Ransomware Information in Hindi.
रैनसमवेयर_Ransomware कंप्यूटर पर मंडराने वाला एक ऐसा खतरा है जिसमें यह अपने शिकार से पैसे निकालने की फिराक में रहता है। हम इसे डिजिटल धमकी कह सकते हैं। इसमें फिरौती की रकम या धन पाने के लिए उपयोगकर्ता के दस्तावेजों और यहां तक कि कंप्यूटर को बंधक बना लेता है और कंप्यूटर फ़ाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है।
सायबर हमला: रैनसमवेयर कम्प्यूटर वायरस
-नवनीत कुमार गुप्ता
विश्व के लगभग 99 देशों के कम्प्यूटर रैनसम वायरस_Ransom virus के हमले से प्रभावित हुए है। इन देशों में इंग्लैंड, चीन, भारत आदि देश भी शामिल हैं। असल में रैनसमवेयर_Ransomware कंप्यूटर पर मंडराने वाला एक ऐसा खतरा है जिसमें यह अपने शिकार से पैसे निकालने की फिराक में रहता है। हम इसे डिजिटल धमकी कह सकते हैं। इसमें फिरौती की रकम या धन पाने के लिए उपयोगकर्ता के दस्तावेजों और यहां तक कि कंप्यूटर को बंधक बना लेता है और कंप्यूटर फ़ाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है।
अपनी धमकी को क्रियान्वित करने के लिए ये वायरस कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइलों और वीडियो को इनक्रिप्ट कर देता है और उन्हें फिरौती देने के बाद ही डिक्रिप्ट किया जा सकता है। वायरस द्वारा शिकार कम्प्यूटर को यह धमकी दी जाती है कि अगर अपनी फ़ाइलों को बचाना है, तो फीस चुकानी होगी। इसके लिए वायरस द्वारा एक समयसीमा निर्धारित कर दी जाती है और अगर समय पर पैसे नहीं चुकाये जाते तो फिरौती की रकम बढ़ जाती है।
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क्या है कम्प्यूटर वायरस:
कम्प्यूटर वायरस एक कंप्यूटर प्रोग्राम_Computer program है जो अपनी प्रतिलिपि कर उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना एक कंप्यूटर को प्रभावित कर सकता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका हमला कब हुआ इस बारे में उपयोगकर्ता को इसका पता नहीं चलता है। हालांकि मान्य रूप से वायरस_Virus शब्द का उपयोग विभिन्न प्रकार के मैलवेयर_Malware और एडवेयरAdware) प्रोग्राम्स के सन्दर्भ में भी होता है। वैसे कभी-कभी ग़लती से भी ऐसा होता है।
मूल वायरस प्रतिलिपियों में परिवर्तन कर सकता है, या प्रतिलिपियाँ ख़ुद अपने आप में परिवर्तन कर सकती हैं। वायरस एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में तभी फ़ैल सकता है, जब इसका होस्ट एक असंक्रमित कंप्यूटर_ Uninterrupted computer में लाया जाता है। उदाहरण के लिए एक उपयोगकर्ता के द्वारा इसे एक नेटवर्क या इन्टरनेट पर भेजने से, या इसे हटाये जाने योग्य माध्यम जैसे पैन ड्राइव या यूएसबी आदि से वायरस फैल सकता है। इसी के साथ वायरस नेटवर्क प्रणाली के माध्यम से भी दूसरे कम्पूटरों पर फ़ैल सकता है।
लोगों के लिए वायरस और अन्य मैलवेयर को खोजना बहुत ही कठिन होता है और इसीलिए उन्हें स्पायवेयर प्रोग्राम_Spyware program और पंजीकरण प्रक्रिया का उपयोग करना पड़ता है। आजकल अधिकांश व्यक्तिगत कंप्यूटर इंटरनेट और लोकर एरिया नेटवर्क से जुड़े हैं और लोकल एरिया नेटवर्क_Lcal area network, वायरस दूषित कोड को फैलाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है। आज का वायरस नेटवर्क सेवाओं का भी लाभ उठा सकता है जैसे वर्ल्ड वाइड वेब, ई मेल, त्वरित संदेश_Instant Messaging आदि प्रणालियां वायरसों को फैलने में मदद करती हैं।
सबसे पहला वायरस:
सबसे पहला वायरस 1970 के दशक की शुरुआत में क्रीपर_Creeper था जो अरपानेट_Arpanet पर खोजा गया था। यह इंटरनेट से पहले आया था। अगर हम विश्व के चर्चित कम्प्यूटर वायरसों की बात करें तो इनमें I love you वर्ष 2000, Melissa वर्ष 1999, My Doom वर्ष 2004, Storm Worm वर्ष 2006 प्रमुख हैं।
रैनसमवेयर वायरस से बचाव:
हमारे यहां एक कहावत है "दवा से परहेज भली"। कम्प्यूटर वायरस के संदर्भ में भी यही बात सटिक बैठती है। यदि हम थोडी सी सावधानी बरतें तो कम्प्यूटर में वायरस के हमले को बहुत हद तक रोका जा सकता है|
जिस तरह कंप्यूटर वायरस के प्रोग्राम लिखे एवं फैलाए जाते हैं, उनके रोकथाम एवं बचाव के लिए कम्प्यूटर एंटी-वायरस प्रोग्राम_Antivirus program भी विकसित किए जाते हैं। ऐसे एंटी-वायरस प्रोग्राम वायरस को हमारे कम्प्यूटर या कम्प्युटर नेटवर्क में प्रवेश करने से रोकते हैं, तथा यदि कोई कम्प्यूटर पहले से ही संक्रमित हुआ है तो वह उस संक्रमण को कम्प्यूटर से निकाल कर कम्प्युटर को सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।
आमतौर से लोग अपने कंप्यूटर अथवा मोबाइल के लिए फ्री एंटीवायरस का उपयोग करते हैं, लेकिन ये एंटीवायरस पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान नहीं करते। अगर आप अपने कंप्यूटर/मोबाइल पर ज़रूरी दस्तावेज रखते हैं या फिर ऑनलाइन ट्रांजक्शन करते हैं, तो बेहतर है कि आप पेड एंटीवायरस का प्रयोग करें, तभी अपने दस्तावेज/ट्रांजक्शन को पूरी तरह से सुरक्षित रख सकते हैं।
जिस तरह कंप्यूटर वायरस के प्रोग्राम लिखे एवं फैलाए जाते हैं, उनके रोकथाम एवं बचाव के लिए कम्प्यूटर एंटी-वायरस प्रोग्राम_Antivirus program भी विकसित किए जाते हैं। ऐसे एंटी-वायरस प्रोग्राम वायरस को हमारे कम्प्यूटर या कम्प्युटर नेटवर्क में प्रवेश करने से रोकते हैं, तथा यदि कोई कम्प्यूटर पहले से ही संक्रमित हुआ है तो वह उस संक्रमण को कम्प्यूटर से निकाल कर कम्प्युटर को सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।
आमतौर से लोग अपने कंप्यूटर अथवा मोबाइल के लिए फ्री एंटीवायरस का उपयोग करते हैं, लेकिन ये एंटीवायरस पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान नहीं करते। अगर आप अपने कंप्यूटर/मोबाइल पर ज़रूरी दस्तावेज रखते हैं या फिर ऑनलाइन ट्रांजक्शन करते हैं, तो बेहतर है कि आप पेड एंटीवायरस का प्रयोग करें, तभी अपने दस्तावेज/ट्रांजक्शन को पूरी तरह से सुरक्षित रख सकते हैं।
बनाने होंगे कड़े नियम:
असल में हमारे देश में सायबर सुरक्षा को लेकर कोई कड़े नियम नहीं है। इसलिए हमारे देश को ऐसे नियमों की अति आवश्यकता है ताकि हम भविष्य में होने वाले सायबर हमलों से निपट सकें। ऐसे समय में जब सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति में सभी दस्तावेजन, बैंक खातों की जानकारी कम्प्यूटर पद दर्ज है, तब सायबर सुरक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देकर इस दिशा में पर्याप्त कानून बनाए जाने चाहिए। इसके साथ ही जनता में इस विषय में जागरूकता का प्रसार भी किया जाना चाहिए।
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लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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उपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteपते की बात।
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