प्रार्थना 'परमात्मा की अदालत' में उसकी 'रचना' जीवात्मा की गुहार है , उत्पाद की उत्पादक से याचिका है। रचना का रचता से निव...
प्रार्थना 'परमात्मा की अदालत' में उसकी 'रचना' जीवात्मा की गुहार है , उत्पाद की उत्पादक से याचिका है। रचना का रचता से निवेदन है। "प्रभु मैं कुछ नहीं करता ,करता- करणहार- करण -करावनहार सब किछु आप ही हो। परमात्मा से हेलो है :प्रार्थना।
Prayer is a connection between the soul and the soul of all the souls the Supreme soul .You may pray for yourself regarding matters mundane and or for your own higher spiritual upliftment without being a beggar and or for higher spiritual goal confessing your follies and pitfalls and requesting for His mercy and forgiveness before him with all humility and admissions ,acceptances ,and zero denials.
प्रार्थना के तरीके वैभिन्न्य लिए हो सकते हैं। आपके लक्ष्य के अनुरूप प्रार्थना का रुट मार्ग बदल सकता है। अलग अलग विधान हैं पद्धतियां हैं प्रार्थना की।
But there is a methodology .
इस विषय पर हम ने ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र (शीला बाई पास स्थित )वरिष्ठ भाई ब्रह्माकुमार राजेंद्र जी से बात की। उन्होंने अपना एक अनुभव ही इस प्रसंग को रोचक बना ने के लिए सुना दिया।बकौल आपके जब आप ध्यान में बैठते हैं तब उन्होंने अक्सर देखा है उनके शरीर से निसृत शान्ति पुंज ,शान्ति की किरणों को। उनके गिर्द बनता हुआ एक फोटोस्फेयर प्रभा मंडल हम ने भी कई मर्तबा देखा है। उन्होंने बतलाया "एक बार एक माता क्लास करने के लिए जो नियमित आती हैं उन्होंने अपनी व्यथा बतलाई ,उनका जवान बेटा गुज़र गया था ,ले देके वह तो ताल मेल बिठा सकीं लेकिन उनकी पुत्र वधु अतिरिक्त रूप से विचलित रहती है ,वह उसे लेकर बे -हद चिंतित भी थीं। राजनेद्र हुड्डा जी को वह अपने घर ले गईं। राजेंद्र जी ध्यान में बैठे उसके लिए शिव बाबा से प्रार्थना की पहले खुद उन्होंने कनेक्शन साधा फिर बाबा से शक्ति लेकर आध्यात्म एनर्जी लेकर उस दुखियारी हताश आत्मा को अंतरित किया।
यहां राजेंद्र जी एक माध्यम थे बाबा और सब्जेक्ट के बीच में जिसके लिए प्रार्थना की गई थी।
वह उनके पार्श्व में तनिक दूरी पर बैठी थी। राजेंद्र जी ने अपने से उन तक प्रवाहित ऊर्जा मार्ग को आलोकित देखा।
प्रार्थना कहो या प्रेयर थिरेपी कहो इसकी अपनी मेथेडोलॉजी रही आई है। जब दवा काम न करे दुआ काम आती है :एक शैर बड़ा मौज़ू है यहां -
किसी पे तेज़ दवाएं असर नहीं करतीं ,
किसी का सिर्फ दुआओं से काम हो जाए।
जब दवा साथ छोड़ जाए तो दुआ असर करती है इसलिए मनोरोगों के उपचार केंद्रों यथा विमहन्स (VIMHANS )विद्या सागर इंस्टीटूट ऑफ़ मेनटली हैंडीकैप एंड न्यूरोसाइंसिज़ जैसे सुविधासम्पन्न अस्पतालों में अन्य पंचतारा निजी अस्पतालों में पूजा अर्चना का भी प्रावधान रखा गया है ,मंदिर गिरजे मौजूद हैं। वास्तव में स्पिरिचुअल साइकोलॉजी एक उभरता हुआ अनुशासन है जिसका मनोरोगों के समाधान में बड़ा हाथ साबित हो सकता है। अक्सर टर्मिनली इल पेशेंट्स के मामले में आखिरी उम्मीद दुआ ही बनती है और चमत्कार भी हुए हैं होते हैं सदी के नायक इसके लिए जनता जनार्दन का दिल से शुक्रिया अदा करते रहें हैं।
जैसे योग की ध्यान की मेडिटेशन की आज अनेक नाम पद्धतियां हैं वैसे ही प्रार्थना के भी बहुबिध साधन हैं शैलियाँ हैं। यहां ज़रूरी नहीं है वह शख़्स जिसके लिए आप याचक हैं निवेदक है वह आपके आसपास हो वह आप से हज़ारों -हज़ार मील के फासले पे हो ,सवाल दिल के करीब होने का है ,उसके लिए प्रभु से जुड़ने का है ,उसके लिए भीख मांगने का है कामयाबी की भीख ,रोगमुक्त होने की भीख।
कहते हैं :चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए प्रभु से विजय की भीख माँगी थी अनेक बार वह अप्रतिम यौद्धा थे या नहीं यह और विषय है।किसी और से किसी और के लिए मांगना निष्काम कर्म ही कहा जाएगा।
प्रार्थना में भी ध्यान पूरा चाहिए सौ फीसद मेडिटेशन की तरह। यह नहीं जैसा आज हम अपने भोजन के साथ करते हैं नेटफ्लिक्स पे कोई वाहियात तस्वीर चल रही है आपने अपना थोबड़ा बुद्धूबक्से की ओर किया हुआ है और ग्रास मुंह में यंत्रवत आपके हाथ मुख तक पहुंचा रहे हैं मुंह आदतन चल रहा है।न स्वाद की खबर न रस गंध की जबकि खाने से पहले पाचन की क्रिया शुरू हो जाती है। आँखें भी भोजन ग्रहण करती हैं नासिका भी ,सैलाइवेशन लार बनाती हैं लार ग्रंथियां बा -शर्ते आपका ध्यान उधर भी हो और पूरा हो।हारमोन बने और पूरे बने ,एन्जाइम्स भी भरपूर बने -बस यही मेडिटेशन भी है जो भी काम करें पूरा तन्मयता के साथ करें ,खाना खाते वक्त भोजन बन जाएँ पानी पीते वक्त आब। पढ़ते वक्त अक्षर और लिखते वक्त शब्द।
विशेष :भावना और दुर्भावना ,प्रार्थना करना किसी के लिए या किसी को कोसना भाव अभाव की सृष्टि पहले जिस मन में होती है यह पहले उसी को प्रभावित करती है। किसी और का बुरा चाहेंगे तो उसका हो न हो हमारा ज़रूर हो जाएगा क्योंकि दुर्भावना हमारे मन में उपजी है हम ही को क्षतिग्रत करेगी।
सकारात्मकता के लिए भी यही सही है जिसके लिए प्रार्थना निवेदित है उससे पहले हमारा भला होगा जिसके मन में प्रार्थना के स्वर प्रस्फुटित हुए हैं। लोग मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना (सभा )करते हैं ,श्राद्ध आदिक अनुष्ठान पूर्वक करते हैं ,फिर जीवित रुग्ण व्यक्ति तक हमारी गुहार भला क्यों न पहुंचेगी।भले उसका प्रारब्ध बदले न बदले भाव -विरेचन ज़रूर होगा पीड़ा भी।
ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो
अब कोई ऐसा तरीका भी निकालो यारो
[शहतीर = Beam]
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ ) https://www.wisegeek.com/what-is-prayer-therapy.htm#:~:text=Prayer%20therapy%20involves%20an%20effort,medical%20issues%20or%20physical%20complications.
(२ )'मन द्वारा उपचार ': सीताराम गुप्ता (९५५५ ६२२ ३२३ ),फुल सर्कल पब्लिशिंग प्रा० लि० ,जे -४० ,जोरबाग लेन ,नै दिल्ली ११० ००३
(३)https://www.theravive.com/therapedia/prayer#:~:text=Prayer%20is%20a%20potent%20mechanism,out%20priorities%20and%20discovering%20oneself.
Prayer is a connection between the soul and the soul of all the souls the Supreme soul .You may pray for yourself regarding matters mundane and or for your own higher spiritual upliftment without being a beggar and or for higher spiritual goal confessing your follies and pitfalls and requesting for His mercy and forgiveness before him with all humility and admissions ,acceptances ,and zero denials.
प्रार्थना के तरीके वैभिन्न्य लिए हो सकते हैं। आपके लक्ष्य के अनुरूप प्रार्थना का रुट मार्ग बदल सकता है। अलग अलग विधान हैं पद्धतियां हैं प्रार्थना की।
But there is a methodology .
इस विषय पर हम ने ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र (शीला बाई पास स्थित )वरिष्ठ भाई ब्रह्माकुमार राजेंद्र जी से बात की। उन्होंने अपना एक अनुभव ही इस प्रसंग को रोचक बना ने के लिए सुना दिया।बकौल आपके जब आप ध्यान में बैठते हैं तब उन्होंने अक्सर देखा है उनके शरीर से निसृत शान्ति पुंज ,शान्ति की किरणों को। उनके गिर्द बनता हुआ एक फोटोस्फेयर प्रभा मंडल हम ने भी कई मर्तबा देखा है। उन्होंने बतलाया "एक बार एक माता क्लास करने के लिए जो नियमित आती हैं उन्होंने अपनी व्यथा बतलाई ,उनका जवान बेटा गुज़र गया था ,ले देके वह तो ताल मेल बिठा सकीं लेकिन उनकी पुत्र वधु अतिरिक्त रूप से विचलित रहती है ,वह उसे लेकर बे -हद चिंतित भी थीं। राजनेद्र हुड्डा जी को वह अपने घर ले गईं। राजेंद्र जी ध्यान में बैठे उसके लिए शिव बाबा से प्रार्थना की पहले खुद उन्होंने कनेक्शन साधा फिर बाबा से शक्ति लेकर आध्यात्म एनर्जी लेकर उस दुखियारी हताश आत्मा को अंतरित किया।
यहां राजेंद्र जी एक माध्यम थे बाबा और सब्जेक्ट के बीच में जिसके लिए प्रार्थना की गई थी।
वह उनके पार्श्व में तनिक दूरी पर बैठी थी। राजेंद्र जी ने अपने से उन तक प्रवाहित ऊर्जा मार्ग को आलोकित देखा।
प्रार्थना कहो या प्रेयर थिरेपी कहो इसकी अपनी मेथेडोलॉजी रही आई है। जब दवा काम न करे दुआ काम आती है :एक शैर बड़ा मौज़ू है यहां -
किसी पे तेज़ दवाएं असर नहीं करतीं ,
किसी का सिर्फ दुआओं से काम हो जाए।
जब दवा साथ छोड़ जाए तो दुआ असर करती है इसलिए मनोरोगों के उपचार केंद्रों यथा विमहन्स (VIMHANS )विद्या सागर इंस्टीटूट ऑफ़ मेनटली हैंडीकैप एंड न्यूरोसाइंसिज़ जैसे सुविधासम्पन्न अस्पतालों में अन्य पंचतारा निजी अस्पतालों में पूजा अर्चना का भी प्रावधान रखा गया है ,मंदिर गिरजे मौजूद हैं। वास्तव में स्पिरिचुअल साइकोलॉजी एक उभरता हुआ अनुशासन है जिसका मनोरोगों के समाधान में बड़ा हाथ साबित हो सकता है। अक्सर टर्मिनली इल पेशेंट्स के मामले में आखिरी उम्मीद दुआ ही बनती है और चमत्कार भी हुए हैं होते हैं सदी के नायक इसके लिए जनता जनार्दन का दिल से शुक्रिया अदा करते रहें हैं।
जैसे योग की ध्यान की मेडिटेशन की आज अनेक नाम पद्धतियां हैं वैसे ही प्रार्थना के भी बहुबिध साधन हैं शैलियाँ हैं। यहां ज़रूरी नहीं है वह शख़्स जिसके लिए आप याचक हैं निवेदक है वह आपके आसपास हो वह आप से हज़ारों -हज़ार मील के फासले पे हो ,सवाल दिल के करीब होने का है ,उसके लिए प्रभु से जुड़ने का है ,उसके लिए भीख मांगने का है कामयाबी की भीख ,रोगमुक्त होने की भीख।
कहते हैं :चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए प्रभु से विजय की भीख माँगी थी अनेक बार वह अप्रतिम यौद्धा थे या नहीं यह और विषय है।किसी और से किसी और के लिए मांगना निष्काम कर्म ही कहा जाएगा।
प्रार्थना में भी ध्यान पूरा चाहिए सौ फीसद मेडिटेशन की तरह। यह नहीं जैसा आज हम अपने भोजन के साथ करते हैं नेटफ्लिक्स पे कोई वाहियात तस्वीर चल रही है आपने अपना थोबड़ा बुद्धूबक्से की ओर किया हुआ है और ग्रास मुंह में यंत्रवत आपके हाथ मुख तक पहुंचा रहे हैं मुंह आदतन चल रहा है।न स्वाद की खबर न रस गंध की जबकि खाने से पहले पाचन की क्रिया शुरू हो जाती है। आँखें भी भोजन ग्रहण करती हैं नासिका भी ,सैलाइवेशन लार बनाती हैं लार ग्रंथियां बा -शर्ते आपका ध्यान उधर भी हो और पूरा हो।हारमोन बने और पूरे बने ,एन्जाइम्स भी भरपूर बने -बस यही मेडिटेशन भी है जो भी काम करें पूरा तन्मयता के साथ करें ,खाना खाते वक्त भोजन बन जाएँ पानी पीते वक्त आब। पढ़ते वक्त अक्षर और लिखते वक्त शब्द।
विशेष :भावना और दुर्भावना ,प्रार्थना करना किसी के लिए या किसी को कोसना भाव अभाव की सृष्टि पहले जिस मन में होती है यह पहले उसी को प्रभावित करती है। किसी और का बुरा चाहेंगे तो उसका हो न हो हमारा ज़रूर हो जाएगा क्योंकि दुर्भावना हमारे मन में उपजी है हम ही को क्षतिग्रत करेगी।
सकारात्मकता के लिए भी यही सही है जिसके लिए प्रार्थना निवेदित है उससे पहले हमारा भला होगा जिसके मन में प्रार्थना के स्वर प्रस्फुटित हुए हैं। लोग मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना (सभा )करते हैं ,श्राद्ध आदिक अनुष्ठान पूर्वक करते हैं ,फिर जीवित रुग्ण व्यक्ति तक हमारी गुहार भला क्यों न पहुंचेगी।भले उसका प्रारब्ध बदले न बदले भाव -विरेचन ज़रूर होगा पीड़ा भी।
ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो
अब कोई ऐसा तरीका भी निकालो यारो
[शहतीर = Beam]
दर्दे—दिल वक़्त पे पैग़ाम भी पहुँचाएगा
इस क़बूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो
इस क़बूतर को ज़रा प्यार से पालो यारो
लोग हाथों में लिए बैठे हैं अपने पिंजरे
आज सैयाद को महफ़िल में बुला लो यारो
[सैयाद=Hunter]
आज सैयाद को महफ़िल में बुला लो यारो
[सैयाद=Hunter]
आज सीवन को उधेड़ो तो ज़रा देखेंगे
आज संदूक से वो ख़त तो निकालो यारो
आज संदूक से वो ख़त तो निकालो यारो
रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो
[रहनुमा =Guide]
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो
[रहनुमा =Guide]
कैसे आकाश में सुराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो
लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की
तुमने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारोसन्दर्भ -सामिग्री :
(१ ) https://www.wisegeek.com/what-is-prayer-therapy.htm#:~:text=Prayer%20therapy%20involves%20an%20effort,medical%20issues%20or%20physical%20complications.
(२ )'मन द्वारा उपचार ': सीताराम गुप्ता (९५५५ ६२२ ३२३ ),फुल सर्कल पब्लिशिंग प्रा० लि० ,जे -४० ,जोरबाग लेन ,नै दिल्ली ११० ००३
(३)https://www.theravive.com/therapedia/prayer#:~:text=Prayer%20is%20a%20potent%20mechanism,out%20priorities%20and%20discovering%20oneself.
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