मुझे बहुत प्रसन्नता है कि साईंस ब्लागर्स एसोसियेशन आफ इंडिया को कानूनी वैधता मिल गयी है -सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन इसे पंजीकृत कर लि...
मुझे बहुत प्रसन्नता है कि साईंस ब्लागर्स एसोसियेशन आफ इंडिया को कानूनी वैधता मिल गयी है -सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन इसे पंजीकृत कर लिया गया है ! अब यह एक संस्था का वैधानिक रूप ले चुकी है .अब मैं आपसे कुछ आधिकारिक रूप से निवेदन कर सकता हूँ !
इस संस्था के गठन का औचित्य
विज्ञान को आम आदमी तक पहुचाने और उसकी विज्ञान की समझ विकसित करने के लिए दुनिया भर में पहल प्रयास चल रहे हैं ! आप गूगल में साईस कम्म्यूनिकेशन लिखें और खोज कर लें तो इसकी एक जोरदार बानगी आपको मिल जायेगी! अभी तक विज्ञान का यह संचार पारम्परिक रूप से मुद्रण और प्रसारण माध्यमों के जरिये हो रहा था मगर अंतर्जाल और तदनंतर ब्लॉग्गिंग के पदार्पण से एक और सशक्त माध्यम हमें मिल गया है ! लोगों को अपनी बात कहने और बेलौस कहने का एक बड़ा जरिया आज हासिल हो गया है ! जिस पर अब किसी बड़े हाऊस ,प्रतिष्ठान का कब्जा नही है !
इससे प्रोत्साहित होकर अनेक लोग इस माध्यम से जुड़ रहे हैं ! तो फिर अभिव्यक्ति के इस माध्यम का विज्ञान के जन संचार के लिए इस्तेमाल में क्यों विलंब किया जाय ! लिहाजा चंद समान सोच के समान धर्मियों ने इस काम को एक संस्थागत रूप देकर आरम्भ करने का फैसला लिया ! और परिणाम आपके सामने है ! भारत ही नही सारे विश्व में यह प्रयास एक अनूठी पहल के रूप में रेखांकित किया जायेगा !
यह मेरा विनम्र निवेदन है -कोई बडबोलापन नहीं ! हमरे इस अभिनव प्रयास को आपका जो शुरुआती स्नेह -संबल मिला है वही आश्वस्त करने को पर्याप्त है ! एक बात हम यहाँ और स्पष्ट करना चाहते हैं -यह उन तमाम संस्थाओं की तरह नही है जो महज सरकारी इमदादों के लिए मुंह बाये रहती हैं ! और बस सरकारी संसाधनों के जरिये अपना और जुड़े लोगों का पेट पालती रहती हैं ! मगर एन जी ओ की जो सामान्य छवि है उसके चलते बहुत स्वाभाविक है कि मित्र जन इस अभिनव पहल को भी प्रश्नवाचक निगाह से देखते रहें ! उनका भी स्वागत है क्योंकि विज्ञान में जोर जबरदस्ती या फतवे के जरिये बात मनवाने की कोई प्रथा नही है ! आप ख़ुद देखते चलें और विश्वास करें कि नीति ही यहाँ लागू है ! हमारी मंशा सही है -नीयत सही है -अब नियति क्या नियत होगी इसे भविष्य तय करेगा ! आप साक्षी रहेगें !
विज्ञान संचार /संवाद क्यों ?
यह एक बड़ा मुद्दा है -निश्चय ही इस ब्लॉग पोस्ट के कलेवर के बाहर का ! पर इतना ही समझ लीजे कि यह एक सामजिक सरोकार है और हमें इसका निर्वाह करना है ! बहुत से काम हम केवल पेट पूजा के लिए नही करते -परिवार की रोजी रोटी के लिए ही नही करते ! आत्म संतुष्टि के लिए करते हैं ! इस अहसास को बनाये रहने के लिए करते हैं कि हम अब पशु नही रहे इन्सान बन रहे हैं ! हर कोई संवेदनशील व्यक्ति समाज को कुछ देना चाहता है और प्रकारांतर से वह उसके अहसानों को चुकाना चाहता है -उरिन होना चाहता है ! हम सभी में कुछ न कुछ अंश में मदर टेरेसा और बाबा आमटे विद्यमान हैं -जिसे जैसा माहौल मिल जाय वैसा ही परोपकार वृत्ति का प्रस्फुटन हो जाता है !
आज समाज में कितनी ही रूढियां व्याप्त हैं -आज चेचक का पूर्ण निर्मूलन हो चुका मगर अब भी शीतला माताओं की चांदी है ! आकाश तारों की सटीक जानकारियाँ अब उपलब्ध हैं मगर फिर भी लोगों का फलित ज्योतिष पर विश्वास अटल है और वे अंधी दौड़ लगाये जा रहे हैं ! समाज मे वैज्ञानिक मनोवृत्ति का पूरा अभाव दीखता है -कुछ निजी स्वार्थी लोग यथास्थिति को ही बनाए रख मौज करते आए हैं ! आखिर कब तक यह सब चलेगा ! कई अनुष्ठान तो ठीक हैं मगर सिरे से अंधविश्वासों पर टिके रहना क्या इक्कीसवीं सदी के मानव को जरा भी शोभा देता है ? आईये हम एक नए विज्ञ भारत के नवनिर्माण में जुट जायें !
हम ब्लागजगत के जरिये विज्ञान की मनोवृत्तिके साथ ही विज्ञान की जनोपयोगी जानकारी लोगों को दें -ताकि उनका माईंड सेट बदले ! विज्ञान अनेक समस्यायों से समय रहते आगाह कर सकता है ,निजात दिला सकता है !आज मानवता की जो झोली सुख समृद्धि से थोड़ी भी भरी लग रही है उसके पीछे विज्ञान और तद्जनित प्रौद्योगिक्की की बडी भूमिका है ! आईये इन बातों से लोगों का परिचय कराएँ ! ब्लॉग जगत में जिनके ब्लॉग है या जो महज ब्लॉग पढने यहाँ आते हैं यहाँ से संसूचित होकर,विज्ञान की नूतन जानकारियों से लैस होकर ज्ञान विज्ञानं की बातों का बड़े स्तर पर अपनी ओर से संचार कर सकते हैं ! यही हमारी मुहिम है !
आपकी भूमिका
बहुत से लोग अभी भी संशय में हैं ! एक मित्र ने कहा आप संस्थान चलाने वाले ( क्षुद्र ) लोग हैं जिनके मुंह प्रबुद्ध लोग नही लगा करते ! जाहिर है कुछ मित्रों को इस संस्था के उद्द्येश्यो को लेकर काफी शंका सुबहा है ! हमारा तो बस यही विनम्र अनुरोध है कि यदि आपमें अभिवयक्ति की भावना हिलोरे लेतीं हों -आप में लिखने कीरूचि हो और आप विज्ञान के हों या न हों आप इस प्रयास से जुड़ सकते हैं ! संस्था का नाम साईंस ब्लॉगर जरूर है मगर यह मुख्य रूप से विज्ञान संचार के उद्येश्यों की पूर्ति केलिए है ! मतलब विज्ञान को लोगों तक कैसे ले जायं ! उसे प्रयोगशालों की चारदीवारी से कैसे मुक्त करें ! यहाँ संचारकों की भूमिका प्रधान है ! और जन सचार विज्ञान के साथ साथ एक कला है -हुनर है ,फन है !
तो जरूरी नहीं कि आप विज्ञान विशारद ही हों -हाँ आप पढ़ेलिखे हैं -एक आम स्तर की परिपक्वता हैं तो आप विज्ञान संचारक बन सकते हैं ! विज्ञान के लोग अक्सर संचार में निपुण नहीं होते ! उन्हें आम लोगों की बोली भाषा में बात करनी नही आती -यहाँ उनकी बात को विज्ञानं संचारक रोचक तरीके से आम लोगों तक सहज ही ले जा सकता है ! और आप समझते हैं कि आप विज्ञानं के नहीं हैं और यह काम आपके लिए मुश्किल हैं तो आश्वस्त रहें बस हमारे साथ रहें माह दो माह में आप विज्ञान संचार का ककहरा तो सीख ही जायेंगें ! वह भी मुफ्त !
तो आईये हम अपने पूर्वाग्रहों को त्यागते हुए समाज सेवा के इस विज्ञान यग्य में हविदान से न चूंकें -कल अवसर मिले न मिले !
इस संस्था के गठन का औचित्य
विज्ञान को आम आदमी तक पहुचाने और उसकी विज्ञान की समझ विकसित करने के लिए दुनिया भर में पहल प्रयास चल रहे हैं ! आप गूगल में साईस कम्म्यूनिकेशन लिखें और खोज कर लें तो इसकी एक जोरदार बानगी आपको मिल जायेगी! अभी तक विज्ञान का यह संचार पारम्परिक रूप से मुद्रण और प्रसारण माध्यमों के जरिये हो रहा था मगर अंतर्जाल और तदनंतर ब्लॉग्गिंग के पदार्पण से एक और सशक्त माध्यम हमें मिल गया है ! लोगों को अपनी बात कहने और बेलौस कहने का एक बड़ा जरिया आज हासिल हो गया है ! जिस पर अब किसी बड़े हाऊस ,प्रतिष्ठान का कब्जा नही है !
इससे प्रोत्साहित होकर अनेक लोग इस माध्यम से जुड़ रहे हैं ! तो फिर अभिव्यक्ति के इस माध्यम का विज्ञान के जन संचार के लिए इस्तेमाल में क्यों विलंब किया जाय ! लिहाजा चंद समान सोच के समान धर्मियों ने इस काम को एक संस्थागत रूप देकर आरम्भ करने का फैसला लिया ! और परिणाम आपके सामने है ! भारत ही नही सारे विश्व में यह प्रयास एक अनूठी पहल के रूप में रेखांकित किया जायेगा !
यह मेरा विनम्र निवेदन है -कोई बडबोलापन नहीं ! हमरे इस अभिनव प्रयास को आपका जो शुरुआती स्नेह -संबल मिला है वही आश्वस्त करने को पर्याप्त है ! एक बात हम यहाँ और स्पष्ट करना चाहते हैं -यह उन तमाम संस्थाओं की तरह नही है जो महज सरकारी इमदादों के लिए मुंह बाये रहती हैं ! और बस सरकारी संसाधनों के जरिये अपना और जुड़े लोगों का पेट पालती रहती हैं ! मगर एन जी ओ की जो सामान्य छवि है उसके चलते बहुत स्वाभाविक है कि मित्र जन इस अभिनव पहल को भी प्रश्नवाचक निगाह से देखते रहें ! उनका भी स्वागत है क्योंकि विज्ञान में जोर जबरदस्ती या फतवे के जरिये बात मनवाने की कोई प्रथा नही है ! आप ख़ुद देखते चलें और विश्वास करें कि नीति ही यहाँ लागू है ! हमारी मंशा सही है -नीयत सही है -अब नियति क्या नियत होगी इसे भविष्य तय करेगा ! आप साक्षी रहेगें !
विज्ञान संचार /संवाद क्यों ?
यह एक बड़ा मुद्दा है -निश्चय ही इस ब्लॉग पोस्ट के कलेवर के बाहर का ! पर इतना ही समझ लीजे कि यह एक सामजिक सरोकार है और हमें इसका निर्वाह करना है ! बहुत से काम हम केवल पेट पूजा के लिए नही करते -परिवार की रोजी रोटी के लिए ही नही करते ! आत्म संतुष्टि के लिए करते हैं ! इस अहसास को बनाये रहने के लिए करते हैं कि हम अब पशु नही रहे इन्सान बन रहे हैं ! हर कोई संवेदनशील व्यक्ति समाज को कुछ देना चाहता है और प्रकारांतर से वह उसके अहसानों को चुकाना चाहता है -उरिन होना चाहता है ! हम सभी में कुछ न कुछ अंश में मदर टेरेसा और बाबा आमटे विद्यमान हैं -जिसे जैसा माहौल मिल जाय वैसा ही परोपकार वृत्ति का प्रस्फुटन हो जाता है !
आज समाज में कितनी ही रूढियां व्याप्त हैं -आज चेचक का पूर्ण निर्मूलन हो चुका मगर अब भी शीतला माताओं की चांदी है ! आकाश तारों की सटीक जानकारियाँ अब उपलब्ध हैं मगर फिर भी लोगों का फलित ज्योतिष पर विश्वास अटल है और वे अंधी दौड़ लगाये जा रहे हैं ! समाज मे वैज्ञानिक मनोवृत्ति का पूरा अभाव दीखता है -कुछ निजी स्वार्थी लोग यथास्थिति को ही बनाए रख मौज करते आए हैं ! आखिर कब तक यह सब चलेगा ! कई अनुष्ठान तो ठीक हैं मगर सिरे से अंधविश्वासों पर टिके रहना क्या इक्कीसवीं सदी के मानव को जरा भी शोभा देता है ? आईये हम एक नए विज्ञ भारत के नवनिर्माण में जुट जायें !
हम ब्लागजगत के जरिये विज्ञान की मनोवृत्तिके साथ ही विज्ञान की जनोपयोगी जानकारी लोगों को दें -ताकि उनका माईंड सेट बदले ! विज्ञान अनेक समस्यायों से समय रहते आगाह कर सकता है ,निजात दिला सकता है !आज मानवता की जो झोली सुख समृद्धि से थोड़ी भी भरी लग रही है उसके पीछे विज्ञान और तद्जनित प्रौद्योगिक्की की बडी भूमिका है ! आईये इन बातों से लोगों का परिचय कराएँ ! ब्लॉग जगत में जिनके ब्लॉग है या जो महज ब्लॉग पढने यहाँ आते हैं यहाँ से संसूचित होकर,विज्ञान की नूतन जानकारियों से लैस होकर ज्ञान विज्ञानं की बातों का बड़े स्तर पर अपनी ओर से संचार कर सकते हैं ! यही हमारी मुहिम है !
आपकी भूमिका
बहुत से लोग अभी भी संशय में हैं ! एक मित्र ने कहा आप संस्थान चलाने वाले ( क्षुद्र ) लोग हैं जिनके मुंह प्रबुद्ध लोग नही लगा करते ! जाहिर है कुछ मित्रों को इस संस्था के उद्द्येश्यो को लेकर काफी शंका सुबहा है ! हमारा तो बस यही विनम्र अनुरोध है कि यदि आपमें अभिवयक्ति की भावना हिलोरे लेतीं हों -आप में लिखने कीरूचि हो और आप विज्ञान के हों या न हों आप इस प्रयास से जुड़ सकते हैं ! संस्था का नाम साईंस ब्लॉगर जरूर है मगर यह मुख्य रूप से विज्ञान संचार के उद्येश्यों की पूर्ति केलिए है ! मतलब विज्ञान को लोगों तक कैसे ले जायं ! उसे प्रयोगशालों की चारदीवारी से कैसे मुक्त करें ! यहाँ संचारकों की भूमिका प्रधान है ! और जन सचार विज्ञान के साथ साथ एक कला है -हुनर है ,फन है !
तो जरूरी नहीं कि आप विज्ञान विशारद ही हों -हाँ आप पढ़ेलिखे हैं -एक आम स्तर की परिपक्वता हैं तो आप विज्ञान संचारक बन सकते हैं ! विज्ञान के लोग अक्सर संचार में निपुण नहीं होते ! उन्हें आम लोगों की बोली भाषा में बात करनी नही आती -यहाँ उनकी बात को विज्ञानं संचारक रोचक तरीके से आम लोगों तक सहज ही ले जा सकता है ! और आप समझते हैं कि आप विज्ञानं के नहीं हैं और यह काम आपके लिए मुश्किल हैं तो आश्वस्त रहें बस हमारे साथ रहें माह दो माह में आप विज्ञान संचार का ककहरा तो सीख ही जायेंगें ! वह भी मुफ्त !
यह एक भ्रान्ति है कि विज्ञान का पढा लिखा विज्ञान को लोगों में ठीक से समझा सकता है -यह विरला संयोग ही है कि कोई विज्ञान का विशेषग्य हो और उसके संचार में भी दक्ष हो ! आम तौर पर विज्ञान और वैज्ञानिक नीरस ही होते हैं -कहें गए हैं ! अतः उन्हें इस मंच पर आकर कुछ गुर सीखने होंगें ! विज्ञान संचार एक मिश्रित विधा है -हाइब्रिड जानरे है ! तो आदरणीय वैज्ञानिकों आपका भी इस मंच पर तहे दिल से स्वागत है ! यह साझा मंच है ! यह मंच ना ही महज वैज्ञानिकों का है या केवल संचारकों का -यह नयी मुहिम है विज्ञान के जन सचारको की ! आईये प्रबुद्ध जन मिल कर इस मुहिम के नियम कायदों को ख़ुद तय करें !
तो आईये हम अपने पूर्वाग्रहों को त्यागते हुए समाज सेवा के इस विज्ञान यग्य में हविदान से न चूंकें -कल अवसर मिले न मिले !
साइंस ब्लागर्स एसोसिएशन को इस अवसर पर बधाई। हमारी शुभकामनाएं हैं कि ये ब्लाग अपने उद्देश्यों में सफल हो। हांलाकि ये मेरा पसंदीदा ब्लाग है।
ReplyDeleteshubhkamnayein.
ReplyDeletemain aapke sath hun.aur jitna sahyog kar sakungi jaroor karungi.
आशा है कि ,आप के इस लेख ने 'बहुत से 'लोगों की दबी दबी शंकाओं -भ्रम को दूर किया होगा.
ReplyDeleteमिल जुल कर ,इस संस्था के उद्देश्य में हम अपना सहयोग देते हुए इसे आगे ले जायेंगे.
शुभकामनाओं के साथ
भविष्य की योजनाओ और उपलब्धिओं के लिए शुभकामनाये
ReplyDeleteregards
बहुत बधाई!
ReplyDeleteमैं कोई योगदान नहीं कर पा रहा हूँ। फिर भी आप के साथ हूँ। समय मिलते ही कुछ करने का प्रयत्न अवश्य करूंगा।
आपके आह्वान की दृढ़ता ही स्पष्ट करती है इस प्रयास का महत्व । भविष्य के प्रति ललक पैदा करता है यह आलेख । शुभकामनायें ।
ReplyDeleteHere is a compliment from scientific officer ,Vigyan Prasar ,an apex orgainsatiion devoted to the cause of science communication -
ReplyDeleteI read Dr. Arvind Mishra 's view on the newly born science blogger association and I think he has rightly and authoritatively represented each and every aspect of science communication albeit in brief and quite imaginatively opened up new vistas of sci communication in the blogging world.
Dr. Mishra opines that we believe astrology even in the 21st century. His comment is very relevant. Recently I met in a conference Professor Yash Pal, renowned science communicator of India. He said that the stars and planets are wandering spontaneously in the space-they are least concerned what we are worried about them .
I think the field of science communication deserves enormous scope as it is passing in its infant phase throughout the world. We, the science communicators and even scientists must play vital roles in order to facilitaate things to flourish this genre, so that our society and mentality become scientific and we may get rid off from many of the superstitions.
I have also seen the contributions of Shri Zeeshan Haider,Alpana Verma ,abhishek ojha ,Abhishek mishra and Ranju Bhatia and others and find them just wonderful. They must keep it up.
My best wishes to all of you.
Manish Mohan Gore
Scientific Officer
Vigyan Prasar,
Department of Science & Technology
Govt. of India
& Honourary
Member,
Managing Committee
Science Bloggers Association of India
Bahut shubhkaamnaye apko...
ReplyDeletekya mujhe bhi
ReplyDeletesciblogindia.blogspot.com kee sadasyata mil sakti hai?
शुरूआत हो चुकी है, कारवां बनने लगा है। तो फिर भला मंजिल तक पहुंचने से हमें कौन रोक सकता है।
ReplyDelete-जाकिर अली रजनीश
Is subh karya hetu meri bhi shubhkamnayen swikaren.
ReplyDeleteहार्दिक बधाईयाँ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteEk achchhe shuruat hai, aapki yaatra mangalmay ho.
ReplyDeleteयह आधिकारित पोस्ट इस समय ब्लॉग की आवश्यकता थी। इससे तमाम लोगों के मन में उठने वाली शंकाओं का शमन हो गया होगा।
ReplyDeleteउत्साहप्रद खबर ! सबको बधाई !
ReplyDeletemai samjhta hoon ki bahut sare logo ki shankaayen door ho gayi hogi ..saath me meri bhi ...
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