प्रथम पंक्ति-बाएं से रवीन्द्र प्रभात, अल्पना वर्मा, मो0 शुएब, अरविंद मिश्र, रणधीर सिंह सुमन द्वितीय पंक्ति- अल्का मिश्रा, ज़ीशान हैदर ज़ैद...
प्रथम पंक्ति-बाएं से रवीन्द्र प्रभात, अल्पना वर्मा, मो0 शुएब, अरविंद मिश्र, रणधीर सिंह सुमन
द्वितीय पंक्ति- अल्का मिश्रा, ज़ीशान हैदर ज़ैदी, पुष्पेन्द्र कुमार, ज़ाकिर अली रजनीश
किसी भी कार्यक्रम की शोभा निश्चित रूप से उसके अतिथि ही होते हैं। यही कारण है कि साइंस ब्लॉगिंग वर्कशाप की जब योजना बनी थी, तभी से यह विचार मंथन भी चल रहा था कि इस कार्यशाला में किस-किस को बुलाया जाना चाहिए और कौन-कौन इसमें आना चाहेगा। जाहिर सी बात है कि यह सब कुछ उस सीमित बजट में होना था, जो हमें इस वर्कशॉप हेतु प्राप्त हुआ था। ऐसे में बुलाए जाने वाले विषय विशेषज्ञों की भी एक सीमा ही थी। जिन्हें एन सी एस टी सी वर्कशॉप में जाने का अनुभव है, उन्हें पता होगा कि उसमें वे ही विशेषज्ञ बुलाए जाते हैं, जो वहाँ से नामित होते हैं। ऐसे में हमें एक डर यह भी था कि कहीं ब्लॉग जगत के बाहर के लोग अगर विशेषज्ञ के रूप में नामित हो गये, तो फिर कार्यक्रम को संभालना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन कहते हैं कि जो काम आप सच्चे मन से करते हैं, मुश्किलों के बीच रास्ते में उसमें बनते चले जाते हैं। ऐसा ही इस कार्यशाला के साथ भी हुआ। जब कार्यशाला की तिथि और विषय विशेषज्ञों के नाम हमारे सुझाव के अनुसार तय हो गये, तो हमने सचमुच राहत की सांस ली। इस हेतु जो चार नाम निर्धारित हुए, वे थे- सर्वश्री डॉ0 अरविंद मिश्र, रवि रतलामी, बी0 एस0 पाबला और शैलेश भारतवासी।
चूँकि इस वर्कशाप की संकल्पना अरविंद जी की ही थी, इसलिए उनका रहना तो अपरिहार्य था। रतलामी जी ब्लॉग जगत के जाने-माने व्यक्ति हैं, तकनीक और ब्लॉगिंग के प्रति उनका समर्पण किसी से छिपा नहीं है, इसलिए दूसरा नाम उनका रखा गया। तीसरे नाम के लिए नि:संदेह शैलेश ही एकमात्र विकल्प थे, क्योंकि मैं कई वर्षों से उनके काम को देखता रहा हूँ। उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर ब्लॉगिंग की जितनी सेवा की है, उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है। चौथे नाम के लिए पाबला जी के साथ एक और नाम था, पर सहमति उनके नाम पर ही बनी। इसके पीछे ब्लॉगिंग के प्रति उनका समर्पण तो था ही, साथ ही विज्ञान से जुड़ी रोचक जानकारियों और शोध पर आधारित उनके ब्लॉग भी थे।
चूँकि इस वर्कशाप की संकल्पना अरविंद जी की ही थी, इसलिए उनका रहना तो अपरिहार्य था। रतलामी जी ब्लॉग जगत के जाने-माने व्यक्ति हैं, तकनीक और ब्लॉगिंग के प्रति उनका समर्पण किसी से छिपा नहीं है, इसलिए दूसरा नाम उनका रखा गया। तीसरे नाम के लिए नि:संदेह शैलेश ही एकमात्र विकल्प थे, क्योंकि मैं कई वर्षों से उनके काम को देखता रहा हूँ। उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर ब्लॉगिंग की जितनी सेवा की है, उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है। चौथे नाम के लिए पाबला जी के साथ एक और नाम था, पर सहमति उनके नाम पर ही बनी। इसके पीछे ब्लॉगिंग के प्रति उनका समर्पण तो था ही, साथ ही विज्ञान से जुड़ी रोचक जानकारियों और शोध पर आधारित उनके ब्लॉग भी थे।
अरविंद जी की योजना पाँचों दिन कार्यशाला में रहने की थी, पर अचानक एक सरकारी मीटिंग के कारण उन्हें 29 को ही वापस जाना पड़ा। पर इन तीन दिनों में उन्होंने कार्यशाला की तैयारियाँ इस तरह करवा दीं कि उसमें कोई कोर-कसर न रहे। शायक आप लोग जानते हों कि अरविंद जी नियम और कानून के पक्के आदमी हैं, वे न तो क्वालिटी से समझौता करते हैं और न ही अव्यवस्था से। इस वजह से मुझे कई बार झिड़कियाँ भी मिलीं, पर कार्यक्रम को सुचारू रूप से सम्पन्न कराने के पीछे अगर कोई व्यक्ति रहा, तो वे अरविंद जी ही हैं।
रतलामी जी से पूर्व में दो मुलाकातें हो चुकी थीं, एक तब जब मैं ब्लॉगिंग में नहीं आया था और एक इलाहाबाद में, इसलिए उनकी ओर से पूरी तरह आश्वस्त था। हालाँकि वे एक दिन के लिए ही समय निकाल पाए, पर जितने समय वे रहे, प्रतिभागियों के हर सवाल का जवाब हाजिर था।
एक ओर कार्यशाला के प्रबंधन की रीढ़ अरविंद जी बने, तो दूसरी ओर तकनीकी रीढ़ का काम शैलेश भाई ने किया। उनकी ऊर्जा, क्षमता और ज्ञान के स्तर से परिचित होने के कारण मैं तो पहले से ही आश्वस्त था, पर उनके कौशल को देखकर अरविंद जी भी गदगद हो गये। और हाँ, एन सी एस टी सी के निदेशक डा0 पटैरिया जी भी उनके तकनीकी कौशल को देखकर अभिभूत हो गए, तभी तो उन्होंने शैलेश भाई को दिल्ली में आकर मिलने का न्यौता दे डाला।
बाएँ से- रवि रतलामी, शैलेश भारतवासी, गिरिजेश राव एवं सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी |
कार्यशाला के चौथे विषय विशेषज्ञ के रूप में हम सब के चहेते पाबला जी थे। वे शुरू से ही इसे लेकर उत्साहित थे, इसीलिए जब एक दो बार बीच में फंड की कमी की बात आई, तो उन्होंने यहाँ तक कहा कि आप मेरे लिए ज्यादा चिंता मत करो, ऊपर वाले की मेहरबानी से मैं इतना कमाता हूँ कि इस यात्रा को अफोर्ड कर सकता हूँ। पर समय का फेर देखिए कि रिजर्वेशन कराने के बावजूद पाबला जी लखनऊ न आ सके। ट्राफिक के कारण उनकी ट्रेन छूट गयी और वे भिलाई में रहकर ही अपनी शुभकामनाएँ पहुँचाने के लिए मजबूर हो गये।
हम सबके मन में शुरू से ही एक योजना यह भी थी कि इस कार्यशाला में भले ही कितना कम बजट क्यों न हो, साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन से जुड़े हुए कुछ लेखकों को इसमें ज़रूर बुलाया जाए। इसलिए जिन लोगों को इस हेतु आमंत्रित किया गया, उनमें रंजू भाटिया, अल्पना वर्मा, मनोज बिजनौरी, दर्शन लाल बवेजा, पूनम मिश्रा के नाम प्रमुख थे। बाद में इसमें सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी का नाम भी जुड़ गया।
निमंत्रण भेजने के साथ ही दर्शन बवेजा जी ने आने की सहमति दे दी, पूनम जी बोलीं कि हमारा घर लखनऊ में ही है, इसलिए मैं जरूर कोशिश करूंगी। अल्पना वर्मा जी आना चाह रही थीं, पर दूरी बीच में बाधक थी। मनोज बिजनौरी ने कहा कि आफिस से इतने दिनों की छुटिटयाँ नहीं मिल रही हैं, फिरभी मैं एक दो दिन के लिए ज़रूर आउँगा। रंजू जी अपनी व्यस्तता और कुछ स्वास्थ्य के कारण पीछे हट गयीं। हाँ, सिद्धार्थ जी ने झट से हाँ कर दी और बोले, मैं तो जरूर पहुंचूँगा।
और देखिए अवसर या संयोग कुछ ऐसा बना कि जो दूरी के कारण सबसे पीछे हट रहा था, उसके आने के रास्ते खुदबखुद बनते चले गये। जी हाँ, मैं अल्पना वर्मा जी की ही बात कर रहा हूँ। शायद विज्ञान लेखन के प्रति उनका समर्पण और हमारे आग्रहों ने कुछ ऐसा रंग दिखाया कि दुबई से लखनऊ की दूरी को उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर पाट दिया। पर उनके आने का संयोग कुछ ऐसा बना कि उसी दिन एन सी एस टी सी के निदेशक डा0 पटैरिया जी भी आ विराजे, इसलिए अल्पना जी से न तो ज्यादा बातें कर पाए और न ही उनके अनुभवों का लाभ उठा पाए। फिरभी उनके छोटे से सम्बोधन में साइंस ब्लॉगिंग के प्रति उनका झुकाव साफ नजर आया।
अल्पना जी के अलावा सिर्फ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी ही आमंत्रित अतिथि के रूप में कार्यशाला में उपस्थित हो सके। वे सुदूर नागपुर से पधारे और न सिर्फ दो सत्रों की अध्यक्षता का भार अपने कंधो पर उठाया, वरन लाइव रिपोर्टिंग करके हमारे कार्य को भी काफी हद तक आसान कर दिया।
बाहर से आए अतिथियों के अतिरिक्त लखनऊ के जिन ब्लॉगर्स ने कार्यक्रम में पधार कर इसे सार्थकता प्रदान की, उनमें सर्वश्री/सुश्री ज़ीशान हैदर ज़ैदी, अमित ओम, गिरिजेश राव, रवीन्द्र प्रभात, रणधीर सिंह सुमन, मो0 शुऐब, अल्का मिश्रा शामिल हैं। आप सबके इस स्नेह और सहयोग के बल पर न सिर्फ यह कार्यक्रम भलीभांति सम्पन्न हो सका, वरन हमारा मान भी बढ़ा। हमारी आकाँक्षा है कि हमारे जीवन में आगे ऐसे अनेक मौके आएँ और हम इसी प्रकार फिर आप सबके स्वागत-सत्कार का सुअवसर पाएँ।
आप सबने इस आयोजन को उसकी परिणति तक ले जाने में जो सहयोग दिया, उसके लिए हार्दिक आभार। और हाँ, यदि इस आयोजन में दौरान जाने अनजाने में आयोजनकर्ताओं की ओर से कोई गल्ती/त्रुटि हो गई हो, तो उसके लिए मैं आपसे करबद्ध माफी चाहूँगा। मुझे आशा है कि आप अपने उदारमना व्यक्तिव का परिचय देते हुए मुझे माफ करेंगे।
अगर आपको 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ। |
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शुभाषीष।
ReplyDeleteशुभाषीष।
ReplyDeleteवर्कशाप अच्छी तरह से निपट गया ! और क्या चाहिये ! शुभकामनायें !
ReplyDeletebahut sundar.
ReplyDeleteamrit singh, arf
itne sare logon ka ek sath jama hona hi badi baat hai. iske liye aap sab badhayi ke paatra hain.
ReplyDeleteAlpana ji bloggers ke beech men aisi lag rahi hain, jaise sitaaron ke beech men chandrma.
ReplyDeleteन आ पाने का अफ़सोस रहा बहुत ..पर उसको रोज़ रिपोर्ट में पढ़ कर यही समझा लिया की मैं भी वही हूँ ..बहुत बढ़िया प्रयास रहा यह ..और सबसे सुखद आश्चर्य आज यह पढ़ कर और फोटो देख कर हुआ की अल्पना जी भी वहां पहुँच गयी ..रिपोर्टिंग ही बहुत बढ़िया रही ..वहां पर तो सब बढ़िया ही होगा ..इसी तरह के प्रयास रहे इसी शुभकामना के साथ ...
ReplyDeleteआपके सतत घोर परिश्रम का अच्छा परिणाम मिला ...चोटिल होने के बाद भी आप भी अपने दायित्वों पर डंटे रहे ...
ReplyDeleteअल्पना जी का सहसा पहुँच जाना तो बिलकुल स्वप्न सरीखा ही था ....उनकी विद्वता उनका सौम्य आकर्षक व्यक्तित्व सभी कुछ एक यादगार बन गया है ...अविस्मरनीय !
रंजना जी मैंने आपको लखनऊ पहुँच कर फोन भी किया था आपने पहली बार मेरा फोन अटेंड नहीं किया और मेरी व्यस्तता निरंतर बढ़ती गयी ....
बहरहाल इस आयोजन की सफलता पर कम से कम साईंस ब्लागर्स के सदस्यों का ही एक अंतर्जाल पर ही जश्न हो जाय ...
और संचालन शैलेश करे ..शैलेश आप मेरी बात सुन रहे हैं न ?
मैं आर्शिया को भी बहुत शुक्रिया कहना चाहता हूँ ,वे छाया सी आपके साथ लगी रहीं ...और मेरी माफी भी उनसे मांग लीजियेगा की मैं वहां उनकी हाल चाल नहीं ले पाया ...आप जानते हैं लक्ष्य मुझे और कुछ देखने नहीं देता
शुभकामनांए.
ReplyDeleteSab kuch badhiya raha!
ReplyDeleteबधाई ...
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बधाई ऐसे आयोजन जल्दी जल्दी और जगह जगह होने चाहिये तभी तो लोगों की रुचि बड़ेगी।
ReplyDeleteCongratulation for the success.
ReplyDeleteGreat efforts by you all.
Hard work always pay back.
Keep up the good work.
With warm wishes,
Dr.S.K.Sharma
पवित्र उद्देश्य के लिए सच्चे मन से किया गया कार्य सदैव लक्ष्य को प्राप्त करता है ! यह कार्यशाला हिंदी साईंस ब्लोगिंग को एक नया आयाम देने में सफल हुआ है, इसमें कोई संदेह नहीं है ! इस कार्यक्रम को सफलता के मुकाम पर ले जाने का श्रेय जिन दो चिट्ठाकारों को जाता है वे हैं डा. अरविन्द मिश्र और जाकिर अली रजनीश ...दोनों के कार्य वेहद प्रशंसनीय और श्रद्धेय है ! अल्पना जी, रवि रतलामी जी और सिद्धार्थ जी ने आकर इस कार्यक्रम को प्राण वायु देने का कार्य किया है और शैलेश जी का क्या कहना उन्होंने तो इस कार्यशाला को प्राणवान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है , सभी को कोटिश: बधाईयाँ और शुभकामनाएं ! मुझे गर्व है कि मैं भी इस महत्वपूर्ण क्षण का साक्षी बना ...पुन: बधाईयाँ !
ReplyDeleteरिपोर्ट पढ़ कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteरिपोर्ट पढ कर बहुत खुशी हुयी । इस सार्थक प्रयास के लिये बधाई और शुभकामनायें।
ReplyDeleteऐसे ऐसे महारथी जमा थे तो कार्यशाला तो सफ़ल होनी ही थी। कार्यशाला में क्या क्या बताया इन महारथियों ने वो भी अगर हमसे बांटा जाता तो हमारा भी ज्ञान बढ़ता। आशा है आप इस के बारे में भी कुछ लिखेगें। कार्यशाला की सफ़लता के लिए बधाई
ReplyDeleteअरविंद जी,
ReplyDeleteमैं सुन रहा हूँ और संचालन को तैयार हूँ। अल्पना जी यह आयोजित करें।
ज़ाकिर जी और अन्य साथियों का आभार जिन्होंने मेरा इतना उत्साहवर्धन किया। जिसकी बदौलत मैं प्रशिक्षुओं को कुछ बता पाया।
अरविंद जी, यह सब कुछ आप सबके सहयोग से ही सम्पन्न हो सका। इसलिए इसका जश्न तो होना ही चाहिए।
ReplyDeletenice...
ReplyDeleteA Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
Banned Area News : Dharmendra To Release Music Album Of IT Commissioner
badhayee.
ReplyDeleteउत्साह् वर्धक समाचार ! स्वयं को अवधी कहलाने के नाते सम्मिलित न हो पाने की टीस भी है ... अस्तु आप सब मित्रों को शुभकामनायें
ReplyDeletenamaste... meri hindi itni achchi nahin hain lekin koshish kartha hoon :-)
ReplyDeleteaapki ek help chahiye thi... mein indiblogger me ek contest me
bhaag le raha hoon aur aapki vote ki bohut zaroorat hain..
krupya post padkar zaroor vote karein...
http://www.indiblogger.in/indipost.php?post=30610
bahut bahut dhanyavaad... bahut mehebaani hogi...
बहुत अच्छी प्रस्तुति .आभार
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