डा0 अब्राहम कोवूर उस सख्श का नाम है, जिसने अंधविश्वास के विरूद्ध एक जोरदार लडाई लडी है। श्री कोवूर कोलम्बो में विज्ञान विभाग के प्रधान पर का...
डा0 अब्राहम कोवूर उस सख्श का नाम है, जिसने अंधविश्वास के विरूद्ध एक जोरदार लडाई लडी है। श्री कोवूर कोलम्बो में विज्ञान विभाग के प्रधान पर कार्यरत रहे और 1959 में उससे रिटायर होने के बाद अपने इसी मिशन में लगे रहे। उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं।
उन्होंने तान्त्रिकों, ज्योतिषियों और चमत्कार का दावा करने वाले विश्व के तमाम बाबाओं को खुली चुनौती देते हुए 1963 में उनके सामने 22 चुनौतियाँ रखी थीं और यह घोषणा की थी कि जो भी व्यक्ति इनमें से एक चुनौती में भी खरा उतर कर दिखाएगा, उसे एक लाख रूपये का नकद इनाम दिया जाएगा। डा0 कोवूर के अनुसार निम्न प्रकार के कार्य धोखारहित परिस्थितियों में करके दिखाने वाले व्यक्ति इनाम जीत सकते हैं-
1- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट की ठीक नकल पैदा कर सकता हो।
2- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट का नंबर पढ सकता हो।
3- जो जलती आग में अपने देवता की सहायता से आधे मिनट के लिए नंगे पैर खडा हो सकता हो।
4- ऐसी वस्तु जो मैं मांगूं, हवा में से प्रस्तुत कर दे।
5- टेलीपैथी द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के विचार पढ कर बता सकता हो।
6- मनोवैज्ञानिक शक्ति से किसी वस्तु को हिला या मोड सकता हो।
7- प्रार्थना द्वारा, आत्मिक शक्ति द्वारा गंगा जल द्वारा या पवित्र राख से अपने शरीर को एक इंच बढा सकता हो।
8- जो योग शक्ति द्वारा हवा में उड सके।
9- यौगिक शक्ति से पांच मिनट के लिए अपनी नब्ज रोक सके।
10- पानी पर पैदल चल सके।
11- अपना शरीर एक स्थान पर छोड कर दूसरी जगह हाजिर हो।
12- यौगिक शक्ति द्वारा 30 मिनट के लिए श्वास क्रिया रोक सके।
13- रचनात्मक बुद्धि का विकास करे। भक्ति या अज्ञात शक्ति द्वारा अत्मज्ञान प्राप्त करे।
14- पुनर्जन्म के तौर पर कोई अनोखी भाषा बोल सके।
15- ऐसी आत्मा या प्रेत हाजिर करे, जिसकी फोटो खींची जा सकती हो।
16- फोटो खींचने के बाद वह फोटो से अलोप हो सके।
17- ताला लगे कमरे में से अलौकिक शक्ति द्वारा बाहर निकल सके।
18- किसी बस्तु का भार बढा सके।
19- छिपी हुई वस्तु को खोज सके।
20- पानी को शराब या पेट्रोल में बदल सके।
21- शराब को रक्त में बदल सके।
22- ऐसे ज्योतिषी या पण्डे, जो यह कह कर लोगों को गुमराह करते हैं कि ज्योतिष तथा हस्त रेखा वैज्ञानिक हैं, मेरे इनाम को जीत सकते हैं। यदि वे दस चित्रों या दस पत्रियों को देख कर आदमियों तथा औरतों की अलग अलग संख्या, जीवित तथा मरे की अलग अलग संख्या बता सकें या जन्म का ठीक समय और स्थान अक्षांस और देशान्तर रेखाओं सहित बता सकें। इसमें 5 प्रतिशत की गल्तियों की छूट होगी।
यह चुनौती डा0 कोवूर द्वारा सारे विश्व के अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित कराई गयी तथा ज्योतिष मैग्जीन के सम्पादक वी0वी0 रमन, यूरी गैलर तथा डयूक विश्वविद्यालय के जे0बी0 रीने समेत अन्य लोगों को भी भेजी गयी। किन्तु वर्ष 1978 में उसकी मौत तक कोई भी व्यक्ति एक भी चुनौती नहीं जीत सका। इतना ही नहीं दो व्यक्ति जमानत के रूप में जमा करवाए दो हजार रूपये हार बैठे।
डा0 कोवूर की मृत्यु के बाद भी यह चुनौती बंद नहीं हुई है। रेशनेलिस्ट सोसायटी पंजाब, जोकि अंधविश्वास के विनाश के लिए काम करती है, के प्रधान श्री मेघ राज मित्र के अनुसार जो व्यक्ति इसमें से कोई भी चुनौती पूरी करने का दम रखता हो, वह श्री मित्र से उनके निवास "तर्कशील निवास, के0सी0 रोड, बरनाला, पंजाब" पर सम्पर्क कर इनाम जीत सकता है।
आश्चर्य का विषय यह है कि 1963 से चली आ रही इन चुनौतियों को कोई भी चमत्कारी बाबा पूरा नहीं कर सका है। क्या इससे डा0 कोवूर का उपरोक्त कथन कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं, स्वयं सिद्ध नहीं हो जाता?
उन्होंने तान्त्रिकों, ज्योतिषियों और चमत्कार का दावा करने वाले विश्व के तमाम बाबाओं को खुली चुनौती देते हुए 1963 में उनके सामने 22 चुनौतियाँ रखी थीं और यह घोषणा की थी कि जो भी व्यक्ति इनमें से एक चुनौती में भी खरा उतर कर दिखाएगा, उसे एक लाख रूपये का नकद इनाम दिया जाएगा। डा0 कोवूर के अनुसार निम्न प्रकार के कार्य धोखारहित परिस्थितियों में करके दिखाने वाले व्यक्ति इनाम जीत सकते हैं-
1- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट की ठीक नकल पैदा कर सकता हो।
2- जो किसी सीलबंद करेंसी नोट का नंबर पढ सकता हो।
3- जो जलती आग में अपने देवता की सहायता से आधे मिनट के लिए नंगे पैर खडा हो सकता हो।
4- ऐसी वस्तु जो मैं मांगूं, हवा में से प्रस्तुत कर दे।
5- टेलीपैथी द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के विचार पढ कर बता सकता हो।
6- मनोवैज्ञानिक शक्ति से किसी वस्तु को हिला या मोड सकता हो।
7- प्रार्थना द्वारा, आत्मिक शक्ति द्वारा गंगा जल द्वारा या पवित्र राख से अपने शरीर को एक इंच बढा सकता हो।
8- जो योग शक्ति द्वारा हवा में उड सके।
9- यौगिक शक्ति से पांच मिनट के लिए अपनी नब्ज रोक सके।
10- पानी पर पैदल चल सके।
11- अपना शरीर एक स्थान पर छोड कर दूसरी जगह हाजिर हो।
12- यौगिक शक्ति द्वारा 30 मिनट के लिए श्वास क्रिया रोक सके।
13- रचनात्मक बुद्धि का विकास करे। भक्ति या अज्ञात शक्ति द्वारा अत्मज्ञान प्राप्त करे।
14- पुनर्जन्म के तौर पर कोई अनोखी भाषा बोल सके।
15- ऐसी आत्मा या प्रेत हाजिर करे, जिसकी फोटो खींची जा सकती हो।
16- फोटो खींचने के बाद वह फोटो से अलोप हो सके।
17- ताला लगे कमरे में से अलौकिक शक्ति द्वारा बाहर निकल सके।
18- किसी बस्तु का भार बढा सके।
19- छिपी हुई वस्तु को खोज सके।
20- पानी को शराब या पेट्रोल में बदल सके।
21- शराब को रक्त में बदल सके।
22- ऐसे ज्योतिषी या पण्डे, जो यह कह कर लोगों को गुमराह करते हैं कि ज्योतिष तथा हस्त रेखा वैज्ञानिक हैं, मेरे इनाम को जीत सकते हैं। यदि वे दस चित्रों या दस पत्रियों को देख कर आदमियों तथा औरतों की अलग अलग संख्या, जीवित तथा मरे की अलग अलग संख्या बता सकें या जन्म का ठीक समय और स्थान अक्षांस और देशान्तर रेखाओं सहित बता सकें। इसमें 5 प्रतिशत की गल्तियों की छूट होगी।
यह चुनौती डा0 कोवूर द्वारा सारे विश्व के अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित कराई गयी तथा ज्योतिष मैग्जीन के सम्पादक वी0वी0 रमन, यूरी गैलर तथा डयूक विश्वविद्यालय के जे0बी0 रीने समेत अन्य लोगों को भी भेजी गयी। किन्तु वर्ष 1978 में उसकी मौत तक कोई भी व्यक्ति एक भी चुनौती नहीं जीत सका। इतना ही नहीं दो व्यक्ति जमानत के रूप में जमा करवाए दो हजार रूपये हार बैठे।
डा0 कोवूर की मृत्यु के बाद भी यह चुनौती बंद नहीं हुई है। रेशनेलिस्ट सोसायटी पंजाब, जोकि अंधविश्वास के विनाश के लिए काम करती है, के प्रधान श्री मेघ राज मित्र के अनुसार जो व्यक्ति इसमें से कोई भी चुनौती पूरी करने का दम रखता हो, वह श्री मित्र से उनके निवास "तर्कशील निवास, के0सी0 रोड, बरनाला, पंजाब" पर सम्पर्क कर इनाम जीत सकता है।
आश्चर्य का विषय यह है कि 1963 से चली आ रही इन चुनौतियों को कोई भी चमत्कारी बाबा पूरा नहीं कर सका है। क्या इससे डा0 कोवूर का उपरोक्त कथन कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं, स्वयं सिद्ध नहीं हो जाता?
"जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं।" यह सही है, क्योंकि जो शक्तिसम्पन्न होते हैं वह दावा नहीं करते ।
ReplyDeleteसूची में कुछ बातें ऐसी हैं जो यौगिक क्रियाओं से सहज ही सम्पादित हो जाती हैं | मैं आश्चर्य में हूँ कि कोई योग-सिद्ध व्यक्ति अब तक डा0 अब्राहम कोवूर से मिला क्यों नहीं ? या यह हो सकता है कि वास्तविक योगी सर्वथा प्रदर्शन विरहित रहा करता हो ।
यह सभी बातें भी केवल पढ़ी-सुनी बातों के आधार पर ही कह रहा हूँ, इसलिये इनका कोई प्रमाण तो मैं भी नहीं दे सकता ।
जो प्राकृतिक नियमों के प्रतिकूल है वह छद्म है यह तो वाल्मीकि ने राम से कहलवाया है। इस लिए चमत्कार कुछ नहीं होता।
ReplyDeleteरोचक -मगर .इनमें से कुछ मनोवैज्ञानिकों के गंभीर अध्ययन का विषय बना हुआ है ! नगें पाँव आग के दहकते गोलों पर चलना सचमुच विस्मयकारी है पर आज तक विज्ञान सम्मत संतोषजनक व्याख्या इसकी दी नहीं जा पायी है -मगर हाँ जो विज्ञान सम्मत नहीं है किन्तु घटित हो रहा है उसे हमें अंध श्रद्धा असे नहीं बल्कि खुली आँखों से देखना होगा !
ReplyDeleteसीधी बात चमत्कार नहीं होते.
ReplyDeleteगुजरात में एक संस्था "विज्ञान-जाथा" इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम रही है. कई चमत्कारियों की कलाई भी खोल चुकी है.
बात-बात से निकली ठाँ-ठाँ करके
ReplyDeleteसिद्ध हो जाता है!
ReplyDeleteचमत्कार को दूर से ही नमस्कार ,लेकिन कभी कुछ ऐसा अघटित हो जाता है की अच्छे -अच्छे लोग भी भ्रमित हो जाते हैं .
ReplyDeleteभूत प्रेत और चमत्कार पर तो मैं अभी अब तक यकीन नहीं करता हूं क्योंकि मैंने अब तक देखे नहीं है। हां तंत्र होता है और उसे मैंने महसूस भी किया है।
ReplyDeleteएक सवाल और विज्ञान इन कसौटियों पर कितना खरा उतरेगा।
अंधविश्वास गलत है और पूरी तक नकार देना भी अंधविश्वास का दूसरा रूप है।
मेरी सोच है बिना आग के धुआं नहीं होता। कुछ होता होगा तो कुछ लोग अतिश्योक्ति कर जाते हैं।
खैर, हर एक का अपना मत है।
दिलचस्प जंग चल रही है विज्ञान और अन्धविश्वास के बीच.
ReplyDeleteजबरदस्त चुनौती है यह!
ReplyDeleteइस का प्रचार प्रसार होना चाहिये और जो खुद को भगवान् /अल्लाह का दूत कहते हैं उन्हें आगे लाना चाहिये की वे इस चुनौती का स्वीकार करें/
लेकिन यह भी सच है..आज भी दुनिया में बंद आँखों से चमत्कार को नमस्कार किया जाता है..ताज़ा उदहारण डॉ.अजय जडेजा --'धरम के नाम पर ठगने वाले महाठग' का है जो आज ही अहमदाबाद से गिरफ्तार हुआ है.
मैने महसूस किया है की भारत में इन्टरनेट आज भी मुख्यधारा से कटा हुआ है. वैसे भी इस प्रकार की चुनौतियों का ज़िक्र आम आदमी तक पहुंचता ही नही है. इसका प्रचार जरूरी है.
ReplyDeletecorrection-
ReplyDeletein my comment given above-please read-Dr.Ashok Jadeja[not ajay']
नागपुर की अन्द्धश्रद्धा निर्मूलन समिती(पता-नया खून कार्यालय काटन मार्केट नागपुर 09421721788) के श्री उमेश चौबे जी द्वारा पिछले पचास वर्षों से यह चुनौतियाँ दी गई हैं आज तक कोई इन्हे स्वीकार करने आगे नहीं आया.यह समिती हज़ारों बाबाओं की पोल खोल चुकी है और drug and magical act 1954 के अंतर्गत उन्हें अन्दर भी करवा चुकी है समिति के 5000 karyakartaa देश मे कार्यरत हैं
ReplyDeleteसन्डे हो या मन्डे, रोज़ खाओ अन्डे, अन्डे खाने वाला बच्चा तेन्दुलकर का हाथ मिलाकर फ़्रेक्चर कर देता है।------क्या ये सब अन्ध्विश्वास व उनको बढावा देने वाले नहीं हैं ???????
ReplyDeleteबस थोडा लिखा बहुत समझें । सब बाज़ार-वाद की बात है, चाहे कल ,आज हो या कल।
जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं,
ReplyDeletebilkul sahi baat hai..
सत्य वचन !
ReplyDeleteभई, इब तो बात बढ़ गयो से। मैं कोनी एक ही रिक्वेस्ट करूं, जाकि एक चमत्कारी बाबा सूं लाके म्हारे पास बिठलाओ। मेरे यहां-वहां के हेयर जो हैं ना खूब बढ़े से, हफ्ते-हफ्ते बढ़े सें, तो जो कोई चमत्कारी बाबा अपने चमत्कार से मेरा एक भी यहां-वहां का हेयर उखार देवेगा, सो मैं उसको एक लाख का ईनाम देवूंगा। जय हो चमत्कार की...।
ReplyDeleteचमत्कार नहीं होते
ReplyDeleteइस जगत मे कुछ भी चमत्कार नही है , सत्य को ही चमत्कार मान लिज़िये ,सत्य को ही सामान्य मान लिज़िये , सत्य के ही सब अवलोकन है ।माया के प्रादुर्भाव से जगत मे व्याप्त उर्जा के विभिन्न प्रदर्शन हमे देख्नने को मिलते है । मुझे चमत्कार के स्थान पर असामान्य शब्द अधिक सटीक लगता है । जो लोग असामान्य या चमत्कार करने कि शक्ति रखते है वे कभि दावा या प्रदर्शन जैसी ओछी मांनसिकता नही रखते और जो रखते है वे उस योग्य नही होते है ।सम्भवत: इसीलिये कोवुर जी कि चुनौती का कोइ जवाब नही आया . क्युं कि ज्ञानी लोग सोचते है कि सत्य का क्या प्रदर्शन और जो सत्य नही है उसका प्रदर्शन हो नही सकता । इस क्षेत्र कि यही समस्या है गम्भीर लोग सामने नही आते और् जो सामने आते है वे पाखंडी होते है और अपने भौतिक स्वार्थो के लिये लोगो को बेवकूफ बनाते है । परंतु इस आधार पर विशेस शक्तियो के अस्तित्व को नकारा नही जा सकता ।
ReplyDeleteसत्येन्द्र जी से पूर्णता सहमत! अंध-विश्वास तो जाना ही चाहिए लेकिन, गेंहू के साथ घुन भी न पीस दीजियेगा| बाकी सम्प्रदायों का पता नहीं, लेकिन हिन्दू धर्मं में यदि आमतौर पर मिलने वाले बाबा शायद ठग ही हैं, तो कई ऐसे भी हैं जो वाकई ज्ञानी हैं| अगर किसी को ऐसे ज्ञानियों को खोजना है तो चुनौती से काम नहीं चलेगा, गहरे पानी उतरना पड़ेगा| बाकी माडर्न साइंस तो अभी नया है, हर चीज़ को आज की साइंस से नापना भी कितना उचित है, जबकि हम अपने शरीर और सौर मंडल के बारे में ही १०% भी नहीं जानते| माडर्न साइंस प्रश्न पूछना सिखाती हैं, (खुले मन से सत्य ढूडने के लिए) लेकिन कई लोग इसी साइंस में अंध-विश्वास करने लगते हैं|
ReplyDeleteचमत्कार एक सापेक्ष व्यवस्था है. सेलफ़ोन छत्तीसगढ के किसी इंटीरीयर में एक चमत्कार ही है.
ReplyDeleteमैं हिमांशुजी की बात से सहमत हूं. इसमें से कई क्रियायें संभव है, मगर जो भी उसको करने की क्षमता रखता होगा उसे इसका प्रदर्शन करना पसंद ना हो.
चमत्कार के बारे में योगी की आत्मकथा में लिखा है, कि आईंस्टाईन के E=MC Square की थ्योरी में योगी अपने Mass याने भौतिक वजन को योगशक्ति द्वारा हलका कर लेते है.ईसीलिये उनमें Energy अनंत हो जाती है.
मैं एक व्यक्ति को जानता था जिसनें टेलीपेथी से मन के विचारों को पढने की कला आत्मसात कर रखी थी. ( वह अब नही है)
मगर ये जो दुकान चलाने वाले हैं, उनके पास मूलतः वह शक्ति हो ही नही सकती.एक लाख में से एक ही व्यक्ति होगा जो यह शक्ति रखता है, और उसे इस पाखंड की ज़रूरत ही नही होती.
चमत्कार को नमस्कार
ReplyDeleteसंसार बड़ा अजीब है |
पहले बोलता है की चमत्कार करो तभी हम विश्वास करेंगे |
फिर कहता है की यह चमत्कार वगैरह सब झूठ है |
अब चमत्कार भी उसी को मानता है जो की प्रकृति के विपरीत होता है |
अब कोई कहे की भाई में गुदा से खाना खता हूँ और मुंह से टट्टी जाता हूँ तो यह चमत्कार हो गया |
अब चमत्कार को समझने की कोशिश करते हैं हम |
चमकता है जिसका आकार उसको कहते हैं चमत्कार |
जैसे कोई बीमार था और वह अब स्वस्थ्य हो गया तो लोग कहते हैं देखो भाई चमक रहा है पहले कैसा मरेला था | यह तो चमत्कार हो गया |
जब तक आकार नहीं चमकता तब तक चमत्कार नहीं माना जाता है |
चम् बोला जाता है चमड़ी को |
टीवी में विज्ञापन में रोज ही नयी-नयी क्रीम चमड़ी को चमकाने का चमत्कार करने का दावा करती हैं | लेकिन आज तक किसी संस्था ने उनका विरोध नहीं किया | की तुम अफ्रीका के काले आदमी को इस क्रीम से गोरा करके दिखाओ |
जैसे माइकल जैक्सन जब तक काला था तब तब उसको कोई नहीं पूछता था जब वह चमक गया तब उसको दुनिया ने जाना की अरे यह तो काले से गोरा हो गया | इसकी चमड़ी चमक गयी |
जिसकी चमड़ी ज्यादा चमकती है उसी से चमत्कार होते हैं |
जैसे ताज़ा उदहारण ले लो |
बाबा रामदेव को आप पहले देखो तो कहोगे की यह बाबा रामदेव हैं |
और आज के बाबा रामदेव ले लो कितने तेज उनमें चमक रहा है |
और उसी तेज के बल पर चमत्कार हो रहे हैं |
यही विज्ञानं की दुहाई देने वाले डायबीटीस, दमा, जैसे बीमारियों को ठीक नहीं कर पाए और उन्होंने बस एक प्राणायाम से सब कर दिया यह क्या चमत्कार से कम है | जो लोग जिन्दगी से अपने आपको रिटायर मान रहे थे, जीवन में बीमारियों से थक गये थे हार गये थे, उन लोगों को नया जीवन दिया | यह चमत्कार नहीं तो और क्या है |
जो अतिज्ञानी ये कहते हैं कि अलौकिक या अशरीरी ताकतों का कोई अस्तित्व नहीं है तो छोटा सा प्रयोग करके देख लें ।
ReplyDeleteचुनौती देना शायद भूल जाएं ।
विज्ञान आज तक लोगो की शुगर ब्लूडप्रेशर सही कर नहीं पाया लोगो के घुटने के दर्द को सही कर नहीं पाया और तो और खुजली का इलाज़ कर नही पा रहा करता है ब्रह्मांड को समझने की बातें ।
जो चुनौती दे वो रिप्लाई करे छोटा सा प्रयोग बताऊंगा भृम दूर हो जाएगा