Benefits of Exploring Antarctica in Hindi
आख़िर इस अंटार्कटिका अभियान के फायदे क्या हैं? भारत जो अभी अनेक समस्याओं से जूझ रहा है उसको आख़िर इस अभियान पर इतना खर्च करने से क्या लाभ होगा? आने वाले भविष्य में आख़िर इसकी उपयोगिता क्या है? यहाँ पर होने वाले खर्चे के विषय में लिखा है कि इस तरह के अभियानों में करीब भारत 20 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. जब की रूस अमेरिका जैसे देश हर साल इस पर 1200 से 1500 करोड़ रुपये खर्च करते हैं. भारत का केवल एक स्टेशन है. यहाँ पर रूस के 5, अमेरिका के 4, चीन और ब्रिटेन के 2-2 विंटर स्टेशन चल रहे हैं. यह सब अभी तो लाभ थोड़ा ही ले पा रहे हैं पर आने वाले भविष्य के लिए यह बहुत लाभकारी है. कैसे आईये जानते हैं-
1) वीटो का अधिकार
1) वीटो का अधिकार
यह एक विशाल महाद्वीप है. और अंटार्कटिका संधि के अनुसार इस पर किसी भी देश का अधिकार नही हैं. यह असल में नो मैन लैंड है. भविष्य में क्या लाभ मिल सकते हैं? उन फायदों का बंटवारा कैसे होगा उस में हमारा कितना हिस्सा होगा? यह सारे सवाल अंटार्कटिका संधि में तय किए जायेंगे और अपने स्टेशन साल भर रख कर और कई वैज्ञानिक अधिकार रख कर भारत को इन मामलों में वीटो का अधिकार मिला हुआ है. यहाँ पर किए गए किसी वैज्ञानिक कार्य से ही किसी देश का इस पर राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित होता है.
2) भूखमरी को दूर करने का बड़ा साधन
यहाँ पाये जाना वाला क्रिल आज हमारी लगातार बढती जनसँख्या के लिए भोजन का स्रोत बन सकता है बस जरुरत है इसको तुंरत सफाई से पैकिंग करने की और कुछ इस तरह के व्यंजन इस से बनाने की ताकि यह लोकप्रिय हो सके. आज भी रूस जापान जैसे देश इसका खूब शिकार कर रहे हैं. प्रोटीन से भरपूर यह भारत जैसे गरीब देश के लिए एक आसान तरीका बन सकती है.
3) ओजोन की समस्या
ओजोन की परत में छेद की खोज अंटार्कटिका से ही हुई थी और इस से ही सारी दुनिया इस आसमानी खतरे से रूबरू हुई थी. सारे देश के सहयोग के कारण सन 2003 से पहली बार ओजोन के छेद का भरना शुरू हुआ. अगर यह जानकारी न होती तो आज कितने ही देशों में पेड़ पौधे मर जाते, फसलें बरबाद हो जातीं, हजारों लोग केंसर के शिकार हो जाते. इस जानकारी ने हमें मिल जुल कर इस संकट का सामना करना सिखाया. सारी दुनिया में इस्तेमाल हो रहे रसायनों के प्रयोग में परिवर्तन किया गया. यह यहाँ अंटार्कटिका विज्ञान के अभियान के कारण ही संभव हुआ.
4) पर्यावरण और प्रदूषण का पैमाना
हमारी धरती पर आज प्रदूषण बढता जा रहा है. खाना, पानी, साँस लेने की हवा सब रसायनों से भरे हुए हैं. इस समय अंटार्कटिका अभी भी धरती का सबसे निर्मल स्थान है जहाँ कोई प्रदूषण नहीं है. यह वैज्ञानिकों के लिए एक ऐसा पैमाना है जो बता सकता है कि कितना खतरनाक होता जा रहा है इस तरह के प्रदूषित वातावरण में रहना और कैसे इस से बचा जा सकता है. यह एक ऐसी प्रयोगशाला है जहाँ सारी धरती की हवा, मिटटी, पानी की जाँच की सकती है.
5) आने वाले जलवायु की जानकारी
यहाँ धरती की बदलती हुई जलवायु का परत-दर-परत सारा लेखा-जोखा अंटार्कटिका की बर्फ में सुरक्षित है. यह यहाँ से देख कर बताया जा सकता है कि पहले कैसे थी धरती? और आने वाले समय में किस तरह के परिवर्तन आ सकते हैं. यहाँ की गहरी बर्फ से ही पता चला है कि धरती का ताप बढ़ा है और बर्फ में कमी आ रही है. यदि यह यूँ ही चलता रहा तो मौसम तेजी से कैसे बदल जायेगा. गलेशियर पिघल कर गायब हो जायेंगे क्या? समुन्दर तट के किनारे बसे शहरों का क्या होगा? यह सब जवाब हमें सिर्फ़ अंटार्कटिका के वैज्ञानिक अध्यन से ही पता चल सकता है.
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6) पर्यटन के बढ़ते क़दम
6) पर्यटन के बढ़ते क़दम
आज कल हर साल लगभग 20000 पर्यटक अंटार्कटिका घूमने जा रहे हैं. इसमें से अधिकांश जहाज 15 से 40 दिन का अंटार्कटिका का चक्कर लगाते हैं. पानी के जहाज से ही आइसबर्ग पेक, आइस फास्ट आइस, सील] व्हेल आदि दिखायी जाती हैं. कुछ जगह पर जहाज किनारे जा कर उन्हें तटीय पहडियाँ, पेंगुइन आदि भी दिखाते हैं. जहाज का किराया होता है करीब पच्चीस हजार रूपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन! अब इस में बढती रूचि को देख कर कई देश कम बजट में भी लोगों को वहां तक ले जाने का दावा कर रहे हैं.
7) मीठे पानी का अपार भंडार
आज पीने लायक पानी कम होता जा रहा है. कहा भी जा रहा है कि तीसरा युद्ध पानी के लिए ही होगा. अब पानी कहाँ से आएगा उसका एक ही जवाब है अंटार्कटिका. समुद्रों का पानी तो खारा है, सारी धरती पर जितना भी पानी है मीठा, उसका 90% अंटार्कटिका में क़ैद है बर्फ के रूप में. हर साल यहाँ प्रकतिक रूप से कई आइस बर्ग टूटते हैं और सागर में यूँ बहते हुए खतम हो जाते हैं. अब इस पर वैज्ञानिक परिक्षण चल रहा है कि यहाँ से मिलने वाले पानी का संग्रह किया जा सके और यहाँ पर किसी भी खनिज पदार्थ को निकलने पर प्रतिबंध लगया जाए, जिससे यहाँ का वातावरण ठीक बना रहे और हर साल खूब बर्फ मिले मीठे पानी के रूप में.
8) जेनेटिक इंजीनियरिंग की संभावनाएं
आज बायोटेक्नोलोजी ने हमारी धरती पर एक क्रान्ति ला दी है. आदमी के जींस का पूरा नक्शा पता चल गया है. क्लोन बना लिए गए हैं. भविष्य में जानवरों और आदमियों के जींस में परिवर्तन करके वह गुण विकसित करने की योजना है, जो जैसा हम किसी दूसरी प्रजाति से चाहते हैं. अंटार्कटिका में कितने ही इस तरह के प्राणी हैं जिन्होंने ठण्ड से बचने के लिए कई गुण अपने अन्दर विकसित कर लिए हैं. किसी ने अपने खून को सफ़ेद बना लिया है, जो जमता ही नहीं है. किसी ने अपनी दिल की धडकनों को कम करने का तरीका विकसित कर लिया है और सबसे बड़ा चमत्कार तो हमने यहाँ क्रिल के रूप में देखा है जो व्यस्क बनने के बाद फ़िर से बच्चा बन जाता है. यह सब रहस्य जानने के लिए हमें यहाँ गहन अध्यन करने की जरुरत है. शायद हम भी उनकी तरह उन से उनके कुछ गुण ले कर कुछ नया हासिल कर सकें.
9) तेल का आखिरी स्रोत
रास सागर में अमरीकी ड्रिलिग द्बारा गैस पाये जाने से अब यह सिद्ध हो गया है कि यहाँ के तटीय इलाकों में तेल और गैस के भारी भंडार हैं. जब आगे 40-5- साल में सारी धरती के तेल के कुँए गायब होने लगेंगे तब यही हमारे काम आयेंगे. अभी सन 2040 तक यहाँ प्रतिबन्ध है, कोई भी खनिज निकलने पर. पर यह कभी भी समाप्त हो सकता है. उस वक्त जिस देश के पास जितनी अधिक जानकारी होगी, जितनी उन्नत तकनीक होगी और वह जितना अच्छे से अंटार्कटिका में पैर जमा कर बैठा होगा, वह देश उतने ही फायदे में रहेगा.
यह सारे प्रयोग मानवता के लिए एक आशाजनक संभवनाओं से भरे हुए हैं और यही बहुत सारी मांगों को आने वाले वक्त में पूरा करेगा चाहे वह तेल का स्रोत हो चाहे उर्जा का.
इस श्रृंखला को नियमित रूप से पढने वाले अभिषेक मिश्रा जी ने बहुत उपयोगी जानकारी दी है ..शोध कार्यों के उद्देश्य से 29 वें अंटार्कटिका अभियान की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है.
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आप की यह श्रृंख्ला बहुत ही रोचक और ज्ञान वर्धक रही.
ReplyDeleteहमें भी ऐसा ही अनुभव हुआ जैसा आप ने महसूस किया-: अंटार्टिका के विवरण को पढ़ कर लगा की वहां घूम आए हैं.
अगली post का इंतज़ार रहेगा.
इतने सारे फायदे है ये पता नही था ।
ReplyDeleteकबीले तारीफ है आपका ये प्रयास रंजू जी ।
बहुत अच्छी जानकारी!
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
बहुत अच्छी जानकारी दी है।आभार।
ReplyDeleteआपकी यह श्रृंखला विज्ञान संचार के प्रयासों के एक मानक लेख के रूप में संदर्भित की जायेगी ! बहुत आभार !
ReplyDeleteएक अछूते विषय को बहुत ही सहज ढंग से पहुँचाया आपने.
ReplyDeleteअगली रोचक जानकारी का इंतज़ार रहेगा. अगर वहां जाने का कोई पॅकेज हो तो उसकी भी जानकारी दे देती. कुछ देशों से ऐसे पॅकेज हैं तो. अपने यहाँ से हैं या नहीं इसका नहीं पता.
ReplyDeleteरंजना जी यह श्रंखला लिख कर आप ने मील का पहला पत्थर ठोक दिया है। आगे आने वाले पत्थर आगे के होंगे पहले नहीं।
ReplyDeleteथोडी देर लगी यहाँ आने में .पर वाकई इस सामूहिक प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए कम है....एक बेहतरीन ब्लॉग
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी है आपने
ReplyDeleteBahtreen aur lajawab
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और उपयोगी श्रंख्ला रही, जिसके लिए आप निश्चय ही बधाई की पात्र हैं।
ReplyDeleteआशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप बहुत जल्द इसी प्रकार की कोई रोचक और ज्ञानवर्द्धक पोस्ट के साथ पाठकों के समक्ष अवतरित होंगी।
बडी़ रोचक और जानकारीयों से भरपूर इस लेख शृंखला मेरे लिये उपयोगी रहेगी, क्योंकि जाने का विचार है, एक पर्यटक की तौर पर.
ReplyDeleteधन्यवाद, और लिखते रहिये..
बहुत ही उपयोगी श्रंख्ला रही, बधाई।
ReplyDeleteUpyogi aur Saargarbhit lekh, Badhaayi.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी ..
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ReplyDeleteInformative Article
आत्मविश्वास कैसे बनाये रखे