हूपिंग क़ाफ़ (सूखी खांसी या कुकुर खांसी ) आमतौर पर बच्चों को होने वाला रोग है जिसमें ज़ोर से खांसने के साथ सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इ...
हूपिंग क़ाफ़ (सूखी खांसी या कुकुर खांसी )आमतौर पर बच्चों को होने वाला रोग है जिसमें ज़ोर से खांसने के साथ सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इस रोग में श्वसन मार्ग एयर वेज़ फूल जाते हैं। यह रोगी के पास की हवा में सांस लेने से पैदा होने वाला एक रोग है इसीलिए इसे एयर बोर्न इन्फेक्शन कहा जाता है। इसमें काफ की गहनता के कारण खांस- खांस कर बच्चों का हाल बेहाल हो जाता है। बेहद के गंभीर असर होते हैं नौनिहालों पर इसके।
डिफ्थीरिया
गले अथवा कंठ और नाक का एक ऐसा गंभीर संक्रामक ,जीवाणु से पैदा होने वाला रोग है जिसमें सांस लेने में खासी तकलीफ होने लगती है। नाक भी इससे असरग्रस्त होती है रोगी के काफ यानी खांसने से और छींक से यह रोग प्रसार पाता है।इसकी चपेट में आये पांच से लेकर दस फीसद रोगियों की मौत हो जाती है।
इसका जीवाणु -कयनेबक्टेरियम डिफ्थेरिए गले की झिल्ली को निशाने पे लेते हुए एक टोक्सिन (विषाक्त पदार्थ ) का रिसाव करता है जो हमारे दिल और स्नायुविक तंत्र (हार्ट एंड नर्वस सिस्टम )को चोट पहुंचाता है।
एक समय था जब बच्चों के लिए यह महापातकी माना जाता था। १९२१ (1921 )में इसके दो लाख छ: हज़ार मामले (2,06,000 )अमरीका में दर्ज़ हुए। १५ ,००० से ज्यादा लोग इससे मारे गए।
गहन टीकाकरण के चलते गत दशक में अमरीका में इसके केवल पांच मामले सामने आये लेकिन विकासशील देशों में यह आज भी मुंह उठाये है।
२०११ में इसके ५ ,००० मामले आधिकारिक तौर पर दर्ज़ हुए अलावा इसके कितने मामले सामने आ ही नहीं पाते हैं।
अफ्रिका और एशिया पर्याप्त टीकाकरण के अभाव में इससे असरग्रस्त होते हैं।
स्कारलेट फीवर (लोहित ज्वर -एक ऐसा रोग जो एक से दूसरे व्यक्ति को ग्रसित कर लेता है ,एक संक्रामक ज्वर है जिसमें शरीर बहुत तपता है तथा त्वचा पर चकत्ते निकल आते हैं ): चमड़ी और कंठ में पाया जाता है इसका जीवाणु। गुलाबी लाल छोटे छोटे दाने चमड़ी पर उभर आते हैं यह ज्वर होने पर।
रोगी के छींकने खांसने काफ से उसके कपड़े तीमारदार सांझा करने से उसकी संक्रमित त्वचा के स्पर्श से इसकी छूत एक से दूसरे व्यक्ति को लगती है इसकी काट के लिए अभी तक कोई टीका (वैक्सीन )नहीं है। यह भी एक जीवाणु से पैदा रोग है जो नौनिहालों को निशाने पे लेता है।
१८४० -१८८३ तक की अवधि में इस रोग से ग्रस्त लोगों में अमरीका और योरोप में मृत्य दर ३० % से ज्यादा रहती थी। १९५० आदि के दशकों से जीवाणुरोधी एंटीबायोटिक्स दवाओं की सहज सुलभता और बेहतर जीवन यापन के चलते विकसित वैभव संपन्न राष्ट्रों में अब यह रोग बिरले ही मुंह उठाता है।
लेकिन २०१४ में बड़े व्यापक रूप में इसने यूके (united kingdom )पे शिकंजा कसा जहां इसके १४ ,००० से भी ज्यादा मामले सामने आये। यह १९६० आदि के दशकों के बाद से इस रोग का अब तक का सबसे बड़ा हमला था। २०१५ में भी वहां इसके संक्रमण से लोग ग्रस्त हुए हैं।
भूमंडलीय स्तर पर भी यह अति बिरला रोग तब तब सिर उठा लेता है। २०११ में इसके कुल १५ ,०० मामले सामने आये हांगकांग में दो लोगों की मृत्यु भी इस रोग से हुई।
तपेदिक जिसे अठारहवीं सदी के योरोप में "वाइट प्लेग "कहा गया आज सबसे ज्यादा जानलेने वाला संक्रामक रोग बन गया है जिसने एचआईवी -एड्स को बहुत पीछे छोड़ दिया है किलर नंबर वन है आज ट्यूबरक्लोसिस (टीबी ). इसे क्षय रोग भी कहा जाता है।टुबेरक्ले बेसिलस नाम है इसके जीवाणु (बैक्टीरियम )का।
इसमें झिल्लियों पर लघु गोलीय टुबेरक्ले बन जाती हैं।
It is a infectious disease that causes small rounded swellings (tubercles ) to form on mucous membranes especially a disease that affects the lungs(pulmonary tuberculosis ).
अमरीका (उत्तरी अमरीका होता है हमारा आशय अमरीका से )में २०१४ में इसके ९४ ०० मामले सामने आये हैं। दुनिया भर में २०१३ में इसने पंद्रह लाख लोगों की जान ले ली। जबकि इसी अवधि में नब्बे लाख रोगों में रोग के लक्षण मुखरित हुए।
लाइलाज नहीं है यह रोग लेकिन अज्ञानता के चलते आज इसके दवा रोधी ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिन पर उपलब्ध दवाओं के असर नदारद हैं -मल्टीड्रगरेज़ीस्तेंट ट्यूबरक्लोसिस। लोग इलाज़ बीच में ही छोड़ देते हैं और एक दुष्चक्र में खुद भी फंसते हैं और लोगों के लिए भी मुसीबत बनते हैं।
घुटनभरे संकुल आवास जहां एक एक हाल में बीस बीस चालीस चालीस लोग रहतें हैं हवा की आवाजाही नहीं है इसके पनाहगाह हैं।
अलबत्ता हेल्दी इम्युन-सिस्टम चाक चौबंद रोगप्रतिरोधी तंत्र जिन लोगों का है आवास जिनके हवादार खुले खुले हैं उनके लिए यह रोग कोई अजूबा नहीं है समस्या उनके लिए हैं जो एचआईवीएड्स जैसे संक्रमणों से भी ग्रस्त हैं जीवन यापन की न्यूनतम सुविधाएं जिन्हें मयस्सर नहीं हैं।
अपने छः बरस के आवास में मुंबई में मैंने इस रोग के टोटल ड्रग रेसिस्टेंट मामले भी देखें हैं उन लोगों से मिला भी हूँ।
(ज़ारी )
मूल आलेख अंग्रेजी में भी पढ़ सकते हैं :
Whooping cough
१९४० आदि दशकों से पहले इसके साल भर में अमरीका में ही कोई दो लाख मामले दर्ज़ होते थे। बचावी टीकाकरण नए मामलों में ८० फीसद तक की कमी दर्ज़ हुई। लेकिन अभी भी यह रोग और इसका प्रकोप जब तब उभार पर आ जाता है। २०१० में अमरीका का केलिफोर्निया राज्य इसकी चपेट में आया। इससे पहले के साठ बरसों में इसका प्रकोप इतना व्यापक रूप सामने नहीं आया था। इस बरस यहां पंद्रह सौ मामले दर्ज़ हुए दस लोग मर भी गए इस रोग से।
एक अनुमान के अनुसार २००८ में दुनियाभर में इसके कुल सोलह लाख मामले प्रकाश में आये जिनका ९५ % विकास शील देशों में दर्ज़ हुआ रोग से लगभग एक लाख पिच्यानवें हज़ार मामले सामने आये इनमें से (1,95,000) बालकों की मौत हो गई।
डिफ्थीरिया
गले अथवा कंठ और नाक का एक ऐसा गंभीर संक्रामक ,जीवाणु से पैदा होने वाला रोग है जिसमें सांस लेने में खासी तकलीफ होने लगती है। नाक भी इससे असरग्रस्त होती है रोगी के काफ यानी खांसने से और छींक से यह रोग प्रसार पाता है।इसकी चपेट में आये पांच से लेकर दस फीसद रोगियों की मौत हो जाती है।
इसका जीवाणु -कयनेबक्टेरियम डिफ्थेरिए गले की झिल्ली को निशाने पे लेते हुए एक टोक्सिन (विषाक्त पदार्थ ) का रिसाव करता है जो हमारे दिल और स्नायुविक तंत्र (हार्ट एंड नर्वस सिस्टम )को चोट पहुंचाता है।
एक समय था जब बच्चों के लिए यह महापातकी माना जाता था। १९२१ (1921 )में इसके दो लाख छ: हज़ार मामले (2,06,000 )अमरीका में दर्ज़ हुए। १५ ,००० से ज्यादा लोग इससे मारे गए।
गहन टीकाकरण के चलते गत दशक में अमरीका में इसके केवल पांच मामले सामने आये लेकिन विकासशील देशों में यह आज भी मुंह उठाये है।
२०११ में इसके ५ ,००० मामले आधिकारिक तौर पर दर्ज़ हुए अलावा इसके कितने मामले सामने आ ही नहीं पाते हैं।
अफ्रिका और एशिया पर्याप्त टीकाकरण के अभाव में इससे असरग्रस्त होते हैं।
स्कारलेट फीवर (लोहित ज्वर -एक ऐसा रोग जो एक से दूसरे व्यक्ति को ग्रसित कर लेता है ,एक संक्रामक ज्वर है जिसमें शरीर बहुत तपता है तथा त्वचा पर चकत्ते निकल आते हैं ): चमड़ी और कंठ में पाया जाता है इसका जीवाणु। गुलाबी लाल छोटे छोटे दाने चमड़ी पर उभर आते हैं यह ज्वर होने पर।
रोगी के छींकने खांसने काफ से उसके कपड़े तीमारदार सांझा करने से उसकी संक्रमित त्वचा के स्पर्श से इसकी छूत एक से दूसरे व्यक्ति को लगती है इसकी काट के लिए अभी तक कोई टीका (वैक्सीन )नहीं है। यह भी एक जीवाणु से पैदा रोग है जो नौनिहालों को निशाने पे लेता है।
१८४० -१८८३ तक की अवधि में इस रोग से ग्रस्त लोगों में अमरीका और योरोप में मृत्य दर ३० % से ज्यादा रहती थी। १९५० आदि के दशकों से जीवाणुरोधी एंटीबायोटिक्स दवाओं की सहज सुलभता और बेहतर जीवन यापन के चलते विकसित वैभव संपन्न राष्ट्रों में अब यह रोग बिरले ही मुंह उठाता है।
लेकिन २०१४ में बड़े व्यापक रूप में इसने यूके (united kingdom )पे शिकंजा कसा जहां इसके १४ ,००० से भी ज्यादा मामले सामने आये। यह १९६० आदि के दशकों के बाद से इस रोग का अब तक का सबसे बड़ा हमला था। २०१५ में भी वहां इसके संक्रमण से लोग ग्रस्त हुए हैं।
भूमंडलीय स्तर पर भी यह अति बिरला रोग तब तब सिर उठा लेता है। २०११ में इसके कुल १५ ,०० मामले सामने आये हांगकांग में दो लोगों की मृत्यु भी इस रोग से हुई।
तपेदिक जिसे अठारहवीं सदी के योरोप में "वाइट प्लेग "कहा गया आज सबसे ज्यादा जानलेने वाला संक्रामक रोग बन गया है जिसने एचआईवी -एड्स को बहुत पीछे छोड़ दिया है किलर नंबर वन है आज ट्यूबरक्लोसिस (टीबी ). इसे क्षय रोग भी कहा जाता है।टुबेरक्ले बेसिलस नाम है इसके जीवाणु (बैक्टीरियम )का।
इसमें झिल्लियों पर लघु गोलीय टुबेरक्ले बन जाती हैं।
It is a infectious disease that causes small rounded swellings (tubercles ) to form on mucous membranes especially a disease that affects the lungs(pulmonary tuberculosis ).
अमरीका (उत्तरी अमरीका होता है हमारा आशय अमरीका से )में २०१४ में इसके ९४ ०० मामले सामने आये हैं। दुनिया भर में २०१३ में इसने पंद्रह लाख लोगों की जान ले ली। जबकि इसी अवधि में नब्बे लाख रोगों में रोग के लक्षण मुखरित हुए।
लाइलाज नहीं है यह रोग लेकिन अज्ञानता के चलते आज इसके दवा रोधी ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिन पर उपलब्ध दवाओं के असर नदारद हैं -मल्टीड्रगरेज़ीस्तेंट ट्यूबरक्लोसिस। लोग इलाज़ बीच में ही छोड़ देते हैं और एक दुष्चक्र में खुद भी फंसते हैं और लोगों के लिए भी मुसीबत बनते हैं।
घुटनभरे संकुल आवास जहां एक एक हाल में बीस बीस चालीस चालीस लोग रहतें हैं हवा की आवाजाही नहीं है इसके पनाहगाह हैं।
अलबत्ता हेल्दी इम्युन-सिस्टम चाक चौबंद रोगप्रतिरोधी तंत्र जिन लोगों का है आवास जिनके हवादार खुले खुले हैं उनके लिए यह रोग कोई अजूबा नहीं है समस्या उनके लिए हैं जो एचआईवीएड्स जैसे संक्रमणों से भी ग्रस्त हैं जीवन यापन की न्यूनतम सुविधाएं जिन्हें मयस्सर नहीं हैं।
अपने छः बरस के आवास में मुंबई में मैंने इस रोग के टोटल ड्रग रेसिस्टेंट मामले भी देखें हैं उन लोगों से मिला भी हूँ।
(ज़ारी )
मूल आलेख अंग्रेजी में भी पढ़ सकते हैं :
Whooping cough
Whopping cough, or pertussis, is an airborne infection that swells the airways. It causes intense coughing, with particularly serious effects for babies.
Before the 1940s there were more than 200,000 cases of whooping cough in the United States each year, until widespread vaccination reduced new infections by 80%. But outbreaks still occur. In 2010, California suffered its worst outbreak in 60 years, with close to 1,500 cases and 10 deaths.
There were an estimated 16 million global cases in 2008 -- 95% in developing countries -- killing about 195,000 children.
Diphtheria
This disease affects the nose and throat and is passed on by coughing or sneezing. It kills 5-10% of patients who catch it.
It was once a major childhood killer. The United States recorded 206,000 cases in 1921, causing more than 15,000 deaths.
Vaccination programs meant it declined rapidly, with only five cases of diphtheria reported in the United States in the last decade. But in the developing world it remains a problem.
In 2011 nearly 5,000 cases of diphtheria were recorded globally, with many more likely unreported. It continues to be a problem in parts of Africa and Asia -- mostly due to poor vaccination coverage.
Scarlet fever
This disease is caused by bacteria found on the skin and throat, producing a distinctive pink-red rash. The bacteria is spread by sneezing and coughing, touching skin with infections such as impetigo, or sharing contaminated linen. There is still no vaccine.
From 1840 to 1883, fatality rates of scarlet fever exceeded 30% in some parts of the U.S. and Europe. But from the 1950s, antibiotics and improved living conditions made the disease rare in developed countries.
In 2014, more than 14,000 cases of Scarlet fever were reported in the United Kingdom -- the highest surge since the late 1960s -- and infections have continued in 2015. Globally, outbreaks of this rare disease continue to occur -- though rare -- with 1,500 cases and two fatalities reported in Hong Kong in 2011.
TB
Known as the "White Plague" as it ravaged 18th-century Europe, tuberculosis (TB) is now the world's biggest infectious killer, ahead of HIV.
More than 9,400 people were infected in the United States in 2014. Globally, TB killed an estimated 1.5 million people in 2013, whilst 9 million developed the disease. TB is treatable but drug-resistant forms cause further challenges in controlling the disease.
The infection is spread through the air, aided by overcrowded housing and poor ventilation. Strong immune systems can normally fight off the disease but TB takes hold in patients with weakened defenses -- particularly people with HIV.
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