सुनामी का आखिर मतलब क्या है ?क्या है सुनामी फ़िज़िक्स (सुनामी का भौतिकी शाश्त्र )? सुनामी (Tsunami ):सुनामी जापानी भाषा का एक शब्द है जिसका ...
सुनामी का आखिर मतलब क्या है ?क्या है सुनामी फ़िज़िक्स (सुनामी का भौतिकी शाश्त्र )?
सुनामी (Tsunami ):सुनामी जापानी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है बंदरगाह -तरंग। यहां Tsu(सु )का अर्थ बंदरगाह तथा "nami"का जापानी भाषिक - कोष में तरंग है। आमजन ने इसे ज्वारीय -धारा कहा तो विज्ञान जगत ने भूकम्पीय -समुद्री- तरंग। लेकिन यहां ज्वारीय तरंग या धारा एक भ्रान्ति पैदा करने वाला गलत नामकरण हैं Misnomer है। बेशक तटीय क्षेत्र में होने वाली नुकसानी इस बात पे निर्भर करती है कि सुनामी जब तट पर पहुंची उसके ठीक पहले ज्वारीय -लेवल क्या रहा था .ज्वार की मुद्रा कैसी थी ? अलबत्ता सुनामीज़ के उद्गम का ज्वारीय -धाराओं से कोई लेना - देना नहीं है।
ज्वारीय धाराएं तो उस भौमेतर गुरूत्वीय असंतुलन का असर या परिणाम होती हैं जो चंद्र -सूर्य-और शेष ग्रह पृथ्वी पर डालते हैं। इसी असंतुलन के कारण समुद्र में ज्वार -भाटा आता है ,जो समुद्री लहरों का उठकर तट की ओर आना और घटकर तट से परे जाना है। इसे हम दार्शनिक अंदाज़ में कह देते हैं समुन्दर हनूमान की तरह अपना आकार कम या ज्यादा कर लेता है,सिद्धियां प्राप्त हैं समुन्दर को।
सुनामी को सीज़्मिक सी -वैव(सागर में किसी विक्षोभ से पैदा भूकम्पीय तरंगें ) कहना भी युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता। सागर के तलीय क्षेत्र (Sea Floor)में आने वाले भूकम्पों के खासकर Subduction Earth Quakes अलावा सुनामी की और वजहें भी रहतीं हैं जैसे भारी भू -स्खलन तथा ज़ोरदार उल्कापात (Meteorite Impact ).हालांकि कई माहिर इस मत से सहमत भी नहीं हैं वह केवल एक ख़ास किस्म के सागरीय भूकंप (Subduction Earth Quake )को ही सुनामी की वजह बतलाते हैं।
देखें :http://www.ldeo.columbia.edu/~djs/aleut/info_for_public.html
कृपया ये सेतु (लिंक )भी देखें :
https://earthweb.ess.washington.edu/tsunami/general/physics/earthquake.html
अब सवाल ये पैदा होता है ये ख़ास किस्म के कुछेक भूकंप सुनामी कैसे पैदा कर देते हैं ?
सुनामी तब पैदा होतीं हैं जब आकस्मिक तौर पर ,अप्रत्याशित रूप से समुद्र तल (समुन्दर का फर्श या Sea Floor )विकृत हो जाये ,फलस्वरूप परिव्याप्त समूची जलराशि ऊर्धवाधर दिशा में विस्थापित होकर ऊपर नीचे लहराने लगे ,आसिलेट करने लगे ये ओवरराइडिंग जलराशि। जब भी ऐसा होता है जल के अणु तो अपने ही स्थान पर रहते हुए ऊर्ध्वाधर दिशा में कम्पन करने लगते हैं जलराशि में पैदा विक्षोभ तरंग इस के लंबवत आगे बढ़ जाती है चुपके चुपके।
भूविज्ञान में पृथ्वी की संरचना से सम्बंधित भू -कम्पों को टेक्टॉनिक अर्थक्वेक्स (Tectonic Earthquakes)कहा जाता है। भूसतह बनाने वाली चट्टान की बड़ी परतों में जब भी हलचल पैदा होती है पृथ्वी डोलने लगती है ज़लजला (हिज़ाब या भूकंप )महसूस होता है। इन भूकम्पों का संबंध भू -पर्पटी में पैदा स्ट्रेन (विकृति ,डिफ़ॉर्मेशन )से रहता है। प्लेट टेक्टानिक्स सिद्धांत के अनुसार सात बड़ी चट्टानी प्लेटें हैं जो अपनी पीठ पे एक -एक महाद्वीप लिए सरक रही हैं ,इनका परस्पर संघर्षण ही ,खिसकाव -टकराव परस्पर परिव्याप्ति ही भूकंप की वजह बनता है।
जब ये भूकंप समुंदरों के नीचे पैदा होते हैं ,तब विक्षोभ ग्रस्त उस इलाके की समस्त जल -राशि अपनी साम्यावस्था (मीन पोज़िशन )से विस्थापित हो जाती है। यही विस्थापन ,तरंगें पैदा करता है क्योंकि विस्थापित जल राशि अपनी साम्यावस्था मीन पोज़िशन में वापस आना चाहती है। विक्षोभ से यही जल राशि ऊर्ध्वाधर दिशा में उठ गई थी ,गुरुत्व इसे वापस नीचे की ओर खींचता है,अब ये मीन पोज़िशन को पार कर नीचे की ओर ऊर्ध्वाधर दिशा में चली आती है फलत: एक विक्षोभ आगे बढ़ जाता है , इसी का नतीजा होती हैं सुनामी या बंदरगाह -तरंग।
पृथ्वी की पर्पटी (Earth Crust )का बड़े पैमाने पर ऊर्ध्वाधर दिशा में इन चट्टानी प्लेटों के सिरों पर आंदोलन पैदा हो सकता है, वहां जहां ऐसी दो चट्टानी प्लेटों की सीमा होती है ,बाउंड्रीज़ होतीं हैं।इस आंदोलन की वजह इसी चौहद्दी पर प्लेटों का खिसकाव बनता है। जब एक प्लेट दूसरी को ठेल उस के ऊपर खिसक आती है परिव्याप्त होने लगती है ओवरराइड करने लगती है दूसरी पर अपनी सीमा का अतिक्रमण करके।
इन सीमान्त क्षेत्रों में भूपर्पटी का बड़ा आंदोलन ,मूवमेंट ऊर्ध्वाधर दिशा में हो सकता है। इन्ही क्षेत्रों को भू -विज्ञान में फाल्ट्स (Faults )कहा जाता है।
प्रशांत महासागर के मार्जिन्स (हाशिये )के गिर्द अपेक्षाकृत ज्यादा घनत्व वाली सागरीय प्लेटें ,महाद्वीपीय प्लेटो(Continental Plates ) के नीचे खिसकतीं हैं। इस खिसकाव या प्रक्रिया को ही सब्डक्शन (Subduction )कहा जाता है। इस प्रकार पैदा भूकंप ही सब्डक्शन अर्थ क्वेक्स कहे गये हैं। संक्षेप में पुन :बतलादें ,ऐसे भूकंप ही सुनामी पैदा करने में कामयाब होते हैं।
"when large areas of the sea floor elevate or subside , a tsunami can be created ."
सागर के फर्श का एक बड़ा क्षेत्र जब ऊपर उठता है या फिर नीचे की ओर ऊर्ध्व दिशा में ही धंसता है,तब पैदा होती है सुनामी या बंदरगाह -तरंगें जो तटों ,तट -रेखाओं (Coastal Lines )तक पहुँचने पर बेहद का विध्वंश करतीं हैं। तबाही मचा देती है सब कुछ तहस नहस करके रख देतीं हैं। देखे दिया नीचे दिया गया सेतु।
Tsunamis can be generated when the sea floor abruptly deforms and vertically displaces the overlying water. Tectonic earthquakes are a particular kind of earthquake that are associated with the earth's crustal deformation; when these earthquakes occur beneath the sea, the water above the deformed area is displaced from its equilibrium position. Waves are formed as the displaced water mass, which acts under the influence of gravity, attempts to regain its equilibrium. When large areas of the sea floor elevate or subside, a tsunami can be created.
Large vertical movements of the earth's crust can occur at plate boundaries. Plates interact along these boundaries called faults. Around the margins of the Pacific Ocean, for example, denser oceanic plates slip under continental plates in a process known as subduction. Subduction earthquakes are particularly effective in generating tsunamis.
This simulation (2 MB) of the 1993 Hokkaido earthquake-generated tsunami, developed by Takeyuki Takahashi of the Disaster Control Research Center, Tohoku University, Japan, shows the initial water-surface profile over the source area and the subsequent wave propagation away from the source. Areas in blue represent a water surface that is lower than the mean water level, while areas in red represent an elevated water surface. The initial water-surface profile, as shown in this image, reflects a large, long uplifted area of the sea floor lying to the west (left) of Okushiri Island, with a much smaller subsided area immediately adjacent to the southwest corner of Okushiri.
Pl read this also :https://earthweb.ess.washington.edu/tsunami/general/physics/transform.html
क्यों शक्ल और स्वभाव दोनों बदमिजाज़ हो जाते हैं ,क्यों बदल जाता है सुनामी का आवेग तट पर पहुंचते -पहुँचते ?जबकि गहरे पानी यह शांतभाव द्रुत गति बनाये चल रही थी।
दरसल गहरे पानी पैठी सुनामीट्रंफ तेज़ चलती है अंदर -अंदर ,इस समय इसकी ऊंचाई या क्रेस्ट कम रहती है जितना गहरा पानी उतनी ही कम ऊंचाई की क्रेस्ट बनती है।इसीलिए इसके द्रुत गति आगे बढ़ते जाने की किसी को भनक नहीं रहती ,न किसी को कोई नुकसानी उठानी पड़ती है , विलोम रिश्ता रहता है दोनों का ,तू (गहराई )ज्यादा तो मैं (ऊंचाई ) कम ,तू (गहराई )कम तो मैं (ऊंचाई )ज्यादा वाला यानी विलोमानुपाती (Inversely proportional )संबंध बना रहता है परस्पर सुनामी की ऊंचाई और चाल में।
Depth of a Tsunami is Inversely proportional to its height (or Crest ).A crest and a trough taken together is called a wave .
इस तटोन्मुख (तट की ओर सफर के दौरान )यात्रा के दौरान सुनामी में निहित कुल ऊर्जा -प्रवाह ,एनर्जी फ्लक्स (Energy Flux)अ-परिवर्तनीय इसी वजह से नियत बनी रहती है। क्योंकि यह ऊर्जा -बहाव (एनर्जी फ्लक्स )सुनामी तरंग की चाल और क्रेस्ट दोनों के गुड़नफल पर निर्भर करती है। दोनों का गुणनफल(dxh,product ) नियत या कॉन्स्टेंट बना रहता है इस सफर में इसी विलोमानुपात संबंध के चलते ।
dxh =constant ,रहता है
यहां d=सुनामी की गहराई ,
h=सुनामी की ऊंचाई या क्रेस्ट है।
अब आप अंदाज़ा लगा सकते है गहरे समुन्दर से निकल उथले तटीय इलाके तक आते -आते ये तरंगें कितनी उत्ताल विशाल ऊंचा भाल(Crest ) लिए गर्वोक्त विनाशी -मुद्रा लिए आती होंगी ,आहिस्ता से चुपके चुपके और तबाही मचाके रख देती होंगी किसी मानव बम की तरह .कोई मौक़ा नहीं किसी को सँभालने का ।इसीलिए सुनामी की भनक पड़ते ही होशयार नाविक गहरे समुन्दर की और दौड़ जाते हैं तट पर मरने के लिए नहीं दौड़ते हैं।
क्योंकि तट पर आते -आते सुनामी की वेवलेंग्थ (एक क्रेस्ट से दूसरी क्रेस्ट की दूरी )और गहराई का अनुपात घटके बहुत ही कमतर रह जाता है। ऊंचाई बेहद की और गहराई ना -मालूम सी उथली -उथली। लेकिन फ्लक्स यानी निसृत ऊर्जा वही बनी रहती है।
माहिरों के अनुसार ,सुनामी की चाल (speed ,v )और गहराई (depth ,d )का रिश्ता इस सफर के दरमियान कुछ यूं बना रहता है :
v=square root of acceleration of gravity 'g'and d the water depth or depth of tsunami ,
यहां g =9.8 meter per second square ,गुरुत्वीय त्वरण का मान है।
d =सुनामी की गहराई है जो तट तक आते -आते लगातार कम से कमतर होती गई है।
इसीलिए सुनामी को उथले पानी की उत्ताल -तरंग भी कह दिया जाता है.
प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में पानी की गहराई औसतन चार-हज़ार मीटर या चार किलोमीटर रहती है। सुनामी की चाल २०० मीटर प्रति सेकिंड यानी सात सौ किलोमीटर प्रति घंटा रहती है इतनी गहराई पर।
जिस दर से यह सुनामी तरंग अपनी ऊर्जा का ह्रास करती है वह इसकी ऊंचाई या वेवलेंग्थ के साथ विलोम अनुपात बनाये रहती है इसीलिए सुनामी भीतर -भीतर घात लगाए तेज़रफ़्तार दूर तटों तक पहुँचने से पहले महा -सागरों के पार चली जाती है ना -मालूम सी ऊर्जा खोये -खपाये।
For the same reasons tsunamis travel with great speeds trans -oceanic distances with little or no energy loss which they release at the coastal lines and do the damages as they do .
As a tsunami leaves the deep water of the open ocean and travels into the shallower water near the coast, it transforms. If you read the "How do tsunamis differ from other water waves?" section, you discovered that a tsunami travels at a speed that is related to the water depth - hence, as the water depth decreases, the tsunami slows. The tsunami's energy flux, which is dependent on both its wave speed and wave height, remains nearly constant. Consequently, as the tsunami's speed diminishes as it travels into shallower water, its height grows. Because of this shoaling effect, a tsunami, imperceptible at sea, may grow to be several meters or more in height near the coast. When it finally reaches the coast, a tsunami may appear as a rapidly rising or falling tide, a series of breaking waves, or even a bore.
Tsunamis are unlike wind-generated waves, which many of us may have observed on a local lake or at a coastal beach, in that they are characterized as shallow-water waves, with long periods and wave lengths. The wind-generated swell one sees at a California beach, for example, spawned by a storm out in the Pacific and rhythmically rolling in, one wave after another, might have a period of about 10 seconds and a wave length of 150 m. A tsunami, on the other hand, can have a wavelength in excess of 100 km and period on the order of one hour.As a result of their long wave lengths, tsunamis behave as shallow-water waves. A wave becomes a shallow-water wave when the ratio between the water depth and its wave length gets very small. Shallow-water waves move at a speed that is equal to the square root of the product of the acceleration of gravity (9.8 m/s/s) and the water depth - let's see what this implies: In the Pacific Ocean, where the typical water depth is about 4000 m, a tsunami travels at about 200 m/s, or over 700 km/hr. Because the rate at which a wave loses its energy is inversely related to its wave length, tsunamis not only propagate at high speeds, they can also travel great, transoceanic distances with limited energy losses.
This animation (2.3 MB), produced by Professor Nobuo Shuto of the Disaster Control Research Center, Tohoku University, Japan, shows the propagation of the earthquake-generated 1960 Chilean tsunami across the Pacific. Note the vastness of the area across which the tsunami travels - Japan, which is over 17,000 km away from the tsunami's source off the coast of Chile, lost 200 lives to this tsunami. Also note how the wave crests bend as the tsunami travels - this is called refraction. Wave refraction is caused by segments of the wave moving at different speeds as the water depth along the crest varies. Please note that the vertical scale has been exagaerated in this animation - tsunamis are only about a meter high at the most in the open ocean. (The QuickTime movie presented here was digitized from a video tape produced from the original computer-generated animation.)
सुनामी (Tsunami ):सुनामी जापानी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है बंदरगाह -तरंग। यहां Tsu(सु )का अर्थ बंदरगाह तथा "nami"का जापानी भाषिक - कोष में तरंग है। आमजन ने इसे ज्वारीय -धारा कहा तो विज्ञान जगत ने भूकम्पीय -समुद्री- तरंग। लेकिन यहां ज्वारीय तरंग या धारा एक भ्रान्ति पैदा करने वाला गलत नामकरण हैं Misnomer है। बेशक तटीय क्षेत्र में होने वाली नुकसानी इस बात पे निर्भर करती है कि सुनामी जब तट पर पहुंची उसके ठीक पहले ज्वारीय -लेवल क्या रहा था .ज्वार की मुद्रा कैसी थी ? अलबत्ता सुनामीज़ के उद्गम का ज्वारीय -धाराओं से कोई लेना - देना नहीं है।
ज्वारीय धाराएं तो उस भौमेतर गुरूत्वीय असंतुलन का असर या परिणाम होती हैं जो चंद्र -सूर्य-और शेष ग्रह पृथ्वी पर डालते हैं। इसी असंतुलन के कारण समुद्र में ज्वार -भाटा आता है ,जो समुद्री लहरों का उठकर तट की ओर आना और घटकर तट से परे जाना है। इसे हम दार्शनिक अंदाज़ में कह देते हैं समुन्दर हनूमान की तरह अपना आकार कम या ज्यादा कर लेता है,सिद्धियां प्राप्त हैं समुन्दर को।
सुनामी को सीज़्मिक सी -वैव(सागर में किसी विक्षोभ से पैदा भूकम्पीय तरंगें ) कहना भी युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता। सागर के तलीय क्षेत्र (Sea Floor)में आने वाले भूकम्पों के खासकर Subduction Earth Quakes अलावा सुनामी की और वजहें भी रहतीं हैं जैसे भारी भू -स्खलन तथा ज़ोरदार उल्कापात (Meteorite Impact ).हालांकि कई माहिर इस मत से सहमत भी नहीं हैं वह केवल एक ख़ास किस्म के सागरीय भूकंप (Subduction Earth Quake )को ही सुनामी की वजह बतलाते हैं।
देखें :http://www.ldeo.columbia.edu/~djs/aleut/info_for_public.html
कृपया ये सेतु (लिंक )भी देखें :
https://earthweb.ess.washington.edu/tsunami/general/physics/earthquake.html
अब सवाल ये पैदा होता है ये ख़ास किस्म के कुछेक भूकंप सुनामी कैसे पैदा कर देते हैं ?
सुनामी तब पैदा होतीं हैं जब आकस्मिक तौर पर ,अप्रत्याशित रूप से समुद्र तल (समुन्दर का फर्श या Sea Floor )विकृत हो जाये ,फलस्वरूप परिव्याप्त समूची जलराशि ऊर्धवाधर दिशा में विस्थापित होकर ऊपर नीचे लहराने लगे ,आसिलेट करने लगे ये ओवरराइडिंग जलराशि। जब भी ऐसा होता है जल के अणु तो अपने ही स्थान पर रहते हुए ऊर्ध्वाधर दिशा में कम्पन करने लगते हैं जलराशि में पैदा विक्षोभ तरंग इस के लंबवत आगे बढ़ जाती है चुपके चुपके।
भूविज्ञान में पृथ्वी की संरचना से सम्बंधित भू -कम्पों को टेक्टॉनिक अर्थक्वेक्स (Tectonic Earthquakes)कहा जाता है। भूसतह बनाने वाली चट्टान की बड़ी परतों में जब भी हलचल पैदा होती है पृथ्वी डोलने लगती है ज़लजला (हिज़ाब या भूकंप )महसूस होता है। इन भूकम्पों का संबंध भू -पर्पटी में पैदा स्ट्रेन (विकृति ,डिफ़ॉर्मेशन )से रहता है। प्लेट टेक्टानिक्स सिद्धांत के अनुसार सात बड़ी चट्टानी प्लेटें हैं जो अपनी पीठ पे एक -एक महाद्वीप लिए सरक रही हैं ,इनका परस्पर संघर्षण ही ,खिसकाव -टकराव परस्पर परिव्याप्ति ही भूकंप की वजह बनता है।
जब ये भूकंप समुंदरों के नीचे पैदा होते हैं ,तब विक्षोभ ग्रस्त उस इलाके की समस्त जल -राशि अपनी साम्यावस्था (मीन पोज़िशन )से विस्थापित हो जाती है। यही विस्थापन ,तरंगें पैदा करता है क्योंकि विस्थापित जल राशि अपनी साम्यावस्था मीन पोज़िशन में वापस आना चाहती है। विक्षोभ से यही जल राशि ऊर्ध्वाधर दिशा में उठ गई थी ,गुरुत्व इसे वापस नीचे की ओर खींचता है,अब ये मीन पोज़िशन को पार कर नीचे की ओर ऊर्ध्वाधर दिशा में चली आती है फलत: एक विक्षोभ आगे बढ़ जाता है , इसी का नतीजा होती हैं सुनामी या बंदरगाह -तरंग।
पृथ्वी की पर्पटी (Earth Crust )का बड़े पैमाने पर ऊर्ध्वाधर दिशा में इन चट्टानी प्लेटों के सिरों पर आंदोलन पैदा हो सकता है, वहां जहां ऐसी दो चट्टानी प्लेटों की सीमा होती है ,बाउंड्रीज़ होतीं हैं।इस आंदोलन की वजह इसी चौहद्दी पर प्लेटों का खिसकाव बनता है। जब एक प्लेट दूसरी को ठेल उस के ऊपर खिसक आती है परिव्याप्त होने लगती है ओवरराइड करने लगती है दूसरी पर अपनी सीमा का अतिक्रमण करके।
इन सीमान्त क्षेत्रों में भूपर्पटी का बड़ा आंदोलन ,मूवमेंट ऊर्ध्वाधर दिशा में हो सकता है। इन्ही क्षेत्रों को भू -विज्ञान में फाल्ट्स (Faults )कहा जाता है।
प्रशांत महासागर के मार्जिन्स (हाशिये )के गिर्द अपेक्षाकृत ज्यादा घनत्व वाली सागरीय प्लेटें ,महाद्वीपीय प्लेटो(Continental Plates ) के नीचे खिसकतीं हैं। इस खिसकाव या प्रक्रिया को ही सब्डक्शन (Subduction )कहा जाता है। इस प्रकार पैदा भूकंप ही सब्डक्शन अर्थ क्वेक्स कहे गये हैं। संक्षेप में पुन :बतलादें ,ऐसे भूकंप ही सुनामी पैदा करने में कामयाब होते हैं।
"when large areas of the sea floor elevate or subside , a tsunami can be created ."
सागर के फर्श का एक बड़ा क्षेत्र जब ऊपर उठता है या फिर नीचे की ओर ऊर्ध्व दिशा में ही धंसता है,तब पैदा होती है सुनामी या बंदरगाह -तरंगें जो तटों ,तट -रेखाओं (Coastal Lines )तक पहुँचने पर बेहद का विध्वंश करतीं हैं। तबाही मचा देती है सब कुछ तहस नहस करके रख देतीं हैं। देखे दिया नीचे दिया गया सेतु।
How do earthquakes generate tsunamis?
Tsunamis can be generated when the sea floor abruptly deforms and vertically displaces the overlying water. Tectonic earthquakes are a particular kind of earthquake that are associated with the earth's crustal deformation; when these earthquakes occur beneath the sea, the water above the deformed area is displaced from its equilibrium position. Waves are formed as the displaced water mass, which acts under the influence of gravity, attempts to regain its equilibrium. When large areas of the sea floor elevate or subside, a tsunami can be created.
Large vertical movements of the earth's crust can occur at plate boundaries. Plates interact along these boundaries called faults. Around the margins of the Pacific Ocean, for example, denser oceanic plates slip under continental plates in a process known as subduction. Subduction earthquakes are particularly effective in generating tsunamis.
This simulation (2 MB) of the 1993 Hokkaido earthquake-generated tsunami, developed by Takeyuki Takahashi of the Disaster Control Research Center, Tohoku University, Japan, shows the initial water-surface profile over the source area and the subsequent wave propagation away from the source. Areas in blue represent a water surface that is lower than the mean water level, while areas in red represent an elevated water surface. The initial water-surface profile, as shown in this image, reflects a large, long uplifted area of the sea floor lying to the west (left) of Okushiri Island, with a much smaller subsided area immediately adjacent to the southwest corner of Okushiri.
Pl read this also :https://earthweb.ess.washington.edu/tsunami/general/physics/transform.html
क्यों शक्ल और स्वभाव दोनों बदमिजाज़ हो जाते हैं ,क्यों बदल जाता है सुनामी का आवेग तट पर पहुंचते -पहुँचते ?जबकि गहरे पानी यह शांतभाव द्रुत गति बनाये चल रही थी।
दरसल गहरे पानी पैठी सुनामीट्रंफ तेज़ चलती है अंदर -अंदर ,इस समय इसकी ऊंचाई या क्रेस्ट कम रहती है जितना गहरा पानी उतनी ही कम ऊंचाई की क्रेस्ट बनती है।इसीलिए इसके द्रुत गति आगे बढ़ते जाने की किसी को भनक नहीं रहती ,न किसी को कोई नुकसानी उठानी पड़ती है , विलोम रिश्ता रहता है दोनों का ,तू (गहराई )ज्यादा तो मैं (ऊंचाई ) कम ,तू (गहराई )कम तो मैं (ऊंचाई )ज्यादा वाला यानी विलोमानुपाती (Inversely proportional )संबंध बना रहता है परस्पर सुनामी की ऊंचाई और चाल में।
Depth of a Tsunami is Inversely proportional to its height (or Crest ).A crest and a trough taken together is called a wave .
इस तटोन्मुख (तट की ओर सफर के दौरान )यात्रा के दौरान सुनामी में निहित कुल ऊर्जा -प्रवाह ,एनर्जी फ्लक्स (Energy Flux)अ-परिवर्तनीय इसी वजह से नियत बनी रहती है। क्योंकि यह ऊर्जा -बहाव (एनर्जी फ्लक्स )सुनामी तरंग की चाल और क्रेस्ट दोनों के गुड़नफल पर निर्भर करती है। दोनों का गुणनफल(dxh,product ) नियत या कॉन्स्टेंट बना रहता है इस सफर में इसी विलोमानुपात संबंध के चलते ।
dxh =constant ,रहता है
यहां d=सुनामी की गहराई ,
h=सुनामी की ऊंचाई या क्रेस्ट है।
अब आप अंदाज़ा लगा सकते है गहरे समुन्दर से निकल उथले तटीय इलाके तक आते -आते ये तरंगें कितनी उत्ताल विशाल ऊंचा भाल(Crest ) लिए गर्वोक्त विनाशी -मुद्रा लिए आती होंगी ,आहिस्ता से चुपके चुपके और तबाही मचाके रख देती होंगी किसी मानव बम की तरह .कोई मौक़ा नहीं किसी को सँभालने का ।इसीलिए सुनामी की भनक पड़ते ही होशयार नाविक गहरे समुन्दर की और दौड़ जाते हैं तट पर मरने के लिए नहीं दौड़ते हैं।
क्योंकि तट पर आते -आते सुनामी की वेवलेंग्थ (एक क्रेस्ट से दूसरी क्रेस्ट की दूरी )और गहराई का अनुपात घटके बहुत ही कमतर रह जाता है। ऊंचाई बेहद की और गहराई ना -मालूम सी उथली -उथली। लेकिन फ्लक्स यानी निसृत ऊर्जा वही बनी रहती है।
माहिरों के अनुसार ,सुनामी की चाल (speed ,v )और गहराई (depth ,d )का रिश्ता इस सफर के दरमियान कुछ यूं बना रहता है :
v=square root of acceleration of gravity 'g'and d the water depth or depth of tsunami ,
यहां g =9.8 meter per second square ,गुरुत्वीय त्वरण का मान है।
d =सुनामी की गहराई है जो तट तक आते -आते लगातार कम से कमतर होती गई है।
इसीलिए सुनामी को उथले पानी की उत्ताल -तरंग भी कह दिया जाता है.
प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में पानी की गहराई औसतन चार-हज़ार मीटर या चार किलोमीटर रहती है। सुनामी की चाल २०० मीटर प्रति सेकिंड यानी सात सौ किलोमीटर प्रति घंटा रहती है इतनी गहराई पर।
जिस दर से यह सुनामी तरंग अपनी ऊर्जा का ह्रास करती है वह इसकी ऊंचाई या वेवलेंग्थ के साथ विलोम अनुपात बनाये रहती है इसीलिए सुनामी भीतर -भीतर घात लगाए तेज़रफ़्तार दूर तटों तक पहुँचने से पहले महा -सागरों के पार चली जाती है ना -मालूम सी ऊर्जा खोये -खपाये।
For the same reasons tsunamis travel with great speeds trans -oceanic distances with little or no energy loss which they release at the coastal lines and do the damages as they do .
What happens to a tsunami as it approaches land?
As a tsunami leaves the deep water of the open ocean and travels into the shallower water near the coast, it transforms. If you read the "How do tsunamis differ from other water waves?" section, you discovered that a tsunami travels at a speed that is related to the water depth - hence, as the water depth decreases, the tsunami slows. The tsunami's energy flux, which is dependent on both its wave speed and wave height, remains nearly constant. Consequently, as the tsunami's speed diminishes as it travels into shallower water, its height grows. Because of this shoaling effect, a tsunami, imperceptible at sea, may grow to be several meters or more in height near the coast. When it finally reaches the coast, a tsunami may appear as a rapidly rising or falling tide, a series of breaking waves, or even a bore.
How do tsunamis differ from other water waves?
Tsunamis are unlike wind-generated waves, which many of us may have observed on a local lake or at a coastal beach, in that they are characterized as shallow-water waves, with long periods and wave lengths. The wind-generated swell one sees at a California beach, for example, spawned by a storm out in the Pacific and rhythmically rolling in, one wave after another, might have a period of about 10 seconds and a wave length of 150 m. A tsunami, on the other hand, can have a wavelength in excess of 100 km and period on the order of one hour.As a result of their long wave lengths, tsunamis behave as shallow-water waves. A wave becomes a shallow-water wave when the ratio between the water depth and its wave length gets very small. Shallow-water waves move at a speed that is equal to the square root of the product of the acceleration of gravity (9.8 m/s/s) and the water depth - let's see what this implies: In the Pacific Ocean, where the typical water depth is about 4000 m, a tsunami travels at about 200 m/s, or over 700 km/hr. Because the rate at which a wave loses its energy is inversely related to its wave length, tsunamis not only propagate at high speeds, they can also travel great, transoceanic distances with limited energy losses.
This animation (2.3 MB), produced by Professor Nobuo Shuto of the Disaster Control Research Center, Tohoku University, Japan, shows the propagation of the earthquake-generated 1960 Chilean tsunami across the Pacific. Note the vastness of the area across which the tsunami travels - Japan, which is over 17,000 km away from the tsunami's source off the coast of Chile, lost 200 lives to this tsunami. Also note how the wave crests bend as the tsunami travels - this is called refraction. Wave refraction is caused by segments of the wave moving at different speeds as the water depth along the crest varies. Please note that the vertical scale has been exagaerated in this animation - tsunamis are only about a meter high at the most in the open ocean. (The QuickTime movie presented here was digitized from a video tape produced from the original computer-generated animation.)
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