शीघ्र ही मिल जायेगी मृत्यु पर विजय.

जिन लोगों ने मेरी शैली कृत विज्ञान कथा “फ्रेंकेंस्टाइन” (Frankenstein) पढ़ी होगी, उन्हें उस विश्व की पहली विज्ञान कथा का ताना-बाना अवश्य...


जिन लोगों ने मेरी शैली कृत विज्ञान कथा “फ्रेंकेंस्टाइन” (Frankenstein) पढ़ी होगी, उन्हें उस विश्व की पहली विज्ञान कथा का ताना-बाना अवश्य याद होगा, जिसमें जेनेवा में चिकिस्ता विज्ञान का अध्ययन कर रहा डाक्टर फ्रेंकेंस्टाइन अपने प्राणों से एक शव को पुनर्जीवित कर देता है।

मेरी शैली की उस संकल्पना को यथार्थ रूप में परिणत करने के लिए जमीन उपलब्ध हो गयी है। उस उम्मीद की किरण का नाम है “क्रायोनिक्स तकनीक” (Cryonics Technique)। एल्कर फाउंडेशन विश्व का पहला केन्द्र है, जो क्रायोजनिक तकनीक के जरिए नए नए फ्रेंकेंस्टाइन तैयार करने के लिए मृत देहों को सहेज रहा है।

क्रोयोनिक्स तकनीक को समझने से पहले मौत की शरीरिक रासायनिक प्रक्रिया को समझना आवश्यक है। हमारा पूरा शरीर कोशिकाओं से मिलकर बना है। कोशिकाओं को रक्त से पोषण मिलता है। प्रत्येक कोशिका एक बैटरी की तरह है, जिसमें निश्चित मात्रा में ऊर्जा संग्रहीत होती है। अगर रक्त से कोशिकाओं को पोषक तत्व की आपूर्ति रूक जाए, तो कुछ समय बाद रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप हमारी कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। इसी वजह से ही व्यक्ति की मौत हो जाती है। 

पोषण बंद होने के बाद कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के बीच का यह समय बहुत अल्प अवधि का होता है, जिसे ग्रेस पीरियड कहते हैं। इस दौरान यदि डाक्टर “कार्डियो पलमोनरी रिससरिटेशन” (Cardio Pulmonary Resuscitation) सी0पी0आर0 उपलबध करा दें, तो कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। सी0पी0आर0 के तहत फेफड़ों में आक्सीजन प्रवेश कराकर पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को सुचारू किया जाता है। इससे कोशिकाओं तक आक्सीजन के रूप में पोषण पहुंच जाता है और कोशिकाओं के ठप पावर हाउस फिर से ऊर्जा का उत्पादन शुरू कर देते हैं और वे नष्ट होने से बच जाती हैं।

इस सम्पूर्ण प्रक्रिया का विस्तृत स्वरूप ही क्रायोनिक्स के नाम से जाना जाता है। इसमें शरीर का तापमान स्थिर रखा जाता है। कम तापमान पर ग्रेस पीरियड की अवधि बढ़ जाती है क्योंकि जहरीली रासायनिक क्रियाओं की गति मंद हो जाती है। भले ही व्यक्ति की धड़कनें बंद हो गयी हों या वह सांस नहीं ले रहा हो। लेकिन इस तकनीक में उसके शरीर को तरह नाइट्रोजन के जार में माइनस 370 डिग्री फॉरेनहाइट के अत्यंत निम्न तापमान पर रखा जाता है। सारा ध्यान मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाने पर दिया जाता है।

व्यक्ति की चिकित्सकीय मापदण्डों के अनुसार मृत्यु होते ही उसके शरीर में दवा और पोषक तत्व इंजेक्शन के द्वारा प्रविष्ट करा दिये जाते हैं और उनके जमने की प्रक़िया शुरू हो जाती है। एक विशेष रक्षात्मक द्रव पूरे शरीर में डाल दिया जाता है और मृत शरीर को एक बड़े टैंक “डिवार” में बंद कर दिया जाता है। डिवार में द्रव नाइट्रोजन भरी होती है। इस तरह से मूल शरीर को सुरक्षित करने वाली तकनीक क्रायोनिक्स सम्पन्न होती है और इसके साथ ही पुनर्जीवित होने का एक चरण समाप्त होता है।

दूसरा चरण नैनो टेक्नालॉजी कहलाता है। इस तकनीक के द्वारा भविष्य में जब चहों तब मृत शरीर को जीवित किया जा सकता है। इसमें “माइक्रोमिनीएच्यूराज्ड मशीन” को रूधिर वाहिनियों में इंजेक्शन के जरिए प्रवेश करा दिया जाता है। अत्यंत सूक्ष्म आकार के ये रोबोट कोशिकाओं तक जा पहुंचते हैं। वहां ये रोबोट कम तापमान, बीमारी या बुढ़ापे के कारण क्षतिग्रस्त हुई कोशिका की मरम्मत करके उसे स्वस्थ अवस्था में ले जाते हैं। अभी यह तकनीक परीक्षण के स्तर पर ही है और वैज्ञानिक इस दिशा में दिन-रात अनुसंधानरत हैं। वैज्ञानिकों को विश्वास है कि इस तकनीक के जरिए मृत व्यक्ति बिलकुल भला-चंगा, पूरी तरह से स्वस्थ अवस्था में जीवित किया जा सकेगा। इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों को विश्वास है कि वे इस प्रौद्योगिकी के द्वारा अगली सदी तक मौत पर विजय प्राप्त कर लेंगे।
Keywords: frankenstein, frankenstein movie, frankenstein monster, cryonics technique, cryonics technique in hindi, cryonics technology, cryonics process, cardiopulmonary resuscitation, cardiopulmonary resuscitation procedure, mrityu par vijay, victory against death, victory over death, victory over death scripture:

COMMENTS

BLOGGER: 63
  1. एक ज्ञानवर्धक जानकारी.........बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  2. अच्छी जानकारी.. हैपी ब्लॉगिंग

    ReplyDelete
  3. मूलतः यह लेख अपाका लिखा हैं काव्या जी या फिर संदीप निगम का -कृपया बताएं ! लेख अच्छा है -क्रायोजेनिक कैप्सूलों में बंद रोगी की अवस्था मृत प्राय होती है -सस्पेंडेड animation kahlaatee है !

    ReplyDelete
  4. काव्या जी यह एक महत्वपूर्ण लेख है इस मायने में भी कि इस बात को यदि सभी ठीक तरह से समझ् जाते हैं कि हमारा शरीर कोशिकाओं से बना है और कोशिकायें धीरे धीरे मरती जाती है तो मृत्युभय समाप्त हो सकता है और आत्मा पुनर्जन्म जैसे अन्धविश्वास भी समाप्त हो सकते है । क्लिनिकल डेथ अर्थात मस्तिष्क की कोशिकायें मर जाने के बाद भी यदि नैनो इस मे कमयाब रहती है तो यह विज्ञान की एक बड़ी सफलता होगी । -शरद कोकास

    ReplyDelete
  5. बढ़िया और ज्ञानवर्धक जानकारी दी आपने

    आपको धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. @"क्लिनिकल डेथ अर्थात मस्तिष्क की कोशिकायें मर जाने "
    its biological death not only clinical KOKAS JI !

    ReplyDelete
  7. अरे..........!
    ये तो बिल्कुल नई जानकारी दी है आपने।
    बधाई!

    ReplyDelete
  8. ज्ञानवर्धक जानकारी.........बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  9. जानकारी बहुत बढ़िया है काव्या जी।
    एक प्रश्‍न मन में अक्सर उठता रहता है कि अगर विज्ञान वास्तव में मृत्यु पर विजय पा लेगा तो क्या ये प्रकृति/कुदरत के नियमों की अवेहलना नहीं होगी?

    ReplyDelete
  10. Nishchit roop se gyaan vardhan jaankari hai.....par kya ye prakriti ke niymo se chedcaad nahi...... aur prashn ye bhi hai ki kya dobara insaan normal life jee payega..........Vaigyanik uplabdhi ke liye badhai aapko aur ham sabko

    ReplyDelete
  11. बढ़िया जानकारी! आभार.

    ReplyDelete
  12. नयी जानकारी मिली, पर क्या मृत्यु पर विजय भयावह नहीं ?

    ReplyDelete
  13. मुझे ये नहीं समझ में आया, कि ये प्रकृति के नियमों की अवहेलना कैसे होगी?
    वैसे अगर ऐसे हो गया, तो जनसंख्या का क्या होगा?

    भारत जैसे देश तो वैसे ही बहुत रफ्तार से बढ रहे हैं

    और आपने कहा, आपकी शैली, और पारिणित का

    इसे अंग्रेज़ी में बतायेंगे। ये वाक्य पूरी तरह से समझ नहीं पाया, शुद्ध हिन्दी के कारण

    ReplyDelete
  14. jo cheez bhagwan ne apne bus me rakhi thi insan use bhi apne hath me le raha hai...interesting post...

    ReplyDelete
  15. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  16. उम्मीद नहीं थी कि साइंस के ब्लॉग में भी भ्रान्ति फैलाई जायेगी . विज्ञानं ने प्रयोग कर के देख लिया है क्लोनिंग का नया जीव नवजात नहीं होता बल्कि उस उम्र का होता है जिस उम्र में कोशिकाएं ली जाती हैं .

    ReplyDelete
  17. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  18. ashcharyjanak !lekin lagta nahin ki aisa kabhi sambhav hoga.

    ReplyDelete
  19. वाह क्या बात है!

    ReplyDelete
  20. बहुत बडिया जानकारी है लेकिन इस से उतपन होने वाली समस्याओं पर भी गौर करना होगा । आपने आज मन मे एक नौएए कहानी को जन दे दिया आभार्

    ReplyDelete
  21. खबर बासी है लेकिन "शीघ्र ही मिल जाएगी मृत्यु पर विजय" जैसे सनसनीखेज शीर्षक की क्या जरूरत थी?
    कुछ साल पहले इस पर डिस्कवरी चैनल पे कार्यक्रम आया था. यह उतना आसान नही है जितना आपने लिखा है.

    ReplyDelete
  22. उतना आसान भले ही न हो
    मगर जो आज तक ना मुमकिन समझा जाता था
    कम से कम वो मुमकिन की सीमा में तो आया
    धीरे धीरे आसान भी हो जायेगा

    अब यूं ही सोचिये,
    कि कभी यह सोचा जाता था कि हवा से भारी वस्तू का उड़ना ना मुमकिन होगा, पर आज हवाई जहाज़ उड़ते हम देखते हैं,

    आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है

    Need is the mother of invention.

    http://tanhaaiyan.blogspot.com

    ReplyDelete
  23. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  24. मेरी शैली की उस संकल्पना को यथार्थ रूप में परिणत करने के लिए जमीन उपलब्ध हो गयी है

    काव्या जी, मैं ऊपर दी गई लाइन का मतलब नहीं समझ पाया था

    शैली और परिणत का क्या अर्थ होता है?

    वैसे थोड़े दिन पहले आज तक पर एक प्रोग्राम आ रहा था, कि हमारे वैज्ञानिकों ने कुछ सिग्नल एक particular ग्रह की तरफ भेजे हैं, जिनको 20 साल लगेंगें उन तक पहुंचने में (यहां बात दूसरी दुनिया की हो रही है) और अगर वो हमारे सिग्नल समझ सके और उन्होंने उसका जवाब दिया तो हमे वो जवाब 2049 तक मिलेगा।

    बहुत से सवाल उठे मेरे मन में लेकिन पता नहीं था किस से पूछूँ। सोचा यहां डाल देता हूँ। जानता हूँ के ये सवाल relevant नहीं हैं। उम्मीद करता हूँ इस पर कभी कोई पोस्ट लिखेगा

    मेरा सवाल
    1) क्या वो हमारे सिग्नल समझ पायेंगे?
    2) अगर कोई दूसरी दुनिया है भी, तो क्या सारे अंतरिक्ष में एक ही standard follow होता होगा, सिग्नल send और recieve करने के लिये?
    3) अगर कोई दूसरी दुनिया है भी, तो क्या कभी उन से communication सम्भव हो पायेगा? अगर हां, तो what will be the medium/language of communication?

    ReplyDelete
  25. काव्या जी
    क्लोनिंग के परिणाम तो आपको मालूम होंगे . क्लोन किये गए जीव का बहुत जल्द बुढापा आ जाता है. क्योंकि जिन सेल का उपयोग किया जाता है उनपर उम्र का प्रभाव नहीं हटाया जा सकता .
    अगर मान लीजिये विज्ञानं ने खोज भी कर ली व्यक्ति नहीं मरेगा, लेकिन शारीरिक क्षय और बीमारी को जब तक जड़ से नहीं उन्मूलित किया जा सकता, ऐसा कोई प्रयोग व्यर्थ है . भारतीय योगियों में ये क्षमता जरूर रही है कि वे शारीरिक क्षय को रोक सकें वह भी बिना किसी मशीन के

    ReplyDelete
  26. वैसे मैने कभी एक जगह एक लाइन पढ़ी थी

    जो ये पोस्ट पढ़ने पर याद आ गयी, इस लिये आप सब से share करना चाहता हूँ

    Nothing is impossible, its only that no body has done that till now.
    --Unknown.

    असम्भव कुछ भी नहीं, बात सिर्फ़ इतनी सी है कि आज तक उसे कोई कर नहीं पाया
    --अज्ञात

    ReplyDelete
  27. डा० सिन्हा जी, आपका कथन है "क्लोनिंग के परिणाम तो आपको मालूम होंगे. क्लोन किये गए जीव का बहुत जल्द बुढापा आ जाता है. क्योंकि जिन सेल का उपयोग किया जाता है उनपर उम्र का प्रभाव नहीं हटाया जा सकता."

    सिन्हा जी, आपकी बात में पूर्वाग्रह की हल्की सी झलक है। क्योंकि विज्ञान के क्षेत्र में कुछ भी असंभव नहीं होता। हाँ, जब कोई भी प्रयोग शुरू होता है, तो लोग इसी तरह की बातें करते हैं। लेकिन प्रयोग सफल हो जाने के बाद वे चुप हो जाते है। धरती पर वैज्ञानिकों ने आज तक जो भी हजारों लाखों प्रयोग किए हैं, उन सभी प्रयोगों के पहले इसी तरह की बातें कही गयी थीं। इसलिए इस तरह की बात कहना आप जैसे व्यक्ति के लिए उचित प्रतीत नहीं होता।

    आपने यह भी लिखा है- "भारतीय योगियों में ये क्षमता जरूर रही है कि वे शारीरिक क्षय को रोक सकें वह भी बिना किसी मशीन के।"

    क्षमा चाहूंगी इस तरह की अनगिनत गप्प कथाएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। मैं आपसे पूछती हूं कि क्या आपने देखा है कि किसी 500 वर्ष के व्यक्ति को? फिर इस तरह की बातों का क्या मतलब है? हाँ, यदि आप के पास इस तरह का कोई प्रमाण हो, तो अवश्य बताएं, हमें जानकर प्रसन्नता होगी।

    ReplyDelete
  28. क्लोनिंग से जो भेड़ बनाई गयी थी उसका क्या हुआ सर्व ज्ञात है .
    अपने देश की स्वर्णिम युग को आप नकारना चाहती हैं ! उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास नारायण पर्वत है जहाँ तक पहुचना आम लोगो के लिए संभव नहीं है . उस पर्वत पर करीब ११ लोग तपस्या कर रहे हैं . अगर किसी BSF वाले से आपका संपर्क है तो ज्यादा जानकारी मिल सकती है .
    मैं भी एक विज्ञानं का विद्यार्थी हूँ . विज्ञानं में भी भेद है एक exact और दूसरा inexact का ? चिकित्सा विज्ञानं inexact की श्रेणी में आता है जहाँ मापदंड बदलते रहते हैं क्योंकि कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते .
    वैसे भी अगर कोई तकनीक विकसित हो भी जाती है तो यह किसको उपलब्ध होगी और उसका क्या दुरूपयोग हो सकता है , कल्पना ही की जा सकती है .
    टिप्पणियों को उनके सन्दर्भ में लें व्यक्तिगत रूप में नहीं .

    ReplyDelete
  29. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  30. अर्शिया जी
    मैं विज्ञानं को नकार नहीं रहा हूँ. उसके खतरों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कर रहा हूँ .
    पिछले महीने ही आपके ही ब्लॉग में वेद और चिकित्सक के सन्दर्भ में पोस्ट प्रस्तुत की गयी है

    ReplyDelete
  31. आदरणीय सिन्हा जी, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करती हूं। खतरे तो हर जगह होते हैं, जीवन में हैं, तो विज्ञान में भी होंगे। विज्ञान हमें नई नई सम्भावनाओं की राह दिखाता है। हमें विज्ञान को इसी संदर्भ में लेना चाहिए।
    यह असोसिएशन ज्ञान का सम्मान करता है और परिकल्पनाओं को प्रोत्साहित करता है। आपने इस पोस्ट से सम्बंधित खतरों के प्रति आगाह कराया, इसके लिए आभार।
    आशा है इसके प्रोत्साहन में आपका स्नेह पूर्व की भांति मिलता रहेगा।

    ReplyDelete
  32. @अर्शिया जी,आपका कहना है कि"हमारे पास उन तथाकथित योगियों, तथाकथित प्राचीन ज्ञान/उपलब्धि का ना तो एक भी प्रमाण है और न ही उदाहरण, फिरभी हम उसके नाम पर विज्ञान को नकारते रहते हैं।"

    अगर इस देश के तथाकथितयोगियों,चिन्तकों,ऋषि-मुनियों,महर्षियों ने शायद इस बात की कल्पना नहीं की होगी कि उनके तथाकथितहोनहार विग्यानबुद्धि वंशज उनके होने का ही प्रमाण माँगने लगेंगे। यदि उन्होने ऎसा सोचा होता तो शायद आप लोगों की संतुष्टि के लिए अपना कोई जन्म/मृ्त्यु प्रमाणपत्र ही छोड जाते।

    ReplyDelete
  33. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  34. पंडित जी, मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूं कि यदि मैं एक किताब में यह लिख दूं कि मेरे दादाजी 1000 वर्ष तक जिए, वे आसमान में उडते थे और पानी के अंदर रहते थे, तो क्या आप इसे मान लेंगे?

    ReplyDelete
  35. अर्शिया जी, हमारी ये वर्तमान सभ्यता कभी तो समाप्त होगी ही और उसके बाद जब नया युग प्रारंभ होगा तो क्या आप ये उम्मीद करती हैं कि उस समय के लोग आपकी इन बातों पर यकीन कर सकेंगे कि कभी इन्सान चाँद पर भी गया था या कि वो सुदूर अन्तरिक्ष की सैर कर चुका था!!
    बिल्कुल यही बात आज के युग और उस प्राचीन युग के परिपेक्ष्य में भी लागू होती है....आज हम लोग बेशक शास्त्रों में लिखी बातों को कपोल कल्पना या गल्प मानते रहें....लेकिन क्या यह संभव नहीं है कि वास्तव में उस युग में मानव इतनी उन्नति कर चुका था।।

    ReplyDelete
  36. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  37. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  38. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  39. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  40. KOI BURAAI NAHI AI AGAR AISA HO JAAYE ...... SCIENCE, MANUSHY DIMAAG KI UTPATTI AI AUR NIRANTAR PRAGATI KUCH BHI KAR SAKTI HAI .........
    JAANKAARI ROCHAK AI ........ MAN KALPANAON MEIN UDNE LAGTA AI .......

    ReplyDelete
  41. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  42. Bahut sunder gyanwardhak lekh. cryogenics aur nanotechnology ke jariye kitana kuch kiya ja sakta hai. Aapka abhar.

    ReplyDelete
  43. I also feel it strongly that Kavyaa must reply to Swapnil which shall help him to come out of predicament -but you could write in Hindi as many people may not appreciate our escapades in a foreign language !

    ReplyDelete
  44. वास्‍तव में यह बहुत खुशी की बात है कि विज्ञान तरक्‍की कर रहा है .. पर उससे होनेवाले फायदे और नुकसान की कल्‍पना पहले कर कर लेना अच्‍छा होता है .. वैसे प्रकृति स्‍वयं ही हर जगह संतुलन बना लेती है .. पर जिस समय एलोपैथी चिकित्‍सा के फलस्‍वरूप मृत्‍युदर में कमी आ रही थी .. उसी समय परिवार नियोजन के उपायों के बारे में सोंच लेना उचित था .. आज लोगों के सम्‍मुख इतनी बडी जनसंख्‍या की जरूरतों को पूरा कर पाने की भागमभाग न होती .. साथ ही प्रकृति का अंधाधुंध दोहन भी नहीं होता .. आज घर घर में जितने वैज्ञानिक उपकरण प्रयोग में लाए जा रहे हैं .. उनका क्‍या नुकसान हो रहा है .; यह किसी से छुपा नहीं !!

    ReplyDelete
  45. ये अंग्रेजी में क्यों झगडने लगे, क्या हिन्दी में झगडा बुरा लगता है?
    ----वास्तव में पुराना समाचार है,यह प्रयोग कई दशकों से चल रहा है । संगीता पुरी ने जो कहा वह उचित ही कहा है, ध्यान देना पडेगा।
    ---कोसिसें तो होती ही रहनी चाहिये--"हार्ट विदिन एन्ड गौड ओवर हेड"

    ReplyDelete
  46. कल्पना कीजिये मृत्यु पर विजय प्राप्त करनें के कारण विश्व के सभी मनुष्य अमर हो जाय और पृथ्वी की जनसंख्या यूँ हीं बढती जाय तो फिर क्या होगा……………………………

    ReplyDelete
  47. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  48. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  49. चूंकि ये साइंस ब्लोगेर्स की असोसिएशन है. तो क्या ये बेहतर नहीं होगा की यहाँ सिर्फ साइंस की बातें की जाएँ?

    ReplyDelete
  50. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  51. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  52. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  53. इस बात से सहमत हुआ जा सकता है कि संभव है कि यह सभ्यता खत्म हो जाये और भविष्य में जो नई सभ्यता बने उसमें मानव की औसत आयु २० वर्ष ही हो तब ऐसे में उस समय के मानव के लिये यह मान पाना मुश्किल होगा कि कभी मानव की आयु 50-60 या 80 की उम्र के लोग भी पृथ्वी पर हुआ करते होंगे।

    ReplyDelete
  54. Swapnil said...
    @सागर नाहर ज़ी, प्रशन यह् है कि यह् तय कौन् करेगा कि प्रक्रति के नियम् क्या है? हम ही‌ तो तय करते है कि क्या हैं प्रक्रति के नियम्?

    आपकी यह बात कुछ जमी नहीं, शायद आप मेरा प्रश्‍न सही समझ नहीं पाये, या मैं आपको सही समझा नहीं पाया।
    प्रकृति के नियम हम तय नहीं करते ना ही कर सकते हैं, उल्टा प्रकृति हमारे लिये नियम तय करती है जिन्हें हम अपनाना नहीं चाहते हैं और जीवन दुखी: होते रहते हैं।

    ReplyDelete
  55. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  56. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  57. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  58. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  59. ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारी. बधाई.

    ReplyDelete
  60. http://hindi.webdunia.com/news-international/21-%E0%A4%98%E0%A4%82%E0%A4%9F%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%98%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%89%E0%A4%A0-%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%A0%E0%A4%BE-1110726026_1.htm

    ReplyDelete
  61. Ye bilkul satya hai...wo din dur nahi jab insaan mrityu pe vijay prapt kar sakega ...sirf thoughts positive hona chahiye..jis din saare insaano ke thoughts positive ho jayenge.kuchh bhi impossible nahi hoga

    ReplyDelete

Name

- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. N. Pandey,1,Dr. shyam gupta,1,Dr.G.D.Pradeep,9,Drug resistance,1,earth,28,Earthquake,5,Einstein,1,energy,1,Equinox,1,eve donation,1,Experiments,1,Facebook Causes Eating Disorders,1,faith healing and science,1,fastest computer,1,fibonacci,1,Film colourization Technique,1,Food Poisoning,1,formers societe,1,gauraiya,1,Genetics Laboratory,1,Ghagh,1,gigsflops,1,God And Science,1,golden number,2,golden ratio,2,guest article,9,guinea pig,1,Have eggs to stay alert at work,1,Health,70,Health and Food,14,Health and Fruits,1,Heart Attack,1,Heel Stone,1,Hindi Children's Science Fiction,1,HIV Aids,1,Human Induced Seismicity,1,Hydrogen Power,1,hyzine,1,hyzinomania,1,identification technology,2,IIT,2,Illusion,2,immortality,2,indian astronomy,1,influenza A (H1N1) virus,1,Innovative Physics,1,ins arihant,1,Instant Hip Hain Relief,1,International Conference,1,International Year of Biodiversity,1,invention,5,inventions,30,ISC,2,Izhar Asar,1,Jafar Al Sadiq,1,Jansatta,1,japan tsunami nature culture,1,Kshaya maas,1,Laboratory,1,Ladies Health,5,Lauh Stambh,1,leap year,1,Lejend Films,1,linux,1,Man vs.Machine,1,Manish Mohan Gore,1,Manjeet Singh Boparai,1,MARS CLIMATE,1,Mary Query,2,math,1,Medical Science,2,Memory,1,Metallurgy,1,Meteor and Meteorite,1,Microbe Power,1,Miracle,1,Misconduct,3,Mission Stardust-NExT,1,MK,71,Molecular Biology,2,Motive of Science Bloggers Association,1,Mystery,1,Nature,1,Nature experts Animal and Birds,1,Negative Effects of Night Shift,1,Neuroscience Research,1,new technology,1,NKG,4,open source software,1,Osmosis,1,Otizm,1,Pahli Barsat,1,pain killer and pain,1,para manovigyan,1,PCST 2010,5,pencil,1,Physics for Entertainment,1,PK,2,Plagiarism,5,Prey(Novel) by Michael Crichton,1,Pshychology,1,psychological therapy in vedic literature,1,Puberty,1,Rainbow,1,reason of brininess,1,Refinement,1,Research,4,Robotics,1,Safe Blogging,1,Science Bloggers Association as a NGO,2,Science communication,1,science communication through blog writing,4,Science Fiction,16,Science Fiction Writing in Regional Languages,1,Science Joks,1,Science Journalism and Ethics,3,Science News,2,science of laughter,1,science project,1,Science Reporter,1,Science Theories,9,scientific inventions,2,Scientist,47,scientists,1,Search Engine Volunia,1,Secret of invisibility,1,Sex Ratio,1,Shinya Yamanaka,1,SI,1,siddhi,1,Solar Energy,1,space tourism,1,space travel,1,Spirituality,1,Stem Cell,1,Stephen Hawking,1,stonehenge mystery,1,Summer Solstice,1,Sunspots and climate,1,SuperConductivity,1,survival of fittest,1,sweet 31,1,Swine flue,1,taantra siddhee,1,tally presence system,1,Tantra-mantra,1,technical,1,technology,18,telomerase,1,Theory of organic evolution,1,Therapy in Rig veda,1,tokamak,1,Top 10 Blogger,1,Transit of Venus,1,TSALIIM Vigyan Gaurav Samman,1,tsunami warning,1,Tuberculosis Bacillus,1,tyndall effect,1,universe,14,Urdu Science Fiction Writer,1,vedic literature,1,VIDEO BOOK,1,Vigyan Pragati,1,Vigyan Prasar,1,Vision,1,Vividh Bharti,1,water,1,Web Technology,1,Wild life,3,Women Empowerment,1,Workshop,5,World Health Day,1,World no tobacco day,1,world trade center,1,Wormhole concept,1,Ya Perelman,1,yogendra,2,π,1,अंक,1,अंक गणित,1,अंतरिक्ष,1,अंतरिक्ष में सैर सपाटा,1,अंतरिक्ष यात्रा,1,अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन,1,अतिचालकता,1,अतीन्द्रिय दृष्टि,1,अतीन्द्रिय बोध,1,अथर्ववेद,1,अंध-विश्वास,2,अंधविश्‍वास,1,अंधविश्वास को चुनौती,3,अधिक मास,1,अध्यात्म,1,अनंत,1,अनसुलझे रहस्य,1,अन्तरिक्ष पर्यटन,3,अन्धविश्वास,3,अन्धविश्वास के खिलाफ,1,अभिषेक,8,अभिषेक मिश्र,4,अमरता,1,अम्ल वर्षा,1,अयुमु,1,अरुणाचल प्रदेश,1,अर्थ एक्सपेरीमेंट,3,अर्शिया अली,1,अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी,1,अलौकिक संगीत,1,अवसाद मुक्ति,1,अस्थि विज्ञान,1,आई आई टी,1,आई साईबोर्ग,1,आईएनएस अरिहंत,1,आकाश,1,आकाशगंगा,2,आटिज्‍म,1,आध्यात्म,1,आनंद कुमार,1,आनुवांशिक वाहक,1,आर्कियोलॉजी,1,आलम आरा,1,आविष्कार,1,आविष्कार प्रौद्योगिकी मोबाईल,1,इंटरनेट का सफर,1,इंडिव्हिजुअल व्हेलॉसिटी,1,इनविजिबल मैन,1,इन्जाज़-ऊंट प्रतिकृति,1,इन्द्रधनुष,1,इन्द्रनील भट्टाचार्जी,1,इन्द्रनील भट्टाचार्य,1,इशारों की भाषा,1,ईश्वर और विज्ञान,1,उजाला मासिक,1,उन्माद,1,उन्‍मुक्‍त,1,उप‍लब्धि,3,उबुन्टू,1,उल्‍कापात,1,उल्‍कापिंड,1,ऋग्वेद,1,एड्स जांच दिवस,1,एड्सरोधी क्रीम,1,एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया,1,एल्कोहल,1,एल्फ्रेड नोबल,1,औरतों में दिल की बीमारी का खतरा,1,कदाचार,1,कपडे,1,कम्‍प्‍यूटर एवं तकनीक,4,कम्प्यूटर विज्ञान,1,करेंट साइंस,1,कर्मवाद,1,किसानों की आत्महत्याएँ,1,कीमती समय,1,कृत्रिम जीवन,1,कृत्रिम रक्‍त,1,कृषि अवशेष,1,केविन वार्विक्क,1,कैसे मजबूत बनाएं हड्डियां,1,क्रायोनिक्स,1,क्रैग वेंटर,1,क्षय मास,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,2,खगोल,1,खगोल विज्ञान,2,खगोल विज्ञान.,1,खगोल वेधशाला,1,खतरनाक व्‍यवहार,1,खाद्य विषाक्‍तता,1,खारा जल,1,खूबसूरत आँखें,1,गणित,3,गति,1,गर्भकाल,1,गर्भस्‍थ शिशु का पोषण,1,गर्मी से बचने के तरीके,1,गुणसूत्र,1,गेलिलियो,1,गोल्डेन नंबर,2,गौरैया,1,ग्रह,1,ग्रीष्मकालीन अयनांत,1,ग्रुप व्हेलॉसिटी,1,ग्रेफ़ाइट,1,ग्लोबल वार्मिंग,2,घाघ-भड्डरी,1,चंद्रग्रहण,1,चमत्कार,1,चमत्कारिक पत्थर,1,चरघातांकी संख्याएं,1,चार्ल्‍स डार्विन,1,चिकत्सा विज्ञान,1,चैटिंग,1,छरहरी काया,1,छुद्रग्रह,1,जल ही जीवन है,1,जान जेम्स आडूबान,1,जानवरों की अभिव्यक्ति,1,जीवन और जंग,1,जीवन की उत्‍पत्ति,1,जैव विविधता वर्ष,1,जैव शवदाह,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और अंधविश्वास,2,झारखण्‍ड,1,टिंडल प्रभाव,1,टीलोमियर,1,टीवी और स्‍वास्‍थ्‍य,1,टीवी के दुष्‍प्रभाव,1,टेक्‍नालॉजी,1,टॉप 10 ब्लॉगर,1,डा0 अब्राहम टी कोवूर,1,डा0 ए0 पी0 जे0 अब्दुल कलाम,1,डाइनामाइट,1,डाटा सेंटर,1,डिस्कस,1,डी•एन•ए• की खोज,3,डीप किसिंग,1,डॉ मनोज पटैरिया,1,डॉ. के.एन. पांडेय,1,डॉ० मिश्र,1,ड्रग एडिक्‍ट,1,ड्रग्स,1,ड्रग्‍स की लत,1,तम्बाकू,1,तम्‍बाकू के दुष्‍प्रभाव,1,तम्बाकू निषेध,1,तर्कशास्त्र,1,ताँत्रिक क्रियाएँ,1,थर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर,1,थ्री ईडियट्स के फार्मूले,1,दर्दनाशी,1,दर्शन,1,दर्शन लाल बवेजा,3,दिल की बीमारी,1,दिव्‍य शक्ति,1,दुरबीन,1,दूरानुभूति,1,दोहरे मानदण्ड,1,धरोहर,1,धर्म,2,धातु विज्ञान,1,धार्मिक पाखण्ड,1,धुम्रपान और याद्दाश्‍त,1,धुम्रपान के दुष्‍प्रभाव,1,धूल-मिट्टी,1,नई खोजें,1,नन्हे आविष्कार,1,नमक,1,नवाचारी भौतिकी,1,नशीली दवाएं,1,नाइट शिफ्ट के दुष्‍प्रभाव,1,नारायणमूर्ति,1,नारी-मुक्ति,1,नींद और बीमारियां,1,नींद न आने के कारण,1,नेत्रदान और ब्लॉगर्स,1,नेत्रदान का महत्‍व,1,नेत्रदान कैसे करें?,1,नैनो टेक्नालॉजी,1,नॉटिलस,1,नोबल पुरस्कार,1,नोबेल पुरस्कार,2,न्‍यूटन,1,परमाणु पनडुब्‍बी,1,परासरण विधि,1,पर्यावरण और हम,1,पर्यावरण चेतना,2,पशु पक्षी व्यवहार,1,पहली बारिश,1,पाई दिवस,1,पुच्‍छल तारा,1,पुरुष -स्त्री लिंग अनुपात,1,पूर्ण अँधियारा चंद्रग्रहण,1,पृथ्वी की परिधि,3,पृथ्‍वेतर जीवन,1,पेट्रोल चोरी,1,पेंसिल,1,पैडल वाली पनडुब्बी,1,पैराशूट,1,पॉवर कट से राहत,1,पौरूष शक्ति,1,प्रकाश,2,प्रज्ञाएँ,1,प्रतिपदार्थ,1,प्रतिरक्षा,1,प्रदूषण,1,प्रदूषण और आम आदमी,1,प्ररेणा प्रसंग,1,प्रलय,2,प्रलय का दावा बेटुल्गुयेज,1,प्रसव पीड़ा,1,प्रेम में ।धोखा,1,प्रोटीन माया,1,प्लास्टिक कचरा,1,फाई दिवस,1,फिबोनाकी श्रेणी,1,फिबोनाची,1,फेसबुक,1,फ्रीवेयर,1,फ्रेंकेंस्टाइन,1,फ्रेंच किसिंग,1,बनारस,1,बायो-क्रेमेशन,1,बायोमैट्रिक पहचान तकनीकियाँ,2,बाल विज्ञान कथा,1,बालसुब्रमण्यम,6,बिग-बेंग सिद्धांत,1,बिजली,1,बिजली उत्‍पादन,1,बिजली कैसे बनती है?,1,बिजलीघर,1,बिली का विकल्‍प,1,बी0एम0डब्ल्यू0,1,बीरबल साहनी,1,बुलेटप्रूफ,1,बैल चालित पम्प,1,ब्रह्मण्‍ड,1,ब्रह्मा,1,ब्रह्माण्‍ड,1,ब्रह्माण्‍ड के रहस्‍य,1,ब्रह्मान्ड,1,ब्रेन म्‍यूजिक,1,ब्लॉग लेखन,1,ब्लॉग लेखन के द्वारा विज्ञान संचार,2,ब्लॉगिंग का महत्व,1,भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद,1,भारतीय विज्ञान कथा लेखक समिति,1,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय शोध,1,भूकंप के झटके,1,भूकम्‍प,1,भूगर्भिक हलचलें,1,मंगल,1,मधुमेह और खानपान,1,मनजीत सिंह बोपाराय,1,मनीष मोहन गोरे,1,मनीष वैद्य,1,मनु स्मृति,1,मनोरंजक गणित,1,महिला दिवस,1,माचू-पिचू,1,मानव शरीर,1,माया,1,मारिजुआना,1,मासिक धर्म,1,मिल्‍की वे,1,मिशन स्टारडस्ट-नेक्स,1,मीठी गपशप,1,मीमांसा,1,मुख कैंसर,1,मृत सागर,1,मेघ राज मित्र,1,मेडिकल रिसर्च,1,मेरी शैली,1,मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड,1,मैरी क्‍यूरी,2,मैरीन इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज लि,1,मोटापा,1,मोबाईल के नुकसान,1,मौसम,1,यजुर्वेद,1,युवा अनुसंधानकर्ता पुरष्कार,1,यूरी गागरिन,1,योगेन्द्र पाल,1,योगेश,1,योगेश रे,1,रक्षा उपकरण,1,राईबोसोम,1,रूप गठन,1,रेडियो टोमोग्राफिक इमेजिंग,1,रैबीज,1,रोचक रोमांचक अंटार्कटिका,4,रोबोटिक्स,1,लखनऊ,1,लादेन,1,लालन-पालन,1,लिनक्स,1,लिपरेशी,1,लीप इयर,1,लेड,1,लॉ ऑफ ग्रेविटी,1,लोक विज्ञान,1,लौह स्तम्भ,1,वजन घटाने का आसान तरीका,1,वाई गुणसूत्र,1,वायु प्रदुषण,1,वाशो,1,विज्ञान,1,विज्ञान कथा,3,विज्ञान कथा सम्मेलन,1,विज्ञान के खेल,2,विज्ञान चुटकले,1,विज्ञान तथा प्रौद्यौगिकी,1,विज्ञान प्रगति,1,विज्ञान ब्लॉग,1,विज्ञापन,1,विटामिनों के वहम,1,विद्युत,1,विवेकानंद,1,विवेचना-व्याख्या,1,विश्व नि-तम्बाकू दिवस,1,विश्व पर्यावरण दिवस,1,विश्व भूगर्भ जल दिवस,1,विष्णु,1,वीडियो,1,वीडियो बुक,1,वैज्ञानिक दृष्टिकोण,1,वैद्य अश्विनी कुमार,1,वोस्तोक,1,व्‍यायाम के लाभ,1,व्हेलॉसिटी,1,शिव,1,शुक्र पारगमन,1,शुगर के दुष्‍प्रभाव,1,शून्य,1,शोध परिणाम,1,शोधन,1,श्रृष्टि का अंत,1,सं. राष्ट्रसंघ,1,सकारात्‍मक सोच का जादू,1,संक्रमण,1,संख्या,1,संजय ग्रोवर,1,संज्ञात्मक पक्षी विज्ञान,1,सटीक व्‍यायाम,1,संत बलबीर सिंह सीचेवाल,1,सत्यजित रे,1,समय की बरबादी को रोचकने के उपाय,1,समाज और हम,1,समुद्र,1,संयोग,1,सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस,1,सर्प संसार,1,साइकोलोजिस्ट,1,साइनस उपचार,1,साइंस ब्लागर्स मीट,1,साइंस ब्लागर्स मीट.,2,साइंस ब्लॉग कार्यशाला,2,साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन अवार्ड,1,साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन रजिस्ट्रेशन,1,साइंस ब्लॉगर्स ऑफ दि ईयर अवार्ड,1,साइंस ब्लोगिंग,1,साईकिल,1,सामवेद,1,सामाजिक अभिशाप,1,सामाजिक चेतना,1,साहित्यिक चोरी,2,सिगरेट छोड़ें,1,सी. एस. आई. आर.,1,सी.वी.रमण विज्ञान क्लब,1,सीजेरियन ऑपरेशन,1,सुपर अर्थ,1,सुपर कम्प्यूटर,1,सुरक्षित ब्लॉगिंग,1,सूर्यग्रहण,2,सृष्टि व जीवन,3,सेक्स रेशियो,1,सेहत की देखभाल,1,सोशल नेटवर्किंग,1,स्टीफेन हाकिंग,1,स्पेन,1,स्मृति,1,स्वर्ण अनुपात,1,स्वाईन-फ्लू,1,स्वास्थ्य,2,स्‍वास्‍थ्‍य और खानपान,1,स्वास्थ्य चेतना,3,हमारे वैज्ञानिक,4,हरित क्रांति,1,हंसी के फायदे,1,हाथरस कार्यशाला,1,हिंद महासागर,1,हृदय रोग,1,होलिका दहन,1,ह्यूमन रोबोट,1,
ltr
item
Science Bloggers' Association: शीघ्र ही मिल जायेगी मृत्यु पर विजय.
शीघ्र ही मिल जायेगी मृत्यु पर विजय.
Science Bloggers' Association
https://blog.scientificworld.in/2009/09/blog-post_04.html
https://blog.scientificworld.in/
https://blog.scientificworld.in/
https://blog.scientificworld.in/2009/09/blog-post_04.html
true
1415300117766154701
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy