रोगनिदान :ऐसे लगाया जाता है रोग का पता ,अस्थिरोग का माहिर ,काया चिकित्सक असरग्रस्त जोड़ की जांच करता है ,छूने दबाने पर कितना दर्द करता है क...
रोगनिदान :ऐसे लगाया जाता है रोग का पता ,अस्थिरोग का माहिर ,काया चिकित्सक असरग्रस्त जोड़ की जांच करता है ,छूने दबाने पर कितना दर्द करता है कितना संवेदनशील है ,सूजन या लालिमा है इसके गिर्द या नहीं ,लचीलापन कितना है हरकत की परास रेंज आफ मोशन कितना प्रभावित हुई है आदि। अलावा इसके इमेजिंग और प्रयोगशाला जांच भी करवाई जा सकती है।
(१ )इमेजिंग (असरग्रस्त जोड़ का रेखांकन या चित्र उतारना ):
एक्स -रे -उतारना -यद्यपि उपास्थियाँ (कारटीलेज )एक्स -रे अंकन में गोचर नहीं होती हैं लेकिन इनके ह्रास या क्षय ,नुकसानी आदि का पता जोड़ों के चित्र में परस्पर नज़दीकी आने से लग जाता है।जोड़ की दो अस्थियों के बीच की जगह कम होती दिखेगी।जोड़ के गिर्द अस्थि का बढ़ना साफ़ दिखेगा जिसे आम भाषा में कह देते हैं हड्डी बढ़ गई है (bone spurs ).
कइयों को उपास्थिक्षय ऑस्टिओआर्थराइटिस रोग का पता पहले एक्स -रे से ही चलता लक्षण बाद में ही प्रकट या मुखर होते हैं।
(२ )चुंबकीय अनुनाद चित्रण (Magneic Resonance Imaging ,MRI):
इस तकनीक से असरग्रस्त जोड़ के गिर्द अस्थियों के सिरों पर मौजूद उपास्थियों (Cartilage ),नाज़ुक ऊतकों का भी त्रिआयामी चित्र रेडिओ तरंगों और शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्रों की मदद से उतार लिया जाता है। अमूमन इसकी जरूरत कुछ ऑस्टिओआर्थराइटिस के पेचीला मामलों में ही पड़ती है आमतौर पर नहीं।
(३ )लेब टेस्ट या प्रयोगशाला जांच के तहत होने वाली जांच
इसके तहत आपके खून के अलावा जोड़ से सुईं या सिरिंज द्वारा तरल लेकर भी कई बार जांच की जाती है।
ख़ास रक्त जांच से यह साफ़ पता चल जाता है कहीं यह दर्द रुमेटिक आर्थराइटिस (गठिया ,या सन्धिवात )तो नहीं है।अलबत्ता आस्टिओआर्थराइटिस को पिनपॉइंट करने वाला कोई रक्त परीक्षण नहीं है।
JOINT FLUID ANALYSYS:
इसके तहत जोड़ से एक सिरिंज के ज़रिये थोड़ा सा तरल लेकर पता यह लगाया जाता है आपके दर्द का कारण कोई अन्य रोग पूर्व की स्थिति या इंफेक्शन ,संक्रमण आदि तो नहीं है कहीं यह दर्द गाउट (Gout )की वजह से तो नहीं है।
गाउट एक चयापचयन संबधी विकार है metabolic disorder है जिसमें युरिक -एसिड की फ़ालतू मात्रा या अतिरिक्त मात्रा जोड़ में घर बना लेती है अमूमन यह पुरुषों का रोग है ,पैर का अगूंठा और टांगों में सोजिश इसमें आ जाती है। सम्वेदनशीलता भी इन अंगों में ज्यादा आ जाती है छूने से क्या सोते समय कपड़ा ओढ़ना मुहाल हो जाता है लिहाफ की, कंफर्टर की छूअन बर्दाश्त नहीं होती पैरो अंगूठों के गिर्द सोजिश की वजह से।
कृपया इन्हें भी देखें :
(१ )
Note Pl : Often referred to as an osteophyte, bone spurs are simply a bone outgrowth that develops on the edge of a person’s bone. While they can form on any bone in the body, they are commonly found near joints, where two or more bones form together. They are also found on tendons, muscles, or ligaments that are connected to bones.
Bones spurs commonly affect the heel, knee, shoulder, hip, lower back (lumbar spine), and the neck (cervical spine) areas. Other locations on the body where an individual might develop a bone spur includes: the wrist, hand, toes, foot (either the midfoot or arch), as well as the temporomandibular joint (TMJ). But, what causes these bone spurs to develop?
Simply put, ongoing stress on the bone, over a long period of time. This can be because of inflammation (e.g. tendinitis), or osteoarthritis. Under normal circumstances, bones have a cartilage layer that helps form a joint. When it comes to osteoarthritis, this layer slowly gets worn out, and the end result means that the two conjoining bones rub against each other. The stress creates inflammation, and new bones develop; bone spurs are really just the bone’s way of trying to protect itself. And at the end of the day, it seems that really anyone is susceptible to this condition.
(cont......)
(१)मास -पेशी को हड्डी से जोड़ने वाली नस को Tendon या कंडरा कहा जाता है
(२ )अस्थियों के ऊपर एक उपास्थियों की पर्त मढ़ी होती है जो जोड़ बनाने का काम करती है। अस्थियों पर समय के साथ जैसे जैसे दवाब बढ़ता जाता है इस पर्त का क्षय होने लगता है (अस्थियों के जोड़ों के दर्द में यही तो होता है ).
अब ऐसे में परस्पर संयुक्त हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगतीं हैं। स्ट्रेस से इन्फ्लेमेशन(रोग पूर्व की स्थिति ) पैदा होती है ,नतीजा होता है नै अस्थियों का बनना। बॉन स्पर यानी अस्थि की नै बढ़वार इस क्षय को ले दे के रोकने की कोशिश ही है। डिफ्नेस मैकेनिज़्म है।
(१)मास -पेशी को हड्डी से जोड़ने वाली नस को Tendon या कंडरा कहा जाता है
(२ )अस्थियों के ऊपर एक उपास्थियों की पर्त मढ़ी होती है जो जोड़ बनाने का काम करती है। अस्थियों पर समय के साथ जैसे जैसे दवाब बढ़ता जाता है इस पर्त का क्षय होने लगता है (अस्थियों के जोड़ों के दर्द में यही तो होता है ).
अब ऐसे में परस्पर संयुक्त हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगतीं हैं। स्ट्रेस से इन्फ्लेमेशन(रोग पूर्व की स्थिति ) पैदा होती है ,नतीजा होता है नै अस्थियों का बनना। बॉन स्पर यानी अस्थि की नै बढ़वार इस क्षय को ले दे के रोकने की कोशिश ही है। डिफ्नेस मैकेनिज़्म है।
(३ )स्नायु बंध अस्थियों के अंदर वो ऊतक या ligaments होते हैं जो अस्थियों को जोड़ते हैं।
(२ )Gout:
Gout is characterized by sudden, severe attacks of pain, redness and tenderness in joints, often the joint at the base of the big toe.
Gout — a complex form of arthritis — can affect anyone. Men are more likely to get gout, but women become increasingly susceptible to gout after menopause.
An attack of gout can occur suddenly, often waking you up in the middle of the night with the sensation that your big toe is on fire. The affected joint is hot, swollen and so tender that even the weight of the sheet on it may seem intolerable.
Fortunately, gout is treatable, and there are ways to reduce the risk that gout will recur.
सन्दर्भ -सामिग्री :
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://rmhealthy.com/10-signs-symptoms-bone-spurs/?utm_source=bing&utm_medium=CPC&utm_campaign=bing%20-%20CPC%20-%2010%20Signs%20B
(२ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/gout/basics/definition/CON-20019400
LIVING HEALTHY
(१ )http://rmhealthy.com/10-signs-symptoms-bone-spurs/?utm_source=bing&utm_medium=CPC&utm_campaign=bing%20-%20CPC%20-%2010%20Signs%20B
(२ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/gout/basics/definition/CON-20019400
LIVING HEALTHY
10 Signs And Symptoms Of Bone Spurs
(२ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/osteoarthritis/symptoms-causes/syc-20351925
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