युगांडा में एक जंगल है जिसका नाम 'ज़ीका फारेस्ट' है।यहां एक चालीस मीटर ऊंचा मीनार है जिसकी पांच मंज़िलें हैं सबकी सब बेहद खतरनाक खस्त...
युगांडा में एक जंगल है जिसका नाम 'ज़ीका फारेस्ट' है।यहां एक चालीस मीटर ऊंचा मीनार है जिसकी पांच मंज़िलें हैं सबकी सब बेहद खतरनाक खस्ता हालत में है। यह रोगकारकों का ,तमाम किस्म के पैथोजन्स का, विषाणुओं ,जीवाणुओं ,परजीवियों का भी जंगल है जहां दुनिया भर के कीटविज्ञानी साल भर डेरा डाले रहते हैं अभिनव विषाणुओं का अन्वेषण और उनकी पड़ताल करना ही इनका धर्म बन चुका है जिसका पालन ये अपनी जान को भी खतरे में डालकर करते हैं।
इसी बुर्ज पर एक अन्वेषण के दौरान ज़ीका विषाणु हाथ आया है विज्ञानियों के। अंग्रेजी में इसे ZICV (ZICA VIRUS )कह सकते हैं इसका नामकरण इसी जंगल को यादगार जंगल बनाता है इसी के नाम पर हुआ है।
अमूमन यह बंदरों यहां मौजूद अन्य कृन्तकों का रोग संक्रमण समझा गया था। अपनी नादानी में हम ऐसे कई कुदरती पारितंत्रों को रौंदे जा रहें हैं अपने लालच में चाहें फिर वह मुंबई का मैंग्रोव क्षेत्र हो या अमेज़न का वर्षा वन अन्य कोई ऐसा ही कुदरत का बचावी तोहफा हो हम अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आते। मज़ेदार बात यह है ऐसी करतूतें करने वाले रियाल्टार (Realtors )कहलाते हैं।
हमारी इन्हीं हरकतों से ज़ीका संक्रमण बा -रास्ता एडीज एजिप्टी मच्छर हम तक चला आया है और अब एक संक्रमित मनुष्य से दुसरे तक पहुँचने की ताक में रहता है।
आपका फिरंगी स्वभाव बिना देखे भाले ऐसे ही किसी ज़ीका संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बना बैठना आपको मुसीबत में डाल सकता है। इससे संदूषित रक्त का आधान गलती से भी हो जाए तब यह संक्रमण रक्त लेने वाले रक्ताधान करवाने वाले व्यक्ति तक पहुँच सकता है।
गर्भवती माँ से उसके गर्भस्थ को भी यह अंतरित हुआ है। इसका इल्म तब होता है जब एक ख़ास इलाके में पैदा हुए शिशुओं में एक ही तरह की दिमागी बीमारी(microcephaly) देखने में आये।
संक्रमण का आम रास्ता है संक्रमित व्यक्ति को जिस मच्छर ने काटा है वह आपको भी काट ले। दिन में ही ज्यादा सक्रिय रहता है यह मच्छर। इसे अपनी वंशवृद्धि के लिए मानवीय रक्त चाहिए। यह अरबो -वायरस अफ़्रीकी और एशियाई दोनों मूल का है।
Zika may be responsible for infant deformities and accompanying heartbreak for parents in Latin America, but in its birthplace, infected people mostly get no more than mild, flu-like symptoms for a few days.
Mukwaya reels off a list of much more scary viruses that have been isolated in the past 50 years from mosquitoes trapped on the tower. They include yellow fever, dengue fever, West Nile virus and Rift valley fever, as well as other nasty ones such as o’nyong-nyong, Bwamba, spondwei, btaya, chikungunya and Kasokero. More are found each year by UVRI researchers, and for nearly all of them there are, as with Zika, no treatments or vaccine.
यह आकस्मिक नहीं है कि युगांडा में मलेरिया से ही हर साल पांच साल से छोटे एक लाख शिशु मर जाते हैं। अलावा इसके पंद्रह लाख से भी ज्यादा वहां एचआईवी -एड्स संक्रमित (पॉजिटव )लोग मौजूद हैं। कितनों को इसका सहोदर सा लगने वाला रोग हेपेटाइटिस -बी है इसका सही अंदाज़ा मैं और आप नहीं लगा सकते। १९८० के दशक में अपने अध्यापन कार्य के दौरान यूनिवर्सिटी कालिज रोहतक में कितने ही युगांडा से यहां अध्ययन के लिए आये छात्रों के संपर्क में रहा पता चला इनके चचरे ममेरे भाई -बहन, फस्ट -कज़िन्स सारी दुनिया में फैले हुए हैं।सगे भाई बहन भी (हाल्फ ब्रदर्स एन्ड हाल्फ सिस्टर्स ).
इबोला (Ebola) तथा मर्बर्ग (Marburg) संक्रमित भी यहां कितने ही हैं।
Aedes africanus ने युगांडा को और aedes aegypti formosus विषाणु ने ब्राज़ील को अपना निशाना बनाया है। ये दोनों ही वेक्टर्स येलो फीवर ,डेंगू और चिन्किन्गुनिया विषाणु के वाहक बनते हैं। लेकिन युगांडा के लोगों के शरीर तो मानों एक प्रयोगशाला हैं इस संक्रमण के लिए वह अपने को भला चंगा मानते बतलाते हैं। ज़ीका आरण्य में कार्यरत विज्ञानी भी इनसे अलग नहीं हैं। इम्मुनिटी प्राप्त हैं इन्हें ऐसे कई संक्रमणों से। अमूमन यह संक्रमण जानलेवा समझा भी नहीं गया है।
इसी बुर्ज पर एक अन्वेषण के दौरान ज़ीका विषाणु हाथ आया है विज्ञानियों के। अंग्रेजी में इसे ZICV (ZICA VIRUS )कह सकते हैं इसका नामकरण इसी जंगल को यादगार जंगल बनाता है इसी के नाम पर हुआ है।
अमूमन यह बंदरों यहां मौजूद अन्य कृन्तकों का रोग संक्रमण समझा गया था। अपनी नादानी में हम ऐसे कई कुदरती पारितंत्रों को रौंदे जा रहें हैं अपने लालच में चाहें फिर वह मुंबई का मैंग्रोव क्षेत्र हो या अमेज़न का वर्षा वन अन्य कोई ऐसा ही कुदरत का बचावी तोहफा हो हम अपनी करतूतों से बाज़ नहीं आते। मज़ेदार बात यह है ऐसी करतूतें करने वाले रियाल्टार (Realtors )कहलाते हैं।
हमारी इन्हीं हरकतों से ज़ीका संक्रमण बा -रास्ता एडीज एजिप्टी मच्छर हम तक चला आया है और अब एक संक्रमित मनुष्य से दुसरे तक पहुँचने की ताक में रहता है।
आपका फिरंगी स्वभाव बिना देखे भाले ऐसे ही किसी ज़ीका संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बना बैठना आपको मुसीबत में डाल सकता है। इससे संदूषित रक्त का आधान गलती से भी हो जाए तब यह संक्रमण रक्त लेने वाले रक्ताधान करवाने वाले व्यक्ति तक पहुँच सकता है।
गर्भवती माँ से उसके गर्भस्थ को भी यह अंतरित हुआ है। इसका इल्म तब होता है जब एक ख़ास इलाके में पैदा हुए शिशुओं में एक ही तरह की दिमागी बीमारी(microcephaly) देखने में आये।
संक्रमण का आम रास्ता है संक्रमित व्यक्ति को जिस मच्छर ने काटा है वह आपको भी काट ले। दिन में ही ज्यादा सक्रिय रहता है यह मच्छर। इसे अपनी वंशवृद्धि के लिए मानवीय रक्त चाहिए। यह अरबो -वायरस अफ़्रीकी और एशियाई दोनों मूल का है।
Zika may be responsible for infant deformities and accompanying heartbreak for parents in Latin America, but in its birthplace, infected people mostly get no more than mild, flu-like symptoms for a few days.
Mukwaya reels off a list of much more scary viruses that have been isolated in the past 50 years from mosquitoes trapped on the tower. They include yellow fever, dengue fever, West Nile virus and Rift valley fever, as well as other nasty ones such as o’nyong-nyong, Bwamba, spondwei, btaya, chikungunya and Kasokero. More are found each year by UVRI researchers, and for nearly all of them there are, as with Zika, no treatments or vaccine.
यह आकस्मिक नहीं है कि युगांडा में मलेरिया से ही हर साल पांच साल से छोटे एक लाख शिशु मर जाते हैं। अलावा इसके पंद्रह लाख से भी ज्यादा वहां एचआईवी -एड्स संक्रमित (पॉजिटव )लोग मौजूद हैं। कितनों को इसका सहोदर सा लगने वाला रोग हेपेटाइटिस -बी है इसका सही अंदाज़ा मैं और आप नहीं लगा सकते। १९८० के दशक में अपने अध्यापन कार्य के दौरान यूनिवर्सिटी कालिज रोहतक में कितने ही युगांडा से यहां अध्ययन के लिए आये छात्रों के संपर्क में रहा पता चला इनके चचरे ममेरे भाई -बहन, फस्ट -कज़िन्स सारी दुनिया में फैले हुए हैं।सगे भाई बहन भी (हाल्फ ब्रदर्स एन्ड हाल्फ सिस्टर्स ).
इबोला (Ebola) तथा मर्बर्ग (Marburg) संक्रमित भी यहां कितने ही हैं।
Aedes africanus ने युगांडा को और aedes aegypti formosus विषाणु ने ब्राज़ील को अपना निशाना बनाया है। ये दोनों ही वेक्टर्स येलो फीवर ,डेंगू और चिन्किन्गुनिया विषाणु के वाहक बनते हैं। लेकिन युगांडा के लोगों के शरीर तो मानों एक प्रयोगशाला हैं इस संक्रमण के लिए वह अपने को भला चंगा मानते बतलाते हैं। ज़ीका आरण्य में कार्यरत विज्ञानी भी इनसे अलग नहीं हैं। इम्मुनिटी प्राप्त हैं इन्हें ऐसे कई संक्रमणों से। अमूमन यह संक्रमण जानलेवा समझा भी नहीं गया है।
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