नमस्कार मित्रों , आज मैं आपसे मुखातिब हूँ -मैं ,मतलब साईंस ब्लॉगर असोसियेशन का गुरुतर भार उठा रहा यह नाचीज -यानि इस असोशियेशन का अध्यक्ष...
नमस्कार मित्रों ,
आज मैं आपसे मुखातिब हूँ -मैं ,मतलब साईंस ब्लॉगर असोसियेशन का गुरुतर भार उठा रहा यह नाचीज -यानि इस असोशियेशन का अध्यक्ष ! आपने इस अभियान को जितने उत्साह से लिया वह बहुत प्रोत्साहित करने वाला है और इसके उज्जवल भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है ! हमारा यह अभियान अभी तक अपने सीमित संसाधनों से जिस तरह विज्ञान को आम आदमी तक ले जाने की मुहिम में लगा है उसकी नोटिस ली जाने लगी है ! कुछ समाचार पत्रों की कतरने भी आप यहाँ देख सकते हैं जो यहाँ प्रकाशित हो रही सामग्री की गुणवत्ता की गवाह है ! मगर अभी तो यह शुरुआत भर हैं , अभी सफलता के सोपान पर बहुत आगे जाना है ! जिस सहयोग भावना से हमारे मित्रगण यहाँ हैं उससे मंजिल तक की यात्रा को लेकर हमें कोई संशय नहीं है !हाँ सफ़र की निरंतरता में भी एक गहरे संतुष्टि का बोध होता है जो दीर्घकालिक है -भला मंजिल को पा जाने का अस्थिर ,क्षणिक हर्षोल्लास इसकी बराबरी कैसे कर सकता है ? मैं तो मंजिल को छू भर लेने की व्यग्रता से बढ़ कर इस यात्रा नैरन्तर्य को ही अपनी मंजिल मानता हूँ ! चरैवेति .....चरैवेति ......आप जैसे मित्रगण जब सफ़र में हो तो वह जल्द पूरा न हो और सापेक्षता के सिद्धांत की याद दिलाता रहे इससे खुशनुमा भी संसार में कुछ हो सकता है ? नहीं नहीं मैं शब्दातिरेक में नहीं बह रहा ,सच कह रहा हूँ !
मित्रों ,यह विज्ञान संचार का एक विनम्र किन्तु दृढ प्रयास है !विज्ञान जो प्रायः नीरस है ,कठिन प्रमेयों और सूत्रों ,शब्दावली से ओतप्रोत है ! आम आदमी तक तो यह वैज्ञानिकों की बोलीभाषा में पहुँचने से रहा -इसे रोचक ,और रोचक बनना है -कड़वी गोली को चाशनी में लपेट कर देना है ! विज्ञान को जरा अलंकारिक और श्रृंगारिक (मेरे एक मित्र ने यह शब्द दिया है यद्यपि वे विज्ञान की श्रृंगारिकता के पक्षधर नहीं ) बनाना है .मगर सच मानिये यह सरल काम नहीं है ,सबके वश का भी नहीं ! वैज्ञानिकों के बस का तो बिलकुल नहीं ! हाँ ,सी वी रमन ,जे बी एस हाल्डेन ,आईन्स्टीन जैसे अपवाद हो तो बात अलग है !
कुछ लोगों को यह गलत फहमी है कि हम यहाँ निरा विज्ञान परोस रहे हैं ,नहीं हम विज्ञान को छप्पन भोग की थाली में परोस रहे हैं -यह कहना ज्यादा सटीक होगा !
हम वैज्ञानिकों और आमजन के बीच की कड़ी हैं ! सेतु बन रहे हैं ! आम जन की समझ को अनुभूत करते हुए ,उनकी जरूरतों का धयान रखते हुए हम अपनी पोस्टों को सार्थक बनाएं ,उद्येश्यपरक बनायें यही छोटी सी इल्तिजा आपसे है ! हमें प्राचीन विज्ञान या वेदों में विज्ञान जैसे विषयों से भी परहेज नहीं है किन्तु उनका प्रस्तुतीकरण तार्किक हो और एक नई दृष्टि लिए हो तो बेहतर होगा ! ध्यान रखें प्रौद्योगिकी के मामलें में अग्नि और पहिये के आविष्कार के बाद हम लगातार पिछड़ते रहे हैं ! अब आकर हमने आई टी के क्षेत्र में दुनियां में धाक जमाई है ! इसलिए यह कहना कि पुष्पक विमान वास्तव में था केवल हमारी मूर्खता का ही परिचयाक है! लेकिन यह क्या कम है कि ऐसी नायाब सूझ विश्व को हमने ही दी है ! ऐसे अनेक उदाहरण है जिन्हें हमें सावधानी से उद्धृत करना होगा ! स्पष्ट है ऐसे लेख हम यहाँ नहीं दे सकेगें !
हाँ विज्ञान और धर्म के घालमेल से भी हमें बचना चाहिए !यह क्षद्म विज्ञान की ओर लुभाता है ! धर्म हमें यह सन्देश देता है कि हम जीवन कैसे जियें और विज्ञान हमें मनोवाछित तरीके से जीवन जीने की जुगते मुहैया कराता है ! वे दरअसल पारस्परिक सहयोगी होते हुए अपनी प्रकृति में अलग हैं ! आयिन्स्टीन ने इसलिए ही तो कहा था कि विज्ञान बिना धर्म के अँधा है और धर्म बिना विज्ञान के लगडा !
जल्दी ही वह तारीख आने वाली है जब रजनीश इस वर्ष के बेस्ट एंट्री को नगद पुरस्कार देने की घोषणा करेगें ! जो महज एक मानराशी होगी -आपकी सेवाओं की एक विनम्र अभिस्वीकृति ! पत्रं पुष्पं फलं तोयं सरीखी ही ! आज आपको बोर किया मगर धैर्य रखें ऐसे ही कभी कभार आपसे बात करने की इच्छा हो जाने पर आपको फिर फिर बोर करूगा -इतनी आजादी आपसे चाहिए !
दुर्गापूजा और दशहरे की शुभकामनायें !
आपका
अरविन्द
आज मैं आपसे मुखातिब हूँ -मैं ,मतलब साईंस ब्लॉगर असोसियेशन का गुरुतर भार उठा रहा यह नाचीज -यानि इस असोशियेशन का अध्यक्ष ! आपने इस अभियान को जितने उत्साह से लिया वह बहुत प्रोत्साहित करने वाला है और इसके उज्जवल भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है ! हमारा यह अभियान अभी तक अपने सीमित संसाधनों से जिस तरह विज्ञान को आम आदमी तक ले जाने की मुहिम में लगा है उसकी नोटिस ली जाने लगी है ! कुछ समाचार पत्रों की कतरने भी आप यहाँ देख सकते हैं जो यहाँ प्रकाशित हो रही सामग्री की गुणवत्ता की गवाह है ! मगर अभी तो यह शुरुआत भर हैं , अभी सफलता के सोपान पर बहुत आगे जाना है ! जिस सहयोग भावना से हमारे मित्रगण यहाँ हैं उससे मंजिल तक की यात्रा को लेकर हमें कोई संशय नहीं है !हाँ सफ़र की निरंतरता में भी एक गहरे संतुष्टि का बोध होता है जो दीर्घकालिक है -भला मंजिल को पा जाने का अस्थिर ,क्षणिक हर्षोल्लास इसकी बराबरी कैसे कर सकता है ? मैं तो मंजिल को छू भर लेने की व्यग्रता से बढ़ कर इस यात्रा नैरन्तर्य को ही अपनी मंजिल मानता हूँ ! चरैवेति .....चरैवेति ......आप जैसे मित्रगण जब सफ़र में हो तो वह जल्द पूरा न हो और सापेक्षता के सिद्धांत की याद दिलाता रहे इससे खुशनुमा भी संसार में कुछ हो सकता है ? नहीं नहीं मैं शब्दातिरेक में नहीं बह रहा ,सच कह रहा हूँ !
मित्रों ,यह विज्ञान संचार का एक विनम्र किन्तु दृढ प्रयास है !विज्ञान जो प्रायः नीरस है ,कठिन प्रमेयों और सूत्रों ,शब्दावली से ओतप्रोत है ! आम आदमी तक तो यह वैज्ञानिकों की बोलीभाषा में पहुँचने से रहा -इसे रोचक ,और रोचक बनना है -कड़वी गोली को चाशनी में लपेट कर देना है ! विज्ञान को जरा अलंकारिक और श्रृंगारिक (मेरे एक मित्र ने यह शब्द दिया है यद्यपि वे विज्ञान की श्रृंगारिकता के पक्षधर नहीं ) बनाना है .मगर सच मानिये यह सरल काम नहीं है ,सबके वश का भी नहीं ! वैज्ञानिकों के बस का तो बिलकुल नहीं ! हाँ ,सी वी रमन ,जे बी एस हाल्डेन ,आईन्स्टीन जैसे अपवाद हो तो बात अलग है !
कुछ लोगों को यह गलत फहमी है कि हम यहाँ निरा विज्ञान परोस रहे हैं ,नहीं हम विज्ञान को छप्पन भोग की थाली में परोस रहे हैं -यह कहना ज्यादा सटीक होगा !
हम वैज्ञानिकों और आमजन के बीच की कड़ी हैं ! सेतु बन रहे हैं ! आम जन की समझ को अनुभूत करते हुए ,उनकी जरूरतों का धयान रखते हुए हम अपनी पोस्टों को सार्थक बनाएं ,उद्येश्यपरक बनायें यही छोटी सी इल्तिजा आपसे है ! हमें प्राचीन विज्ञान या वेदों में विज्ञान जैसे विषयों से भी परहेज नहीं है किन्तु उनका प्रस्तुतीकरण तार्किक हो और एक नई दृष्टि लिए हो तो बेहतर होगा ! ध्यान रखें प्रौद्योगिकी के मामलें में अग्नि और पहिये के आविष्कार के बाद हम लगातार पिछड़ते रहे हैं ! अब आकर हमने आई टी के क्षेत्र में दुनियां में धाक जमाई है ! इसलिए यह कहना कि पुष्पक विमान वास्तव में था केवल हमारी मूर्खता का ही परिचयाक है! लेकिन यह क्या कम है कि ऐसी नायाब सूझ विश्व को हमने ही दी है ! ऐसे अनेक उदाहरण है जिन्हें हमें सावधानी से उद्धृत करना होगा ! स्पष्ट है ऐसे लेख हम यहाँ नहीं दे सकेगें !
हाँ विज्ञान और धर्म के घालमेल से भी हमें बचना चाहिए !यह क्षद्म विज्ञान की ओर लुभाता है ! धर्म हमें यह सन्देश देता है कि हम जीवन कैसे जियें और विज्ञान हमें मनोवाछित तरीके से जीवन जीने की जुगते मुहैया कराता है ! वे दरअसल पारस्परिक सहयोगी होते हुए अपनी प्रकृति में अलग हैं ! आयिन्स्टीन ने इसलिए ही तो कहा था कि विज्ञान बिना धर्म के अँधा है और धर्म बिना विज्ञान के लगडा !
जल्दी ही वह तारीख आने वाली है जब रजनीश इस वर्ष के बेस्ट एंट्री को नगद पुरस्कार देने की घोषणा करेगें ! जो महज एक मानराशी होगी -आपकी सेवाओं की एक विनम्र अभिस्वीकृति ! पत्रं पुष्पं फलं तोयं सरीखी ही ! आज आपको बोर किया मगर धैर्य रखें ऐसे ही कभी कभार आपसे बात करने की इच्छा हो जाने पर आपको फिर फिर बोर करूगा -इतनी आजादी आपसे चाहिए !
दुर्गापूजा और दशहरे की शुभकामनायें !
आपका
अरविन्द
चलिये, छप्पन भोग का आनन्द ले रहे हैं.
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरु करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
अंधविश्वास को दूर करने और विज्ञान के प्रचार प्रसार करने के लिए आपलोगों का प्रयास सराहनीय है .. पर जिस युग में जो बात सही साबित हो चुकी हो .. उसका प्रचार प्रसार इतना कठिन भी नहीं .. विज्ञान की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए छप्पनभोग थाली में इसे परोसना आवश्यक नहीं .. इंटरनेट का प्रयोग करने वाले आपके ब्लाग के पाठक विज्ञान से भली भांति परिचित हैं .. पर परंपरागत ज्ञान को साबित करने के लिए अधिक मेहनत करने की आवश्यकता पडती है .. जो डा पंकज अवधिया जैसे कृषि वैज्ञानिक और उनके जैसे अन्य लोग गांव गांव में घूम घूमकर कर रहे हैं .. खैर साइंस ब्लागर्स एसोशिएशन की सफलता के लिए आपलोगों को बहुत बहुत बधाई !!
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteआपको भी मेरी तरफ़ से ढेर सारी शुभकामनाएँ
ReplyDeleteApki ye chhapan bhog ki thali to meri bhi pasandida hai...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर । शुभकामनायें ।
ReplyDeleteआपको बोर करने का पूरा अधिकार है। मैं यहां आया हूं यही इस बात का प्रमाण है कि आपने वास्तव में विज्ञान को रोचक बनाया है। लेकिन आपके कुछ लेखकों ने खांमखां ज्योतिष की पूछ फाड़ी तो इस ब्लॉग के बारे में मुझे भी कुछ तल्ख लिखना पड़ा। उद्देश्य सच्चे हों तो कारवां अपने आप जुड़ता चला जाएगा। किसी दिन अपनी दैनिक उलझनों से मुक्त होउंगा तो मैं भी आपके ब्लॉग में कुछ विज्ञान विषयक लिखने की अनुमति मांगूंगा। कई बार पढ़ता हूं तो कुछ लिखने की इच्छा भी हो आती है। यही आपके ब्लॉग की सच्ची सफलता है। आप सफर जारी रखिए। मेरे जैसे हजारों पाठक नियमित रूप से आपके पास हैं।
ReplyDeleteआगे की यात्रा के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।
...
"सफ़र की निरंतरता में भी एक गहरे संतुष्टि का बोध होता है जो दीर्घकालिक है"..
ReplyDeleteतत्वबोधिनी प्रतीति है यह । आपको भी शुभकामनायें ।
@ हाँ ,सिद्धार्थ जी उस मामले की अति से और बिना बात के वितंडावाद से मुझे भी गहरी अरुचि है मगर क्या कीजे यह प्रजातंत्र है ! उनकी भी सुनिए ! आपकी शुभकामना के लिए कृतग्य हूँ !
ReplyDelete@और हाँ ,सिद्धार्थ जी आपका सदैव स्वागत है -द्वार आपके लिए खुले हैं -अनुमति कैसी ?
ReplyDeleteBahut zaruri hai kisi bhi association ke leader ka beeche beech mein ek baar aa kar sabhi ko sambodhit karna..association ke objects ,rules etc mein naye updates ke bare mein details dena...jis se members ka hausla bana rahta hai.
ReplyDeleteAbhaar,
shubhkamnayen.
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeleteसाइंस ब्लॉग हिंदी में होना बहुत से लोगो में सांइस को आसानी से समझने में मददगार है ..
ReplyDeleteसाइंस ब्लॉगस असोसिएशन के प्रति आपका और पाठकों का लगाव काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteविज्ञान का परचम तो लहरा ही चुका है | छप्पन भोग की थाली में और भी अच्छा लगता है | संगीता जी ने सही कहा है जिस युग में जो परोक्ष होता है वही उस युग के लिए सत्य होता है | आपको बहुत बहुत बधाइयां| अन्ध्विस्वास खत्म कीजिये | विस्वास कयाम रखिये |
ReplyDeleteमिश्रा जी, किसी के विचारों से सहमत होना या न होना एक अलग बात है....ओर देखा जाए तो नवसृ्जन के लिए वैचारिक भिन्नताओं का होना एक तरह से आवश्यक भी है। अब जहाँ तक साईंस ब्लागर्स एसोसियशन की बात है तो यदा कदा ऎसे अवसर जरूर आते रहे हैं कि जब हम लोगों के मध्य वैचारिक टकराव की स्थितियाँ उत्पन होती गई किन्तु फिर भी समाज में वैज्ञानिक चेतना के विस्तार हेतु किए जा रहे आपके प्रयासों से हमें कभी भी असहमति नहीं हुई,अपितु हमें तो आपके प्रयास सराहनीय ही लगे हैं। यदि ऎसा न होता तो शायद हम इस ब्लाग के नियमित पाठक भी न होते.....खैर कामना करते हैं कि आपका ये अभियान भविष्य में भी यूँ ही अनवरत जारी रहे.......शुभकामनाऎं!!!!
ReplyDeleteकुछ यात्राये अकेले तय की जाती है तो कुछ सामुहिक रुप से ,विज्ञान सामुहिक यात्रा है ,विज्ञान, पार्थिव सत्य की खोज़ है ,Science Bloggers' Association ने चलने की शुरुआत कर दी है आशा है यह आगे ही जायेगा ..........
ReplyDeleteसब अपनी अपनी रुचि के अनुसार अच्छा काम कर रहे हैं आपका प्रयास भी बडिया है लगे रहिये आभार और शुभकामनायें
ReplyDeletearavind ji,
ReplyDelete16-9 ka 'times of india' padhiye--British samaachaar--Early stone age man used crude version of satellite navigation system.
isee tarah ---Pushpak vimaan thaa, yah koee vevakoofee naheen, Rawan-sanhitaa men vimaan kaa pooraa varnan sachitr dekhiye, usakaa fuel,navigation system, extrnal va internan stucture etc.
---aapake prayaas saraahneey hain, par "Ati sarvatr varjayet" &
"jin khojaa tin paaiyaa gahare paanee paith"
विज्ञान को रोचक शब्दों मे प्रस्तुत करना ज़रूरी है । मै इसी तरह अपना सेशन लेता हूँ ताकि बात जल्दी समझ मे आ जाये । हाँलाकि इसके अपने खतरे हैं लेकिन यदि पूरी बात न भी समझा पाये और वैज्ञानिक दृष्टि ही उत्पन्न कर दें यह काफी है ।नई तकनीक का प्रयोग करने वाले भी रूढ़ीवादी और पुरानी सोच के हो सकते हैं । सोचने की प्रक्रिया की शुरुआत करना है । इस दिशा मे चिंतन जारी रखें - शरद कोकास
ReplyDeleteगुफा में मिला 5000 साल पहले का "विमान
ReplyDeleteअफगानिस्तान (कंधार) कि गुफा में मिला 5000 साल पहले का "विमान"....!!
इस न्यूज़ को भारत के बिकाऊ मिडिया ने महत्व नहीं दिया, क्यों कि भारत के सनातनी हिंदूओ कि महिमा बढ़ाने वाली ये खबर सांप्रदायिक है...!!
Russian Foreign Intelligence Service (SVR) report द्वारा 21 December 2010 को एक रिपोर्ट पेश की गयी की जिसमे बताया, ये विमान द्वारा उत्पन्न एक रहस्यमयी Time Well क्षेत्र है जिसकी खतरनाक electromagnetic shockwave से ये अमेरिका के सील कमांडो मारे गये या गायब हो गये।
इसी की वजह से कोई गुफा में नहीं जा पा रहा।
US Military scientists ने बताया की ये विमान ५००० हज़ार पुराना है और जब कमांडो इसे निकालने का प्रयास कर रहे थे तो ये सक्रिय हो गया जिससे इसके चारों और Time Well क्षेत्र उत्पन्न हो गया यही क्षेत्र विमान को पकडे हुए है । इसी क्षेत्र के सक्रिय होने के बाद 8 सील कमांडो गायब हो गए।
Time Well क्षेत्र विद्युत चुम्बकीये क्षेत्र होता है जो सर्पिलाकार होता है हमारी आकाशगंगा की तरह।
Russian Foreign Intelligence ने साफ़ साफ़ बताया की ये वही विमान है जो संस्कृत रचित महाभारत में वर्णित है। और जब इसका इंजन शुरू होता है तो बड़ी मात्र में प्रकाश का उत्सर्जन होता है।
SVR report का कहना है यह क्षेत्र 5 August को फिर सक्रिय हुआ था electromagnetic shockwave यानि खतरनाक किरणें उत्पन्न हुई ये इतनी खतरनाक थी की इससे 40 सिपाही तथा trained German Shepherd dogs इसकी चपेट में आ गए।
http://www.wired.com/dangerroom/2011/05/aviation-geeks-scramble-to-i-d-osama-raids-mystery-copter/
http://www.whatdoesitmean.com/index1510.htm
http://www.youtube.com/watch?v=qBlwhVyZxmQ
Aviation Geeks Scramble to ID bin Laden Raid's Mystery Copter | Danger Room | Wired.com
www.wired.com
Updated 8:33 p.m, May 4 The May 2 raid on Osama bin Laden's luxury compound in Abbottabad, Pakistan, had it all: painstaking intelligence-gathering, a