क्यों हो जाता है कुछ लोगों को 'टेट्रोलजी आफ फ़ॉलोट 'हृद सम्बन्धी रोग ? जन्मपूर्व ,गर्भावस्था में ही इस रोग की नींव पड़ जाती है ,भ्...
क्यों हो जाता है कुछ लोगों को 'टेट्रोलजी आफ फ़ॉलोट 'हृद सम्बन्धी रोग ?
जन्मपूर्व ,गर्भावस्था में ही इस रोग की नींव पड़ जाती है ,भ्रूण के विकास उस चरण में जब मस्तिष्क का निर्माण अभी हुआ ही चाहता है। जहां गर्भकाल में भावी माँ का कुपोषण (या फिर अल्पपोषण ),विषाणुजन्य कई रोग इसकी वजह बनते हैं वहीँ इसी अवधि में कई किस्म की आनुवंशिक विकृतियां इस रोग के जोखिम को बढ़ा देती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इसकी वजह की तह तक जाया ही नहीं जा सका है। रिस्क फेक्टर्स की पड़ताल और अनुमान ज़रूर लगा लिया गया है।
जन्मजात आनुवंशिक विकृतियों में एक समुच्चय एक साथ चार विकृतियों का चतुष्टय (समूह )जो परस्पर सम्बद्ध रहते हैं इसकी वजह समझा गया है। क्योंकि इसका पता पहले पहल एक फ्रांस के रहने वाले कायचिकित्सक (फिजिशयन )ने लगाया था जिसका उपनाम फालोट था (पूरा नाम Étienne-Louis-Arthur)इसीलिए इस विकृति -चतुष्टय को "चतुष्टय फ़ॉलोट "Tetralogy Of Fallot"कहा जाने लगा। आइये इन विकृतिओं का ज़ायज़ा लेते हैं :
(१ )फेफड़ों से सम्बन्धी वाल्व का संकरापन या अवरोध (Pulmonary Valve Stenosis ):यहां पल्मनरि का अर्थ फेफड़ों का या फेफड़ों से संबंधित है। इस दोष में पल्मनरी वाल्व जन्म से ही संकरा रह जाता है।यही वह वाल्व है जो चार कमरों वाले हमारे दिल के निचले दाहिने कक्ष ( दाएं निलय )को हमारी मुख्य हृद -धमनी -महाधमनी से अलग करता है जो फेफड़ों (पल्मनरी आर्टरी )तक पहुँचती है।
पल्मनरी वाल्व का जन्मजात अवरोध (रुकावट या स्टेनोसिस )इसका संकरापन फेफड़ों को होने वाली रक्तापूर्ति को घटा देता है।पल्मनरी वाल्व के इस संकरेपन से इसके नीचे वाली पेशी भी प्रभावित या असरग्रस्त हो सकती है। कुछ गंभीर मामलों में पल्मनरी वाल्व के रचाव बनाव में ही ,संरचना में ही दोष रहजाता है।इस संरचनातनक दोष की वजह से भी फेफड़ों तक ज़रूरी से कम रक्त पहुँच पाता है।
(२ )वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (Ventricular Septal Defect )हमारे दिल के नीचे वाले दोनों कक्षों का विभाजन एक दीवार करती है ,इन दोनों निचले कमरों के बीच की ये दीवार ही सैप्टम (Septum ) कहलाती है .इस दोष में इस दीवार में एक जन्मजात छेद रहजाता है। यानी दाहिने और बाएं निलयों(Ventricles) के बीच सूराख का जन्मपूर्व ही बन जाना इस दोष की वजह बनता है।
यह सूराख ऑक्सीजन से वंचित किये जा चुके उस रक्त को जो शरीर का दौरा करके लौटा है -यानी (Deoxygenated blood )को दाहिने कक्ष (Right Ventricle )से रिसकर बाएं तक पहुँचने देता है जो एक अवांछित स्थिति है। लिहाज़ा बाएं निलय का ऑक्सीजन युक्त रक्त दाएं निलय के ऑक्सीजन वंचित रक्त में बा -रास्ता इस जन्मजात सूराख मिलने लगता है।
अलावा इसके बाएं निलय से भी रक्त वापस दाएं निलय की ओर बे -तरतीब (Inefficiently ) लौटने लगता है। दीवार (सेप्टम )से होने वाला यही रिसाव ऑक्सीजन -कृत रक्त की आपूर्ति शरीर को पूरी तौर पर नहीं होने देता। शरीर को पूरा , पर्याप्त ओक्सिजन -कृत रक्त न मिल पाने से कालान्तर में हमारा दिल(हृद पेशी ) ही कमज़ोर हो जाता है।
(३ )ओवर राइडिंग एओटा (Overriding aorta ):आम तौर पर तमाम सामान्य स्थितियों में दिल की यह केंद्रीय प्रधान धमनी (महाधमनी Aorta ,एओटा )बाएं निलय की एक शाखा के रूप में निकलती है वहीँ से ये शाखा फूटती है तथा शेष शरीर अंगों को (शरीर की ओर ) जाती है। लेकिन इस जन्मजात दोष में यह थोड़ा दाहिने खिसक कर वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के ऊपर आ जाती है यानी इसकी परि -व्याप्ति होने लगती है। यह दिल की स्वयं चालित व्यवस्था का खुदमुख्त्यार बनने लगती है। व्यवस्था को भंग करने लगती है इसकी यही परिव्याप्ति।
इस दोष में महाधमनी को दोनों ही निलयों से रक्तापूर्ति होने लगती है। इसका परिणाम यह होता है दाहिने हृद कक्ष (दाएं निलय )का ऑक्सीजन -वंचित रक्त बाएं कक्ष के ऑक्सीजन -बहुल रक्त से मिलने लगता है। हो गया न सब गुड़गोबर ,सारी हृद व्यवस्था भंग।
(४ )दाहिने निलय का कठोर पड़ना (Right Ventricular Hypertrophy):क्योंकि दोषपूर्ण वाल्वों के इन दोषों से ग्रस्त हृदय को अब ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है ज्यादा देर नल चल रहा है ,खून को बलपूर्वक खींचना पड़ रहा है इसीसे यह दाहिना निलय हृदय का दायां कमरा कालान्तर में कठोर पड़ने लगता है।ज्यादा स्पेस चाहिए अब इसे।
कालान्तर में इसका खामियाज़ा दिल को भुगतना पड़ता है कमज़ोरी के रूप में। पहले बे -दमी और फिर हार्ट फेलियोर की वजह बन सकती है ये स्थिति।
कुछ नौनिहालों में ,कुछ बालिगों में भी जो "टेट्रालजी आफ फालोट " की चपेट में हैं इसकी इतर वजहें (इन चार दोषों के अलावा )और भी वजहें हो सकतीं हैं। जैसे
(१ )इनके हृदय के ऊपर वाले दोनों कमरों के बीच एक सुराख भी हो सकता है जिसे एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहतें हैं।
(२ )राइट एओटिक आर्च (Right Aortic Arch )
(3)परि--हृदय - धमनियों (हृदय को रक्त लाने ले जाने वाली धमनियां Coronary Arteries ) से ताल्लुक रखने वाले अन्य दोष और असामान्यताएं भी इसकी वजह बनसकती हैं।
जन्मपूर्व ,गर्भावस्था में ही इस रोग की नींव पड़ जाती है ,भ्रूण के विकास उस चरण में जब मस्तिष्क का निर्माण अभी हुआ ही चाहता है। जहां गर्भकाल में भावी माँ का कुपोषण (या फिर अल्पपोषण ),विषाणुजन्य कई रोग इसकी वजह बनते हैं वहीँ इसी अवधि में कई किस्म की आनुवंशिक विकृतियां इस रोग के जोखिम को बढ़ा देती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इसकी वजह की तह तक जाया ही नहीं जा सका है। रिस्क फेक्टर्स की पड़ताल और अनुमान ज़रूर लगा लिया गया है।
जन्मजात आनुवंशिक विकृतियों में एक समुच्चय एक साथ चार विकृतियों का चतुष्टय (समूह )जो परस्पर सम्बद्ध रहते हैं इसकी वजह समझा गया है। क्योंकि इसका पता पहले पहल एक फ्रांस के रहने वाले कायचिकित्सक (फिजिशयन )ने लगाया था जिसका उपनाम फालोट था (पूरा नाम Étienne-Louis-Arthur)इसीलिए इस विकृति -चतुष्टय को "चतुष्टय फ़ॉलोट "Tetralogy Of Fallot"कहा जाने लगा। आइये इन विकृतिओं का ज़ायज़ा लेते हैं :
(१ )फेफड़ों से सम्बन्धी वाल्व का संकरापन या अवरोध (Pulmonary Valve Stenosis ):यहां पल्मनरि का अर्थ फेफड़ों का या फेफड़ों से संबंधित है। इस दोष में पल्मनरी वाल्व जन्म से ही संकरा रह जाता है।यही वह वाल्व है जो चार कमरों वाले हमारे दिल के निचले दाहिने कक्ष ( दाएं निलय )को हमारी मुख्य हृद -धमनी -महाधमनी से अलग करता है जो फेफड़ों (पल्मनरी आर्टरी )तक पहुँचती है।
पल्मनरी वाल्व का जन्मजात अवरोध (रुकावट या स्टेनोसिस )इसका संकरापन फेफड़ों को होने वाली रक्तापूर्ति को घटा देता है।पल्मनरी वाल्व के इस संकरेपन से इसके नीचे वाली पेशी भी प्रभावित या असरग्रस्त हो सकती है। कुछ गंभीर मामलों में पल्मनरी वाल्व के रचाव बनाव में ही ,संरचना में ही दोष रहजाता है।इस संरचनातनक दोष की वजह से भी फेफड़ों तक ज़रूरी से कम रक्त पहुँच पाता है।
(२ )वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (Ventricular Septal Defect )हमारे दिल के नीचे वाले दोनों कक्षों का विभाजन एक दीवार करती है ,इन दोनों निचले कमरों के बीच की ये दीवार ही सैप्टम (Septum ) कहलाती है .इस दोष में इस दीवार में एक जन्मजात छेद रहजाता है। यानी दाहिने और बाएं निलयों(Ventricles) के बीच सूराख का जन्मपूर्व ही बन जाना इस दोष की वजह बनता है।
यह सूराख ऑक्सीजन से वंचित किये जा चुके उस रक्त को जो शरीर का दौरा करके लौटा है -यानी (Deoxygenated blood )को दाहिने कक्ष (Right Ventricle )से रिसकर बाएं तक पहुँचने देता है जो एक अवांछित स्थिति है। लिहाज़ा बाएं निलय का ऑक्सीजन युक्त रक्त दाएं निलय के ऑक्सीजन वंचित रक्त में बा -रास्ता इस जन्मजात सूराख मिलने लगता है।
अलावा इसके बाएं निलय से भी रक्त वापस दाएं निलय की ओर बे -तरतीब (Inefficiently ) लौटने लगता है। दीवार (सेप्टम )से होने वाला यही रिसाव ऑक्सीजन -कृत रक्त की आपूर्ति शरीर को पूरी तौर पर नहीं होने देता। शरीर को पूरा , पर्याप्त ओक्सिजन -कृत रक्त न मिल पाने से कालान्तर में हमारा दिल(हृद पेशी ) ही कमज़ोर हो जाता है।
(३ )ओवर राइडिंग एओटा (Overriding aorta ):आम तौर पर तमाम सामान्य स्थितियों में दिल की यह केंद्रीय प्रधान धमनी (महाधमनी Aorta ,एओटा )बाएं निलय की एक शाखा के रूप में निकलती है वहीँ से ये शाखा फूटती है तथा शेष शरीर अंगों को (शरीर की ओर ) जाती है। लेकिन इस जन्मजात दोष में यह थोड़ा दाहिने खिसक कर वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट के ऊपर आ जाती है यानी इसकी परि -व्याप्ति होने लगती है। यह दिल की स्वयं चालित व्यवस्था का खुदमुख्त्यार बनने लगती है। व्यवस्था को भंग करने लगती है इसकी यही परिव्याप्ति।
इस दोष में महाधमनी को दोनों ही निलयों से रक्तापूर्ति होने लगती है। इसका परिणाम यह होता है दाहिने हृद कक्ष (दाएं निलय )का ऑक्सीजन -वंचित रक्त बाएं कक्ष के ऑक्सीजन -बहुल रक्त से मिलने लगता है। हो गया न सब गुड़गोबर ,सारी हृद व्यवस्था भंग।
(४ )दाहिने निलय का कठोर पड़ना (Right Ventricular Hypertrophy):क्योंकि दोषपूर्ण वाल्वों के इन दोषों से ग्रस्त हृदय को अब ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है ज्यादा देर नल चल रहा है ,खून को बलपूर्वक खींचना पड़ रहा है इसीसे यह दाहिना निलय हृदय का दायां कमरा कालान्तर में कठोर पड़ने लगता है।ज्यादा स्पेस चाहिए अब इसे।
कालान्तर में इसका खामियाज़ा दिल को भुगतना पड़ता है कमज़ोरी के रूप में। पहले बे -दमी और फिर हार्ट फेलियोर की वजह बन सकती है ये स्थिति।
कुछ नौनिहालों में ,कुछ बालिगों में भी जो "टेट्रालजी आफ फालोट " की चपेट में हैं इसकी इतर वजहें (इन चार दोषों के अलावा )और भी वजहें हो सकतीं हैं। जैसे
(१ )इनके हृदय के ऊपर वाले दोनों कमरों के बीच एक सुराख भी हो सकता है जिसे एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहतें हैं।
(२ )राइट एओटिक आर्च (Right Aortic Arch )
(3)परि--हृदय - धमनियों (हृदय को रक्त लाने ले जाने वाली धमनियां Coronary Arteries ) से ताल्लुक रखने वाले अन्य दोष और असामान्यताएं भी इसकी वजह बनसकती हैं।
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