आईये छद्मविज्ञान बाचें !

"बड़े पहुंचे हुए हैं गुरू जी ,आज इनका प्रवचन होगा प्राचीन भारत में विज्ञान पर ,अच्छा है आप भी आयें है अपनी श्रवनेंद्रियाँ तृप्त कर लें ...

"बड़े पहुंचे हुए हैं गुरू जी ,आज इनका प्रवचन होगा प्राचीन भारत में विज्ञान पर ,अच्छा है आप भी आयें है अपनी श्रवनेंद्रियाँ तृप्त कर लें आज"
एक भक्त ने पूरे भक्ति भाव से कहा -मैं उसके मुंह पर सहसा उभर आए गुरुभक्ति के रौद्र भाव से सहमता हुआ चुपचाप बगल में जा बैठा ! प्रवचन जल्दी ही शुरू हो गया !

" डी एन ए क्या है -ब्रह्मा विष्णु और महेश के साथ एक नारी शक्ति मतलब चार स्तम्भ -यानि आधार यह बात तो हमारे वैदिक ऋषि को भी मालूम थी ! और सर्जरी -कैसे बालक गणेश का सर काट कर शंकर जी ने हांथी का सर लगा दिया था -कितने कुशल सर्जक थे वे ! आज के वैज्ञानिक क्या यान बनायेगें ? पुष्पक विमान देखो इससे भी अच्छा विमान बन सकता है बोलो ,बोलो बन सकता है -..."

भीड़ ने जयकारा लगाया -नहीं नही गुरु जी ,आप महान हैं -जय हो जय हो गुरु जी की जय हो ......

मैं हताश पस्त इस देश की मनीषा के इस कदर तक के अधिपतन से क्षुब्ध होता प्रवचन स्थल से चल पड़ा -लोगों की नजरों ने पीछा करते हुए मानों पूंछा कितने हतभाग्य हो अमृत वचनों से जीवन को धन्य करने के बजाय सांसारिक मोहमायाकी ओर चल पड़े ! अब मैं क्या कहूं ? धर्म और आधुनिक विज्ञान के इस घालमेल को मैं कभी पचा नहीं पाता -यही तो है क्षद्म विज्ञान (सूडो साईंस ) और इसके एक नहीं दस शीश हैं और यह प्रलाप ही करता रहता है ! रावण की तरह !

कितना ही अच्छा होता गुरू महराज केवल हिन्दू त्रिदेवों के बारे में ही बताते -त्रिदेवों की कल्पना के पीछे के सुंदर भाव को समझाते -वे तो लगे उससे डी एन ए को जोड़ने ! और हाँ यह सच है प्लास्टिक सर्जरी का आविष्कार सुश्रुत ने ईसा के पहले ही कर दिया था जब उन्होंने चेहरे की विकृति को दूर करने के लिए शरीर के एक दूसरे हिस्से से चमड़ी काट कर काले चीटों के मुंह की मदद से उसे चेहरे पर स्थिर /स्टिच कर दिया था -पूरा विवरण सुश्रुत संहिता में है -आज विश्व इस बात को मानता है -प्लास्टिक सर्जरी भारत में अन्वेषित हुई ! पर गुरू जी तो गणेश जी के हांथी के सर को ले बैठे जो महज कपोल कल्पना से बढ़ कर कुछ नहीं !

क्या यह कम रोचक लगता है कि भारतीय मनीषा ने एक ऐसे यान की परिकल्पना हजारो साल पहले कर दी थी जिसमें एक वी वी आई पी सीट हमेशा खाली रहती थी -वह बिना चालाक का यान था और उसे हर्ष विशाद का अनुभव भी होता था -रांम ने जब उससे अयोध्या पहुँचने पर वापस जाने का आदेश दिया तो वह हर्ष और शोक दोनों से ग्रस्त हो गया -हर्ष इसलिए कि स्वामी कुबेर के पास जाने के अनुमति और शोक राम का सानिध्य छूटना !
यह बताओ न गुरू जी !

इसलिए क्षद्म विज्ञान से और गुरू जी से दूर से ही नमस्कार ! ऐसे लोग कितना नुक्सान कर रहे हैं हमारी ज्ञान की थाती का यह शायद वे नहीं जानते और यदि यह सब लोग जान बूझ करते हैं तो यह अक्षम्य अपराध है -वे सब रौरव नरक के अधिकारी हैं !

COMMENTS

BLOGGER: 24
  1. प्राचीन ग्रंथों में सत्‍य , असत्‍य(जो सत्‍य न होते हुए भी समाज के हित में थे)और कल्‍पना (जिनका कोई अस्तित्‍व ही नहीं है , पर वह भी समाज के हित में ही थी), इन तीनों का इतना घालमेल किया गया है कि ग्रंथों को पढनेवालों के लिए भी वास्‍तविकता को समझ पाना काफी कठिन हो जाता है। यदि नादानी में ग्रंथों के आधार पर गलत विश्‍लेषण किया जाए तो अधिक दिक्‍कत नहीं है , पर समाज को गुमराह करने के लिए यदि ग्रंथों का उपयोग किया जाता है , तो यह अवश्‍य गलत है।

    ReplyDelete
  2. हा हा हा ..सहमत हूँ आपसे आज पहली बार :-)

    ReplyDelete
  3. अरविंद जी आप से पूरी तरह से सहमत। लोग साहित्य को इतिहास और कल्पना को विज्ञान साबित करने में लगे हैं। आखिर दुकानें जो चलानी हैं। पापी पेट का सवाल है जी।

    ReplyDelete
  4. रौरव नरक के अधिकारी हैं !
    नो नो! रौरव नर्क ग्रेड H1D-II के। टु बी प्रिसाइज़! :)

    ReplyDelete
  5. अरविन्द जी, आप स्वयम इन्टेर्नेट पर रावण के बारे में पढिये, क्योंकि आप जैसे लोग पश्चिम को ही सच मानते हैं, वहां आपको सचित्र व व्याख्या सहित पुष्पक एवम अन्य प्रकार के विमानॊं क वर्णन मिलेगा। रावण संहिता, वैमानिकी,आदि विस्त्रत रूप से बताया गया है।
    इसी प्रकार रिग्वेद व यज़ुर्वेद ध्यान से पढिये, पढने का कष्ट तो करिये,सब कुछ मिलेगा।यह वस्तुतः अति विकसित सर्ज़री ही थी,वहां घोडे का सिर, विभिन्न जोडों को बदलने का भी वर्णन मिलेगा।
    क्या आज से २० साल पहले आप सोच सकते थे ,रिमोट के बारे में ?
    यह सत्य ही है कि त्रिदेव-ओर कुछ नहीं, वही एलेक्ट्रोन,प्रोटोन,न्युट्रोन हैं।
    आप टी वी पर कन्गारू को आस्त्रेलिया लिखा मानलेते हैं ,क्यों? बस सामान्य जनता को बताने के लियेएवम सन्क्षिप्तता के लिये छद्म व चिन्हित
    शब्द व भाव अपनाने होते हैं, गणित के सूत्रों की भान्ति।
    क्या कम्पुटर स्वयम गणना नहीं करता, जिस ट्रान्स्लिट्रेशन से में लिख रहा हूं वह अन्ग्रेजी के एन को न या ण में स्वयम बदलदेता है शब्द की आवश्यकतानुसार, क्या यह अत्यन्त प्रारम्भिक अवस्था का भाव -पहिचान नहीं है? तो पुष्पक विमान को हर्ष व शोक क्यों नहीं हो सकता।
    वस्तुतः यह छद्म -विग्यान नहीं हम भारतीयों का छद्म-ग्यान है। तथा आप जैसे लोग ग्यान की उच्च धाराओं पर अन्वेषण की बज़ाय उसे हानि पहुंचाने में लगे हैं। इसी अग्यानता , स्वयम को भूलकर नकारना, आत्म्हीनता ,से ग्रसित होने के कारण हम पराधीन हुए ओर आज अप सन्स्क्रति के आधीन हैं।
    आधुनिकता , इतिहास व प्राचीन उपलब्धियों को भूलकर नहीं ,उन्हे साथ लेकर चलने को कहते हें ।
    "" जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ""
    और अन्त में---आप रौरव नर्क को मानते हैं,तभी तो किसी को वहां भेजने को रिकमन्ड करेंगे????

    ReplyDelete
  6. आडम्बरी गुरु के वेश में अबूझों को अपने नकली इन्द्रजाल में फंसा रहे है> ये लोग हमारी प्राचीन संपदा का दोहन कर नोट छापने में लगे है..

    ReplyDelete
  7. संगीता जी ने सही कहा है - सब कुछ इतना घालमेल है कि कोई स्पष्ट धारणा नहीं बनायी जा सकती ।
    प्रकारांतर से सहमत हूँ आपसे ।

    ReplyDelete
  8. Sangita ji ki baat -' समाज को गुमराह करने के लिए यदि ग्रंथों का उपयोग किया जाता है , तो यह अवश्‍य गलत है।'
    ka samarthan karungi.

    ReplyDelete
  9. अब जो गुरु बन के बताएँगे जनता उसकी को सच मान लेती है .. सही लिखा है आपने ..बात समझने की है ..

    ReplyDelete
  10. किसी भी प्राचीन ग्रन्थ में सत्य,असत्य और कल्पना के घालमेल जैसा कुछ नहीं है। अगर हम लोग आज उन्हे समझने में असमर्थ हैं तो ये हमारा दोष है, न कि पुरातन ग्रन्थों का। तथा इन्हे न समझने के भी मुख्यत: दो कारण दिखाई देते हैं।
    एक तो इन्हे लिखते समय बहुत ही अलंकारिक भाषा का प्रयोग किया गया है, जिस कारणवश इनमे वर्णित घटनाओं को अलौकिक मान लिया गया है.दूसरा शाब्दिक परिवर्तन जो कि हर युग और हर कार्यक्षेत्र में समय समय पर होते रहते हैं, जिनका अर्थ समझने के लिए शब्दकोष भी सहायक नहीं हो पाते।
    समय की मांग तो यही है कि इनमे वर्णित तथ्यों का अन्वेषण करके इनकी सत्यता को जाँचने का प्रयत्न किया जाए, न कि ढकोसला/अंधविश्वास कह कर अपनी तथाकथित प्रगतिशीलता का परिचय दिया जाए।
    बाकी डा.श्याम गुप्ता जी के कथन से पूर्णत: सहमति है।

    ReplyDelete
  11. गुप्त जी .
    भारतीय मनीषा को खतरा किससे है यह तो स्वयम स्पष्ट है -आप से विनती है की आप प्राच्य ज्ञान , वैदिक और वेदान्त के विषयों को जस का तस तो रखें पर इस देश की खातिर उनका भाष्य मत किया करें -बहुत मनीषी पहले ही भाष्य कर चुके हैं ! उनसे काम चलाये .
    आप ऐसा घालमेल कर रहे हैं की स्तब्ध हूँ !
    मैं उन्मुक्त जी जैसा विनम्र नहीं हूँ की यह कह दूं की मुझे हिदू धर्म दर्शन का रंह मात्र ज्ञान नहीं है ! मैं थोडा उद्धत हूँ -आप जिस विषय वेड वेदान्त /उपनिषद /महाकाव्य /पुराण पर चाहें चर्चा कर लें मगर इस ब्लॉग पर नहीं !

    ReplyDelete
  12. यदि यह मान भी लें कि प्राचीन भारतीयों के उर्वर मस्तिष्क की हर परिकल्पना सिद्धांत, नियम और ठोस संरचना में घनीभूत होने योग्य है तो उससे क्या हासिल होगा?
    हम वर्तमान के उन्नत होते विज्ञान का सहारा लें या लुप्त हो चुके ज्ञान और परम्परा को दुबारा 'खोजने' के भगीरथ तप में लगें?
    मुझे तो पहली राह ही ठीक लगती है।

    ReplyDelete
  13. आपने सही निरुपित किया है .

    ReplyDelete
  14. "" जिस वस्तु पर विज्ञान की मुहर लग जाये केवल वही सत्य है ""
    ये तो मैं मान नहीं सकता और आप भी शायद इस कथन से सहमत न होगें
    अभी विज्ञान खुद का कितना विस्तार कर पाया है इस विशय में मुझसे बेहतर आप जानते हैं

    वीनस केसरी

    ReplyDelete
  15. जो लोग छ्द्म ज्ञान और विज्ञान को एक कर रहे हैं वे पहले ज्ञान और विज्ञान मे फर्क जान लें विज्ञान को सही अर्थ मे जानने के पश्चात ही छद्मविज्ञान को जान सकते हैं.विज्ञान के नाम पर गुम्राह किया जाना ही छड्म विज्ञान है .आजकल यही चल रहा है.

    ReplyDelete
  16. पोस्ट और प्रतिक्रियाओं को देखकर तो यही लग रहा है कि 'असोसिएशन' पर गूगल या किसी भी अन्य रैंकिंग के टॉप 10 में आने से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण जिम्मेवारी निभाने का दायित्व आ गया है.

    ReplyDelete
  17. वाकई में, ये बातें सोचने वाली हैं
    हमारे वैज्ञानिक हमारे वेदों पर ध्यान क्यों नहीं देते

    मैने सुना है, विदेशी लोग, वेदों से काफी ज्ञान बटोर रहे हैं, तो हम क्यों नहीं

    और अगर पुरानी साइंस हमारे से ज़्यादा विकसित थी, तो उस से ज्ञान बटोरने में मुझे कोई हानि नज़र नहीं आती, अगर हम ऐसा कर पायें तो

    ReplyDelete
  18. वेद और विज्ञान ? दोनो मे तुलना ? एक अंतहीन और निरर्थक बहस के अलावा और कुछ नही होगी। निरर्थक इसलिये क्योंकि दोनो पक्ष अपने अपने तर्क(कुतर्क) लेकर शुरू हो जायेंगे। सुनेगा कोई किसी की नही।
    रहा सवाल वेदो का, वेदो मे क्या है ? इसे समझाने (समझाने से ज्यादा समझने का) एक प्रयास यहां है।
    विज्ञान पर भी कुछ् यहां और यहां भी मैने कुछ लिखा है। मेरा मौलीक लेखन कहीं नही है, जो पढा है, जो समझा है बस वही लिखा है।
    मै ना तो वैदिक पंडित हूं ना कोई विज्ञान का शास्त्री ! बस दोनो को सापेक्ष नजर से देखते रहता हूं। लेकिन इतना जानता हूं कि अब से ज्यादा नही कुछ सौ वर्षो पहले तक पृथ्वी को ब्रम्हाण्ड का केन्द्र माना जाता था। इलेक्ट्रान प्रोटान और् न्युट्रान जिसे त्रीदेव बना दिया गया है, वह भी छह अलग अलग तरह के क्वार्क से बने है ! इनके अलावा भी बोसान, फोटान, पाजीट्रान और भी पता नही कितने कण् है! अब हम भी पूरी सूची कहां से लायें ,हर छह महिने मे एक नये कण की खोज हो जाती है।

    ReplyDelete
  19. कोई भी कहानी कार जब कहानी लिखता है तो वो वर्तमान के बदलते परिवेश को देखकर हजरून साल बाद के बदले हुए विश्वा को ध्यान मैं रखकर लिखता है !! क्या हम अभी बेटरी से चलने लगे हैं?? क्या हमने खाना छोड़ दिया है?? नहीं !! लेकिन जब हजारों साल बाद की कल्पना करें तो हम खाना पानी छोड़ चुके होंगे !! या तो कोई पावडर सुघेंगे या बेटरी और सोलर एनर्जी से चलेंगे !! ठीक वैसे ही पुष्पक विमान और गणेशजी का सर है!!

    ReplyDelete
  20. अरविन्द जी, आपने ठीक से नहीं पढा, सुश्रुत चेहरा ठीक नहीं, सिर्फ़ नाक व कान बनाया करते थे,जो सुश्रुत विधि के नाम से प्रसिद्ध है। चमडी शरीर के दूसरे हिस्से से नहीं,माथे से व कान के पीछे से ली जाती थी। आज कते हुए अन्ग जोडेजाने की प्रक्रिया प्रयोग में है।
    दिनेश जी अगर आपने ढन्ग से विग्यान पढा हो तो , पहले कल्पना, फ़िर परिकल्पना फ़िर विग्यान-प्रयोग आता है।
    वेदों में कहीं भी प्रथ्वी को ब्रह्मान्ड का केन्द्र नहीं बताया है.आप पढिये तो!
    कोई घालमेल नहीं,अग्यानता है। देश की खातिर ही भाष्य किया जारहा है,नहीं तो क्या,जस का तस.आप समझ पाते तो अब तक विग्यान की उन्नति में भारत का योग्दान नहीं होता,क्यों हम दूसरोंकी नकल पर ज़िन्दा रहते? पुस्तक में से नकल करके,आज जन्म दिन...या क्या सत्य्नारायण की कथा सुनानी है, जो विश्लेषण न किया जाय।
    क्या हम सुविधा भोगी ही बने रहेंगे?,विग्यान के लिये तप की आवश्यकता होती है.

    ReplyDelete
  21. गिरिजेश राव जी ,
    आपने कहा "हम वर्तमान के उन्नत होते विज्ञान का सहारा लें या लुप्त हो चुके ज्ञान और परम्परा को दुबारा 'खोजने' के भगीरथ तप में लगें?"

    मैं पूछती हूं कि कितने प्रतिशत लोगों के पक्ष में काम आ रहा है यह आपका उननत होता विज्ञान .. दस प्रतिशत से भी कम लोग लाभान्वित हैं इससे .. तो 90 प्रतिशत से अधिक लोगों के लिए य‍ह अभिशाप बना हुआ है .. यह विज्ञान की सुख सुविधाएं ही है .. जिसने लोगों को नैतिक तौर पर भ्रष्‍ट कर रखा है .. कितना बचा सकते हैं लोग अपने आपको चारो ओर फैले भ्रष्‍टाचार से .. कम से कम लुप्‍त हो चुका ज्ञान और परंपरा तो शत प्रतिशत लोगों के हित में था ।

    ReplyDelete
  22. सन्गीता जी, आपने सही कहा। वस्तुतः बात विग्यान.दर्शन,धर्म की आपस में टक्कर या मानने न मानने की नहीं है,यह सब ग्यान ही है ओर ग्यान में अच्छा -बुरा क्या? सब अनुकरणीय व आदर योग्य है।
    पहले द्रष्टि-अर्थात दर्शन होता है,जो अनुभव द्वारा वस्तु का विशद ग्यान( दिग्दर्शन) कराता है,तब उसे प्रयोग में लाने के लिये,विग्यान(विशिष्ट ग्यान )के नियम आते हैं। धर्म(पन्थ,मज़हब या रिलीजन नहीं),दर्शन व विग्यान के बीच की कडी है जो दोनों को अतिवाद से बचाती है। मानव कोविग्यान के दुरुपयोग से दम्भी होने से रोकती है व ग्यान के दम्भ में कर्म-बिमुखता से रोकती है।
    वस्तुतः विग्यान कोई बुरी वस्तु नहीं है न त्याज्य-यह तो अति-भौतिकता से उत्पन्न,अतिसुखाभिलाषा, अहं,में मानवता से गिरने की बात गलत है जो विग्यान के साथ-साथ,धर्म,दर्शन,ईश्वर ,मानवता को न रखने पर उसी मानव के विरुद्ध होजाती है जिसके सुख के लिये इसका आविर्भाव हुआ था।
    रावण, कन्स,हैहय राज,सभी रक्ष-सभ्यतायें,वस्तुतः अति उन्नतिशील वैग्यानिक सभ्यतायें थी। ईश्वर-भाव बिमुख होने पर अहं के कारण अन्ततः अपने से कम उन्नत सभ्यताओं से परजित हुईं।

    ReplyDelete
  23. arvind ji aap ki bat se me sahamt nhi hu aap ne un grntho ka adhyayan kye bina hi apana pravachn likha dkla . jisa pr aapki shrdha h kabhi un se ye prasn kre

    ReplyDelete

Name

- दर्शन लाल बावेजा,1,- बी एस पाबला,1,-Dr. Prashant Arya,2,-अंकित,4,-अंकुर गुप्ता,7,-अभिषेक ओझा,2,-अल्पना वर्मा,22,-आशीष श्रीवास्‍तव,2,-इन्द्रनील भट्टाचार्जी,3,-काव्या शुक्ला,2,-जाकिर अली ‘रजनीश’,56,-जी.के. अवधिया,6,-जीशान हैदर जैदी,45,-डा प्रवीण चोपड़ा,4,-डा0 अरविंद मिश्र,26,-डा0 श्‍याम गुप्‍ता,5,-डॉ. गुरू दयाल प्रदीप,8,-डॉ0 दिनेश मिश्र,5,-दर्शन बवेजा,1,-दर्शन लाल बवेजा,7,-दर्शन लाल बावेजा,2,-दिनेशराय द्विवेदी,1,-पवन मिश्रा,1,-पूनम मिश्रा,7,-बालसुब्रमण्यम,2,-योगेन्द्र पाल,6,-रंजना [रंजू भाटिया],22,-रेखा श्रीवास्‍तव,1,-लवली कुमारी,3,-विनय प्रजापति,2,-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई),81,-शिरीष खरे,2,-शैलेश भारतवासी,1,-संदीप,2,-सलीम ख़ान,13,-हिमांशु पाण्डेय,3,.संस्‍था के उद्देश्‍य,1,।NASA,1,(गंगा दशहरा),1,100 billion planets,1,2011 एम डी,1,22 जुलाई,1,22/7,1,3/14,1,3D FANTASY GAME SPARX,1,3D News Paper,2,5 जून,1,Acid rain,1,Adhik maas,1,Adolescent,1,Aids Bumb,1,aids killing cream,1,Albert von Szent-Györgyi de Nagyrápolt,1,Alfred Nobel,1,aliens,1,All india raduio,1,altruism,1,AM,18,Aml Versha,1,andhvishwas,5,animal behaviour,1,animals,1,Antarctic Bottom Water,1,Antarctica,9,anti aids cream,1,Antibiotic resistance,1,arunachal pradesh,1,astrological challenge,1,astrology,1,Astrology and Blind Faith,1,astrology and science,1,astrology challenge,1,astronomy,4,Aubrey Holes,1,Award,4,AWI,1,Ayush Kumar Mittal,1,bad effects of mobile,1,beat Cancer,1,Beauty in Mathematics,1,Benefit of Mother Milk,1,benifit of yoga,1,Bhaddari,1,Bhoot Pret,3,big bang theory,1,Binge Drinking,1,Bio Cremation,1,bionic eye Veerubhai,1,Blind Faith,4,Blind Faith and Learned person,1,bloggers achievements,1,Blood donation,1,bloom box energy generator,1,Bobs Award,1,Breath of mud,1,briny water,1,Bullock Power,1,Business Continuity,1,C Programming Language,1,calendar,1,Camel reproduction centre,1,Carbon Sink,1,Cause of Acne,1,Change Lifestyle,1,childhood and TV,1,chromosome,1,Cognitive Scinece,1,comets,1,Computer,2,darshan baweja,1,Deep Ocean Currents,1,Depression Treatment,1,desert process,1,Dineshrai Dwivedi,1,DISQUS,1,DNA,3,DNA Fingerprinting,1,Dr Shivedra Shukla,1,Dr. Abdul Kalam,1,Dr. K. N. Pandey,1,Dr. shyam gupta,1,Dr.G.D.Pradeep,9,Drug resistance,1,earth,28,Earthquake,5,Einstein,1,energy,1,Equinox,1,eve donation,1,Experiments,1,Facebook Causes Eating Disorders,1,faith healing and science,1,fastest computer,1,fibonacci,1,Film colourization Technique,1,Food Poisoning,1,formers societe,1,gauraiya,1,Genetics Laboratory,1,Ghagh,1,gigsflops,1,God And Science,1,golden number,2,golden ratio,2,guest article,9,guinea pig,1,Have eggs to stay alert at work,1,Health,70,Health and Food,14,Health and Fruits,1,Heart Attack,1,Heel Stone,1,Hindi Children's Science Fiction,1,HIV Aids,1,Human Induced Seismicity,1,Hydrogen Power,1,hyzine,1,hyzinomania,1,identification technology,2,IIT,2,Illusion,2,immortality,2,indian astronomy,1,influenza A (H1N1) virus,1,Innovative Physics,1,ins arihant,1,Instant Hip Hain Relief,1,International Conference,1,International Year of Biodiversity,1,invention,5,inventions,30,ISC,2,Izhar Asar,1,Jafar Al Sadiq,1,Jansatta,1,japan tsunami nature culture,1,Kshaya maas,1,Laboratory,1,Ladies Health,5,Lauh Stambh,1,leap year,1,Lejend Films,1,linux,1,Man vs.Machine,1,Manish Mohan Gore,1,Manjeet Singh Boparai,1,MARS CLIMATE,1,Mary Query,2,math,1,Medical Science,2,Memory,1,Metallurgy,1,Meteor and Meteorite,1,Microbe Power,1,Miracle,1,Misconduct,3,Mission Stardust-NExT,1,MK,71,Molecular Biology,2,Motive of Science Bloggers Association,1,Mystery,1,Nature,1,Nature experts Animal and Birds,1,Negative Effects of Night Shift,1,Neuroscience Research,1,new technology,1,NKG,4,open source software,1,Osmosis,1,Otizm,1,Pahli Barsat,1,pain killer and pain,1,para manovigyan,1,PCST 2010,5,pencil,1,Physics for Entertainment,1,PK,2,Plagiarism,5,Prey(Novel) by Michael Crichton,1,Pshychology,1,psychological therapy in vedic literature,1,Puberty,1,Rainbow,1,reason of brininess,1,Refinement,1,Research,4,Robotics,1,Safe Blogging,1,Science Bloggers Association as a NGO,2,Science communication,1,science communication through blog writing,4,Science Fiction,16,Science Fiction Writing in Regional Languages,1,Science Joks,1,Science Journalism and Ethics,3,Science News,2,science of laughter,1,science project,1,Science Reporter,1,Science Theories,9,scientific inventions,2,Scientist,47,scientists,1,Search Engine Volunia,1,Secret of invisibility,1,Sex Ratio,1,Shinya Yamanaka,1,SI,1,siddhi,1,Solar Energy,1,space tourism,1,space travel,1,Spirituality,1,Stem Cell,1,Stephen Hawking,1,stonehenge mystery,1,Summer Solstice,1,Sunspots and climate,1,SuperConductivity,1,survival of fittest,1,sweet 31,1,Swine flue,1,taantra siddhee,1,tally presence system,1,Tantra-mantra,1,technical,1,technology,18,telomerase,1,Theory of organic evolution,1,Therapy in Rig veda,1,tokamak,1,Top 10 Blogger,1,Transit of Venus,1,TSALIIM Vigyan Gaurav Samman,1,tsunami warning,1,Tuberculosis Bacillus,1,tyndall effect,1,universe,14,Urdu Science Fiction Writer,1,vedic literature,1,VIDEO BOOK,1,Vigyan Pragati,1,Vigyan Prasar,1,Vision,1,Vividh Bharti,1,water,1,Web Technology,1,Wild life,3,Women Empowerment,1,Workshop,5,World Health Day,1,World no tobacco day,1,world trade center,1,Wormhole concept,1,Ya Perelman,1,yogendra,2,π,1,अंक,1,अंक गणित,1,अंतरिक्ष,1,अंतरिक्ष में सैर सपाटा,1,अंतरिक्ष यात्रा,1,अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन,1,अतिचालकता,1,अतीन्द्रिय दृष्टि,1,अतीन्द्रिय बोध,1,अथर्ववेद,1,अंध-विश्वास,2,अंधविश्‍वास,1,अंधविश्वास को चुनौती,3,अधिक मास,1,अध्यात्म,1,अनंत,1,अनसुलझे रहस्य,1,अन्तरिक्ष पर्यटन,3,अन्धविश्वास,3,अन्धविश्वास के खिलाफ,1,अभिषेक,8,अभिषेक मिश्र,4,अमरता,1,अम्ल वर्षा,1,अयुमु,1,अरुणाचल प्रदेश,1,अर्थ एक्सपेरीमेंट,3,अर्शिया अली,1,अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी,1,अलौकिक संगीत,1,अवसाद मुक्ति,1,अस्थि विज्ञान,1,आई आई टी,1,आई साईबोर्ग,1,आईएनएस अरिहंत,1,आकाश,1,आकाशगंगा,2,आटिज्‍म,1,आध्यात्म,1,आनंद कुमार,1,आनुवांशिक वाहक,1,आर्कियोलॉजी,1,आलम आरा,1,आविष्कार,1,आविष्कार प्रौद्योगिकी मोबाईल,1,इंटरनेट का सफर,1,इंडिव्हिजुअल व्हेलॉसिटी,1,इनविजिबल मैन,1,इन्जाज़-ऊंट प्रतिकृति,1,इन्द्रधनुष,1,इन्द्रनील भट्टाचार्जी,1,इन्द्रनील भट्टाचार्य,1,इशारों की भाषा,1,ईश्वर और विज्ञान,1,उजाला मासिक,1,उन्माद,1,उन्‍मुक्‍त,1,उप‍लब्धि,3,उबुन्टू,1,उल्‍कापात,1,उल्‍कापिंड,1,ऋग्वेद,1,एड्स जांच दिवस,1,एड्सरोधी क्रीम,1,एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया,1,एल्कोहल,1,एल्फ्रेड नोबल,1,औरतों में दिल की बीमारी का खतरा,1,कदाचार,1,कपडे,1,कम्‍प्‍यूटर एवं तकनीक,4,कम्प्यूटर विज्ञान,1,करेंट साइंस,1,कर्मवाद,1,किसानों की आत्महत्याएँ,1,कीमती समय,1,कृत्रिम जीवन,1,कृत्रिम रक्‍त,1,कृषि अवशेष,1,केविन वार्विक्क,1,कैसे मजबूत बनाएं हड्डियां,1,क्रायोनिक्स,1,क्रैग वेंटर,1,क्षय मास,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,2,खगोल,1,खगोल विज्ञान,2,खगोल विज्ञान.,1,खगोल वेधशाला,1,खतरनाक व्‍यवहार,1,खाद्य विषाक्‍तता,1,खारा जल,1,खूबसूरत आँखें,1,गणित,3,गति,1,गर्भकाल,1,गर्भस्‍थ शिशु का पोषण,1,गर्मी से बचने के तरीके,1,गुणसूत्र,1,गेलिलियो,1,गोल्डेन नंबर,2,गौरैया,1,ग्रह,1,ग्रीष्मकालीन अयनांत,1,ग्रुप व्हेलॉसिटी,1,ग्रेफ़ाइट,1,ग्लोबल वार्मिंग,2,घाघ-भड्डरी,1,चंद्रग्रहण,1,चमत्कार,1,चमत्कारिक पत्थर,1,चरघातांकी संख्याएं,1,चार्ल्‍स डार्विन,1,चिकत्सा विज्ञान,1,चैटिंग,1,छरहरी काया,1,छुद्रग्रह,1,जल ही जीवन है,1,जान जेम्स आडूबान,1,जानवरों की अभिव्यक्ति,1,जीवन और जंग,1,जीवन की उत्‍पत्ति,1,जैव विविधता वर्ष,1,जैव शवदाह,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और अंधविश्वास,2,झारखण्‍ड,1,टिंडल प्रभाव,1,टीलोमियर,1,टीवी और स्‍वास्‍थ्‍य,1,टीवी के दुष्‍प्रभाव,1,टेक्‍नालॉजी,1,टॉप 10 ब्लॉगर,1,डा0 अब्राहम टी कोवूर,1,डा0 ए0 पी0 जे0 अब्दुल कलाम,1,डाइनामाइट,1,डाटा सेंटर,1,डिस्कस,1,डी•एन•ए• की खोज,3,डीप किसिंग,1,डॉ मनोज पटैरिया,1,डॉ. के.एन. पांडेय,1,डॉ० मिश्र,1,ड्रग एडिक्‍ट,1,ड्रग्स,1,ड्रग्‍स की लत,1,तम्बाकू,1,तम्‍बाकू के दुष्‍प्रभाव,1,तम्बाकू निषेध,1,तर्कशास्त्र,1,ताँत्रिक क्रियाएँ,1,थर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर,1,थ्री ईडियट्स के फार्मूले,1,दर्दनाशी,1,दर्शन,1,दर्शन लाल बवेजा,3,दिल की बीमारी,1,दिव्‍य शक्ति,1,दुरबीन,1,दूरानुभूति,1,दोहरे मानदण्ड,1,धरोहर,1,धर्म,2,धातु विज्ञान,1,धार्मिक पाखण्ड,1,धुम्रपान और याद्दाश्‍त,1,धुम्रपान के दुष्‍प्रभाव,1,धूल-मिट्टी,1,नई खोजें,1,नन्हे आविष्कार,1,नमक,1,नवाचारी भौतिकी,1,नशीली दवाएं,1,नाइट शिफ्ट के दुष्‍प्रभाव,1,नारायणमूर्ति,1,नारी-मुक्ति,1,नींद और बीमारियां,1,नींद न आने के कारण,1,नेत्रदान और ब्लॉगर्स,1,नेत्रदान का महत्‍व,1,नेत्रदान कैसे करें?,1,नैनो टेक्नालॉजी,1,नॉटिलस,1,नोबल पुरस्कार,1,नोबेल पुरस्कार,2,न्‍यूटन,1,परमाणु पनडुब्‍बी,1,परासरण विधि,1,पर्यावरण और हम,1,पर्यावरण चेतना,2,पशु पक्षी व्यवहार,1,पहली बारिश,1,पाई दिवस,1,पुच्‍छल तारा,1,पुरुष -स्त्री लिंग अनुपात,1,पूर्ण अँधियारा चंद्रग्रहण,1,पृथ्वी की परिधि,3,पृथ्‍वेतर जीवन,1,पेट्रोल चोरी,1,पेंसिल,1,पैडल वाली पनडुब्बी,1,पैराशूट,1,पॉवर कट से राहत,1,पौरूष शक्ति,1,प्रकाश,2,प्रज्ञाएँ,1,प्रतिपदार्थ,1,प्रतिरक्षा,1,प्रदूषण,1,प्रदूषण और आम आदमी,1,प्ररेणा प्रसंग,1,प्रलय,2,प्रलय का दावा बेटुल्गुयेज,1,प्रसव पीड़ा,1,प्रेम में ।धोखा,1,प्रोटीन माया,1,प्लास्टिक कचरा,1,फाई दिवस,1,फिबोनाकी श्रेणी,1,फिबोनाची,1,फेसबुक,1,फ्रीवेयर,1,फ्रेंकेंस्टाइन,1,फ्रेंच किसिंग,1,बनारस,1,बायो-क्रेमेशन,1,बायोमैट्रिक पहचान तकनीकियाँ,2,बाल विज्ञान कथा,1,बालसुब्रमण्यम,6,बिग-बेंग सिद्धांत,1,बिजली,1,बिजली उत्‍पादन,1,बिजली कैसे बनती है?,1,बिजलीघर,1,बिली का विकल्‍प,1,बी0एम0डब्ल्यू0,1,बीरबल साहनी,1,बुलेटप्रूफ,1,बैल चालित पम्प,1,ब्रह्मण्‍ड,1,ब्रह्मा,1,ब्रह्माण्‍ड,1,ब्रह्माण्‍ड के रहस्‍य,1,ब्रह्मान्ड,1,ब्रेन म्‍यूजिक,1,ब्लॉग लेखन,1,ब्लॉग लेखन के द्वारा विज्ञान संचार,2,ब्लॉगिंग का महत्व,1,भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद,1,भारतीय विज्ञान कथा लेखक समिति,1,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय शोध,1,भूकंप के झटके,1,भूकम्‍प,1,भूगर्भिक हलचलें,1,मंगल,1,मधुमेह और खानपान,1,मनजीत सिंह बोपाराय,1,मनीष मोहन गोरे,1,मनीष वैद्य,1,मनु स्मृति,1,मनोरंजक गणित,1,महिला दिवस,1,माचू-पिचू,1,मानव शरीर,1,माया,1,मारिजुआना,1,मासिक धर्म,1,मिल्‍की वे,1,मिशन स्टारडस्ट-नेक्स,1,मीठी गपशप,1,मीमांसा,1,मुख कैंसर,1,मृत सागर,1,मेघ राज मित्र,1,मेडिकल रिसर्च,1,मेरी शैली,1,मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड,1,मैरी क्‍यूरी,2,मैरीन इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज लि,1,मोटापा,1,मोबाईल के नुकसान,1,मौसम,1,यजुर्वेद,1,युवा अनुसंधानकर्ता पुरष्कार,1,यूरी गागरिन,1,योगेन्द्र पाल,1,योगेश,1,योगेश रे,1,रक्षा उपकरण,1,राईबोसोम,1,रूप गठन,1,रेडियो टोमोग्राफिक इमेजिंग,1,रैबीज,1,रोचक रोमांचक अंटार्कटिका,4,रोबोटिक्स,1,लखनऊ,1,लादेन,1,लालन-पालन,1,लिनक्स,1,लिपरेशी,1,लीप इयर,1,लेड,1,लॉ ऑफ ग्रेविटी,1,लोक विज्ञान,1,लौह स्तम्भ,1,वजन घटाने का आसान तरीका,1,वाई गुणसूत्र,1,वायु प्रदुषण,1,वाशो,1,विज्ञान,1,विज्ञान कथा,3,विज्ञान कथा सम्मेलन,1,विज्ञान के खेल,2,विज्ञान चुटकले,1,विज्ञान तथा प्रौद्यौगिकी,1,विज्ञान प्रगति,1,विज्ञान ब्लॉग,1,विज्ञापन,1,विटामिनों के वहम,1,विद्युत,1,विवेकानंद,1,विवेचना-व्याख्या,1,विश्व नि-तम्बाकू दिवस,1,विश्व पर्यावरण दिवस,1,विश्व भूगर्भ जल दिवस,1,विष्णु,1,वीडियो,1,वीडियो बुक,1,वैज्ञानिक दृष्टिकोण,1,वैद्य अश्विनी कुमार,1,वोस्तोक,1,व्‍यायाम के लाभ,1,व्हेलॉसिटी,1,शिव,1,शुक्र पारगमन,1,शुगर के दुष्‍प्रभाव,1,शून्य,1,शोध परिणाम,1,शोधन,1,श्रृष्टि का अंत,1,सं. राष्ट्रसंघ,1,सकारात्‍मक सोच का जादू,1,संक्रमण,1,संख्या,1,संजय ग्रोवर,1,संज्ञात्मक पक्षी विज्ञान,1,सटीक व्‍यायाम,1,संत बलबीर सिंह सीचेवाल,1,सत्यजित रे,1,समय की बरबादी को रोचकने के उपाय,1,समाज और हम,1,समुद्र,1,संयोग,1,सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस,1,सर्प संसार,1,साइकोलोजिस्ट,1,साइनस उपचार,1,साइंस ब्लागर्स मीट,1,साइंस ब्लागर्स मीट.,2,साइंस ब्लॉग कार्यशाला,2,साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन अवार्ड,1,साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन रजिस्ट्रेशन,1,साइंस ब्लॉगर्स ऑफ दि ईयर अवार्ड,1,साइंस ब्लोगिंग,1,साईकिल,1,सामवेद,1,सामाजिक अभिशाप,1,सामाजिक चेतना,1,साहित्यिक चोरी,2,सिगरेट छोड़ें,1,सी. एस. आई. आर.,1,सी.वी.रमण विज्ञान क्लब,1,सीजेरियन ऑपरेशन,1,सुपर अर्थ,1,सुपर कम्प्यूटर,1,सुरक्षित ब्लॉगिंग,1,सूर्यग्रहण,2,सृष्टि व जीवन,3,सेक्स रेशियो,1,सेहत की देखभाल,1,सोशल नेटवर्किंग,1,स्टीफेन हाकिंग,1,स्पेन,1,स्मृति,1,स्वर्ण अनुपात,1,स्वाईन-फ्लू,1,स्वास्थ्य,2,स्‍वास्‍थ्‍य और खानपान,1,स्वास्थ्य चेतना,3,हमारे वैज्ञानिक,4,हरित क्रांति,1,हंसी के फायदे,1,हाथरस कार्यशाला,1,हिंद महासागर,1,हृदय रोग,1,होलिका दहन,1,ह्यूमन रोबोट,1,
ltr
item
Science Bloggers' Association: आईये छद्मविज्ञान बाचें !
आईये छद्मविज्ञान बाचें !
Science Bloggers' Association
https://blog.scientificworld.in/2009/06/blog-post_28.html
https://blog.scientificworld.in/
https://blog.scientificworld.in/
https://blog.scientificworld.in/2009/06/blog-post_28.html
true
1415300117766154701
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy