सन 2070 में लिखा गया एक पत्र, मानवता के नाम! Water is life!!! -सलीम ख़ान

Science Bloggers' Association की स्थापना के 1 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इस शुभअवसर पर अध्यक्ष श्री अरविन्द मिश्र जी सहित सभी पदाधिकारियों...

Science Bloggers' Association की स्थापना के 1 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इस शुभअवसर पर अध्यक्ष श्री अरविन्द मिश्र जी सहित सभी पदाधिकारियों, लेखकों और पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें. मेरा इससे जुडना और ऐन इसी वक़्त मेरा पहला लेख प्रकाशित होना मुझे गौरव का एहसास दिला रहा है. बस दरकार है आपकी मोहब्बत की, आपके साथ की. -सलीम ख़ान


यह सन 2070 है!

मैं पचास वर्ष का हो चुका हूँ, लेकिन मुझे देख कर जैसे लगता है कि मैं 85 का हूँ! मुझे किडनी की बिमारी है क्यूंकि मझे पीने के लिए पर्याप्य पानी नहीं मिलता है. मुझे भय है कि मैं अब ज़्यादा समय तक ज़िन्दा नहीं रह पाउँगा. मैं अपने सोसाईटी के सबसे बूढ़े व्यक्तियों में से एक हूँ.

मुझे याद है जब मैं मात्र 5 वर्ष का था. उस वक़्त सबकुछ कितना बदला हुआ था. कितना मनोहर था. उस ज़माने में कितने सारे पार्क हुआ करते थे, घर में खुबसूरत बागीचा हुआ करता था...और... और मैं आधे-आधे घंटे तक फौहारे (shower) में नहाता रहता था. आज कल हम लोग अपने शरीर की त्वचा को स्वच्छ करने के लिए 'मिनरल तौलिया' (towels with mineral oil) का प्रयोग करते हैं.

पहले औरतों व लड़कियों के ख़ूबसूरत और लम्बे-लम्बे बाल हुआ करते थे लेकिन अब वे सिर को साफ़ और स्वच्छ रखने के लिए बिना पानी के ही मुंडाना (shave) पड़ता है.

तब मेरे पिताजी हमारी कार को हौज़पाइप के पानी से धोते और साफ़ करते थे लेकिन अब मेरा बेटा इन बातों पर विश्वाश ही नहीं करता है कि पानी इतना व्यर्थ भी किया जाता होगा!

मुझे याद है उस वक़्त पानी बचाएं (SAVE WATER) की चेतावनी पोस्टर्स, रेडियो, टीवी और साईंस ब्लोगर्स एसोसिअशन (Science Bloggers' Association) पर हम लोगों को दी जाती थीं. अब सारी की सारी नदियाँ, झीलें, बाँध और ज़मीन के अन्दर का पानी या तो सूख चुका है या फ़िर दूषित हो चुका है.

उद्योग लगभग ठप हो चुका है और बेरोजगारी अपने भयानक नाटकीय अनुपात में पहुँच चुकी है और वर्तमान काल में रोज़गार का मुख्य स्रोत सिर्फ़ 'अलवणीकरण संयंत्र रोजगार' ही है और वेतन के रूप में पीने-योग्य पानी ही मिलता है.

एक गैलन पानी के लिए सडकों पर  आपस में गोलियां चलना अब आम बात हो चुकी है. खाद्य-पदार्थ अब 80% कृत्रिम (synthetic) हैं.
मुझे याद है पहले एक दिन में एक व्यस्क व्यक्ति को कम से कम 8 गिलास पानी पीने के लिए सलाह दी जाती थी और आजकल हमें एक दिन में मात्र आधा गिलास पानी ही पीने को मिल पाता है. हमें पहनने के लिए disposable कपड़े मिलते हैं जिसके कारण कूड़े की मात्रा अपने चरम सीमा पर पहुँच चुकी है. अब हम सेप्टिक टैंक प्रयोग कर रहे हैं क्योंकि सीवरेज प्रणाली को पानी की कमी के कारण प्रयोग नहीं किया जाता है.

जनसँख्या की स्थिति अपने भयावह स्थिति पर पहुच चुकी है. हम लोगों का शरीर देख कर रोयें काँप उठते हैं. शरीर झुर्रियों से परिपूर्ण! निर्जलीकरण के कारण हमारे शरीर सूखे हुए है! ओजोन परत के संरक्षित न रहने के कारण  अल्ट्रा वायलेट विकिरण से घावों से भरा हुआ शरीर! वर्तमान में मृत्यु का मुख्य कारण त्वचा कैंसर, जठरांत्र संबंधी संक्रमण और मूत्र रोग होते हैं.

त्वचा के अत्यधिक रूप से सूखने की वजह से 20 वर्ष का युवा 40 वर्ष का नज़र आता है. वैज्ञानिक इन सब समस्याओं का समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी.

पानी को पैदा नहीं किया जा सकता है और ऑक्सीजन भी पेड़ों और वनस्पति की कमी की वजह से कम होती जा रही है. नई पीढ़ी की बौद्धिक क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो चुकी है. पुरुषों में शुक्राणुओं की संरचना भी बुरी तरह प्रभावित हुई है जिसके परिणामस्वरूप बच्चे शारीरिक विकृति के साथ पैदा होते हैं.
"सरकार से हमें सांस लेने योग्य हवा ख़रीदनी पड़ती है, जो कि मात्र 137 m3 प्रति दिन प्रति व्यस्क व्यक्ति के लिए ही है. जो लोग इसका भुगतान नहीं कर पाते हैं उन्हें 'हवादार क्षेत्र' से निष्काषित कर दिया जाता है. हवादार संयत्र, सौर ऊर्जा से संचालित एक बहुत विशाल यांत्रिक फेफड़े होते हैं. हवा की गुणवत्ता बिलकुल भी अच्छी नहीं लेकिन कम से कम लोग सांस तो ले सकते हैं."
औसतन लोग 35 वर्ष तक का जीवन ही जी पाते हैं.

कुछ देश या क्षेत्र जो अभी भी थोड़े बहुत हरे भरे हैं और नदियाँ हैं, वह भारी संख्या में सैनिकों द्वारा संरक्षित हैं, और वहां इतनी सुरक्षा है जहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. सोना और हीरे से भी अधिक क़ीमती पानी, एक बहुत ही प्रतिष्ठित खजाना बन गया है.

जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ बारिश की कमी के कारण एक भी पेड़ नहीं है और जब वर्षा होती भी है तो वह सामान्य न होकर अम्ल वर्षा होती है. भीषण परमाणु परिक्षण और 20वीं सदी के उद्योगों के कचरे और प्रदुषण से मौसम गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. हम लोगों को पर्यावरण सम्बन्धी चेतावनियाँ दी जाती थीं लेकिन किसी ने भी उस पर ध्यान ही नहीं दिया.

अपने बेटे को जब मैं अपनी जवानी के बारे में बताता हूँ कि उस वक़्त कितनी हरियाली थी, सुन्दर सुन्दर फूल थे, नदियाँ थी जिनमें हम तैरते थे, मछलियाँ पकड़ते थे, कितने स्वस्थ रहते थे, कितनी सुन्दर बारिश होती थी... तो उसे मेरी बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता है.

वह मुझसे पूछता है कि- ऐसा कैसे हो गया? क्यूँ अब पानी नहीं है??

तब मेरा गला भर्रा उठता है और मैं जवाब-विहीन हो जाता हूँ.
मुझे शर्म महसूस होती है कि मैं उस पीढ़ी से वाबस्ता हूँ जिसके खाते में बस चेतावनी ही चेतावनी  हैं व जिसने इस भयानक विनाश में योगदान दिया है, जिसकी भारी क़ीमत हमारे बच्चे चुका रहें हैं. अब मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि पृथ्वी पर जीवन अब कुछ ही समय तक रहेगा क्यूंकि प्राकृतिक विनाश अब अपने अपरिवर्तनीय स्वरुप में हैं.

अब मैं लोगों को समझाने के लिए कैसे वापस जा सकता हूँ!!!???...

कैसे???

कैसे???


.........अभी भी वक़्त है हम संभल जाएँ! शुक्र है, हमारे पास अभी भी वक़्त है!!

हमारे पास अभी भी वक़्त है!!!
-सलीम ख़ान

This is the first article of Saleem Khan for SBA, inspiration: APJ Abdul Kalam. 

COMMENTS

BLOGGER: 36
  1. होश मे आओ यारो , न तो बिन नीर एक दिन दुनिया सुनी .

    अदभुत लेख ....

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  2. बहुत ही सुन्दर और अद्भुत लेख, सार्थक पहल

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  3. हमारे पास अभी भी वक्त है
    सार्थक और जनोपयोगी चेतावनी
    सलीम जी का आभार

    प्रणाम

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  4. सचमुच, हम जानते हुए भी अक्सर पानी का अपव्यय करते रहते हैं।
    अगर अभी नहीं चेते, तो फिर शायद हमें पछताने के लिए भी वक्त न मिले।

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. अद्भुत ......

    परंतु ठीक इसी कन्टेन्ट के साथ इंग्लिश मे मैंने ए.पी.जे.अब्दुल कलाम की बनायी स्लाइड शो देखी थी..वह स्लाइड शो मेरे पास है भी..सलीम भाई को उनका आभार व्यक्त करना था..

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  7. .........अभी भी वक़्त है हम संभल जाएँ!

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  8. भविष्य का प्रभावशाली प्रोजेक्शन

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  9. आपने बहुत अच्छी कल्पना की जो सोचने पर मजबूर कर दे रही है साथ ही आपकी लेखन शैली भी लाजवाब है

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  10. धन्यवाद, अरविन्द जी!

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  11. सार्थक पहल...

    अभी भी वक़्त है... संभल जाएँ..

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  12. बडा हास्यास्पद लगा पढ के । लिखनेवाला अभी पैदा ही नही हुआ है , 2020 मे पैदा होगा । खैर लेख का जो उद्देश्य था वह इस ब्लाग पर फिट नही बैठता है ,यहॉ पर तो पानी के विकल्प पर चर्चा होनी चाहिये , विज्ञान पानी के विकल्प के रूप मे क्या खोज करता है - ये एक सकारात्मक दृश्टिकोण होगा । अगर विज्ञान ने पानी के शुद्धीकरण , रीयूटीलाइजेशन की तकनीक इजाद न की होती तो आज ही स्थिति खराब होती , पुर्वजो ने हमारे लिये क्या संसाधन बनाया या छोडा है उस पर रोने के बजाय हमे अपना रास्ता बनाना चाहिये और यही काम हर आने वाली पीढी करेगी तो पानी का अपव्यय उतनी बडी समस्या नही है जितना विकल्प का ना खोजा जाना ।

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  13. कुछ लोग सिर्फ़ आधे भरे हुए पानी के गिलास को आधा ख़ाली के रूप में ही देखते हैं.

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  14. सत्येंद्र जी, इस ब्लॉग का उददेश्य है लोगों को वैज्ञानिक जानकारी देना और वैज्ञानिक चेतना जगाना। और जहां तक इस पोस्ट का उददेश्य की बात है, वह था पानी की कमी के बारे में लोगों को सोचने के लिए मजबूर करना। और मेरी समझ से भी यह पोस्ट इतना काम भलीभांति कर रही है।
    जहाँ तक शैली की बात है, इस तरह की शैली विज्ञज्ञन कथाओं में खूब प्रयोग में लाई जाती है।

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  15. भविष्य के बहुत बड़ी बात को बताती सरल सुन्दर रूप से लिखी गया लेख ..सभी जानते हैं इस बात को पर समझना कोई नहीं चाहता ..वक़्त रहते सब सचेत हो जाए तो अच्छा है ..

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  16. पानी की कमी के बारे में लोगों को बताना कोइ वैज्ञानिक चेतना नही है और यदि आप इसे वैज्ञानिक चेतना समझते है तो कोइ भी सामाजिक चेतना ,वैज्ञानिक चेतना होगी ।जहाँ तक शैली की बात है साइन्स फिक्शन को प्रोजेक्शन के तौर पर आप प्रस्तुत नही कर सकते है और यदि कोइ प्रोजेक्शन है तो वह फिक्शन नही होगा । मेरे विचार से साइन्स के नान-हाइपोथेटीकल एनालिसिस को ही प्रमुखता देनी चाहिये ।

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  17. "वैज्ञानिक चेतना, सामाजिक चेतना का ही अंग है."

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  18. Satyendra Kumar ji

    kya aapko lagta hai ki technology har samasya ko solve kar sakti hai?

    samasya technology ki kami hai ya life style?

    aur hume dhayan kis par dena chahiye technology par ya life style par?

    agar koi vikalp khj bhi liye gaye aur life style nahi badli to hume kewal kuch saal hi milenge samadhan nahi.

    Aisa mera manna hai

    aapka kya manna hai?

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  19. अपने ज्ञान, चिंतन और बुद्धि का आपने सार्थक उपयोग किया है. आप स्वयं ही देखेंगे कि एक सलीम खान जो कि वैमनस्य फैला रहा था, उसे एक-दो को छोड़ कर सबने गालियाँ दीं, पर यहाँ पर सब आपके सम्मान में झुके हैं.
    सलीम, आपको स्वयं चुन लेना चाहिए कि जाकिर नायक बन कर आप इस्लाम की एकमात्र सेवा और अन्य धर्मों को बुरा-बुरा साबित करते रहेंगे या कलाम साहब की तरह देश-भक्त बनेंगे.
    :)
    सदैव शुभ कार्य करें और सदैव सभी का प्रेम और आशीर्वाद प्राप्त करते रहें.
    शुभकामनाओं के साथ,
    ई-गुरु राजीव.

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  20. भविष्य के कुछ वास्तविक चित्र खिंच गये हैं यहाँ । आलेख अपनी शैली के कारण सुन्दर लगा । आपके पहले आलेख के लिये बधाई और आगत की शुभकामनायें ।

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  21. क्या बात करते है ऐसा भी वक्त आने वाला है.. इंतज़ार रहेगा.. पानी बिन दुनिया देखने का.. :(

    बहुत उम्दा आलेख.. सलीम भाई, बहुत बधाई..

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  22. सलीम साहब, आप एक अच्छा साइन फिक्शन भी लिख सकते हैं.

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  23. This comment has been removed by the author.

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  24. @zishaan ziadi jee, Insha Allah zaroor !!! Shukriya hausla afzaaee ka !!!

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  25. जीशान जी, आपने मेरे मुँह की बात कह दी, शुक्रिया।
    मैं ये बात अपने पहले ही कमेंट में कहना चाहता था, लेकिन फिर सोचा कि कहीं ज्यादा तारीफ सुनकर सलीम भाई फूल कर कुप्पा न हो जाएं, इसलिए रह गया। वैसे इस तरह का संकोच सही नहीं है, क्योंकि जिंदगी में ऐसे मौके बहुत कम आते हैं जब हम दूसरों की दिल से तारीफ कर सकें। इसलिए ऐसे मौकों को गंवाना नहीं चाहिए, भविष्य में मैं ध्यान रखूंगा।

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  26. प्रिय अंकित जी
    आपकी जिज्ञासा के क्रम मे ............
    1- अपनी समस्याओ के समाधान को हमे स्वय खोजना होगा अगर आप इसके माध्यम को तकनीक का नाम देते है हो सकता है
    2- लाइफ-स्टाइल की कोइ समस्या नही होती है , समस्या सदैव उद्देश्य की होती है - आप कैसे जीना चाहते है ? यह बात आपके सामने कुछ समस्या रखेगा और आपको उनका समाधान खोजना है क्युकि आप वही चाहते है , अगर कोइ आदमी मरना चाहता है तो आपके सारे जीवन के साधन उसके लिये बेकार है और उसके मरने मे बाधक बनने वाली चीजे उसके लिये समस्या है
    3- हम लाइफ-स्टाइल के लिये नही जीते है , हम जीते है तो उपलब्ध साधनो से अपना तरीका बना लेते है जिसे लाइफ-स्टाइल कहते है , विद्दुत की खोज प्रकाश के विकल्प के रूप मे की गयी थी न की "दिये" की लाइफ-स्टाइल को "झालर" की लाइफ-स्टाइल से बदलने के लिये , यह परिवर्तन तो स्वत: है ( परिणामगत है ), बल्ब का अविश्कार एक क्रांतिकारी खोज है ,अब आप उसका आकार बदल दे, इंटेंसिटी बढा दे ,कलर बदल दे यह स्टाइल का मामला - आपकी च्वाइस का मामला है ।

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  27. बहुत अच्छी बात उठाई है आपने. लेकिन इसके लिये भारत की अबाध रूप से बढ़ती हुई जनसंख्या एक बड़ा कारण है. विगत साठ वर्षों में तीन सौ प्रतिशत हो गई है हमारी जनसंख्या, यदि इस पर काबू नहीं पाया गया तो निश्चित ही प्रलय हो जायेगी.

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  28. भारतीय नागरिक - Indian Citizen जी आपसे सहमत, और इसमें इजाफा यह करना चाहता हूँ कि जनसँख्या (हालाँकि यह सन्दर्भ-रहित टीप है) के मद्देनज़र चीन की ही तरह अगर सख्त क़ानून बने तो बेहतर है... वैसे हम नज़र डालते हैं कि कुछ समझदार और पढ़े लिखे लोग एक, दो या तीन बच्चे पैदा करते हैं... उनके बारे में आप कह सकते हैं कि वह जनसँख्या नियंत्रण में सहयोग कर रहे हैं.... हाँ जागरूकता तो हुई है...लेकिन असल में इसकी एक वजह यह है कि वे इस महंगाई के दौर में अपने स्टेटस को मेंटेन करते रहने के कारण ऐसा कर रहें हैं...

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  29. @Satyendra Kumar s

    and

    @

    yes yahi to main kah raha hoon ki ye jo pasand hai ki kis cheej ko kis tarah upyog karna hai isi ko to 'Life style kahte hain'

    jaise USA ke log 1 maheene me jitna pani flesh kar dete hain utna pani pure africa ke log pine me upyog karnte hain 1 maheene tak
    samasya jan sankhya ki bhi nahi hai

    ye samasya life style ki nahi to kya hai


    ab aap kitne bhi avishkar kar lijiye samasya to bani hi rahegina

    ReplyDelete
  30. @भारतीय नागरिक - Indian Citizen
    upar likhe comment ko 1 bar padh lijiye

    aur phir bataiye

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  31. hamare nabi ne bahut pahle kaha tha:

    khah samundar k kinaare kyon na baithe ho aur khaah wazu kyon na kar rahe ho paani kam se kam kharch karo.

    lekin aaj ham fizul k kaamon k liye bhi kitna pani baha dete hain.

    kalpna aapki thik hai!

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  32. अरसा पहले मुज़फ्फर हनफ़ी साहब की एक ग़ज़ल पढ़ी थी। ग़ज़ल लीक से हट कर है। देखें:-

    ऊदी कलियां, भीनी पीपल, उगता चांद, खनकता पानी /
    हरा समंदर, गोपी चंदर, बोलो मछली कितना पानी //

    दो बूंदों की हसरत लेकर चुप टीले पर रेत खड़ी थी /
    चारों जानिब घुंघरु बांधे रिमझिम-रिमझिम बरसा पानी //

    जी हां मैंने भी देखा था उसका कोई दोष नहीं है /
    जब शोलों का नाच हुआ था, काफ़ी दूर खड़ा था पानी //

    सूखी शाखें सोच रही हैं, अब आने से क्या होता है /
    पत्ते ताली पीट रहे हैं, आया पानी आया पानी //

    फुलवारी में झिलमिल-झिलमिल चांद किरन कब तक ठहरेंगी /
    मैं बस के चक्कर में बैठा, काट रहा हूं काला पानी //

    हाल अंधेरा गुप है, लेकिन मुस्तकबिल की आस के जुगनू /
    मेरी जलती पेशानी पर डाल रहे है टण्डा पानी //

    अकसर उसकी याद आती है रौ में तेजी आ जाती है /
    वह परबत की ऊंची चोटी, मैं झरने का बहता पानी //

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  33. बहुत सी असन्गत बातें हैं--जब बौद्धिक क्षमता कम, बच्चे विकलान्ग पैदा होरहे हैं तो ---मिनरल तौलिया,
    अलवणीकरण यन्त्र, मशीनी फ़ेंफ़डे ,डिस्पोसेबल कपडे कौन बना रहा है?( शायद यह सब सिर्फ़ भारत मैंहोरहा है, यन्त्रअमरीका से आरहे हैं)क्या इतने कम बद्धिक स्तर के मानव में शर्म महसूस करने की भावना बची है?
    कहानी लिखने के लिये यथातथ्य समझ होनी चाहिये।
    सत्येन्द्र व अन्कित के तर्क सही हैं
    ----परन्तु लेखक की भावना अच्छी है।

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  34. ---एक छप्पय छंद मुलाहिज़ा फ़रमाएं--

    ’आयेगी वह सदी जब,जल कारण हों युद्ध,
    सदियों पहले भी हुए जल के कारण युद्ध।
    उन्नत मानव हुआ,प्रिक्रिति सह भाव बनाया,
    कुए बावडी ताल बने, जन मन हरषाया। निज सुखसुख हित जो नाश प्रक्रिति का मनुज करता नहीं।
    जल कारण फ़िर युद्ध पतन की बात सुन सकता कहीं ॥’

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Name

- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. 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Science Bloggers' Association: सन 2070 में लिखा गया एक पत्र, मानवता के नाम! Water is life!!! -सलीम ख़ान
सन 2070 में लिखा गया एक पत्र, मानवता के नाम! Water is life!!! -सलीम ख़ान
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Science Bloggers' Association
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