Indian Science Congress Inauguration News in Hindi
‘हमारे यहां वैज्ञानिक परंपरा रही है जो हमें नयी सोच की ओर प्रेरित करती रही हैं। इसलिए हमें अब मुलभूत विज्ञान और अनुप्रयोग विज्ञान दोनों को नवाचार से जोड़ना होगा ताकि विज्ञान के विकास के साथ-साथ विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सके।’ उपरोक्त बातें 3 जनवरी, 2017 को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में आयोजित 104वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में उदघाटन समारोह में प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी ने सम्बोधित करते हुए कहीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें वैश्विक मानकों के हिसाब से शोध कार्यों को
आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए आधारभूत ज्ञान को नवाचार, स्टार्ट-अप एवं
उद्योगों से साझा करना होगा तभी हम टिकाऊ विकास की ओर बढ़ सकेंगे। सन् 2030
तक भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विश्व के शीर्ष तीन देशों
में शामिल हो सकें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विज्ञान
एवं प्रौद्योगिकी देश के नागरिकों के समग्र विकास का आधार बने, इस दिशा में
विज्ञानिकों को कार्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें सायबर व्यवस्था को भी समझना होगा। इससे हमें भविष्य में संभावित चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज हमें रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल निर्माण, बिग-डाटा विष्लेशण, क्वांटम संचार एवं इंटरनेट से संबंधित विभिन्न प्रौद्योगिकियों में अपनी क्षमता को बढ़ाना है, तभी हम आने वाले समय में विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें सायबर व्यवस्था को भी समझना होगा। इससे हमें भविष्य में संभावित चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज हमें रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल निर्माण, बिग-डाटा विष्लेशण, क्वांटम संचार एवं इंटरनेट से संबंधित विभिन्न प्रौद्योगिकियों में अपनी क्षमता को बढ़ाना है, तभी हम आने वाले समय में विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकेंगे।
इस कार्यक्रम में देश भर से हजारों वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं नीति-निर्माताओं ने भाग लिया। यह आयोजन प्रतिवर्ष 3 से 7 जनवरी के दौरान देश के किसी महत्वपूर्ण शहर में आयोजित किया जाता है।
उद्घाटन कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री ई.एस. एल. नरसिम्हन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री डा. हर्षवर्धन सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री वाय एस चौधरी एवं भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के सभापति प्रोफेसर डी. नारायण राव एवं श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ए. दामोदरम भी उपस्थित रहे।
[post_ads]
कार्यक्रम के स्वागत भाषण में भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के सभापति प्रोफेसर डी. नारायण राव ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की नवीनतम विधाओं में भारतीय उपलब्धियों को रेखांकित किया। इसके अलावा उन्होंने सरकार द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास से संबंधित योजनाओं की सराहना करते हुए भारत को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में इनके योगदान की चर्चा की। उन्होंने सरकार द्वारा विज्ञान से संबंधित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं जैसे तीस मीटर टेलिस्टोप, लार्ज हेड्रान कोलाईडर, गुरुत्वीय तरंगों पर हो रहे अनुसंधानों का जिक्र भी किया।
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि स्वतंत्र भारत में शायद ही ऐसा कोई आयोजन होगा जिसमें प्रतिवर्ष भारत के प्रधानमंत्री भागीदारी करते हों। इस मायने में भी राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस का महत्व बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश को उच्च शिक्षा एवं शोध कार्य में ओर अधिक निवेश कराना होगा ताकि आधारभूत विज्ञान में अधिक से अधिक मौलिक शोध कार्य हो सकें और उनके कार्यों के आधार पर ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा सके, जो समाज के विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में समर्थ हो।
राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस को संबांधित करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री डा. हर्षवर्धन ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की समृद्ध परंपरा का उल्लेख किया। माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि हमारे देश में चरक, सुश्रुत, आर्यभट, विश्वेश्वरैया, सीवी रमन जैसे वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने विज्ञान को नए आयाम दिए। भारत ने मंगलयान का सफल प्रक्षेपण करने के साथ ही परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्र में वैश्विक बिरादरी का ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि आज भी भारतीय विज्ञान के समक्ष अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं लेकिन फिर भी वैज्ञानिक वर्ग अपने अथक प्रयास से विकास के पथ पर देष को अग्रसर करने का प्रयास कर रहे हैं।
हर्शवर्धन जी ने अपने उद्बोधन में इस बात पर जोर दिया कि इसी प्रकार हमें नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अभी ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास करना है जो हमारे देश में उपलब्ध नवीन ऊर्जा संसाधनों का भरपूर उपयोग करने में समर्थ हो। जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौती से निपटने के लिए भी विज्ञान मददगार साबित हो सकता है। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए टीकों का विकास किया गया है और इस दिशा में आगे भी शोध कार्य हो रहा है। हमें किसानों के उन्नति के लिए खेती एवं पशुपालन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों को बढ़ाना है ताकि देश में विकास सभी तक पहुंच सके। इसके लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी ही हमारी सबसे अधिक सहायता कर सकते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दो सालों से अंतर्राष्ट्रीय भारतीय विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसी प्रकार अन्य आयोजन के माध्यम से लोगों को विज्ञान की उपलब्धियों एवं अनुप्रयोगों से अवगत कराया जा रहा है। हमारी सोच यही है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज को बहुमुखी विकास किया जा सके।
राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के शुभारंभ के अवसर पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि शून्य की खोज करके भारत ने विश्व में अहम योगदान दिया है। ज्यामिति का विकास भारत में हुआ और चंद्रशेखर सीमा जैसे प्रसिद्ध सिद्धांत का प्रतिपादन भी भारतीय वैज्ञानिक ने किया। लेकिन हमें यह बात भी ध्यान रखना चाहिए कि भारतीय भारत के बाहर कार्य करके नोबल प्राप्त कर सकते हैं तो भारत में भी इसी तरह के अवसर और सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए जिससे भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्य भी वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि पाएं।
-X-X-X-X-X-
लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
keywords: PM's inaugural address at 103rd session of Indian Science Congress, PM Narendra Modi To Inaugurate Indian Science Congress, indian science congress inauguration, indian science congress 2017, indian science congress news in hindi, national science congress projects, indian science congress in hindi, indian science congress information in hindi, Indian Science Congress Inauguration News in Hindi
भारत में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अच्छे प्रयास !
ReplyDeleteकिन्तु जरूरत है राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की और करने की। जब बजट पास होता है तो उसमे ना के बराबर या बहुत कम रिसर्च कार्यो के लिए मिलता है दुसरे एक Ph.D और M.Tech पास छात्र को प्राइवेट संस्थान या गवर्नमेंट संस्थान में रिसर्च (SRF और JRF पद ) कॉन्ट्रैक्ट बेस पर 35000 से २०००० रूपये सैलरी मंथली मिलती है। जबकि एक दसवी और बारहवीं पास चपरासी और क्लर्क को सरकारी नौकरी में शुरू में ही 25000 रूपये तक मिल जाती है तो युवा रिसर्च में क्यों जाए ? रिसर्च क्षेत्र के कर्मचारियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है
प्रशंसनीय रिपोर्ट। ताजातरीन भी।
ReplyDelete