How much water to drink in a day in Hindi.
एक सामान्य हेल्दी व्यक्ति को प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए और क्यों?
(1) क्या आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं रोज़ाना?
(2) पानी का इंटेक, आपके द्वारा दिन भर में पीया गया पानी न सिर्फ आपको चार्ज्ड रखता है, जलनियोजित (Hydrated) रखता है, जल नियोजन के लिए जलमिश्रित बने रहने के लिए भी ऐसा ज़रूरी समझा गया है। नाज़ुक चीज़ है आपके शरीर का जल -नियोजन, जल-बजट हाइड्रेटिड बने रहना।
आपके द्वारा ग्रहण की गई कैलोरी का यह विनियमन भी करता है नियंत्रित भी करता है कैलोरी इंटेक को, आपके बॉडी वेट (भार या वजन) को। भूख से प्यास का कोई संबंध नहीं है, भूख और चीज़ है प्यास और।
(3) राष्ट्रीय चिकित्सा अकादमी (अमरीकी) पुरुषों के लिए प्रतिदिन 3.7 लीटर तथा महिलाओं के लिए 2.7 लीटर जल रोज़ाना पीने की सिफारिश करती है। इसमें जलीय पेय भी शामिल हैं अन्य स्रोतों जलीय तरकारियों, सलाद (ककड़ी, खीरा, मूली गाजर आदि-आदि) से चले आने वाला जल भी शामिल है। अल्कोहल इस वर्ग में नहीं आएगा जो बॉडी को डिहाइड्रेट (निर्जला) करता है-एक बूँद नीट शराब जबान से 1000 बूँद पानी खींच लेती है।
(4) जल आपके जोड़ों को स्नेहिल बनाये रहता है एक स्नेहक का काम करता है रुक्ष होने से बचाता है। लम्बी दौड़ हो या कोई भी ऑक्सीजन की अधिक खपत और मांग करने वाला व्यायाम या कसरत-जल आपके दमखम को बनाये रहता है। महज मिथ है कि पसीने में पानी नहीं पीना चाहिए। लम्बी दौड़ के धावक छोड़िये रोज़मर्रा की लम्बी सैर के दौरान भी बा-खबर लोग पानी की बोतल साथ रखते हैं।
(5) आपके मिज़ाज़ को खुशनुमा सचेत एवं स्फूर्त तथा अल्पावधि याददाश्त को बनाये रखने में भी आप की मदद करता है-पर्याप्त जल नियोजन। जल का अभाव होने पर आप की एंग्जायटी (बे-चैनी) बढ़ जाती है।
(6) लिटमस पेपर टेस्ट है आपके जल नियोजन को आंकने का-देखिये आपको प्यास कितनी लगती है आपके पेशाब का रंग कैसा है? यदि आप प्यासे नहीं हैं, प्यास का एहसास नहीं है और रंग हल्का-पीला तकरीबन-तकरीबन पारदर्शी है तो आपके शरीर का जलमान, जलनियोजन, हायड्रेशन लेवल ठीक है।
(7) आपके जलनियोजित होने रहने पर आपका दिल धमनियों में पर्याप्त खून सुगमता से भेजता है और ऐसे में आपकी पेशियाँ भी आसानी से पर्याप्त जलीकृत बनी रहतीं हैं, स्नेहित बनी रहती हैं। डीहाईड्रेटिड रहने पर आप अपने दिल का काम बढ़ा लेते हैं। दिल को उतना ही रक्त उठाने धमनियों में उलीचने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
(8) जल-मिश्रित (वेल-हायड्रेटिड) रहने पर मूत्र मार्ग क्षेत्र के संक्रमण (यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन) के खतरे कमतर रहते हैं। किडनी स्टोन बनने की संभावना डीहयड्रेटिड रहने पर इसलिए बढ़ जाती है, आपके पेशाब में मौजूद खनिज लवण मणिभ (रवे या Crystals) बनाने लगते हैं।
(9) खीरा, मूली, गाजर, ककड़ी, सेलरी, लेटस, कुरकुरा ताज़ा कच्चा ब्रोक्कली आपके द्वारा ग्रहण जल की मात्रा में ही गिना जाता है। भोजन में इनका अपना महत्व है। तमाम ज़रूरी खनिज यहां से आपको मिलते हैं।
(10) जलनियोजित रहने पर आपका पाचन क्षेत्र बाखूबी काम करता है। प्यासा जलहीना रह जाने, पानी की कमी हो जाने पर आपका मल (बिष्टा या एक्स्क्रीटा) सूख जाता है कब्ज़ रहने लगती है। अक्सर हमारे बुजुर्ग ज़रुरत से बहुत कम जल पीते हैं। जलनियोजन से महरूम शरीर बिष्टा (मल) से जलीय अंश वापस खींच लेता है।
(12) हाइपो-नाट्रेमिअ या जलविषाक्तण (Hyponatremia or Water-Intoxication):
हमारी किडनियां (गुर्दे) प्रतिघंटा सौ मिलीलीटर (आम भाषा में सौ ग्राम या एक ग्लास पानी) ही हेंडिल कर सकतीं हैं। अब ऐसे में कोई दसलिटर पानी एक साथ गटक ले, बहुत कम समय में ही सही, एक के बाद सांस ले लेकर दूसरा फिर तीसरा ग्लास पानी का.... पी लें तो किडनियां ज़वाब दे जातीं हैं। इस पानी को ठिकाने लगाना उनकी सीमा से बाहर है। यह मेडिकल कंडीशन है, फ़ौरन ध्यान न देने पर व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
बचपन में एक खेल देखा था-सर्कस का, एक कलाकार एक बड़ा जार पानी एक बार में ही पी जाता था, लेकिन फ़ौरन उसे उगल भी देता था। पानी में कई मर्तबा छोटी-छोटी मच्छी भी रहतीं थीं जिन्हें वह लगातार निकाल-निकाल के दिखाता था। कौतुक दिखाने के चक्कर में आप कभी भी ऐसा न करें। वाटरटोक्सीमिया के मामले में पानी की अतिरिक्त मौजूदगी हमारे शरीर में खनिजों का स्तर खतरनाक तरीके से गिरा देती है इसीलिए इस स्थिति को हाइपो (यानी सामान्य से नीचे का स्तर) नाट्रेमिया कहा गया है।
कुल मिलाकर लब्बोलुआब यही है :अति सर्वत्र वर्ज्यते, बोले तो- अति का भला न बोलना ,अति की भली न चूप (चुप्प), अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
आपका शरीर एक खेत की तरह है, इसे सींचिये लेकिन उतना ही जितना ज़रूरी है इसके सुचारु संचालन के लिए। कुछ मेडिकल कंडीशंस में यथा-प्रोस्टेटिक एंलार्जमेंट के मामलों में एक साथ एक लीटर या और भी ज्यादा पानी पीना वांछित नहीं है। इससे गुर्दों का काम बढ़ जाता है। कुछ खास यौगिक और इतर क्रियाओं को करने वाले लोग उष: जलपान करते हैं एक साथ एक डेढ़ लीटर पानी सुबह सुबह बासी मुंह पी जाते हैं। यह सबके के लिए न तो सम्भव है, न अक्लमंदी का काम है, न मुनासिब ही है।
शरीर को पर्याप्त जलनियोजन बनाये रखने के और कई फायदे हैं। इससे सिरदर्द की अवधि और तीव्रता बर्दाश्त के अंदर रहती है, कमतर रहती है। दूसरे छोर पर मइग्रेन (आधा-शीशी का पूरा उग्र सिरदर्द) के मामले जलनियोजन का अभाव, पानी की कमी होने पर माइग्रेन को भड़का सकती है।
जलनियोजन को बनाये रहने, जल की कमी से बचे रहने के लिए अपने साथ हमेशा पानी की बोतल रखिये, चाहे फिर वह सैर-सपाटा हो या किसी भी अन्य किस्म की आउटिंग। रेस्त्रां में वेटर पहले पानी लाता है गटक लीजिये। अपनी खुराक में फल-सलाद आदि कोशिश करके लीजिए, ये खुराक का 40 फीसदी हिस्सा होना चाहिए।
यह आकस्मिक नहीं है, कहा गया है- जल ही जीवन है। हमारे शरीर का अधिक भाग पानी ही है। वयस्कों में शरीर का औसतन 57-60 फीसद हिस्सा जल ही रहता है। एक साल से पहले शिशुओं में जल की मात्रा 75-78 फीसदी रहती है, जो एक साला होने पर घटके औसतन 65 फीसद रह जाती है।
शरीर में मौजूद कुल पानी का दो तिहाई अंश इंट्रा-सेलुलर (कोशिकाओं के बीच में) तथा शेष एक तिहाई इनके बाहर रहता है। पानी हमारी कोशिकाओं का बुनियादी कच्चा माल है जिसका उपयोग कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है।
हमारा कुदरती तापनियामक-थर्मोस्टेट है जल, जहां हमारे शरीर में प्रोटीनों और कार्बोहाइड्रेटों के चय-अपचयन (मेटाबॉलिज़्म) में पानी की जरूरत रहती है वहीँ यह लार के लिए आवश्यक जिंस है, जिसकी पाचन में महती भूमिका रहती है।
हमारे शरीर से मलबा, अवांछित कचरा, गैर-ज़रूरी पदार्थ निकालने का एक तंत्र है पानी। गर्भ-जल ही हिफाज़त करता है गर्भस्थ की। जन्मजात शोक अब्जॉर्बर है शरीर का जल। संभाल के रखता है हमारे दिल और दिमाग व अन्य महत्वपूर्ण अंगों को। इसलिए नियमित रूप से जल का सेवन करें और स्वस्थ रहें।
देखें स्रोत: 01, 02 व 03
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