(१ )केंद्रीय विचार और इस सिद्धांत की कुछ ख़ास बातें इस प्रकार हैं : स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार हमारी सृष्टि के सभी पदार्थ कुछ कम्पनशील ततंत...
(१ )केंद्रीय विचार और इस सिद्धांत की कुछ ख़ास बातें इस प्रकार हैं :
स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार हमारी सृष्टि के सभी पदार्थ कुछ कम्पनशील ततंतुओं (डोरी या स्ट्रिंग )तथा ऊर्जा की झिल्लियों मेम्ब्रेनों (मेमब्रेन्स या संक्षिप रूप ' ब्रेन्स' )से बने हैं।अलग -अलग कणों का मतलब है इन डोरियों के कम्पन के तरीके में अलहदगी ,वैभिन्न्य (डिफरेंट मोड्स आफ वाइब्रेशन ऑफ़ डीज़ स्ट्रिंग्स मेक डिफरेंट एलिमेंटरी पार्टिकिल्स ) .
(२)स्ट्रिंग -थ्योरी आइंस्टाइन के गुरुत्व संबंधी साधारण सापेक्षवाद (जनरल थ्योरी आफ ग्रेविटी )एवं क्वांटम भौतिकी का मेल -मिलाप करने परस्पर इनका सामंजस्य बिठलाने की चेष्टा करती है।
(३ )यहां एक सूत्रता है पदार्थ के दो किस्म के बुनियादी कणों फर्मीयोंस और बोसॉन के बीच में। इसे ही 'सुपरसिमिट्री' कहा गया है। या SUSY अब समझा जा रहा है।यहां बिन्दुवत समझे गए द्रव्य के विमाहीन (dimensionless particles ) मूलभूत कण चंद एक आयामीय शार्ट लेंथ डोरियों का स्थान ले लेते हैं।ये बहुत ही छोटी -छोटी डोरियां लूप की शक्ल में भी हो सकतीं हैं लेकिन किसी भी प्रयोग से आप इन्हें पकड़ नहीं पाएंगे।
(४ ) अंतरिक्ष में इन डोरियों का पारगमन (propagation) चलना आगे बढ़ना और परस्पर इंटरेक्शन (क्रिया -प्रति-क्रिया )करना ,ही स्ट्रिंग थ्योरी का स्कोप और अवधारणा है। इसीलिए इसे क्वांटम ग्रेविटी सिद्धांत भी कहा गया है।
क्या एक दम से सीधा -सरल बोधगम्य है यह सिद्धांत ?
इस सवाल का एक दम से सटीक ज़वाब यद्यपि अभी भविष्य के गर्भ में ही है फिर भी :
(१ )प्रकृति के चारों बलों (इल्क्ट्रोमैग्नेटिज़्म ,स्ट्रॉन्गन्यूक्लीअर ,वीक -न्युक्लीअर ,ग्रेविटी )को यह एक ही छत के नीचे एक ही सिद्धांत के तहत लाने का प्रयास है। ऐसे ही एकीकृत सिद्धांत (यूनिफाइड फील्ड थ्योरी )की तलाश आइंस्टाइन ता -उम्र करते रहे । वह भी यूनिवर्स की एक यांत्रिकी (मैकेनिक्स आफ यूनिवर्स )एक निदर्श बनाने की एक अनथक कोशिश करते रहे यह सिद्धांत भी करता आ रहा है।
किसको जाता है इस सिद्धांत के प्रतिपादन का श्रेयस ?
गैब्रिएल वेनज़िआनो का नाम इस सिद्धांत के पहले पैरोकार के रूप में जोड़ा जाता है.
हेड्रॉन फ़िज़िक्स के लिए ये स्ट्रिंग सिद्धांत हालांकि खरा नहीं उतरा लेकिन कालांतर में अनेक सैद्धांतिक भौतिकी के पैरोकारों ने इसे द्रव्य की सभी मूलभूत कणिकाओं (एलिमेंटरी पार्टिकिल्स )के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी। मान्य हो गया यह सिद्धांत।
बतलाते चलें हेड्रॉन -फ़िज़िक्स का बड़ा महत्व है सर्व -विख्यात हेड्रॉन -कोलाइडर जो गॉड पार्टिकिल को खंगालने के लिए प्रयुक्त हुआ है (Large Hadron Collider )अब एक जाना पहचाना नाम लगता है गॉड पार्टिकिल की तरह। लेकिन-
हेड्रॉन हैं क्या कोई पूछे तो क्या कहियेगा ?
हैड्रोन कोई भी ऐसा एक उप -परमाणुविक कण हो सकता है जो क्वार्क -प्रतिक्वार्क -और अनेक ग्लूआन्स का बना है गौ कि ये कण हैड्रोन यहां बाउंड स्टेट में हैं ,इस लिहाज़ से हेड्रॉन एक यौगिक कण है प्रोटोन की तरह। प्रोटोन भी एक हेड्रॉन ही है। कह सकते हैं हेड्रॉन एक संयोजन है ग्लूओन्स और क्वार्क -एंटिक्वार्क के जोड़ों और ऊर्जा का।
विस्तार के लिए देखें सेतु :
(१ )https://profmattstrassler.com/articles-and-posts/largehadroncolliderfaq/whats-a-hadron-as-in-large-hadron-collider/
(२ )http://www.physlink.com/education/askexperts/ae138.cfm
विशेष :
ग्यारहवां आयाम किसे कहा गया है क्या है ?
ग्यारहवां आयाम लाक्षणिक खासियत है अंतरिक्ष -काल संयुक्त (सातत्य) की। सुपर स्ट्रिंग के सवालातों का यही ज़वाब -दार है।
सुपरस्ट्रींग -सिद्धांत के अनुसार अंतरिक्ष के नौ और काल (या समय )का एक अलग आयाम (dimension )होना माना गया है।कुल आयाम हुए दस।
ग्यारहवां अंतरिक्ष -काल समुच्चय का आयाम है।विस्तार से इसकी चर्चा एक अलग आलेख में की जायेगी। अभी के लिए इतना ही।
क्या हैं सीमाएं इस सिद्धांत 'स्ट्रिंग थ्योरी 'की ?
(१ )आदिनांक भौतिकी के माहिर 'स्ट्रिंग -थ्योरी' को साफ़ -साफ़ समझ नहीं पाए हैं ,एक पारिभाषिक गणित (M-theory)भी उनके पल्ले नहीं पड़ा है।
M-theory लघु -कण- भौतिकी (small particle physics )में एक अभिनव धारणा है जिसका संबंध आंशिक तौर पर "सुपर -स्ट्रिंग- थ्योरी" से जोड़ा गया है। सुपर स्ट्रिंग थ्योरी के पैरोकार रहे हैं एडवर्ड विटें। इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका विज्ञानियों के पास नहीं है और इसीलिए यह विवाद का विषय बनी हुई है।
और इसीलिए स्ट्रिंग सिद्धांत की प्रागुक्ति क्षमता(power of predictions) सिमट गई है।
In particular Physicist lack a defining mathematics for much of M-theory.
वर्तमान परिदृश्य में इस सिद्धांत ने परीक्षण योग्य ऐसी कोई भी प्रायोगिक प्रागुक्ति (भविष्य कथन )नहीं की है जिसकी परख की जा सके। ऐसे में यह सिद्धांत कई के मत में एक बौद्धिक जुगाली बन के रह गया है।
अलावा इसके कुछ ऐसे बुनियादी सवालात हैं जो अपना उत्तर बरसों से तलाश रहें हैं। इनमें से कुछ को गिनती में लाया जा सकता है :
(१ )क्या इस सिद्धांत के पीछे कोई गहन सिद्धांत उद्घाटित होना बाकी है जिसकी टोह ले पाना मुश्किल साबित हो रहा है ?
(२ )आखिर क्यों और क्या ? स्ट्रिंग्स सचमुच बुनियादी पिंड हैं (fundamental objects )इस सृष्टि की या महज एक अवधारणा बनी हुईं हैं ?और क्या यह सिद्धांत इस बुझौवल (पहेली ) को एक दिन बूझ सकेगा समझा सकेगा।
(३ )आखिर अंतरिक्ष और काल की समीकरण हैं क्या ?फिलवक्त इस सिद्धांत को पार्श्व में मौजूद स्पेस टाइम को फिक्सड (fixed )टिकाऊ स्पेस टाइम लेते हुए ही प्रस्तुत किया गया है।
बात साफ़ है हमें एक अभिनव क्वांटम यांत्रिकी सिद्धांत चाहिए।
Will we need a new theory of quantum mechanics ?
अपने वर्तमान स्वरूप में यह सिद्धांत (स्ट्रिंग थ्योरी )क्वांटम यांत्रिकी के परिकल्पित मानक नियमों को लेकर ही प्रस्तुत हुआ है।
लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए -आखिर न्यूटन -यांत्रिकी को अभिनव क्वांटम यांत्रिकी के नियमों और सिद्धांतों ने पलट दिया था। अब बारी स्वयं क्वांटम यांत्रिकी की है।
अपने वज़ूद को बनाये रखने के लिए स्ट्रिंग थ्योरी को निश्चय ही कुछ नए ढंग से अब सोचना होगा।
(४ )'स्ट्रिंग्स' डार्क एनर्जी को भी अभिव्यक्त नहीं कर सकीं हैं। आखिर सृष्टि विज्ञानी सही या गलत यही मानते आये हैं इस निरंतर फैलती ब्रह्म तत्व सी वृद्धि को प्राप्त होती कायनात को बूझने के लिए डार्क एनर्जी चाहिए।
स्ट्रिंग थ्योरी यहां आकर खामोशी इख्तयार कर लेती है।
In conclusion we can say 'sometimes problems hint at real trouble ahead ;othertimes they merely highlight insufficient scientific thinking .'
It may be that string theory emerges victorious from these travails .But perhaps we need a "different interpretation all together."
जयश्रीकृष्ण !
शीर्षक : Limitations Of String Theory (विमर्श हिंदी भाषा में ,स्ट्रिंग थ्योरी सीमाएं और संभावनाएं )
संदर्भ -सामिग्री :
What is in the 11th dimension?
स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार हमारी सृष्टि के सभी पदार्थ कुछ कम्पनशील ततंतुओं (डोरी या स्ट्रिंग )तथा ऊर्जा की झिल्लियों मेम्ब्रेनों (मेमब्रेन्स या संक्षिप रूप ' ब्रेन्स' )से बने हैं।अलग -अलग कणों का मतलब है इन डोरियों के कम्पन के तरीके में अलहदगी ,वैभिन्न्य (डिफरेंट मोड्स आफ वाइब्रेशन ऑफ़ डीज़ स्ट्रिंग्स मेक डिफरेंट एलिमेंटरी पार्टिकिल्स ) .
(२)स्ट्रिंग -थ्योरी आइंस्टाइन के गुरुत्व संबंधी साधारण सापेक्षवाद (जनरल थ्योरी आफ ग्रेविटी )एवं क्वांटम भौतिकी का मेल -मिलाप करने परस्पर इनका सामंजस्य बिठलाने की चेष्टा करती है।
(३ )यहां एक सूत्रता है पदार्थ के दो किस्म के बुनियादी कणों फर्मीयोंस और बोसॉन के बीच में। इसे ही 'सुपरसिमिट्री' कहा गया है। या SUSY अब समझा जा रहा है।यहां बिन्दुवत समझे गए द्रव्य के विमाहीन (dimensionless particles ) मूलभूत कण चंद एक आयामीय शार्ट लेंथ डोरियों का स्थान ले लेते हैं।ये बहुत ही छोटी -छोटी डोरियां लूप की शक्ल में भी हो सकतीं हैं लेकिन किसी भी प्रयोग से आप इन्हें पकड़ नहीं पाएंगे।
(४ ) अंतरिक्ष में इन डोरियों का पारगमन (propagation) चलना आगे बढ़ना और परस्पर इंटरेक्शन (क्रिया -प्रति-क्रिया )करना ,ही स्ट्रिंग थ्योरी का स्कोप और अवधारणा है। इसीलिए इसे क्वांटम ग्रेविटी सिद्धांत भी कहा गया है।
क्या एक दम से सीधा -सरल बोधगम्य है यह सिद्धांत ?
इस सवाल का एक दम से सटीक ज़वाब यद्यपि अभी भविष्य के गर्भ में ही है फिर भी :
(१ )प्रकृति के चारों बलों (इल्क्ट्रोमैग्नेटिज़्म ,स्ट्रॉन्गन्यूक्लीअर ,वीक -न्युक्लीअर ,ग्रेविटी )को यह एक ही छत के नीचे एक ही सिद्धांत के तहत लाने का प्रयास है। ऐसे ही एकीकृत सिद्धांत (यूनिफाइड फील्ड थ्योरी )की तलाश आइंस्टाइन ता -उम्र करते रहे । वह भी यूनिवर्स की एक यांत्रिकी (मैकेनिक्स आफ यूनिवर्स )एक निदर्श बनाने की एक अनथक कोशिश करते रहे यह सिद्धांत भी करता आ रहा है।
किसको जाता है इस सिद्धांत के प्रतिपादन का श्रेयस ?
गैब्रिएल वेनज़िआनो का नाम इस सिद्धांत के पहले पैरोकार के रूप में जोड़ा जाता है.
हेड्रॉन फ़िज़िक्स के लिए ये स्ट्रिंग सिद्धांत हालांकि खरा नहीं उतरा लेकिन कालांतर में अनेक सैद्धांतिक भौतिकी के पैरोकारों ने इसे द्रव्य की सभी मूलभूत कणिकाओं (एलिमेंटरी पार्टिकिल्स )के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी। मान्य हो गया यह सिद्धांत।
बतलाते चलें हेड्रॉन -फ़िज़िक्स का बड़ा महत्व है सर्व -विख्यात हेड्रॉन -कोलाइडर जो गॉड पार्टिकिल को खंगालने के लिए प्रयुक्त हुआ है (Large Hadron Collider )अब एक जाना पहचाना नाम लगता है गॉड पार्टिकिल की तरह। लेकिन-
हेड्रॉन हैं क्या कोई पूछे तो क्या कहियेगा ?
हैड्रोन कोई भी ऐसा एक उप -परमाणुविक कण हो सकता है जो क्वार्क -प्रतिक्वार्क -और अनेक ग्लूआन्स का बना है गौ कि ये कण हैड्रोन यहां बाउंड स्टेट में हैं ,इस लिहाज़ से हेड्रॉन एक यौगिक कण है प्रोटोन की तरह। प्रोटोन भी एक हेड्रॉन ही है। कह सकते हैं हेड्रॉन एक संयोजन है ग्लूओन्स और क्वार्क -एंटिक्वार्क के जोड़ों और ऊर्जा का।
विस्तार के लिए देखें सेतु :
(१ )https://profmattstrassler.com/articles-and-posts/largehadroncolliderfaq/whats-a-hadron-as-in-large-hadron-collider/
(२ )http://www.physlink.com/education/askexperts/ae138.cfm
विशेष :
ग्यारहवां आयाम किसे कहा गया है क्या है ?
ग्यारहवां आयाम लाक्षणिक खासियत है अंतरिक्ष -काल संयुक्त (सातत्य) की। सुपर स्ट्रिंग के सवालातों का यही ज़वाब -दार है।
सुपरस्ट्रींग -सिद्धांत के अनुसार अंतरिक्ष के नौ और काल (या समय )का एक अलग आयाम (dimension )होना माना गया है।कुल आयाम हुए दस।
ग्यारहवां अंतरिक्ष -काल समुच्चय का आयाम है।विस्तार से इसकी चर्चा एक अलग आलेख में की जायेगी। अभी के लिए इतना ही।
क्या हैं सीमाएं इस सिद्धांत 'स्ट्रिंग थ्योरी 'की ?
(१ )आदिनांक भौतिकी के माहिर 'स्ट्रिंग -थ्योरी' को साफ़ -साफ़ समझ नहीं पाए हैं ,एक पारिभाषिक गणित (M-theory)भी उनके पल्ले नहीं पड़ा है।
M-theory लघु -कण- भौतिकी (small particle physics )में एक अभिनव धारणा है जिसका संबंध आंशिक तौर पर "सुपर -स्ट्रिंग- थ्योरी" से जोड़ा गया है। सुपर स्ट्रिंग थ्योरी के पैरोकार रहे हैं एडवर्ड विटें। इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका विज्ञानियों के पास नहीं है और इसीलिए यह विवाद का विषय बनी हुई है।
और इसीलिए स्ट्रिंग सिद्धांत की प्रागुक्ति क्षमता(power of predictions) सिमट गई है।
In particular Physicist lack a defining mathematics for much of M-theory.
वर्तमान परिदृश्य में इस सिद्धांत ने परीक्षण योग्य ऐसी कोई भी प्रायोगिक प्रागुक्ति (भविष्य कथन )नहीं की है जिसकी परख की जा सके। ऐसे में यह सिद्धांत कई के मत में एक बौद्धिक जुगाली बन के रह गया है।
अलावा इसके कुछ ऐसे बुनियादी सवालात हैं जो अपना उत्तर बरसों से तलाश रहें हैं। इनमें से कुछ को गिनती में लाया जा सकता है :
(१ )क्या इस सिद्धांत के पीछे कोई गहन सिद्धांत उद्घाटित होना बाकी है जिसकी टोह ले पाना मुश्किल साबित हो रहा है ?
(२ )आखिर क्यों और क्या ? स्ट्रिंग्स सचमुच बुनियादी पिंड हैं (fundamental objects )इस सृष्टि की या महज एक अवधारणा बनी हुईं हैं ?और क्या यह सिद्धांत इस बुझौवल (पहेली ) को एक दिन बूझ सकेगा समझा सकेगा।
(३ )आखिर अंतरिक्ष और काल की समीकरण हैं क्या ?फिलवक्त इस सिद्धांत को पार्श्व में मौजूद स्पेस टाइम को फिक्सड (fixed )टिकाऊ स्पेस टाइम लेते हुए ही प्रस्तुत किया गया है।
बात साफ़ है हमें एक अभिनव क्वांटम यांत्रिकी सिद्धांत चाहिए।
Will we need a new theory of quantum mechanics ?
अपने वर्तमान स्वरूप में यह सिद्धांत (स्ट्रिंग थ्योरी )क्वांटम यांत्रिकी के परिकल्पित मानक नियमों को लेकर ही प्रस्तुत हुआ है।
लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए -आखिर न्यूटन -यांत्रिकी को अभिनव क्वांटम यांत्रिकी के नियमों और सिद्धांतों ने पलट दिया था। अब बारी स्वयं क्वांटम यांत्रिकी की है।
अपने वज़ूद को बनाये रखने के लिए स्ट्रिंग थ्योरी को निश्चय ही कुछ नए ढंग से अब सोचना होगा।
(४ )'स्ट्रिंग्स' डार्क एनर्जी को भी अभिव्यक्त नहीं कर सकीं हैं। आखिर सृष्टि विज्ञानी सही या गलत यही मानते आये हैं इस निरंतर फैलती ब्रह्म तत्व सी वृद्धि को प्राप्त होती कायनात को बूझने के लिए डार्क एनर्जी चाहिए।
स्ट्रिंग थ्योरी यहां आकर खामोशी इख्तयार कर लेती है।
In conclusion we can say 'sometimes problems hint at real trouble ahead ;othertimes they merely highlight insufficient scientific thinking .'
It may be that string theory emerges victorious from these travails .But perhaps we need a "different interpretation all together."
जयश्रीकृष्ण !
शीर्षक : Limitations Of String Theory (विमर्श हिंदी भाषा में ,स्ट्रिंग थ्योरी सीमाएं और संभावनाएं )
संदर्भ -सामिग्री :
What is in the 11th dimension?
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