चने के अनोखे गुण और औषधीय लाभ।
चना मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई उपमहाद्वीप (southeast asia subcontinent) और ट्रॉपिकल अफ्रीका (tropical africa) में पैदा होता है। प्राचीन काल में यह घोड़ों के मुख्य आहार के रूप में जाना जाता था, क्योंकि इसे खाने से तत्काल ऊर्जा प्राप्त होती है। इसीलिए अनेक जगहों पर यह कहावत प्रचलित है कि हॉर्स पॉवर (horsepower) की ताकत चाहिए, तो चने का प्रयोग करें।
चने में प्रोटीन (protein), कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate), आयरन (iron), कैल्शियम (calcium) और विटामिन्स (vitamins) पाये जाते हैं। यह अन्य दालों के मुकाबले सस्ता और ज्यादा पौष्टिक होता है। चना शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देने के साथ ही साथ दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। इसे विभिन्न पकवानों के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
स्वास्थ्य के नज़रिये से अंकुरित चना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसके लिए काला चना उपयोग में लाना चाहिए। अंकुरित चनों में विटामिन्स और क्लोरोफिल (chlorophyll) के साथ-साथ फास्फोरस (phosphorus) और मिनरल्स (minerals) भी पाये जाते हैं। इसके लिए सबसे बेहतर तरीका यही है कि चनों को धो कर रात भर के लिए पानी में भिगोकर दें और सुबह उठकर निहार मुंह भीगे हुए चने खाएं। चनों के पानी कई रोगों को ठीक करने की ताकत रखता है, इसलिए उसे फेंकना नहीं चाहिए। उसे भी चना खाने के बाद पी लेना चाहिए।
भीगे हुए चनों की तुलना में अंकुरित चने और अधिक फायदेमंद होते हैं। चनों को अंकुरित करने के लिए पहले चनों को रात भर भिगो दें। फिर उनका पानी निकाल कर गीले कपड़े से ढ़क कर किसी गर्म स्थान पर रख दें। बीच-बीच में कपड़े पर पानी के छींटे मारते रहें। इससे 18-20 घंटे में चने अंकुरित हो जाते हैं। बच्चों के लिए अंकुरित चने ज्यादा फायदेमंद होते हैं। लेकिन अगर बच्चे अंकुरित चने खाने में ना-नुकुर करें, तो उनमें नींबू, कसी हुई अदरक, जरा सा काली मिर्च पाउडर और नमक डालकर नाश्ते में दें। इसे वे शौक से खायेंगे और पूरे दिन तरोताज़ा रहेंगे।
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गर्मी के मौसम में चने का सत्तू बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और लू से भी बचाता है। सत्तू को अगर नींबू और नमक के साथ घोल बनाकर पिया जाये, तो वह अधिक लाभप्रद है। लेकिन अगर नमकीन सत्तू आपको पसंद नहीं आता, तो आम चीनी अथवा गुड़ के शर्बत में घोल कर इसका मीठा सत्तू भी पी सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार काला चना शरीर के भीतर की गंदगी को साफ करने का काम करता है, जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की संभावनाएं कम होती हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह विशेष रूप से लाभप्रद है। उन्हें अंकुरित चनों के साथ-साथ भुने हुए चनों और चने के छिलके सहित आटे से बनी रोटियों का सेवन भी नियमित रूप से करना चाहिए। भुने हुए चने भी छिलके सहित खाना चाहिए, क्योंकि चने के छिलके में भरपूर फाइबर होता है। यह आंतों की सफाई और कब्ज को दर करने में बहुत लाभकारी होता है।
भुने हुए चनों के सेवन से मूत्र रोगों में भी लाभ होता है। खासकर बार-बार पेशाब आने की दिक्कत इससे दूर हो जाती है। इसके लिए सबसे बेहतर तरीका यह है कि भुने हुए चनों को गुड़ के साथ खाया जाये।
पुरूषों में पौरूष को बढ़ाने में भी चना किसी वरदान से कम नहीं है। इसके लिए भीगे हुए चनों के पानी को शहद के साथ मिलाकर पीना चाहिए। साथ ही रोज दो मुट्ठी अंकुरित चने चबा-चबा कर खाने से भी इसमें काफी लाभ मिलता है। चने का पानी शहद के साथ पीने से पथरी और पीलिया में भी काफी लाभ होता है। रात में सोते समय भुने हुए चने खाने के बाद दूध पीने से कफ और श्वांस रोगों में भी आराम मिलता है।
चना सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं सौंदर्य को भी निखारने में मददगार होता है। इसके लिए चने के आटे में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर फेस पैक के रूप में लगाना चाहिए। इससे चेहरे की रंगत निखरती है और त्वचा मुलायम होती है। साथ ही प्रतिदिन अंकुरित चना और सप्ताह में एक दिन गुड़ के साथ भुने चने खाने से भी सुंदरता में काफी निखार आता है।
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चने में प्रोटीन (protein), कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate), आयरन (iron), कैल्शियम (calcium) और विटामिन्स (vitamins) पाये जाते हैं। यह अन्य दालों के मुकाबले सस्ता और ज्यादा पौष्टिक होता है। चना शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देने के साथ ही साथ दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। इसे विभिन्न पकवानों के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
स्वास्थ्य के नज़रिये से अंकुरित चना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसके लिए काला चना उपयोग में लाना चाहिए। अंकुरित चनों में विटामिन्स और क्लोरोफिल (chlorophyll) के साथ-साथ फास्फोरस (phosphorus) और मिनरल्स (minerals) भी पाये जाते हैं। इसके लिए सबसे बेहतर तरीका यही है कि चनों को धो कर रात भर के लिए पानी में भिगोकर दें और सुबह उठकर निहार मुंह भीगे हुए चने खाएं। चनों के पानी कई रोगों को ठीक करने की ताकत रखता है, इसलिए उसे फेंकना नहीं चाहिए। उसे भी चना खाने के बाद पी लेना चाहिए।
भीगे हुए चनों की तुलना में अंकुरित चने और अधिक फायदेमंद होते हैं। चनों को अंकुरित करने के लिए पहले चनों को रात भर भिगो दें। फिर उनका पानी निकाल कर गीले कपड़े से ढ़क कर किसी गर्म स्थान पर रख दें। बीच-बीच में कपड़े पर पानी के छींटे मारते रहें। इससे 18-20 घंटे में चने अंकुरित हो जाते हैं। बच्चों के लिए अंकुरित चने ज्यादा फायदेमंद होते हैं। लेकिन अगर बच्चे अंकुरित चने खाने में ना-नुकुर करें, तो उनमें नींबू, कसी हुई अदरक, जरा सा काली मिर्च पाउडर और नमक डालकर नाश्ते में दें। इसे वे शौक से खायेंगे और पूरे दिन तरोताज़ा रहेंगे।
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आयुर्वेद के अनुसार काला चना शरीर के भीतर की गंदगी को साफ करने का काम करता है, जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की संभावनाएं कम होती हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह विशेष रूप से लाभप्रद है। उन्हें अंकुरित चनों के साथ-साथ भुने हुए चनों और चने के छिलके सहित आटे से बनी रोटियों का सेवन भी नियमित रूप से करना चाहिए। भुने हुए चने भी छिलके सहित खाना चाहिए, क्योंकि चने के छिलके में भरपूर फाइबर होता है। यह आंतों की सफाई और कब्ज को दर करने में बहुत लाभकारी होता है।
भुने हुए चनों के सेवन से मूत्र रोगों में भी लाभ होता है। खासकर बार-बार पेशाब आने की दिक्कत इससे दूर हो जाती है। इसके लिए सबसे बेहतर तरीका यह है कि भुने हुए चनों को गुड़ के साथ खाया जाये।
पुरूषों में पौरूष को बढ़ाने में भी चना किसी वरदान से कम नहीं है। इसके लिए भीगे हुए चनों के पानी को शहद के साथ मिलाकर पीना चाहिए। साथ ही रोज दो मुट्ठी अंकुरित चने चबा-चबा कर खाने से भी इसमें काफी लाभ मिलता है। चने का पानी शहद के साथ पीने से पथरी और पीलिया में भी काफी लाभ होता है। रात में सोते समय भुने हुए चने खाने के बाद दूध पीने से कफ और श्वांस रोगों में भी आराम मिलता है।
चना सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं सौंदर्य को भी निखारने में मददगार होता है। इसके लिए चने के आटे में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर फेस पैक के रूप में लगाना चाहिए। इससे चेहरे की रंगत निखरती है और त्वचा मुलायम होती है। साथ ही प्रतिदिन अंकुरित चना और सप्ताह में एक दिन गुड़ के साथ भुने चने खाने से भी सुंदरता में काफी निखार आता है।
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