उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र से संयुक्त राज्य अमेरिका में दाखिल होने वाली प्रशीतित पवनें हाड़ और चमड़ी गलाने वाली त्वचाक्षत करने वाली ठंड ले आईं ह...
उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र से संयुक्त राज्य अमेरिका में दाखिल होने वाली प्रशीतित पवनें हाड़ और चमड़ी गलाने वाली त्वचाक्षत करने वाली ठंड ले आईं हैं। इस बरस नया साल चालीस फर्नेहाइट ज्यादा ठंडा रहेगा। और इसी के साथ फ्रॉस्टबाइट (त्वचाक्षत )शीत से चमड़ी का गलना, पैरों की तथा हाथों की उँगलियों अंगूठों की खासकर मयशेष अंगों की रक्तवाहिकाओं का सिकुड़ना एक समस्या पैदा करेगा। हालांकि यह हमारे शरीर सुरक्षा तंत्र का अपना इंतज़ाम है वह परिधीय अंगों की रक्त वाहिकाओं को आकुंचित कर देता है सिकोड़ देता है ताकि ताप ऊर्जा की शरीर से निकासी संरक्षित रहे।
भले यह शरीर के प्रमुख अंगों यथा दिल फेफड़ों आदि को बचाने की हमारे शरीर की कुदरती रणनीति है लेकिन शरीर के इन परिधीय अंगों पेरिफेरल पार्ट्स की हिफाज़त भी कम ज़रूरी नहीं है।
यहां अमरीका का नागरिक अपना कर्तव्य बोध,नागर -बोध , सामाजिक दायित्व कभी नहीं भूलता। घर के सामने के फुटपाथ से बर्फ उसे खुद किसी फावड़े से हटानी ही हटानी है। बेहतर हो एक नहीं दो दो दस्ताने पहने जाएँ ताकि उंगलियों के बीच में हवा की परतें रहें
इनके ऊपर से मिटन (mitten )यानी निरंगुल दस्ताने भी पहने जाएँ जिनमें अगूंठा के लिए अलग और चारों उँगलियों की हिफाज़त के लिए अलग दस्ताना होता है।
It helps to have a ski mask to protect your ears and your nose,"
कपड़े भी पतले -पतले लेकिन गर्म एक से ज्यादा तथा ढ़ीले ढ़ाले पहनना हिफाज़त करेगा शरीर से गर्मी की निकासी को अपेक्षाकृत ज्यादा रोकेगा। टाईट कपड़े न ही पहने इनसे ठंड का बचाव नहीं होगा ।
प्रत्येक डिग्री सेल्सियस तापमान में गिरावट दो फीसद आवर्ती वृद्धि (recurring increase )करती है दिल के दौरे के खतरों में । ठंड न खाएं ये बेहद ज़रूरी है खासकर दिल के रोगों के दमा के मरीज़।क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिज़ीज़ के मरीज़।
लापरवाही बरतने से न सिर्फ चमड़ी के आसपास चमड़ी के भीतर भी बर्फ के रवे ,क्रिस्टल आइस के बन सकते हैं रक्त उठाने वाली नालियां ब्लड वेसिल्स तो सिकुड़ती ही हैं ताकि प्रमुख अंगों को पर्याप्त रक्तापूर्ति होती रहे। चमड़ी का सुन्न हो जाना पीड़ा रहित हो जाना शीत -क्षत(frost bite )का पुख्ता लक्षण है।
ठंड से सबसे बाहर की चमड़ी के ऊतक अतिरिक्त रूप से प्रशीतित हो जाते हैं भले इन्हें वास्तविक नुकसानी न भी पहुंचे इसी स्थिति को frostnip शीत -क्षत से पूर्व की स्थिति कहा जाता है। इस स्थिति में चमड़ी बदरंग भी हो सकती है सुर्ख भी बेहद संवेदी भी जलन भी महसूस हो सकती है चमड़ी में। यह चेतावनी है ठंड की के बचाओ चमड़ी को मैं आई आई आई आई।
फ्रॉस्टबाइट वास्तविक रूप में होने पर चमड़ी को नुकसानी भी वास्तविक ही उठानी पड़ती है पीत वर्ण की हो जाती है चमड़ी इस स्थिति में -मोमिया और पर्पल कलर की भी हो सकती है आपकी त्वचा फ्रॉस्टबाइट से । यकीन मानिये बर्फ भी डस लेती है ऊतकों को टिशूज़ को ।चमड़ी काली भी पड़ सकती है। ऊतक नष्ट भी हो सकते हैं।सुन्न और पीड़ा रहित भी। मृत कायिक अवयव में कैसी पीड़ा। कोशिकाओं के अंदर बाहर भी बर्फ के क्रिस्टल बन ने लगते हैं।
आँखों की हिफाज़त ज्यादा ज़रूरी
फ्रॉस्टबाइट आँखों को भी असरग्रस्त कर सकती है।ऐसे में चमड़ी पर महीन क्रिस्टल भी बन सकते हैं blisters भी। फफोला या छाला बन सकता है बारीक। ऐसे में रक्त वाहिकाओं का बेहद का सिकड़ाव आँखों को भी क्षति पहुंचा सकता है सिर्फ चमड़ी को ही नहीं। क्योंकि रक्तवाहिकाएं आँखों को रक्तापूर्ति करवाने में असमर्थ होने लगती है इसी ब्लड वेसिल्स के अतिरिक्त कॉन्सट्रिक्शन की वजह से।
Hypothermia
रक्त वाहिकाओं का अतिरिक्त सिकड़ाव शरीर के तापमान को सामान्य से नीचे (95 F or 37 C )ला सकता है इसका मतलब यह होता है शरीर से गर्मी निकल ज्यादा रही है प्राप्त कम हो रही है।
In hypothermia core temp of the body decreases or drops below normal.
यही सबसे खतरनाक स्थिति होती है जो शरीर के जतन से बचाके रखे गए प्रमुख अंगों यथा दिल दिमाग ,और गुर्दे और स्नायुविक तंत्र ,(nervous system )को ही ले बैठती है। इसी से बचाव की रणनीति के तहत तमाम रक्तवाहिकाएँ संकुचित हो रही थीं। ताकि चमड़ी की ओर कम इन अंगों को ज्यादा रक्त निर्बाध पहुंचता रहे।ताप ऊर्जा का प्रवाह भी बाहर की तरफ न होकर अंदर की तरफ होकर इन अगों को गरमाये रहे ।
दिल की लय के बे -तरह बिगड़ने से इस स्थिति में मृत्यु भी हो सकती है। वैश्विक स्तर पर भी लोग इस प्रकार की अरक्षित शीत से ज्यादा गर्मी /लू से कम मरते हैं।
सर्द मौसम वसोकोन्सट्रिक्टर बन जाता है। रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ के रख देता है।लिहाज़ा हार्ट अटेक और स्ट्रोक (ब्रेन अटैक )के मामले बढ़ जाते हैं
खासकर लापरवाह बने रहने पर। शवलिंग ज्यादा न करें ये लोग जिनका इलाज़ पहले से ही इन्हीं स्थितियों से बचे रहने के लिए चल रहा है।
खतरे हार्ट और कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज के लिए दवा ले रहे बुजुर्गों के लिए ज्यादा हो जाते हैं जिन्हें कई मर्तबा ठंड लगने का एहसास भी नहीं हो पाता इसीलिए इस बर्फीले मौसम में एल्कोहॉल का सेवन और भी ज्यादा खतरे पैदा कर सकता है। पियक्कड़ ही ठंड खाते हैं। ठंड का एहसास जो नहीं होता नशे की हालत में संवेदन भी कमतर हो जाता है ठंड ताड़ने का।
Alcohol also causes dilatation of the body's blood vessels, increasing heat loss," she said.
यकीन मानिये रक्त वाहिकाओं को विस्तारित करके फैला देती है शराब ऐसे भी शरीर का ठंड रोधी प्रबंध नाकारा हो जाता है।
दमे के लोगों के लिए सरल सा उपाय है मफलर लेवें नाक को ढके रहें ताकि अपनी ही गर्म साँसे मिलती रहें। नासिका मार्ग श्वसन मार्ग खुला रहे।
रीढ़ और कमर की समस्या से ग्रस्त लोग शवलिंग (बर्फ हटाने )से अपने को बे -हिसाब न थकाएं।हार्ट के मरीज़ भी अपनी सीमाओं को पहचानें।
और कुछ न कुछ व्यायाम हरकत स्ट्रेचिंग आदि भी घर में करते रहिये ताकि रक्त संचरण सुचारु बना रहे।मोटापे से बचे रहने के लिए इसके अलावा इस सर्द बर्फीले मौसम में खाना पीना भी स्वास्थ्यकर हो ,फल में एक एपिल और टमाटर तो दो रोज़ खा ही सकते हैं .
दमे के मरीज़ों के लिए सर्द मौसम ब्रोन्कोस्पासम (ब्रोन्कोस्पासं)की वजह बन जाता है।फेफड़ों रुपी वृक्षों से लटकी हुई सैंकड़ों हवा की थैलियां सिकुड़ जाती हैं इस स्थिति में।
क्रोनिक पल्मोनरी ऑब्स्ट्रक्टिव डिज़ीज़ के लक्षण उग्र होने के मौके बढ़ जाते हैं। केजरीवाल बन जाइये अपनी नासिका को मफलर से ढ़के रहिये।ताकि अपने ही श्वास से गरमाई हवा आपको मिलती रहे।
भले यह शरीर के प्रमुख अंगों यथा दिल फेफड़ों आदि को बचाने की हमारे शरीर की कुदरती रणनीति है लेकिन शरीर के इन परिधीय अंगों पेरिफेरल पार्ट्स की हिफाज़त भी कम ज़रूरी नहीं है।
यहां अमरीका का नागरिक अपना कर्तव्य बोध,नागर -बोध , सामाजिक दायित्व कभी नहीं भूलता। घर के सामने के फुटपाथ से बर्फ उसे खुद किसी फावड़े से हटानी ही हटानी है। बेहतर हो एक नहीं दो दो दस्ताने पहने जाएँ ताकि उंगलियों के बीच में हवा की परतें रहें
इनके ऊपर से मिटन (mitten )यानी निरंगुल दस्ताने भी पहने जाएँ जिनमें अगूंठा के लिए अलग और चारों उँगलियों की हिफाज़त के लिए अलग दस्ताना होता है।
It helps to have a ski mask to protect your ears and your nose,"
कपड़े भी पतले -पतले लेकिन गर्म एक से ज्यादा तथा ढ़ीले ढ़ाले पहनना हिफाज़त करेगा शरीर से गर्मी की निकासी को अपेक्षाकृत ज्यादा रोकेगा। टाईट कपड़े न ही पहने इनसे ठंड का बचाव नहीं होगा ।
प्रत्येक डिग्री सेल्सियस तापमान में गिरावट दो फीसद आवर्ती वृद्धि (recurring increase )करती है दिल के दौरे के खतरों में । ठंड न खाएं ये बेहद ज़रूरी है खासकर दिल के रोगों के दमा के मरीज़।क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिज़ीज़ के मरीज़।
लापरवाही बरतने से न सिर्फ चमड़ी के आसपास चमड़ी के भीतर भी बर्फ के रवे ,क्रिस्टल आइस के बन सकते हैं रक्त उठाने वाली नालियां ब्लड वेसिल्स तो सिकुड़ती ही हैं ताकि प्रमुख अंगों को पर्याप्त रक्तापूर्ति होती रहे। चमड़ी का सुन्न हो जाना पीड़ा रहित हो जाना शीत -क्षत(frost bite )का पुख्ता लक्षण है।
ठंड से सबसे बाहर की चमड़ी के ऊतक अतिरिक्त रूप से प्रशीतित हो जाते हैं भले इन्हें वास्तविक नुकसानी न भी पहुंचे इसी स्थिति को frostnip शीत -क्षत से पूर्व की स्थिति कहा जाता है। इस स्थिति में चमड़ी बदरंग भी हो सकती है सुर्ख भी बेहद संवेदी भी जलन भी महसूस हो सकती है चमड़ी में। यह चेतावनी है ठंड की के बचाओ चमड़ी को मैं आई आई आई आई।
फ्रॉस्टबाइट वास्तविक रूप में होने पर चमड़ी को नुकसानी भी वास्तविक ही उठानी पड़ती है पीत वर्ण की हो जाती है चमड़ी इस स्थिति में -मोमिया और पर्पल कलर की भी हो सकती है आपकी त्वचा फ्रॉस्टबाइट से । यकीन मानिये बर्फ भी डस लेती है ऊतकों को टिशूज़ को ।चमड़ी काली भी पड़ सकती है। ऊतक नष्ट भी हो सकते हैं।सुन्न और पीड़ा रहित भी। मृत कायिक अवयव में कैसी पीड़ा। कोशिकाओं के अंदर बाहर भी बर्फ के क्रिस्टल बन ने लगते हैं।
आँखों की हिफाज़त ज्यादा ज़रूरी
फ्रॉस्टबाइट आँखों को भी असरग्रस्त कर सकती है।ऐसे में चमड़ी पर महीन क्रिस्टल भी बन सकते हैं blisters भी। फफोला या छाला बन सकता है बारीक। ऐसे में रक्त वाहिकाओं का बेहद का सिकड़ाव आँखों को भी क्षति पहुंचा सकता है सिर्फ चमड़ी को ही नहीं। क्योंकि रक्तवाहिकाएं आँखों को रक्तापूर्ति करवाने में असमर्थ होने लगती है इसी ब्लड वेसिल्स के अतिरिक्त कॉन्सट्रिक्शन की वजह से।
Hypothermia
रक्त वाहिकाओं का अतिरिक्त सिकड़ाव शरीर के तापमान को सामान्य से नीचे (95 F or 37 C )ला सकता है इसका मतलब यह होता है शरीर से गर्मी निकल ज्यादा रही है प्राप्त कम हो रही है।
In hypothermia core temp of the body decreases or drops below normal.
यही सबसे खतरनाक स्थिति होती है जो शरीर के जतन से बचाके रखे गए प्रमुख अंगों यथा दिल दिमाग ,और गुर्दे और स्नायुविक तंत्र ,(nervous system )को ही ले बैठती है। इसी से बचाव की रणनीति के तहत तमाम रक्तवाहिकाएँ संकुचित हो रही थीं। ताकि चमड़ी की ओर कम इन अंगों को ज्यादा रक्त निर्बाध पहुंचता रहे।ताप ऊर्जा का प्रवाह भी बाहर की तरफ न होकर अंदर की तरफ होकर इन अगों को गरमाये रहे ।
दिल की लय के बे -तरह बिगड़ने से इस स्थिति में मृत्यु भी हो सकती है। वैश्विक स्तर पर भी लोग इस प्रकार की अरक्षित शीत से ज्यादा गर्मी /लू से कम मरते हैं।
सर्द मौसम वसोकोन्सट्रिक्टर बन जाता है। रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ के रख देता है।लिहाज़ा हार्ट अटेक और स्ट्रोक (ब्रेन अटैक )के मामले बढ़ जाते हैं
खासकर लापरवाह बने रहने पर। शवलिंग ज्यादा न करें ये लोग जिनका इलाज़ पहले से ही इन्हीं स्थितियों से बचे रहने के लिए चल रहा है।
खतरे हार्ट और कार्डियोवैस्कुलर हार्ट डिजीज के लिए दवा ले रहे बुजुर्गों के लिए ज्यादा हो जाते हैं जिन्हें कई मर्तबा ठंड लगने का एहसास भी नहीं हो पाता इसीलिए इस बर्फीले मौसम में एल्कोहॉल का सेवन और भी ज्यादा खतरे पैदा कर सकता है। पियक्कड़ ही ठंड खाते हैं। ठंड का एहसास जो नहीं होता नशे की हालत में संवेदन भी कमतर हो जाता है ठंड ताड़ने का।
Alcohol also causes dilatation of the body's blood vessels, increasing heat loss," she said.
यकीन मानिये रक्त वाहिकाओं को विस्तारित करके फैला देती है शराब ऐसे भी शरीर का ठंड रोधी प्रबंध नाकारा हो जाता है।
दमे के लोगों के लिए सरल सा उपाय है मफलर लेवें नाक को ढके रहें ताकि अपनी ही गर्म साँसे मिलती रहें। नासिका मार्ग श्वसन मार्ग खुला रहे।
रीढ़ और कमर की समस्या से ग्रस्त लोग शवलिंग (बर्फ हटाने )से अपने को बे -हिसाब न थकाएं।हार्ट के मरीज़ भी अपनी सीमाओं को पहचानें।
और कुछ न कुछ व्यायाम हरकत स्ट्रेचिंग आदि भी घर में करते रहिये ताकि रक्त संचरण सुचारु बना रहे।मोटापे से बचे रहने के लिए इसके अलावा इस सर्द बर्फीले मौसम में खाना पीना भी स्वास्थ्यकर हो ,फल में एक एपिल और टमाटर तो दो रोज़ खा ही सकते हैं .
दमे के मरीज़ों के लिए सर्द मौसम ब्रोन्कोस्पासम (ब्रोन्कोस्पासं)की वजह बन जाता है।फेफड़ों रुपी वृक्षों से लटकी हुई सैंकड़ों हवा की थैलियां सिकुड़ जाती हैं इस स्थिति में।
क्रोनिक पल्मोनरी ऑब्स्ट्रक्टिव डिज़ीज़ के लक्षण उग्र होने के मौके बढ़ जाते हैं। केजरीवाल बन जाइये अपनी नासिका को मफलर से ढ़के रहिये।ताकि अपने ही श्वास से गरमाई हवा आपको मिलती रहे।
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