जैसा कि आप सब विदित ही हैं कि ' तस्लीम ', लखनऊ एवं राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद , नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान मे...
जैसा कि आप सब विदित ही हैं कि 'तस्लीम', लखनऊ एवं राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में लखनऊ में 5 दिवसीय 'ब्लॉग लेखन के द्वारा विज्ञान संचार' कार्यशाला का उद्घाटन 27 अगस्त 2010 को दोपहर 02 बजे बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के पूर्व कुलपति श्री महेन्द्र सोढ़ा जी के हाथों होना तय हुआ है।
इस कार्यशाला की आधार सामग्री के रूप में डा0 अरविंद मिश्र जी का पूर्व में विज्ञान प्रगति में प्रकाशित लेख सम्मिलित किया गया है। यह लेख आप सबकी सेवा में भी प्रस्तुत है:
विज्ञान संचार का नया नज़रिया - सांइस ब्लॉगिंग
डा0 अरविन्द मिश्र
अध्यक्ष: साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
साइंस ब्लॉगिंग यानि विज्ञान चिट्ठाकारिता-विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का एक नया जज्बा। एक नया अन्दाज विज्ञान की नई एवं मूलभूत जानकारियों को तुरत फुरत लोगों तक पहुँचाने, वैज्ञानिक सोच विकसित करने का ही एक नया नज़रिया है- साइंस ब्लॉगिंग, जिसने विज्ञान संचार के वैश्विक प्रयासों में मानों एक नई स्फूर्ति भर दी है। विज्ञान संचार का यह अभिनव प्रयास अन्तर्जाल (इंटरनेट) के जरिये सम्भव हुआ है। आइये विस्तार से जाने कि सांइस ब्लॉगिग क्या है और यह विज्ञान संचार के क्षेत्र में किन नई सम्भावनाओं को जन्म दे रही है।
अन्तर्जाल ने पिछले एक दशक से कम समय में विज्ञान के प्रसार के तरीकों में भी मानों एक क्रान्ति ला दी है। आज अन्तर्जाल पर कई शोध पत्रिकायें हैं जैसे Pubmed Central ()www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/) और Plosliology (www.plosliology.org/home.action) आदि। आज शायद ही कोई शोधार्थी अपने शोध विषयक सन्दर्भ स्रोतों के लिए दर-दर भटकता हो- सब कुछ सहज ही अब, इन्टरनेट पर उपलब्ध हो चला है। `आनलाईन लाइब्रेरियों´ से भी इन्टरनेट पर `लॉग-आन´ कर वांछित सन्दर्भों को `डाऊनलोड´ किया जा सकता है। बहुत से `सर्च इन्जन´ सद्य प्रकाशित शोध नतीजों को भी अब तुरत फुरत अन्तर्जाल पर ला देते हैं। गूगल एक ऐसा ही बहुप्रयुक्त `सर्च इन्जन´ है। कई लोकप्रिय विश्व विख्यात पत्रिकाओं के आज आनलाइन संस्करण अन्तर्जाल पर उपलब्ध हैं। कई वैज्ञानिक एवं शोधार्थी भी अपने शोध कामों को `आन लाइन´ रखने में रुचि ले रहे हैं। यह सब एक बड़े बदलाव का आगाज है।
अन्तर्जाल पर इस तरह विज्ञान से जुड़ी गतिविधियों में एक नये युग के सूत्रपात के साथ ही `सांइस ब्लाग´ भी अवतरित हो चले हैं। ...और हम विज्ञान संचार के एक नये अन्तर्जाल युग में प्रवेश पा चुके हैं। क्या हैं ये साइंस ब्लॉग या विज्ञान के चिट्ठे? हम यह जानते ही हैं कि अन्तर्जाल पर लिखी जाने वाली वैयक्तिक डायरियाँ ही ब्लॉग (हिन्दी नाम: चिट्ठा) कहलाती हैं। इन डायरियों के उत्तरोत्तर लेखन, सम्पादन, प्रकाशन का अधिकार खुद डायरी के लेखक के पास ही होता है। वह लिखी सामग्री/रचना को परम्परागत डायरियों की तरह गोपनीय, भी बनाये रख सकता है या फिर उसे प्रकाशित कर तुरत फुरत अन्तर्जाल के जरिये समूचे विश्व के समक्ष ला सकता है। विज्ञान के ब्लॉग ऐसे ब्लॉग हैं जो विविध विज्ञान विषयक सामग्री लिए होते हैं और जिन्हें अमूमन कोई वैज्ञानिक, विज्ञान शोधार्थी या विज्ञान पत्रकार/संचारक/लेखक लिखता है। दूसरे शब्दों में साइंस ब्लॉगिग (विज्ञान चिट्ठाकारिता) विज्ञान विषयक `ब्लॉगिंग´ है। यह वैज्ञानिकों को भी अपने शोध कार्यों को आम जनता तक सहज ही पहुँचाने और उसके औचित्य या अनौचित्य पर उनकी राय जानने का जरिया बनता जा रहा है। यह एक नया नजरिया है, आम लोगों तक विज्ञान को ले जाने और सम्बन्धित मुद्दो पर उनकी वैचारिक सहभागिता सुनिश्चित करने की। आखिर प्रयोगशालाओं की `बन्द दीवारों´ में हो रहें शोध कार्यों के जानने समझने का हक आम आदमी का भी तो है, क्योंकि एक करदाता के रुप में शोध कार्यों में उसकी भी वित्तीय भागीदारी जो है।
विज्ञान विषयक ब्लाग, विज्ञान के नवीन शोधों पर खुद शोधकर्ता का कथन, विज्ञान समाचार, मुद्दे सभी कुछ समेटे हो सकते हैं। यह आम आदमी तक विज्ञान की जानकारी पहुँचाने के लिए अथवा समान क्षेत्र में शोधरत शोधार्थियों से परस्पर विचार विनिमय के उद्देश्य को लिए हुए हो सकते हैं।
साइंस ब्लॉगिंग: आखिर क्यों?
अन्तर्जाल के वैश्विक विस्तार ने उन वैज्ञानिकों को भी अपने ज्ञान को सहज सरल तरीके से आम आदमी तक पहुँचाने को प्रोत्साहित किया है, जिनका विज्ञान के संचार से सामान्यत: कोई लेना-देना नहीं रहता था। कोई वैज्ञानिक जब खुद अपने शोध कार्य की जानकारी आम जन तक पहुँचाता है तो वह उसे सरल तरीके से और व्यापक परिपे्रक्ष्य में प्रस्तुत करने में समर्थ होता है और तब `बिचौलिये´ संचारकों की जरुरत ही नहीं रह जाती। साइंस ब्लॉग का एक तो सबसे बड़ा महत्व यही है, खासकर वे सांइस ब्लॉग जिन्हें विषयगत वैज्ञानिक खुद लिख रहे हैं। इसके अलावा विज्ञान चिट्ठों का बढ़ता महत्व कई अन्य कारणों से भी है। जैसे नवीनतम वैज्ञानिक जानकारी के प्रसार से आम जन की वैज्ञानिक जानकारी में बढ़ोत्तरी और मौजूदा ज्ञान के स्तर को निरन्तर अद्यतन करते रहना।
दुतरफा संवाद
ब्लाग चूँकि `दुतरफा संवाद´ का सशक्त माध्यम है अत: इसके जरिये ब्लॉगर (चिट्ठाकार) अपने पाठकों से विषयगत मामलों पर जीवन्त बहस/विवेचना आहूत कर सकता है। ऐसा ब्लॉग चिट्ठों के अन्त में दी गई `टिप्पणी´ की सुविधा के जरिये आसानी से किया जाता है। यहाँ ब्लॉग पाठक बतौर एक `निष्क्रिय पक्ष´ ही नहीं बना रहता बल्कि विज्ञान विषयक बहस, मुबाहिसों में तुरत सक्रिय भागीदारी करता है। यह सुविधा परम्परागत विज्ञान संचार के माध्यमों में उपेक्षित सी रही है।
श्रेष्ठ संचार माध्यम
वैज्ञानिक चिन्तन के यज्ञ में नई जानकारियों और नजरिये के हविदान के लिए विज्ञान ब्लॉग श्रेष्ठ संचार माध्यम बन चले हैं। ये अन्तर्जाल युग के विज्ञान यज्ञ में हविदानकर्ता ब्लागर की सदैव सजग उपस्थिति के द्योतक भी हैं। विज्ञान ब्लॉग समाज सेवा की दीगर गतिविधियों की ही तरह `विज्ञान सक्रियकों´ की एक नई जमात को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ये समाज में व्याप्त अन्धविश्वास, और जड़ता के खिलाफ एक पुरजोर अभियान के रुप में सामने आ रहे हैं। यह विज्ञान की सामाजिक सक्रियता (Pro-Science activism) की एक मिसाल हैं।
वैज्ञानिक चिन्तन के यज्ञ में नई जानकारियों और नजरिये के हविदान के लिए विज्ञान ब्लॉग श्रेष्ठ संचार माध्यम बन चले हैं। ये अन्तर्जाल युग के विज्ञान यज्ञ में हविदानकर्ता ब्लागर की सदैव सजग उपस्थिति के द्योतक भी हैं। विज्ञान ब्लॉग समाज सेवा की दीगर गतिविधियों की ही तरह `विज्ञान सक्रियकों´ की एक नई जमात को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ये समाज में व्याप्त अन्धविश्वास, और जड़ता के खिलाफ एक पुरजोर अभियान के रुप में सामने आ रहे हैं। यह विज्ञान की सामाजिक सक्रियता (Pro-Science activism) की एक मिसाल हैं।
विज्ञान चिट्ठाकारिता का दायरा बस अन्तर्जाल के आभासी संचार तक ही सीमित नहीं रह गया है। विज्ञान चिट्ठों से जुड़ी गतिविधियों की धमक अन्तर्जाल से बाहर भी पहुँच रही है जिसके परिणाम हैं, सांइस ब्लॉगिंग से जुड़े कई सेमिनार और परिचर्चायें जो `वास्तविक´ जगत में भी मूर्त रुप ले रही हैं। कैरोलीना, अमेरिका में अभी हाल ही में सम्पन्न ‘साइंस आन लाईन´ सम्मेलन (www.scienceonline09.com) एक ऐसी ही शुरुआत है, जिसमें विज्ञान चिट्ठाकारों और विज्ञान चिट्ठों के पाठकों के बीच विज्ञान चिट्ठाकारिता से जुड़े विविध पहलुओं पर चर्चा हुई है और पूरी कार्यवाही की भी तुरत फुरत `ब्लॉगिंग´ की जाती रही।
विज्ञान का अन्तर्राष्ट्रीयकरण
ऐसा लग रहा है कि साइंस ब्लॉगिंग `विज्ञान के अन्तर्राष्ट्रीयकरण´ का तेजी से मार्ग प्रशस्त कर रही है जो `विज्ञान के संचार´ के परम्परागत ढ़ाँचे में आमूल चूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान की आम समझ तो बढ़ेगी ही वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच की खाई भी पटती जायेगी। इसके चलते जहाँ कई स्थानिक मुद्दे वैश्विक ध्यानाकर्षण की परिधि में आ जायेंगे वहीं कई ग्लोबल मुद्दे स्थानीय परिप्रेक्ष्यों में प्रासंगिक हो सकेंगे। यह स्थानीय मुद्दों को वैश्विक नजरिये से हल करने के `ग्लोकल´ (ग्लोबल + लोकल=ग्लोकल) दृष्टिकोण का भी मार्ग प्रशस्त करेगा।
शिक्षण-प्रशिक्षण एवं रिपोर्ताज
इधर युनिवर्सिटी शिक्षकों द्वारा अपने ब्लॉग के जरिये छात्रों को नवीन जानकारियाँ देने का बीड़ा उठाया गया है। (www.michigandaily.com/content/editers-page- michigandailycom-changing/)
अन्तर्जाल के तेजी से हो रहे विस्तार और चौतरफा व्याप्ति ने ब्लॉग के जरिये मानव अभिव्यक्ति को नये आयाम दिये हैं। विज्ञान संचारकों के लिए तो ये एक अनूठी उपलब्धि हैं। साइंस ब्लॉगर अपने क्षेत्र के विज्ञान समाचारों की तत्क्षण प्रस्तुति (Instant reporting) कर सकते हैं। साथ ही वे ख्याति लब्ध विज्ञान शोध पत्रिकाओं जैसे `साइंस´ या `नेचर´ या अन्यत्र भी सद्य प्रकाशित शोध पत्रों के बारे में आसानी से समझ में आने वाली भाषा में अपने ब्लाग पर नियमित जानकारी दे सकते हैं। इस मायने में साइंस ब्लागर पारम्परिक विज्ञान संचारकों की तुलना में ज्यादा `अप टू डेट´ हैं।
खोजी विज्ञान पत्रकारिता
साइंस ब्लागर, खोजी विज्ञान पत्रकारिता में भी नये प्रतिमान स्थापित कर सकते हैं। यहाँ विज्ञान का महज एक-तरफा संचार नहीं है। यह विचार विनिमय का दुतरफा माध्यम होने से लोगों के वैज्ञानिक नजरिये के विकास में ज्यादा कारगर बनता जा रहा है। यद्यपि विज्ञान ब्लॉगर अभी भी समाज में पारम्परिक पत्रकार की सजग प्रहरी और सचेतक बने रहने वाली भूमिका में नहीं आ सके हैं किन्तु सामान्य प्रशिक्षण देकर इन्हें मीडिया के `जागरूक पहरूआ´ की भूमिका में भी लाया जा सकता है। विज्ञान संचार की बढ़ोत्तरी में वित्तीय निवेश करने वाली सरकारी/गैर सरकारी इकाईयाँ इस ओर ध्यान दे सकती हैं। चूँकि विज्ञान ब्लॉग लिखने वाले वैज्ञानिकों की संख्या विश्व में बढ़ रही है, अत: उन्हें पारम्परिक विज्ञान पत्रकारिता की कार्यशालाओं में दीक्षित कर उनमें एक पत्रकार जैसी `सोच´ भी विकसित की जा सकती है और खोजी विज्ञान पत्रकारिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। आज विज्ञान संचार के मुहिम को ब्लॉग के नये माध्यम से सम्पूरित और अभिवृद्ध किये जाने की फौरी जरूरत है।
सर्वसुलभता
दरअसल पाठकों/उपभोक्ताओं के लिए ब्लॉग पत्रकारिता की दुतरफा संवाद सुविधा पारम्परिक विज्ञान पत्रकारिता में सहज रुप से सम्भव नहीं रही है। जानकारियों को शीघ्रता से अद्यतन करते रहने और पाठकों के लिए हर वक्त, हर जगह (घर से कार्य स्थान तक कहीं भी) सहज ही ब्लॉग उपलब्ध हैं, यहाँ तक मोबाइल के जरिये भी।
विज्ञान संचार की एक नई छतरी
विज्ञान ब्लॉग लिखने वालों में पारम्परिक विज्ञान पत्रकार/संचारक, वैज्ञानिक विज्ञान के नीति निर्धारक, प्रशासक एवं सम्मानित जन प्रतिनिधि सभी हो सकते हैं। भारत में इस क्षेत्र में बहुत संभावनाये हैं। विज्ञान ब्लॉगिरी (या ब्लॉगरी) की छतरी में ये सभी घटक सहज ही समाहित हो सकते हैं। इसी तरह ब्लाग वैयक्तिक यानि एक व्यक्ति संचालित या साझा यानि कई लोगों द्वारा मिलकर संचालित हो सकते हैं। भारत में ऐसी एक शुरुआत ‘सांइस ब्लॉगर असोसियेशन’ नामक `साझा ब्लाग´ से हो चुकी है जो सम्भवत विश्व में विज्ञान ब्लागरों को एक मंच पर लाने का अभी तक का अनूठा एवं पहला प्रयास है। इसे अन्तर्जाल पर देखने के लिए यहाँ जा सकते हैं- http://sb.samwaad.com/ विज्ञान संचारकों का यह ब्लॉग किसी भी विज्ञान पत्रकार/संचारक को सदस्यता हेतु आमंत्रित करता है। यह द्विभाषी - (हिन्दी और अंग्रेजी में) हैं।
कैसे करें विज्ञान ब्लॉगरी?
यदि अभी तक आपने अपना कोई ई मेल खाता नहीं बनाया है तो किसी भी ई मेल प्रदाता (रेडिफ, याहू या गूगल जी-मेल) पर अपना खाता खोल लें। अब इनके सहारे और जी-मेल पर तो खासतौर पर ब्लॉग बनाना बेहद आसान है। आप गूगल के सर्च इन्जन पर `हाउ टू क्रियेट ए ब्लॉग´ के जरिये ब्लॉग बनाने की प्रक्रिया की सरल `स्टेपवाईज´ जानकारी लेकर मिनटों में अपना ब्लॉग बना सकते हैं। ब्लाग सुविधा के कुछेक प्रमुख नि:शुल्क प्रदाता हैं- ब्लॉगर (www.blogger.com), वर्ड प्रेस (wordpress.com) टाईप पैड (www.typepad.com)। बस अपने बनाये ब्लॉग पर विज्ञान संचार की मुहिम छेड़ दीजिए। एक अच्छा सा नाम रखना न भूलें ताकि विज्ञान प्रेमी और आम जन भी सहज ही आकर्षित हो जाय। ध्यान रहे, पहले से ही अन्तर्जाल पर उपलब्ध किसी विज्ञान ब्लाग के नाम की पुनरावृत्ति न हो। हिन्दी भाषी पाठकों के लिए विज्ञान ब्लॉगों के कुछ नाम यूँ हो सकते हैं- `विज्ञान प्रवाह´, `विज्ञान गंगा´, `ज्ञान विज्ञान´, ‘विज्ञान संगम´ या ये कुछ खास विषयों पर भी आधारित हो सकते हैं। ऐसे विषयाधारित ब्लॉग के अलग नाम भी हो सकते हैं- जैसे `स्टेम सेल´ अनुसन्धान से सम्बन्धित ब्लॉग का नाम `जादुई कोशिकायें´, या ट्रांस जेनेसिस पर, `पराजीनी फसल´ और `मानव जीनोम´ आदि नाम हो सकते हैं। हाँ, अपना ब्लॉग किसी हिन्दी ब्लॉग संकलक/संग्राहक (aggregator) में पंजीकृत करना भी न भूलें जो आपको ज्यादा से ज्यादा पाठक उपलब्ध कराते रहें। प्रमुख हिन्दी संग्राहक हैं-ब्लॉग वाणी और चिट्ठाजगत।
विज्ञान संचार का एक नया (ब्लागिरी) युग आरम्भ हो गया है। जहाँ एक पाठक ही नहीं एक ब्लागर की हैसियत से भी आपका सिक्का जम सकता है।
चिट्ठा पारिभाषिकी
वेब + लॉग = ब्लॉग (चिट्ठा)
ब्लॉगर: वह व्यक्ति जिसका अपना कोई एक ब्लाग हो और वह ब्लॉगिग (चिट्ठाकारी) करता हो।
ब्लॉगरोलिंग : एक ब्लॉग से दूसरे ब्लॉग और क्रमश: कई ब्लागों को देखते रहने की प्रक्रिया।
एग्रीगेटर (संकलक/संग्राहक): विषयानुरुप/या भाषागत ब्लागों की एक जगह संग्रहीत प्रस्तुति
आर0एस0एस0 (फीड): मनोवांछित ब्लॉग की नई प्रविष्टि को साझा करने की जुगत।
कुछ चुनिन्दा विज्ञान ब्लॉग:
• प्रकृति, विज्ञान एवं विकास से जुड़ा ब्लॉग- http://scienceblogs.com/pharyngula/
• इक्कीसवीं शताब्दी के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर एक वैज्ञानिक सलाहकार का ब्लॉग- http://2020science.org
• एक नभ भौतिकी विद द्वारा नियमित लिखा जाने वाला ब्लॉग- http://blogs.discovermagzine.com/badastronomy/
• विज्ञान समाचारों की अद्यतन प्रस्तुति के लिए सुप्रसिद्ध पत्रिका `नेचर´ का अपना ब्लॉग- http://blogs.nature.com/news/thegreatbeyond/
• ताजातरीहन विज्ञान के मुद्दों, साहित्य एवं विज्ञान के अन्तर्सम्बन्धों पर लिखा जाने वाला ब्लॉग- http://www.3quarksdaily.com
• ज्यादातर विज्ञान के ब्लॉगों की संहत जानकारी देने वाला `संग्राहक´ ब्लॉग- http://scienceblogs.com
क्या कर सकते हैं विज्ञान ब्लॉग - ´एक नज़र फिर से´
विज्ञान ब्लॉग हो सकते हैं-
• अन्धविश्वासों को दूर करने में सहायक, • विज्ञान समाचारों के `वाचडाग´, • छम् विज्ञान के विरोधी, • विज्ञान के इतिहास के प्रस्तुतकर्ता, • विज्ञान साहित्य और कला के संगम, • विज्ञान से जुड़ी घटनाओं के तत्क्षण/तात्कालिक रिपोर्टर, • अनेक साइंस ब्लागरों का प्लेटफार्म, • नयी विज्ञान की पुस्तकों की जानकारी/समीक्षा के प्रस्तोता, • विज्ञान के शिक्षक/प्रशिक्षक
• अन्धविश्वासों को दूर करने में सहायक, • विज्ञान समाचारों के `वाचडाग´, • छम् विज्ञान के विरोधी, • विज्ञान के इतिहास के प्रस्तुतकर्ता, • विज्ञान साहित्य और कला के संगम, • विज्ञान से जुड़ी घटनाओं के तत्क्षण/तात्कालिक रिपोर्टर, • अनेक साइंस ब्लागरों का प्लेटफार्म, • नयी विज्ञान की पुस्तकों की जानकारी/समीक्षा के प्रस्तोता, • विज्ञान के शिक्षक/प्रशिक्षक
विज्ञान को समर्पित हिन्दी के प्रमुख ब्लॉग:
तस्लीम- http://ts.samwaad.com,
तस्लीम- http://ts.samwaad.com,
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन- http://sb.samwaad.com,
सर्प संसार- http://ss.samwaad.com,
साईब्लॉग- http://indianscifiarvind.blogspot.com,
साइंस फिक्शन इन इंडिया- http://indiascifiarvind.blogspot.com,
उन्मुक्त- http://unmukt.blogspot.com,
सुजलाम- http://sujlam.blogspot.com,
क्लाईमेट वॉच- http://jalvayu.blogspot.com,
स्पंदन- http://drbejisdesk.blogspot.com,
खेती बाड़ी- http://khetibaari.blogspot.com,
जीवन ऊर्जा- http://jeevanurja.blogspot.com
आयुषवेद- http://aayushved.blogspot.com,
मीडिया डॉक्टर- http://drparveenchopra.blogspot.com
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आयोजन के सफलता की कामना करते हैं.
ReplyDeleteBadhiya hai.
ReplyDeleteAasha hai isse science bloging ka naya yug prarambh hoga.
ReplyDeleteAasha hai isse science bloging ka naya yug prarambh hoga.
ReplyDelete:)
ReplyDeleteसमारोह की सफलता के लिए शुभकामनाएँ
ReplyDeleteमेरी भी शुभकामनाएं
ReplyDeleteआयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएँ. अरविन्द जी का आलेख अच्छा लगा.
ReplyDeleteहमारी ओर से भी शुभकामनाऎँ!!!
ReplyDeleteचिट्ठाकारी, संवाद व लेखन के जरिए लोकजीवन में विज्ञान व वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आपलोगों द्वारा किया जा रहा प्रयास स्तुत्य है।
ReplyDeleteविज्ञान-चिट्ठों में इस किसान के ब्लॉग की गणना कर खेती-किसानी को सम्मान देने के लिए आभार।