लोहे की पिन पानी में कैसे तैरेगी?

क्या आपने किसी लोहे को पानी में तैरते देखा है? क्या कहा- लोहा पानी में डूब जाता है? हां लेकिन लोहा पानी में तैरता भी है। कैसे? आइये देखें...


क्या आपने किसी लोहे को पानी में तैरते देखा है?
क्या कहा- लोहा पानी में डूब जाता है? हां लेकिन लोहा पानी में तैरता भी है। कैसे? आइये देखें। बता रहे हैं जी के अवधिया जी।  


लोहे का पिन पानी में तैरती है और आप खुद एक पिन को पानी में तैरा सकते हैं। इसके लिये आपको आवश्यकता है एक पिन, एक गिलास पानी और एक ब्लॉडिंग पेपर के टुकड़े की। पानी से भरे हुए गिलास को टेबल पर रख दीजिये। अब पिन को ब्लॉडिंग पेपर के एक छोटे से टुकड़े पर रख कर पानी के गिलास में डाल दीजिये। कुछ ही देर में ब्लॉडिंग पेपर पानी को पूरी तरह से सोख कर भारी हो जायेगा और गिलास के नीचे चला जायेगा किन्तु लोहे की पिन तैरती रहेगी। है ना कमाल की बात।

किन्तु यह कोई जादू या अजूबा नहीं है। यह तो सिर्फ विज्ञान का एक खेल है।

कौन सी वस्तु पानी तैरेगी और कौन सी डूब जायेगी यह उस वस्तु के घनत्व पर निर्भर करता है। किसी वस्तु की मात्रा (mass) और परिमाण (volume) के अनुपात को घनत्व कहते हैं (The density of an object is the ratio of its mass over its volume)

भौतिक शास्त्र (physics) के अनुसार यदि वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है तो वह पानी में तैरती है और यदि उस वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक होता है तो वह पानी में डूब जाती है।

COMMENTS

BLOGGER: 34
  1. वो तो सभी जानते हैं कि
    भौतिक शास्त्र (physics) के अनुसार यदि वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है तो वह पानी में तैरती है और यदि उस वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक होता है तो वह पानी में डूब जाती
    तभी तो लोहे का इतना बडा जहाज पानी में तैरता रहता है .. पर पिन का घनत्‍व जल के घनत्‍व से कम कैसे हो जाएगा .. इसे आपको समझाना पडेगा !!

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  2. कुछ और सरल तरीके से विस्तार से बताये शुक्रिया

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  3. अवधिया जी आपके ज्ञान में मेरी पूरी श्रद्धा है परह्तु अपने पुनः आधी अधूरी एवं भ्रामक जानकारी दी है

    किसी ठोस का किसी द्रव में तैरना या डूबना उनके घनात्वो पर तो निर्भर करना है पराणु उसमे कई और करक भी सम्मलित होते है |

    आपने जो तरीका बताया सुई को तैराने का उसमे घनत्व नहीं अपितु प्रष्ठ तनाव का सिद्धांत कार्य करता है घतत्व का सिद्धांत तो तब कार्य करेगा जब लोहे को पारे या लकड़ी पानी में तैरती है|

    जहाँ तक पानी के जहाज के तैरने का प्रश्न है तो वह तो उसकी विसिस्थ आकृति के कारण होता है | पानी के जहाज के अन्दर काफी माथा में हवा तथा अन्य पदार्थ होते हैं जिसके कारण जहाज का परिणामी घनत्व (उसके कुल आयतन तथा भर का अनुपात ) पानी के घनत्व से कम हो जाता है तथा वह तैरता है|

    अंत में एक जिज्ञासा
    क्या आपको नहीं लगता की आप के द्वारा दी गई सीमित जानकारी कोई भरम भी उत्पन्न कर सकती है जो की शायद जानकारी ना होने से भी ,कुछ स्थितियों में ,ख़राब हो सकता है?

    या शायद मैं भ्रमित हूँ ?

    मैं ज्ञान एवं आयु में आपसे बहुत छोटा हों आप मेरे भरम का निवारण करने का कास्ट करें |
    धन्यवाद

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  4. अंकित जी, बहुत बहुत धन्यवाद! जिन बातों को मैं अच्छी तरह से नहीं समझा पाया, जिसके लिये मुझे खेद है, उन्हें आपकी टिप्पणी ने स्पष्ट कर दिया।

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  5. बढ़िया जानकारीं , साथ ही अंकित जी का आभार , उन्होनें चार चाँद लगा दिया ।

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  6. ठहरे हुए पानी की सतह खिंचे हुए रबर जैसा व्यवहार करती है. इसलिए पिन तैर रही है.

    घनत्त्व वाली बात सही है मगर पिन को सीधी डाल कर देखें, वह डूब जाएगी. लकड़ी की होती तो तैरती.

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    1. Classic information Sir. Thanks a lot. Jo baten hum hazaron rs. Ki vigiyan ki kitabon men men b nhi pardh skte vo apk aur ap jaise logon k blog pr mil jati hain. Bht-bht shuqriye ke sath.

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  7. सुन्दर खेल !!! कुच्छ भी भाई हमें तो खेल में मजा आया और बचों को दिखायेंगे!!! अंकितजी का भी साधुवाद!!

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  8. D=M/V physics mein padha hua hai....fir bhi taza kiya aapne.....shukriya.....sochte hai ki ham bhi aapke blog mein scient sambandhi jaankaari ke liye participate karein :-)

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  9. घनत्व के सिद्धान्त की जानकारी देने के लिए,
    धन्यवाद!

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  10. अंकित जी की ही बात में कुछ जोड़ना चाहूँगा-

    वस्तुत: कागज गल जाने के बाद भी उसके कुछ कण पिन पर चिपके रह जाते हैं, और कुछ जल की सतह पर फ़ैल कर उसके पृष्ठ तनाव को कम कर देते हैं.. इस प्रकार पिन पर लगने वाला गुरुत्व बल, जो अब तक जल के उत्प्लावन बल से संतुलित नहीं हो पा रहा था, वह पृष्ठ तनाव व उत्प्लावन बल के सम्मिलित प्रभाव से संतुलित हो जाता है, और पिन य्थावत पानी में तैरती रहती है..

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  11. चलो बढिया है,
    हमारे आने तक अंकित और कार्तिकेय ने बात समझा दी। कक्षा ६ में एक किताब पढी थी, "१०१ साईंस एक्स्पेरीमेंट्स" उसमें एक प्रयोग ये भी था जिसे पढकर हम चकित हो गये थे।

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  12. कार्तिकेय मिश्र जी की टिपपणी तक सबकुछ स्‍पष्‍ट हो गया !!

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  13. @कार्तिकेय एक भ्रम उत्पन्न हो गया है|

    यदि प्रष्ठ तनाव कागज के कुछ कणों के पिन पर लगे रह जाने का परिणाम है तो फिर यह कर के देखिये -

    १ कागज का टुकड़ा लीजिये जी १ तरफ के बिल्कुल चिकना हो और उसरी तरफ से साधारण | अब इसके चिकने वाले हिस्से पर पिन रखिये ताकि पिन पर कागज के कणों के लगने की कोई सम्भावना ना रह जाए | अब इसे पानी पर डाल दीजिये तथा सावधानीपूर्वक इस कागज के कोनो को कुछ पिनो की सहायता के गीला करने का प्रयास कीजिये परन्तु पानी में कोई हलचल नहीं होनी चाहिए | अगर कागा भीगना प्रारंभ हो गया तो कुछ देर बाद कागज डूब जायेगा और पिन तैरती रहेगी |

    हो सकता है ये सब १ बार में ना हो पाए परन्तु मैं कई बार ऐसा कर चुका हूँ | अतः जो बात मैं कहना चाहता हो वाह यह है की कदाचित पिन के पानी पर तैरने के लिए किसी विशेष कागज़ या कागज़ के कणों के पिन पर चिपकने की आवश्यकता नहीं होती है | ब्लोटिंग पेपर के प्रयोग का सुझाव इसलिए दिया जाता है kyounki या आसानी से पानी को सोखकर स्वतः ही डूब जाता है तथा इसको डुबोने के लिए कोई प्रयत्न नहीं करना पड़ता है |

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  14. @ अंकित...

    आपकी बात भी सही है.. थोड़ा और विश्लेषण करें तो दो कारण सामने आते हैं-

    पहला जो मैनें उपर बताया.. उस प्रक्रिया में निश्चित रूप से कागज के कण स्टील की पिन पर चिपके रह जाते हैं, कारण इन दोनों की क्रमश: डायामैग्नेटिक व फ़ेरोमैग्नेटिक प्रॉपर्टी है, जो इनकी संरचना में चुम्बकीय डोमेन के संरेखण(एलाइनमेंट) की वजह से होती है। जैसे- कंघी को बालो में रगड़ने के बाद उसमें चुम्बकीय शक्ति इन्हीं डोमेनों के एक ही दिशा में संरेखित होने से आती है, जो छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों को चिपका सकती है। यह संरेखण स्टील में स्थायी होता है। अब चाहे चिकना कागज हो या ब्लॉटिंग पेपर, उसके छोटे छोटे कण पिन से जरूर चिपकेंगे.. दो विपरीत पदार्थों के बीच का आसंजक बल(एडहेसिव फोर्स) भी इसमें सहायक होगा।

    पुनश्च.. इसका दूसरा कारण आपके नजरिये से भी दिया जा सकता है.. वस्तुत: पिन को पानी की सतह पर तैराने के लिये किसी अतिरिक्त बल की आवश्यकता नहीं होती। पानी की सतह के ऊपरी अणुओं के ससंजक बल(कोहेसिव फोर्स) के चलते बनी एक पतली फिल्म का पृष्ठ तनाव पिन के गुरुत्व बल को संतुलित करने के लिये पर्याप्त होता है।

    लेकिन जल की सतह में हलचल होने से यह फिल्म टूट जाती है, अस्तु शांत जल में ही यह पिन टिक सकती है.. या फिर अगर उसे किसी सहारे के साथ जल की सतह पर रखा जाय, जैसे कागज..हाथ से रखने पर नुकीली पिन की टिप से इस माइक्रॉन फिल्म के टूटने की पूरी संभावना रहती है.. यही कारण है कि चिकने कागज से किये आपके कुछ प्रयोग असफल रहे होंगे..

    यही कारण है कि मच्छर के बच्चे पानी पर तैरने हैं.. या तीव्र गति से स्केटिंग करते वेव-सर्फर इस फिल्म को टूटने से बचाकर पानी की सतह पर बने रहते हैं..

    आपने बहुत गंभीरता से इस प्रश्न पर विचार किया.. यही सच्चे साइंसदान की निशानी है।

    @ अवधिया जी..

    एक इंटरेस्टिंग बात बताऊँ आपको, चाहे पिन हो या छड़, समुद्र में एक निस्चित गहराई के बाद ये कभी नहीं डूबते.. कारण गहराई के साथ-साथ जल के तापमान में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप समुद्री जल के नमक की सान्द्रता में होने वाले परिवर्तन से जल का घनत्व नीचे जाने पर बढ़ता रहता है.. इसी वजह से मृत सागर(शायद) में कोई चीज डूबती नहीं..

    आशा है आपको प्रश्नों का समाधान मिल गया होगा..

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  15. Hm...finally samajh me aa gaya... it's all about surface tension !
    thanx all !
    :)

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  16. एक अधूरी पोस्ट का फायेदा ये हुआ की एक अच्छी वैज्ञानिक बहस देखने को मिली. जो की इस एसोसिएशन का असली मकसद है.

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  17. हम बार बार कह रहे हैं कि विग्यान की पोस्ट उचित व्यक्ति द्वारा लिखी जानी चाहिये न कि हर एरा-गेरा द्वारा, यहां विग्यान का मज़ाक बनाया हुआ है,अन्कित की बात व बताया कारण ही सही उत्तर है--तल-तनाव। सोख्ते के बगैर भी हल्के से पिन को जल सतह पर रखने से भी तैराया जा सकता है। शेविन्ग ब्लेड को भी ।
    ब्लोगर लोग भी बात को पूरी तरह से जानकारी होने पर सम्झकर ही टिप्पणी दें, रवायत के तौर पर नहीं ।

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  18. पुनश्च... कार्तिकेय की टिप्पणी गलत व भ्रमपूर्ण है, यहा ऐसा कोई फ़ोर्स कार्य नहीं करता, न मच्छर के बच्चे इस प्रकार तैरते हैं न वाटर स्केटर, न वेव सर्फ़र ।कार्तिकेय को विग्यान की उचित जानकारी नहीं है, या बेसिक फ़न्डास की कम जानकारी है ।

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  19. कार्तिकेय जी आप तो बहुत ही मजाकिया लगते हैं ,

    जहाँ तक अनुचुमकत्व या लौहचुमकत्व का प्रश्न है तो आप अम्लीय या क्षारीय जल ले लीजिये ,और हाँ वेब सर्फ़र तो पानी में इतनी ज्यादा हलचल उत्पन्न करते है के उपरी प्रष्ट के ना टूटने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है |
    प्रष्ट तनाव के किये केवल पानी के अणुओं ना आपसी ससंजक बल ही उत्तरदाई है तथा यदि पिन या ब्लेड का भार इतना बल नहीं लगा पता की पानी के अणुओं के ससंजक बल से अधिक हो जाये तो वह पानी के अन्दर प्रवेश ही नहीं कर पता |

    अंत में इस प्रयोग में इस घटना को 'पिन का पानी में तैरना' ना कह कर 'पिन का पानी के अन्दर प्रवेश करने में असफल रहना' कहा जाए तो यह ज्यादा उचित होगा |

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  20. बहुत अच्छे .. real scholer...वि्स्त्रत व एडवान्स सोच है, तैरने का अप्ना अलग ही सिद्धान्त है, वस्तु द्वारा अपने आयतन के बराबर जल हटाना, उसका भार वस्तु के भार से कम,बराबर, अधिक होना आदि आदि आर्किमिदीज़ सिद्धान्त ...। इसका यहां से कोई सन्दर्भ नहीं है बधाई ।

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  21. जैसा कि जीशान जी ने कहा कि अपूर्ण पोस्ट के सहारे एक अच्छी खासी सार्थक बहस हो सकी, इसके लिए अंकित जी और कार्तिकेय जी का आभार।

    डा0 श्याम गुप्ता जी, योग्य व्यक्ति कहाँ है? क्या आप अपने को योग्य समझते हैं?

    इस ब्लॉग का उद्देश्य है लोगों में विज्ञान के प्रति जागरूकता फैलाना। और इस काम के लिए एक आम ब्लॉगर भी उतना ही सक्षम है, जितने कि आपके तथाकथित योग्य व्यक्ति। उनकी योग्यता का बोझ आप संभाले रहें यही बहुत है।

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  22. इस पोस्ट के बहाने बहुत कुछ विचार हुआ यहाँ ! अंकित का आभार ! उनकी टिप्पणी ने प्रविष्टि को अर्थ दिया !

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  23. उत्साहवर्धन के लिए श्याम जी का तथा आप सभी का धन्यवाद

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  24. कांसेप्ट पूरी तरह समझ मे नही आया |काफी कनफ्युजन हो गया | क्या कोइ क्लीयर कर सकता है ,
    1-प्रष्ठ तनाव क्या पिन मे ही लगता है लोहे की छ्ड मे नही ( सब मे लगना चाहिये )
    2-आर्किमिदीज़ सिद्धान्त यहा क्यो काम नही कर रहा है ? ( यदि काम कर रहा है तो कैसे )
    3-पिन का लोहे की छ्ड मे रूपांतरण के किस बिन्दु तक प्रष्ठ तनाव परिणामी रूप से कार्य करेगा ?(critical force (mg)of pin /rod)
    4- मैग्नेटिक प्रॉपर्टी का क्या मामला है ?सिद्धान्त तो सही है यहा क्या यह प्रभावी भूमिका मे है ? पोस्ट और कमेंट से अभी भी मुझे सिद्धान्त स्पष्ट नही हुआ है

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  25. @ सत्येन्द्र जी,

    प्रष्ट तनाव प्रत्येक द्रव की उपरी सतह पर होता है जो की उसके अणुओं के आपस के ससंजक बल के कारण होता है तथा इसकी मात्र द्रव के तापमान तथा सांद्रता पर निर्भर करती है अतः प्रष्ट तनाव ना तो पिन पर लगता है और ना ही छड पर यह द्रव की सतह पर लगता है | क्योंकि छड कम क्षेत्रफल में ज्यादा (गुरुत्व) बल लगाती अतः वो प्रष्ट तनाव को भेद कर जल के अन्दर प्रवेश करने में सक्षम हो जाती तथा पिन तथा ब्लेड नहीं हो पाती हैं|

    आर्किमिदीज़ सिद्धान्त यहाँ काम कर ही नहीं सकता है क्यूंकि उस सिद्धान्त की परिभाषा का प्रराम्भा ही होता है
    "जब कोई ठोस किसी द्रव के आंशिक या पूर्ण रूप से डूबा होता है तो ...."
    जबकि इस प्रयोग में पिन या ब्लेड का कोई भी हिस्सा द्रव में डूबा नहीं होगा |

    जहाँ तक अन्त्य बिंदु की बात है तो यह तो ठोस की आकृति घनत्व तथा द्रव की प्रकति तथा तापमान पर निर्भर करेगा

    मेरी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार चुम्बकत्व का कोई भी सिद्धांत यहाँ कार्य नहीं करता है |

    अंत में मैंने कहा था इस घटना को 'पिन का पानी में तैरना' ना कह कर 'पिन का पानी के अन्दर प्रवेश करने में असफल रहना' कहा जाए तो यह ज्यादा उचित होगा ,तो यदि आप यह प्रयोग करते है तो आप देखेंगे की इसमें पिन का कोई भी हिस्सा द्रव के अन्दर नहीं डूबा होगा जबकि यदि लकड़ी के टुकड़े को पानी में डाल कर तैरने के बाद उसका कुछ अंश पानी में डूबा होगा (जिसमे आर्किमिदीज़ सिद्धान्त कार्य करेगा )

    और हाँ यदि आपको मेरी भाषा में हिंदी ज्यादा लग रही है तो क्षमा करें हमे विज्ञानं से ज्यादा प्यार हिंदी से है |

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  26. अन्कित ने सब भ्रम निवारण कर दिया है।

    क्या हम पहले कन्फ़्यूज़न व भ्रम उत्पन्न करने फ़िर उसे क्लीयर करने को पोस्ट छापते हैं और इसे विग्यान कहते हैं?
    ---आम ब्लोगर को आम भाषा ही रखनी चाहिये, सिद्धान्त नही.जब सन्गीता पुरी जी समझने को कहतीं हैं इसका अर्थ ही है जानकारी भ्रामक है।
    ----नीरज रोहिला व नन्ही लेखिका ही पर्याप्त योग्य हैं इसके लिये अन्य कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं है ।

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  27. अंकित जी धन्यवाद - सिद्धांत समझ मे आ गया है और आप से सहमत हू , हिन्दी की कोइ समस्या नही है मुझे हिन्दी का औसत ज्ञान है
    वैसे तो सब कुछ स्पष्ट है पर यदि इससे इतर किसी को कुछ कहना है तो स्वागत है .....

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  28. अंकित जी, आपने काफी अच्छी तरह इसे समझाया इसके लिए धन्यवाद. एक चीज़ जो मुझे लगी वह यह की ससंजक बल जिस मूलभूत बल का रूप है वह है विद्युतचुम्बकीय बल. इस तरह कार्तिकेय मिश्र जी का कथन भी पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता.

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  29. धन्यवाद

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  30. धन्यवाद ।

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  31. धन्यवाद ।

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  32. बहुत सुन्दर व सार्थक जानकारी देने के लिये आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद

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- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. 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Science Bloggers' Association: लोहे की पिन पानी में कैसे तैरेगी?
लोहे की पिन पानी में कैसे तैरेगी?
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