क्या यूनिवर्स से पहले यूनिवर्स की भाषा बनी?

  विज्ञान की अजीब Theories जब भाषा की बात होती है तो हमारे ज़हन में हिन्दी, अंग्रेज़ी इत्यादि का ख्याल उभरता है जिनके ज़रिये मानव अपन...

 
जब भाषा की बात होती है तो हमारे ज़हन में हिन्दी, अंग्रेज़ी इत्यादि का ख्याल उभरता है जिनके ज़रिये मानव अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है या दूसरों के विचारों का समझता है। फिर हम ये देखते हैं कि भाषा में कुछ अक्षर होते हैं और उनके मिलने से शब्द बनते हैं, हर शब्द का कोई न कोई मतलब होता है। कभी कभी एक से ज्यादा भी मतलब होते हैं। फिर शब्दों को आपस में मिलाकर वाक्य बनते हैं और इन वाक्यों को मिलाने की एक व्याकरण होती है। और ये सब अलग अलग भाषा में अलग अलग होता है। जो चीज़ हर भाषा में एक जैसी होती है, वह है अक्षरों के निकलने की आवाज़। मिसाल के तौर पर अंग्रेज़ी के बी, हिन्दी के ब और उर्दू के बे की एक ही आवाज़ होती है। अगर भाषा न हो तो हम एक दूसरे का मतलब न तो समझ सकते हैं और न ही अपना मतलब बयान कर सकते हैं। भाषा की ज़रूरत हर एक को होती है। जो लोग गूंगे या बहरे होते हैं वो इशारों की भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

ये तो हुई इंसानों की बात। लेकिन ये देखा गया है कि भाषा न सिर्फ इंसान की ज़रूरत है बल्कि प्रकृति में मौजूद हर शय की ज़रूरत है। इंसान के अलावा दूसरे प्राणी अपनी जाति के दूसरे प्राणियों के साथ किसी भाषा में अपना मतलब एक दूसरे तक पहुंचाते हैं। मिसाल के तौर पर चींटियां फेरोमोन नामक केमिकल के ज़रिये अपनी बात दूसरी चींटियों तक पहुंचाती हैं। इसी तरह शहद की मक्खियां अपने उड़ने के खास तरीकों के ज़रिये अपना भाषाई कोड बनाती हैं जिसे दूसरी शहद की मक्खियां समझ जाती हैं। मछलियों में कुछ ऐसी जातियां होती हैं जो पैदा कहीं और होती हैं लेकिन उसके बाद अपने पूर्वजों का सन्देश पढ़कर वहां पहुच जाती हैं जहां उनके पूर्वज होते हैं। 

बात यहीं पर खत्म नहीं होती बल्कि जानदारों के जिस्म में मौजूद कोशिकाओं की भी अपनी भाषा होती है। जैसा कि हम जानते हैं किसी भी जानदार का जिस्म निहायत बारीक कोशिकाओं या सेल्स से मिलकर बना होता है। जिस्म का हर सेल अपने आप में एक पूरी फैक्ट्री का काम करता है। यानि उसके अंदर एक पावर प्लांट होता है, जो एनर्जी तैयार करता है। इस एनर्जी का इस्तेमाल करते हुए सेल खास क्वांटिटी में अमीनो एसिड, प्रोटीन और दूसरी चीज़ें लगातार तैयार करता रहता है जो उस जानदार शय के लिये ज़रूरी हैं। ये सेल खुद अपने जैसे सेल्स को लगातार पैदा करते रहते हैं। सेल्स के ज़रिये तैयार इन चीज़ों की क्वांटिटी हमेशा नपी तुली होती है। न उससे कम, न उससे ज्य़ादा। बस इतनी क्वांटिटी, जितने की जिस्म को ज़रूरत है। अगर सेल्स इनमें से किसी भी चीज़ को कम या ज्य़ादा क्वांटिटी में बनाने लगें, या खुद अपने जैसे सेल्स को कम या ज्य़ादा बनाने लगें, तो जिस्म में तरह तरह की बीमारियाँ पैदा होने लगती हैं और कैंसर जैसे मर्ज़ उसका ख़ात्मा कर देते हैं। 

इस तरह किसी जानदार का जिस्म तभी तक वजूद में रहता है जब तक उसके अन्दर मौजूद सेल्स कुछ कानूनों के तहत लगातार और खास क्वांटिटी में ज़रूरी चीज़ों का प्रोडक्शन करते रहें। ये उसूल और कानून सेल को उसके अन्दर मौजूद डी.एन.ए. से मिलते हैं। डी.एन.ए सेल का कुदरती कम्प्यूटर है। इसमें फीड प्रोग्राम के अनुसार सेल अपना काम करता रहता है। ये प्रोग्राम सेल में मौजूद अलग अलग कम्पोनेन्ट्‌स का मिजाज और सूरत समझते हुए उन्हें काम बांटता है और उन्हें कण्ट्रोल करता है। ज़ाहिर है ये प्रोग्राम अपनी एक अलग ही भाषा इस्तेमाल करता है जो डी.एन.ए की भाषा होती है और इसे आज के वैज्ञानिक कुछ हद तक समझ पाये हैं।

थोड़ा और ज्यादा माइक्रोयूनिवर्स में जाया जाये तो अणुओं का आपस में जुड़ना कुछ नियम और कानूनों के तहत होता है जिससे कभी ठोस कभी द्रव तो कभी गैस मिलती है। ये अणु भी एटम्स के आपस में जुड़ने से बनते हैं। जिनके अलग नियम और कानून होते हैं। इन नियमों और कानूनों की भी भाषा होती है। जिनमें वान्डर वाल फोर्स, इलेक्ट्रोवैलेन्ट, कोवैलेन्ट बांड्‌स, कूलॉम का नियम वगैरा शामिल हैं। किसी एटम में इलेक्ट्रानों का अपनी कक्षा में आना बोर के नियमों के अनुसार होता है वहीं एटम और उसके न्यूक्लियस में क्वांटम मैकेनिक्स की भाषा व्यवहार में होती है। इन भाषाओं में गणित पूरी तरह दखल रखती है जिसे देखकर यूक्लिड ने कहा था कि कुदरत के कानून वास्तव में ईश्वर के गणितीय विचार हैं। गैलीलियो ने कहा था कि पूरा यूनिवर्स गणित की भाषा में रचा गया है। बीसवीं सदी के भौतिकविद पॉल डिराक ने कहा कि अगर खुदा है तो यकीनन वह महानतम गणितज्ञ है।  इस तरह हम कह सकते हैं कि पूरे यूनिवर्स की एक भाषा है जो कि मैथेमैटिक्स है। और जिसे साइंटिस्ट भौतिकी के नियम (Laws of Physics) कहते हैं।      

बात की जाये अगर यूनिवर्स के क्रियेशन की तो इस बारे में साइंस कई थ्योरीज़ पेश करती है। जिनमें सबसे भरोसेमन्द बिग बैंग थ्योरी मानी जाती है। इसके अनुसार यूनिवर्स एक महाधमाके (बिग बैंग) से पैदा हुआ और उस वक्त से मौजूदा जमाने तक यह लगातार फैल रहा है। यह धमाका कितने वक्त पहले हुआ इस बारे में वैज्ञानिकों में अलग अलग राय है। कुछ के अनुसार यूनिवर्स की कुल उम्र 14 बिलियन वर्ष है तो कुछ के अनुसार 20 बिलियन वर्ष। शुरूआती यूनिवर्स बहुत ही सघन (Dense) और छोटे गोले के रूप में था। और अत्यन्त गर्म था। फिर एक महाधमाके (बिग बैंग) के साथ टाइम और स्पेस का जन्म हुआ। उस समय से आज तक यह लगातार फैल रहा है। बिग बैंग के वक्त से ही भौतिकी के नियमों ने अपना काम करना शुरू किया। लेकिन उससे पहले ये नियम यानि यूनिवर्स की भाषा थी या नहीं, इस बारे में हमें कुछ नहीं मालूम। लेकिन जो अंदाज़ा लगाया जा रहा है, वह यही कि ये नियम यूनिवर्स क्रियेशन से पहले मौजूद थे। और तार्किक रूप से यही सही भी है क्योंकि अगर बिग बैंग हुआ और उसके नतीजे में यूनिवर्स फैला तो यह तभी संभव है जब इसके पीछे भौतिकी के कुछ नियम कार्य करें। 

बहुत से प्राचीन ग्रन्थों में भी यह मान्यता पायी जाती है कि सृष्टि निर्माण से पहले भाषा की उत्पत्ति हुई। कुछ हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार सृष्टि निर्माण में सबसे पहले शब्द की उत्पत्ति हुई और यह शब्द था ओम! तत्पश्चात मूल प्रकृति बनी, फिर आत्माएं और फिर तत्व बने। यानि यहां पर पहले भाषा के बनने की बात की जा रही है क्योंकि शब्द भाषा का ही हिस्सा होता है।  

इसी तरह लगभग आठवीं शताब्दी में लिखी पुस्तक उसूले काफी में इमाम जाफर अल सादिक अलैहिस्सलाम कि ये हदीस दर्ज है ‘कि खुदा ने एक इस्म यानि नाम को हुरूफ (अक्षरों) से पैदा किया लेकिन उन हुरूफ की आवाज़ न थी और लफ्ज़ बोला न जाता था और वजूद बगैर जिस्म था और किसी तस्बीह से मौसूफ न था न किसी रंग में रंगा हुआ। एतराफ की उससे नफी थी हुदूद उससे दूर थे हर हिस से छुपा हुआ था।’
मतलब ये कि यूनिवर्स से पहले एक नाम पैदा हुआ जिसके लिये ऐसे हुरूफ इस्तेमाल हुए जिनमें आवाज़ न थी। हम जो भी भाषा बोलते हैं, उनके अक्षरों में (अ ब स....) कोई न कोई आवाज़ होती है। लेकिन फिजिक्स के नियम जो कि खुद अपने में एक भाषा बनाते हैं, उनमें कोई आवाज़ नहीं होती। मतलब कि इस हदीस में यूनिवर्स के फिजिकल लॉज़ की बात की जा रही है, जो यूनिवर्स से पहले निर्मित हो चुके थे। उस वक्त न तो डाईमेंशन (एतराफ) थे न ही कोई हद यानि आकार था। उसके बाद ही यूनिवर्स की पैदाइश हुई।

बहरहाल यूनिवर्स के निर्माण से पहले उसकी भाषा अस्तित्व में आ चुकी थी। और यही भाषा जैसे जैसे इंसान सीख रहा है वैसे वैसे उसके सामने कुदरत के राज़ दरियाफ्त हो रहे हैं।
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COMMENTS

BLOGGER: 11
  1. अच्छी जानकारी से भरा लेख , आभार



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  2. यकीनन पहले भाषा बनी फिर यह सृष्टि का चक्र चला लाखों लाखों नाम जो हम सुनते हैं वस्तुओं के अनादिकाल से चले आ रहे हैं.... वेदों का अस्तित्त्व कब से है कोई नहीं जानता, रोचक जानकारी के लिये आभार !

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  3. सृष्टि से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
    अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
    छिपा था क्या कहाँ, किसने देखा था
    उस पल तो अगम, अटल जल भी कहाँ था
    ऋग्वेद(१०:१२९) से सृष्टि सृजन की यह श्रुती

    ब्रम्हांड से पहले ब्रम्हांड की भाषा ? इसे समय से जोड़कर देखे ! क्या ब्रम्हांड की उत्पत्ती से पहले समय था ? समय तो ब्रम्हांड की उत्पत्ती के साथ ही प्रारम्भ हुआ होगा. जब ब्रम्हांड ही नहीं तो उसको नियंत्रण करने के नियमो के होने ना होने का कोई अर्थ है?
    शिशु के जन्म के पश्चात ही पिता का जन्म होता है, उसके पहले वह एक पति हो सकता है, पिता नहीं !

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  4. बहुत रोचक सुग्राह्य और जानकारी भरा लेख

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  5. अच्छी जानकारी से भरा लेख , आभार

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  6. @आशीष जी,
    आपने कहा, जब ब्रम्हांड ही नहीं तो उसको नियंत्रण करने के नियमो के होने ना होने का कोई अर्थ है?
    ब्रह्माण्ड अगर नहीं है तब भी उसे नियंत्रित करने वाले नियम हो सकते हैं. जब हाइड्रालिक मशीन नहीं बनी थी तब भी पास्कल का नियम अस्तित्व में था.
    आपने कहा, "शिशु के जन्म के पश्चात ही पिता का जन्म होता है, उसके पहले वह एक पति हो सकता है, पिता नहीं"
    दरअसल शिशु के जन्म से पहले वह अस्तित्व होता है जिसे पिता कहलाना है. हालांकि उस समय उसे पिता नाम नहीं मिलता किन्तु वह अस्तित्व तो मौजूद होता ही है.

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  7. जीशान जी,
    चलिये इन तीन स्थितियों पर गौर करते है।
    १.ब्रह्मांड के जन्म के पहले कि स्थिति(समय 0 सेकंड से पहले) एक अनिश्चित स्थिति क्योंकि समय का अस्तित्व नही है- Indeterministic Form)
    २.महाविस्फोट(Big Bang) का समय (समय - 0 सेकंड पर) - इस स्थिति मे भौतिक विज्ञान के नियम कार्य नही करते है, एक अनिश्चित स्थिति (Indeterministic Form). समय शुन्य है, उर्जा असीमित है, द्रव्यमान असीमित है।
    ३.महाविस्फोट (Big Bang))के पश्चात (समय 0 सेकंड से ज्यादा)- भौतिक विज्ञान के नियम कार्य करना प्रारंभ करते है।

    अर्थात उत्पत्ती से पहले सब कुछ अनिश्चित है।

    क्वांटम भौतिकी के अनुसार तो महाविस्फोट के बाद अनेक ब्रह्मांडो की संभावना बनती है जिसमे से हमारा ब्रह्मांड तो केवल एक संभावना है, जिसके अपने नियम है। अन्य समांतर ब्रह्मांडो के नियम अलग भी तो हो सकते है। अर्थात वही नियमों का जन्म ब्रह्मांड के जन्म के बाद ही होगा !

    मै जानता हूं कि आप डार्वीन के क्रमिक विकास को नही मानते है, आप Intelligent Design को मानते है। इस लिये आप निर्माण से पहले नियम की अवधारणा का समर्थन कर रहे है।
    कोई बात नही हम दोनो एक दूसरे से असहमत होने के लिये सहमत हो जाते है। :-)

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  8. कि‍सी भी भाषा से एक प्रश्‍न पूछा जा सकता है क्‍या वह मानवीय व्‍यक्‍ि‍तत्‍व को पूरी तरह अभि‍व्‍यक्‍त करन में सक्षम है ? क्‍योंकि‍ बहुधा ऐसा नहीं होता।

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  9. अति सुन्दर !

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  10. आशीष और जीशान की तारकिक नोक झोक विचारोत्तेजक है -आशीष ने भी खूब पकड़ा है जीशान जी के इंटेलिजेंस डिजाईन के प्रति झुकाव को ..मैं तो भैया इस जीवन को डार्विन के नाम गिरवी रख चुका हूँ .....बाकी राम ही जाने .. :)

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  11. ये सच है की मैं इंटेलिजेंट डिजाइन की ही थ्योरी का हामी हूँ. और इसपर मैंने एक श्रृंखला यहाँ लिखी थी.

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- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. 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Science Bloggers' Association: क्या यूनिवर्स से पहले यूनिवर्स की भाषा बनी?
क्या यूनिवर्स से पहले यूनिवर्स की भाषा बनी?
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