सॉफ़्ट ड्रिंक्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, सोडा ड्रिंक्स के जानलेवा खतरे।
शीतल पेय पदार्थ अथवा सॉफ़्ट ड्रिंक (soft drink) से मुराद यह है कि वह ड्रिंक जिसमे अल्कोहल (alcohol) नहीं होता है. अल्कोहल न होने कि वजह से ही इसे सॉफ़्ट ड्रिंक कहा जाता है लेकिन अगर आप सॉफ़्ट ड्रिंक्स में पाए जाने वाले तत्वों पर ग़ौर करेंगे तो आपको ऐसा कुछ भी नहीं मिलेगा जो आपकी सेहत के लिए 'सॉफ़्ट' हो सिवाय हार्ड के. आपकी सेहत के लिए हार्ड ही नहीं ख़तरनाक भी है.
शीतल पेय अथवा सॉफ़्ट ड्रिंक ज़्यादातर शहर और मैट्रो शहरों में ज़्यादा लोकप्रिय है. सॉफ़्ट ड्रिंक की सबसे ज़्यादा खपत शहरों में ही होती है. आधुनिक रहन-सहन में इसका दख़ल अब उस हद तक हो गया है जैसे पहले के ज़माने में शरबत (देखें- गर्मी के टॉप 10 शरबत) का था. लेकिन शरबत से इसकी तुलना हो ही नहीं सकती क्यूंकि एक तरफ़ शरबत जहाँ इंसान की प्यास बुझाता था और बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुँचाता था वही सॉफ़्ट ड्रिंक के पीने के बाद भी आत्मा तृप्त नहीं हो पाती है, और सेहत को भी ख़सारे (नुकसान) का सामना करना पड़ता है.
युवा वर्ग सॉफ़्ट ड्रिंक्स के हमले का सबसे आसान टार्गेट है और वे ज़्यादातर इसे पानी जगह इस्तेमाल करते हैं. यहीं नहीं सॉफ़्ट ड्रिंक्स की कंपनियों के प्रचार भी इन्ही युवा वर्ग को ध्यान में रख कर किये जाते हैं जिससे कि वे आसानी से सॉफ़्ट ड्रिंक्स का इस्तेमाल करने लगे. अगर आप सॉफ़्ट ड्रिंक्स/कार्बोनेटेड ड्रिंक्स रोज़ाना इस्तेमाल करते है तो प्लीज़ रुकिए और ज़रा इस लेख को पढ़िए और समझिये कि यह कितना नुकसानदायक है आपकी सेहत के लिए; और यह जानिये कि इसमें कौन कौन से ख़तरनाक एलिमेंट्स सम्मिलित हैं:
चीनी (Sugar):
सॉफ़्ट ड्रिंक्स में भरपूर मात्रा में चीनी का समावेश होता है, 325 मिली. कैन में लगभग 15 चाय के चम्मच के बराबर चीनी मिली हुई होती है. अब आप अंदाज़ा लगा लीजिये सिर्फ़ एक कैन ही आपको कितनी शुगर आपको प्रदान कर देता है और कितनी आपको ज़रूरत होती है! हम सबको मालूम है कि मीठा हमारे दांतों को ख़ा जाता है. डाईबिटीज़, ह्रदय रोग, पेट रोग और स्किन प्रॉब्लम होने में यह चीनी भी कम रोल अदा नहीं करती है. चीनी रक्त में जब मिलती है तो रक्त प्रवाह में तेज़ी लाने में दुष-सहायक होती है.
कृत्रिम मिठास:
सॉफ़्ट ड्रिंक्स के प्रच्छन्न रूप जैसे 'डाईट-सोडा' (diet soda) अथवा 'टॉनिक-वाटर' (tonic water) में कृत्रिम मिठास देने वाले कैलोरी-रिड्यूसड तत्व मिलाये जाते है जो सेहत के साथ विभीषण सा कार्य करते हैं जैसे- अस्पार्टेम (aspartame), अससुल्फेम-K (acesulfame-K), सिक्रीन (saccharin) अथवा सुक्रलोज़ (sucralose).
अस्पार्टेम चीनी के मुक़ाबले 200 गुना ज़्यादा मीठा होता है, भले ही इसकी मौजूदगी से सॉफ़्ट ड्रिंक्स में टेस्ट का इज़ाफा हो जाता है लेकिन ये उतना ही ज़्यादा साइड इफेक्ट भी पैदा करता है, मसलन: माइग्रेन, याददाश्त में कमी, भावनात्मक-समस्या, नज़़र की कमजोरी, कान की समस्या और ख़ास कर दिल की समस्या आदि.
इसी तरह से अससुल्फेम-K (acesulfame-K) भी चीनी के मुक़ाबले 100 से 200 गुना ज़्यादा मीठी होती है और नुकसान के ऐतबार से अस्पार्टेम की ही तरह नुकसानदायक है, वहीँ सिक्रिन के बारे में सुन कर आपके रोयें खडे हो जायेंगे यह भी कृत्रिम मीठा पदार्थ होता है जिसके सेवन से मूत्राशय कैंसर हो जाने का ख़तरा प्रबल होता है. यह कनाडा, न्यूज़ीलैंड और कई यूरोपियन देशों में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. वर्तमान में सिक्रिन का इस्तेमाल पेप्सी और कोला कम्पनी द्वारा अत्यधिक किया जाता है.
कैफ़ीन (caffeine):
कैफ़ीन के सेवन से इसकी लत लग जाने का ख़तरा होता है, इसकी वजह से पेय पदार्थ में सोडा फ़्लेवर का इज़ाफा होता है. कैफ़ीन कृत्रिम रूप से तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है और इसके सेवन से ह्रदय गति बढ़ जाती है. कैफ़ीन से मूत्राशय सम्बन्धी और पेट सम्बन्धी बीमारी होने की प्रबल संभावना होती है और ब्लड-प्रेशर व डाईबिटिज़ भी हो सकता है यही नहीं सबसे बड़ी बात यह कि यह शिशुओं में जन्म दोष का एक प्रमुख कारक है. कसरत करने के बाद सॉफ़्ट ड्रिंक्स का सेवन शरीर में कैल्शियम और पोटैसियम की कमीं करता है और जिसके चलते कसरत से होने वाली शारीरिक थकान व क्षति की पूर्ति में बाधा पड़ती है.
Research has shown that in order to neutralize
a glass of cola, you would have to drink
32 glasses of high pH alkaline water.
अम्ल:
वर्तमान में ज़्यादातर सॉफ़्ट ड्रिंक्स में अम्लीय तत्वों की प्रचुरता रहती है जैसे- फोस्फोरिक एसिड (phosphoric acid) व मैलिक (malic acid) अथवा टारटैरिक अम्ल (tartaric acid) आदि. एक अध्ययन के अनुसार इंसान के दांतों को दो दिन तक कोला ड्रिंक में डाल के रखा गया जिसके परिणामस्वरूप दांत मुलायम हो गए और दांतों के कैल्शियम में गिरावट आ गयी.
कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2):
सॉफ़्ट-ड्रिंक्स में कार्बन डाईआक्साइड को पानी में अत्यधिक दाब में समाहित करके बनाया जाता है. सोचिये, जिस गैस को हम सांस लेने के बाद गंदी हवा के रूप में शरीर से बाहर निकालते हैं, उसे सॉफ़्ट-ड्रिंक्स में अत्यधिक दाब में प्रेश्राईज़ करके डाला जाता है. तब इसके दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं, इसका अंदाजा आप भी लगा सकते हैं.
सॉफ़्ट-ड्रिंक्स संरक्षक (soft drink preservatives):
सॉफ़्ट-ड्रिंक्स को ज़्यादा वक़्त के लिए संरक्षित करने के लिए उसमें तरह तरह के संरक्षक मिला दिए जाते हैं जिससे दीर्घ समय तक भण्डारण में उसे रखा जा सके, लेकिन होता ये है कि ऐसा करके सॉफ़्ट-ड्रिंक्स की मूल अवस्थ को विकृत ही किया जाता है. आपको जानकार अत्यधिक आश्चर्य होगा कि भण्डारण में संरक्षित करने के लिए सोडियम बेंजोएट अर्थात बेंज़ोइक एसिड (benzoic acid) और सल्फर डाईआक्साइड (sulphur dioxide) मिलाया जाता है, जोकि शरीर के बहुत खतरनाक होता है.
कृत्रिम स्वाद व रंग (artificial colors and flavors):
तरह-तरह के स्वाद और रंग की चाहत वाली ग्राहक-बाज़ार को पूरा करने के लिए भौतिकवादी उपभोक्ता बाज़ार में सॉफ़्ट-ड्रिंक्स कंपनियों ने कृत्रिम (नक़ली) स्वाद और रंग ही भरना शुरू कर दिया. कृत्रिम तो आख़िर कृत्रिम ही होता है! और आप को मैं बता दूं कि कृत्रिम रंग व स्वाद के लिए जो तत्व इस्तेमाल होता है वह कैंसर होने के मुख्य वाहक होते हैं.
दुनिया के कई देश में कृत्रिम रंग व स्वाद वाले तत्व को प्रतिबंधित कर दिया गया है. जैसे: टारट्रेज़ाइन tartrazine (पीले अथवा संतरे रंग के लिए) को नार्वे और फिनलैंड में प्रतिबंधित कर दिया गया है, कार्मोज़ाइन carmoisine (लाल रंग के लिए) को अमेरिका और कनाडा में प्रतिबंधित किया हुआ है, ब्रिलिएंट ब्लू (brilliant blue) को तो लगभग सभी देशों में प्रतिबंधित किया हुआ है, लेकिन हमारे देश में इनका धड़ल्ले से इस्तेमा हो रहा है.
सोडियम (sodium):
सॉफ़्ट-ड्रिंक्स की स्थिरता के लिए इसकी निर्माता कम्पनियाँ अकार्बनिक सोडियम का प्रयोग करने से भी नहीं हिचकिचाती हैं. सोडियम के इस्तेमाल से दिल की बीमारी और हाई-ब्लड-प्रेशर का ख़तरा बढ़ जाता है.
तो आख़िर किया क्या जाये?
सवाल यह है कि सॉफ़्ट-ड्रिंक्स को बनाने में इन ख़तरनाक और जानलेवा तत्वों के इस्तेमाल की इजाज़त आख़िर देता कौन है? जवाब है हमारे देश की सरकार, जो पूंजीवाद के लुभावने और कृत्रिम छांव तले हम जानता को तिल-तिल कर मारने के लिए बाध्य कर रही है. आप सोचते होंगे कि कौन कहता है तुम्हे ये सब इस्तेमाल करने के लिए, आप मत इस्तेमाल करो. हाँ! सही तर्क दिया आपने! मगर मेरा उत्तर सीधा और सपाट है कि "ये एक पूंजीवादी तर्क के सिवा कुछ नहीं" सोचिये जिधर नज़र जाती है सब तरफ़ प्लास्टिक के पैकेट ही पैकेट नज़र आते हैं.
ऐसे में इस ज़हर से बचने का एक ही तरीका है कि खुद भी सॉफ़्ट / कार्बोनेटेड / सोडा ड्रिंक्स का त्याग करें और परम्परागत ड्रिंक्स को अपनायें। इस बारे में आप अपने ईष्ट-मित्रों को भी जरूर बतायें। क्योंकि अभी देर नहीं हुई है. अगर आज आप नहीं जागे, तो फिर कल पछताने के सिवा हाथ कुछ नहीं आएगा।
अपीलकर्ता-सलीम ख़ान
saleemlko@gmail.com
महत्वपूर्ण पोस्ट, साधुवाद
ReplyDeleteAabhaar.
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteinformative and interesting!
ReplyDeleteआशा है कोलाप्रेमी इन बातों को दृष्टिगत रखते हुए अपने कोलाप्रेम के बारे में फिर से सोचेंगे।
ReplyDelete---------
क्या ‘ब्लॉगवाणी’ सचमुच माहौल खराब कर रहा है?
आज बड़े दिन बाद काम की पोस्ट लिखे हो
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
मिश्रा जी, ज़ाकिर भाई के साथ-साथ तकनिकी निर्देशक जी का शुक्रिया !!!
ReplyDeletelagta hai blog jagat samjhautawadi ho gaya hai.
ReplyDeleteआ हा
ReplyDeleteचलो अच्छा है कि मैं इसका मुरीद नहीं.
सलीम भाई
ReplyDeleteआज से खरीद कर सोफ्ट ड्रिंक पीना बंद
धन्यवाद
आपने बहुत सही लिखा है लेकिन आज बाजार हर छोटी बडी जगह इन्ही पेय पदार्थो से भरा नजर आता है । आकर्षक विज्ञापनों ने सबको भ्रमित किया हुआ है कोल्डडिक्स हमारी जीवन शैली का अंग बनते जा रहे है बच्चे भी इनसे दूर नही रह पाते । इसका विकल्प क्या अन्य उत्पाद बन सकते है जो बाजार में आसानी से उपलब्ध है कृपया इस पर जानकारी दे सके तो बहुत से लोगो को लाभ होगा । आभार।
ReplyDeleteसलीम भाई, आपने मेरी आँखें खोल दीं, आज से कोला एकदम बंद।
ReplyDeleteजानकारी के लिए धन्यवाद।
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ReplyDeleteसच कहा सलीम भाई, अब हमें चेत जाना चाहिए।
ReplyDeleteवाकई में खोजपरक पोस्ट है!
ReplyDeleteशुक्रिया इस पोस्ट के लिए
ReplyDeleteमुझे इस पोस्ट की बहुत ज़रूरत थी
मैं जानता था और सुना भी था बहुत दोस्तों से कि ये नुक्सान दायक होती है, लेकिन कोई authentic source न होने के कारण यकीन नहीं करता था और यू कहिये कि आदि हो चुका हूँ इनका
हर २ दिन बाद एक 600 ml की बोतल तो मुझे चाहिए ही.
कुछ ३-४ महीने पहले मैंने सोचा था की छोड़ दूंगा, फिर एक महीने तक नहीं पी, और फिर बाद में गरमी की वजेह से दिल कर गया, और फिर से शुरू कर दी
अब लगता है फिर से कसम खानी पड़ेगी बंद करने की.
शुक्रिया.
बहुत अच्छी पोस्ट है और ज्ञानवर्धक भी..इसके सेवन के सेहत पर इतने नुकसान होते हैं इसीके चलते यहाँ की सरकार ने बहुत अरसे से ही स्कूलों की कैंटीनों में चिप्स और इन शीतल पेय पदर्थों की बिक्री पर रोक लागई हुई है.यहाँ मेक्डोनाल्ड भी किड्स मील के साथ फ्लेवर दूध या जूस देता है..कोला नहीं.
ReplyDeleteआशा है आप की इस पोस्ट से इसके उपभोक्ता जागरूक हो जायेंगे.
-एक प्रतियोगिता जिसमें अधिक से अधिक कोल्ड ड्रिंक पीना था--एक व्यक्ति की मौत वहीँ पर हो गयी थी--कारण अत्यधिक कार्बन डाईआक्साइड का ड्रिंक के माध्यम से शरीर में दाखिल होना.
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कैफ़ीन शरीर से पानी सोखता है[dehydrates].. जिसके कारण इन पेय को प्यास बुझाने वाला नहीं बल्कि प्यास बढ़ाने वाला माना जाता है.
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Does this also causes impotency?
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी , मैंने व्यक्तिगत रूप से पिछले आठ सैलून से इन्हें छोड़ रखा है , जब बाबा रामदेव ने इनके बारे में बताया था , अपने मिलने वालों को भी मैं इनके दुष्परिणामों से आगाह करता रहा हूँ अब आप के इस लेख से अपनी बात को रखने का एक मजबूत आधार मिला है ,
ReplyDeleteधन्यवाद