थ्योरी आफ एवरीथिंग क्या है ?मिथ है या सच्चाई ,एक अवधारणा मात्र ? किसे कहा गया है एक ऐसा सिद्धांत जिसकी परिधि से बाहर कुछ भी न बचे ? क्या...
थ्योरी आफ एवरीथिंग क्या है ?मिथ है या सच्चाई ,एक अवधारणा मात्र ?
किसे कहा गया है एक ऐसा सिद्धांत जिसकी परिधि से बाहर कुछ भी न बचे ?
क्या कोई ऐसा सिद्धांत हो सकता है या है जिसे सब चीज़ों का सिद्धांत कहा जा सके ,जो हर चीज़ के लिए लागू हो सके समान रूप से और जो सम्पूर्ण सृष्टि की ही व्याख्या कर सके। उत्तर सकारात्मक है "हाँ "में है। श्री मान हाकिंग स्टीवंस और म्लोडिनो ऐसा ही मानते हैं और इसे एम-सिद्धांत (M -theory )कह रहें हैं। आपके अनुसार ये निदर्श स्ट्रिंग सिद्धांत का ही एक संस्करण है। स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार मूलभूत बुनियादी स्वरूप सभी कणों का सूक्ष्म -तम स्तर पर एक लूप ही हैं । अलग -अलग पदार्थों(कणों ) के लिए ये लूप अलग -अलग आवृत्ति के कम्पन करते हैं। बस इनका मोड आफ वाइब्रेशन ही परस्पर वैभिन्न्य लिए है जुदा -जुदा है।
क्या स्ट्रिंग थ्योरी ही वह फिट आल सिद्धांत है ?
बैरो कहते हैं सृष्टि के नियम ,कुछ उपनियमों (bylaws)सरीखे ही हैं जिन्हें इसी लिए घड़ा गया है ताकि सृष्टि का कार्यव्यापार चलाया जा सके। ये उन स्थानीय नियमों से ज्यादा नहीं है जो एक कम्पनी अपने मुलाज़िमों पे लागू करती है कम्पनी के सुचारु संचालन के लिए। ज़ाहिर है ये उस कम्पनी पर ही लागू होंगें न कि पूरी कायनात पर।
तर्क को आगे बढ़ाया जाये तो इसका निहितार्थ ये भी निकलता है हमारी जैसी ही अनंत समानांतर सृष्टियाँ हैं जिनके लिए अपने अलग -अलग उपनियम हैं। इनके नियम और प्रकृति हमारी कायनात से जुदा हैं। जीवन का स्वरूप भी।
इस आलोक में यदि स्ट्रिंग थ्योरी ही आइंस्टाइन के गुरुत्व सम्बन्धी साधारण सापेक्षवाद (General Theory of Relativity )और क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics )का परस्पर सामंजस्य बिठाने का सर्वोत्तम तरीका है तब यह सिद्धांत यानी स्ट्रिंग थ्योरी हर चीज़ का सिद्धांत(Theory of Everything ) है भी और नहीं भी है -ऐसा अजीबो गरीब निष्कर्ष निकलता है।
आइंस्टाइन द्वारा प्रतिपादित ऐसा ही सिद्धांत (Einstein Theory of Everything )क्या था ?
यह एक ऐसा नेटवर्क था ऐसा सैट (समुच्चय )था सिद्धांतों का जो सृष्टि के बुनियादी नियमों की व्याख्या करने में समर्थ रहे ,ज़ाहिर है यह अवधारणात्मक ही था। इसकी पुष्टि आइंस्टाइन जीते जी नहीं कर सके।
आइंस्टाइन ने १९१० में पता लगाया था कि अंतरिक्ष -काल(spacetime घुमाव लिए हुए है (द्रव्य की मौजूदगी इस अंतरिक्ष -काल को जो मानो द्वैत का अद्वैत था एक करवेचर प्रदान कर देती है ). यहां अंतरिक्ष काल परस्पर गुम्फित हैं गुथे हुए हैं इन में एक सातत्य (समरूपता )है। ये अलग अलग नहीं हैं ,मानो एक ही भौतिक राशि जैसे हैं। अंतरिक्ष और काल।
गुरुत्व संबंधी सापेक्षवाद का यह स्पेस टाइम मॉडल समूचे ब्रह्माण्ड के लिए था। यानी साधारण सापेक्षवाद की परिधि से बाहर कुछ नहीं समझा गया है। यह मॉडल भौतिकी की कमसे कम ५० पहेलियों को सुलझाता देता है।
यहां यह बताना भी समीचीन होगा ,M-Theory क्या है ?
यह एक ऐसा सिद्धांत कहा जा सकता है जो 'सुपर -स्ट्रिंग -थ्योरी' के सभी सम्भव ऐसे निदर्शों के लिए लागू होता है जो अनुरूपता लिए हुए हैं ,परस्पर संगत हैं। इस सिद्धांत का कयास सबसे पहले एडवर्ड विटेन ने लगाया था ,इसे सदर्न केलिफोर्निया के तात्वावधान में आयोजित एक ऐसी बैठक में प्रस्तुत किया गया था जिसमें विमर्श का केंद्र 'स्ट्रिंग -थ्योरी' को ही बनाया गया था।
विशेष :
उल्लेखित 'सुपर -स्ट्रिंग थ्योरी' संक्षिप्त रूप है सुपरसीमीट्रिक स्ट्रिंग थ्योरी का (Supersymmetric string theory).यह बोसॉन स्ट्रिंग थ्योरी का एक ऐसा संस्करण समझा जा सकता है जो अपने कलेवर में फर्मीयोंस और बोसॉन दोनों परिवारों को शामिल किए हुए है। गुरुत्व को शामिल करने के लिए सुपरसिमिट्री को भी शरीक किया गया है।
सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.google.com/search?q=stefan+Hawking+and+string+theo&rlz=1CAACAP_enUS646US647&oq=stefan+Hawking+and+string+theo+&aqs=chrome..69i57j0l3.27408j0j1&sourceid=chrome&ie=UTF-8
किसे कहा गया है एक ऐसा सिद्धांत जिसकी परिधि से बाहर कुछ भी न बचे ?
क्या कोई ऐसा सिद्धांत हो सकता है या है जिसे सब चीज़ों का सिद्धांत कहा जा सके ,जो हर चीज़ के लिए लागू हो सके समान रूप से और जो सम्पूर्ण सृष्टि की ही व्याख्या कर सके। उत्तर सकारात्मक है "हाँ "में है। श्री मान हाकिंग स्टीवंस और म्लोडिनो ऐसा ही मानते हैं और इसे एम-सिद्धांत (M -theory )कह रहें हैं। आपके अनुसार ये निदर्श स्ट्रिंग सिद्धांत का ही एक संस्करण है। स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार मूलभूत बुनियादी स्वरूप सभी कणों का सूक्ष्म -तम स्तर पर एक लूप ही हैं । अलग -अलग पदार्थों(कणों ) के लिए ये लूप अलग -अलग आवृत्ति के कम्पन करते हैं। बस इनका मोड आफ वाइब्रेशन ही परस्पर वैभिन्न्य लिए है जुदा -जुदा है।
क्या स्ट्रिंग थ्योरी ही वह फिट आल सिद्धांत है ?
बैरो कहते हैं सृष्टि के नियम ,कुछ उपनियमों (bylaws)सरीखे ही हैं जिन्हें इसी लिए घड़ा गया है ताकि सृष्टि का कार्यव्यापार चलाया जा सके। ये उन स्थानीय नियमों से ज्यादा नहीं है जो एक कम्पनी अपने मुलाज़िमों पे लागू करती है कम्पनी के सुचारु संचालन के लिए। ज़ाहिर है ये उस कम्पनी पर ही लागू होंगें न कि पूरी कायनात पर।
तर्क को आगे बढ़ाया जाये तो इसका निहितार्थ ये भी निकलता है हमारी जैसी ही अनंत समानांतर सृष्टियाँ हैं जिनके लिए अपने अलग -अलग उपनियम हैं। इनके नियम और प्रकृति हमारी कायनात से जुदा हैं। जीवन का स्वरूप भी।
इस आलोक में यदि स्ट्रिंग थ्योरी ही आइंस्टाइन के गुरुत्व सम्बन्धी साधारण सापेक्षवाद (General Theory of Relativity )और क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics )का परस्पर सामंजस्य बिठाने का सर्वोत्तम तरीका है तब यह सिद्धांत यानी स्ट्रिंग थ्योरी हर चीज़ का सिद्धांत(Theory of Everything ) है भी और नहीं भी है -ऐसा अजीबो गरीब निष्कर्ष निकलता है।
आइंस्टाइन द्वारा प्रतिपादित ऐसा ही सिद्धांत (Einstein Theory of Everything )क्या था ?
यह एक ऐसा नेटवर्क था ऐसा सैट (समुच्चय )था सिद्धांतों का जो सृष्टि के बुनियादी नियमों की व्याख्या करने में समर्थ रहे ,ज़ाहिर है यह अवधारणात्मक ही था। इसकी पुष्टि आइंस्टाइन जीते जी नहीं कर सके।
आइंस्टाइन ने १९१० में पता लगाया था कि अंतरिक्ष -काल(spacetime घुमाव लिए हुए है (द्रव्य की मौजूदगी इस अंतरिक्ष -काल को जो मानो द्वैत का अद्वैत था एक करवेचर प्रदान कर देती है ). यहां अंतरिक्ष काल परस्पर गुम्फित हैं गुथे हुए हैं इन में एक सातत्य (समरूपता )है। ये अलग अलग नहीं हैं ,मानो एक ही भौतिक राशि जैसे हैं। अंतरिक्ष और काल।
गुरुत्व संबंधी सापेक्षवाद का यह स्पेस टाइम मॉडल समूचे ब्रह्माण्ड के लिए था। यानी साधारण सापेक्षवाद की परिधि से बाहर कुछ नहीं समझा गया है। यह मॉडल भौतिकी की कमसे कम ५० पहेलियों को सुलझाता देता है।
यहां यह बताना भी समीचीन होगा ,M-Theory क्या है ?
यह एक ऐसा सिद्धांत कहा जा सकता है जो 'सुपर -स्ट्रिंग -थ्योरी' के सभी सम्भव ऐसे निदर्शों के लिए लागू होता है जो अनुरूपता लिए हुए हैं ,परस्पर संगत हैं। इस सिद्धांत का कयास सबसे पहले एडवर्ड विटेन ने लगाया था ,इसे सदर्न केलिफोर्निया के तात्वावधान में आयोजित एक ऐसी बैठक में प्रस्तुत किया गया था जिसमें विमर्श का केंद्र 'स्ट्रिंग -थ्योरी' को ही बनाया गया था।
विशेष :
उल्लेखित 'सुपर -स्ट्रिंग थ्योरी' संक्षिप्त रूप है सुपरसीमीट्रिक स्ट्रिंग थ्योरी का (Supersymmetric string theory).यह बोसॉन स्ट्रिंग थ्योरी का एक ऐसा संस्करण समझा जा सकता है जो अपने कलेवर में फर्मीयोंस और बोसॉन दोनों परिवारों को शामिल किए हुए है। गुरुत्व को शामिल करने के लिए सुपरसिमिट्री को भी शरीक किया गया है।
सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.google.com/search?q=stefan+Hawking+and+string+theo&rlz=1CAACAP_enUS646US647&oq=stefan+Hawking+and+string+theo+&aqs=chrome..69i57j0l3.27408j0j1&sourceid=chrome&ie=UTF-8
वीरु भाई विषय थोड़ा और विस्तार लिये हो तो पाठकों की जिज्ञासा का भलीभांति शमन कर सकेगा। आखिर ब्लाग और फेसबुक और ट्विटर की संचार प्रवृत्ति अलग अलग है। आप चीयर्स 🍻 कहकर गिलास खींच लेते हैं 😄
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