ सरकार ने चीख चीख कर कहा था कि स्तन पान से सेहत खराब होगी , और पाउडर का दूध शुद्ध, ताकत्वर होता
है,अतः सभी पढी लिखी मांओं ने बच्चों को शुरू से ही पाउडर का ,ग्लेक्सो मिल्क पिलाना शुरू कर दिया था।
---आज वही प्रणाली उल्टा बत रही है कि मां का दूध बेहतर होता है--लगता है अमेरिका अपना सारा
पाउडर मिल्क बेच चुका ?
----और भैया गाय के दूध को किसी में भी उबालो वह खराब नहीं होता । यह किसने बताया?
Ohh aisa kya Dr. Shyam,
ReplyDeleteMujhe nahi pata tha, ki aisa bhi hua tha...
waise Doctor to wahi recommend karte hain jo scientists nateeja nikaal kar dete hain.
They just cram the medicines and facts brought up by scientists.
to kya Indian scientists bhi powder milk ko hi achha kehne lag gaye the...